गांड मरवाने की तलब- 2

(Chud Chudai Desi Group Story)

चुद चुदाई देसी ग्रुप स्टोरी में पढ़ें कि मैं गांडू लड़का खुद को लड़की मानता हूँ. मेरी बहन और मेरी मम्मी की चूत को अपनी गांड के साथ मैंने अपने यारों से कैसे चुदवाया.

मैं गांडू लड़का हूँ पर खुद को लड़की मानता हूँ. मेरी बीवी अंशु है. उसका यार उपिन्दर है. मैं उन दोनों को अपना पति मानती हूँ.

इस चुद चुदाई देसी ग्रुप स्टोरी के पिछले भाग
गांड मरवाने की तलब- 1
में आपने पढ़ा कि मेरी गांड में खुजली हो रही थी, लंड लेने की इच्छा हो रही थी तो लेडी डॉक्टर ने मुझे उसके दूध वाले के पास भेज दिया. उस दूध वाले और उसके तीन दोस्तों ने मुझे और मेरी गांड खूब बजायी.

>चारों के लंड खड़े हो चुके थे और प्रोग्राम शुरू हो गया।
अगले ही मिनट में एक लन्ड पिस्टन की तरह मेरे चूतड़ों के बीच में चल रहा था दूसरा मेरे मुंह में अंदर बाहर हो रहा था।
मेरी दोनों जगह से चुदाई हो रही थी धकाधक … फचाफच!
और ये सारी रात चला। चारों ने दो दो बार अपना माल मेरे अंदर झाड़ा।

चारो लौंडों को मैंने चूसा भी और उनसे मरवाई भी। सुबह तक मेरा सारा शरीर दर्द कर रहा था।
मैं चुपचाप घर आयी और सो गयी.< अब आगे की चुद चुदाई देसी ग्रुप स्टोरी: कुछ दिनों के बाद ... अंशु और उपिंदर बाहर गए हुए थे। मैं अकेली थी। मम्मी और मेरी बहन शैली आये हुए थे। शाम को बातें कर रहे थे। शैली ने कहा- दीदी, राजेश कहाँ है? "क्यों चुदवाने का मन कर रहा है?" "हाँ। जीजा जी भी नहीं हैं." "राजेश कहीं गया है, कल आएगा." "पर मुझे तो आज चाहिए." "मम्मी, आपको भी?" "ये भी कोई पूछने की बात है। मन तो कर ही रहा है। पर अब बाजार में जा के किसी ऐरे गैरे को तो नहीं दे सकते न!" "हाँ ये बात तो है." "दीदी कुछ कर!" तभी मुझे सुलेमान याद आया। मैंने उसे फोन किया- हेलो सुलेमान, कैसे हो? "अच्छा हूँ। आप कौन?" "अरे भूल भी गए। याद करो उस दिन डॉक्टर शोभा के घर। तुम मैं और अरबाज़!" "कैसे भूल सकता हूँ, बस आवाज़ नहीं पहचानी। बाकी सब याद है." "क्या याद है?" "सब कुछ तेरे होंठ तेरी चूचियाँ तेरे चूतड़ तेरी गांड चुदाई!" "आज मन है?" "मेरा तो खड़ा हो गया है आ जा!" "अरबाज़ भी आएगा?" "ज़रूर!" "लेकिन आज मुझे 2 नहीं 3 मर्द चाहिए!" "साली तू पूरी रंडी है। ठीक है कुरेशी को भी ले आऊंगा." "भरोसे का है न?" "हाँ बिल्कुल." "ठीक है एक पता दे रही हूँ। एक घण्टे में वहां आ जाओ तीनों!" मैंने फार्म हाउस का पता दे दिया। हम तीनों वहां पहुंच गए। मैं साड़ी में थी। बाकी दोनों सलवार कमीज़ में। वैसे भी जो प्रोग्राम मैने सोचा था उसमें उनके कपड़ों का कोई रोल नहीं था। हमने शराब पीनी शुरू की। वो तीनों आये। मैंने मम्मी और शैली को दूसरे कमरे में छुपा दिया। तीनों से हाथ मिलाया। सुलेमान मुझे दबोचना चाहता था. तो मैंने कहा- उतावले मत हो। मैंने बुलाया है, सब होगा। पहले बैठो। हम चारों पीने लगे, बातें करने लगे। मैं पहले भी पी चुकी थी, इसलिए धीरे धीरे पी रही थी। उनके 3/3 पेग हो गए। "कुरैशी खड़े हो जाओ!" वो खड़ा हुआ और मैने प्यार से उसके गले में अपनी बांहें डाल दीं। उसने मुझे जकड़ लिया। मेरे होंठों को चूमा चूसा और मेरे चूतड़ मसले। और फिर उसने मेरी साड़ी उतार दी। मैं ब्लाउज पेटीकोट में। बारी बारी बाकी दोनों से लिपटी, चुम्मियां दीं, चूचियाँ और चूतड़ दबवाये, पैंट के ऊपर से लौडों को सहलाया। "आज मेरी मर्ज़ी से करेंगे." "ठीक है।" तीनों बोले। "तीनों कपड़े उतार दो." वो नँगे हो गए। फिर मैंने उनकी आंखों पे पट्टी बांध दी। मैंने उन्हें अलग अलग बिस्तर पे लिटा दिया। "कोई बोलेगा नहीं! जिसे मैं मज़ा दूंगी, वो मज़ा लेगा और ये मेरा वादा है कि तुम तीनों को खुश कर दूंगी। तीनों ने गरदन हिलाई। मैंने मम्मी और शैली दोनों को बुला लिया। हम तीनों एक एक बिस्तर के सिरहाने गए। झुके और होंठ से होंठ मिला दिए। कुरैशी मेरे, सुलेमान मेरी माँ के और अरबाज़ मेरी बहन के होंठ चूसने लगा। फिर हमने अपने ऊपर के कपड़े उतार दिए और वैसे ही झुक के उनके चेहरों के ऊपर चूचियाँ रख दीं। तीनों मस्त हो कर मसलने चूसने लगे। उसके बाद उनके टांगों के बीच की बारी आयी। हमने लंड को सहलाया और फिर मुंह में ले लिया ... प्यार से चूसा। लण्ड मस्त हो चुके थे, घुसने को तैयार। हमने चुपचाप हाथ पकड़ के उन्हें खड़ा किया बिस्तर के पास। हमने अपने सारे कपड़े उतारे और हम तीनों बिस्तर पे घोड़ी बन गयी। "अब पट्टी खोल दो." उनकी तो बांछें खिल गईं। सामने नँगे खुले हुए चूतड़ ... कुरैशी के सामने खुली गांड और बाकी दोनों के सामने चूत भी गांड भी। और वो तीनों टूट पड़े। अगले ही पल हमारे अंदर मस्त तने हुए लण्ड घुस गए। और मेरी गांड की और उन दोनों की चूत की सामूहिक चुद चुदाई शुरू हो गयी। दनादन दनादन फचाक फचाक! तीनों ने मस्त पेल के हमारे अंदर पानी छोड़ दिया। फिर ... मैंने सबको मिलवाया, ये मालिनी मेरी मम्मी, ये शैली मेरी बहन, ये सुलेमान, अरबाज़ और कुरैशी। मैं सबके लिए पेग बनाने लगी। मम्मी बोली- आज पहली बार ऐसा हुआ कि चुदवाने के बाद चोदने वाले का नाम पता चला. शैली- हाँ पहले घोड़ी बन के चूत मरवाई बाद में देखा लण्ड किसका था. अरबाज़- सच है पहले चूत देखी, चूतड़ देखे, चोदा उसके बाद शक्ल देखी। लेकिन मज़ा आ गया। ऐसी ही बातें हो रही थीं, सब हंस रहे थे, दारू पी रहे थे। सोफे पे सुलेमान मेरे पास बैठा था, कुरैशी मम्मी के और अरबाज़ शैली के पास। तीनों मर्द हमारी चूचियों को जांघों को सहला दबा रहे थे। कुरैशी- सुलेमान यार, तूने माल मस्त फंसाया है। कामिनी की गांड मार के मज़ा आ गया. और साथ में ये दो और चूत वालियों को ले के आ गयी, वाह! शैली- सुलेमान ने कुछ नहीं किया, उसे मेरी दीदी ने फंसाया है. कुरैशी- फिर तो कामिनी को धन्यवाद देने का मन कर रहा है. "धन्यवाद कैसे दोगे?" "उसके साथ एक हफ्ता हनीमून और क्या!" "वो तो जब होगा तब होगा, ये बताओ कि अभी दूसरा राउंड होगा?" कुरैशी खड़ा हुआ, शैली को हाथ पकड़ कर खड़ा किया, उसकी चूत को धीरे से दबाया- रानी दूसरा भी होगा, तीसरा भी होगा! अरबाज़ बोला- कौन किसकी सवारी करेगा? कुरैशी- यार मेरा तो मालिनी पे चढ़ने का मूड है. अरबाज़- हाँ यार, मस्त माल है. मैंने देखा मम्मी अपनी तारीफ सुन के मुस्कुरा रही थी। अरबाज़ बोला- एक काम करते हैं, कामिनी को थोड़ा आराम करने देते हैं. सुलेमान- मतलब? "मतलब तू शैली को अपने नीचे लिटा, मैं और कुरैशी मालिनी को दोनों छेदों में बजाते हैं." शैली- मम्मी ने दो से तो पहले भी एक साथ प्रोग्राम किया है। ऐसा करो तुम तीनों एक साथ चूत, गांड और मुंह में घुसाओ और मैं और दीदी अपनी मम्मी की सामूहिक चुदाई का नज़ारा लेते हैं. फिर क्या था ... मम्मी बिस्तर पे ... नीचे अरबाज़, उसके लौड़ा भोसड़ी में, ऊपर कुरैशी, उसका मम्मी के भारी चूतड़ों के बीच में और मम्मी के सिर के पास सुलेमान, लण्ड मेरी मां के मुंह में। मस्त प्रोग्राम चल रहा था ... तीन लौड़े मम्मी के अंदर बाहर हो रहे थे। मैं और शैली एक दूसरे की चूचियाँ मसलते हुए अपनी मम्मी की चुदाई देख रहे थे। शैली बहुत गर्म हो गयी थी। उसने मेरा सिर पकड़ के मेरा मुंह अपनी चूत पे लगा दिया, मैं चूसने लगी। और फिर ... वहाँ बिस्तर पे तीन लौड़ों ने एक साथ पानी छोड़ा और शैली की चूत मेरे होंठों पे गीली हो गयी। थोड़ी देर बाद शैली- क्यों कुरैशी, तीसरा राउंड? "ज़रूर, कुछ आराम कर लें." सब लेट गए। मुझे झपकी आ गयी। कुछ देर बाद ... देखा कि सुलेमान मेरी चूची चूस रहा है। और देखा तो मम्मी उल्टी लेटी हुई है, अरबाज़ उसके चूतड़ मसल रहा है. और कुरैशी मेरी बहन के ऊपर लेट के उसके होंठ चूस रहा है। मैंने कहा- लगता है, सब तैयार हैं। देखो अभी सुबह होने में थोड़ा समय है, बाहर चलते हैं, हरी घास में करेंगे. मम्मी बोली- मैं तो बहुत थक गयी हूँ. सुलेमान- कोई बात नहीं ... मैं तो कामिनी की गांड मारूंगा, बाकी मेरे दोनों यारों को शैली मज़े देगी. हम बाहर आ गए। शैली को अरबाज़ और कुरैशी ने सैंडविच बना लिया। मैं घोड़ी बन के सुलेमान से अपना पेंदा ठुकवाने लगी। तीनों मर्द तीसरा राउंड चोद रहे थे। घमासान चुद चुदाई बहुत लम्बी चली। मेरी गांड और शैली की चूत और गांड वीर्य से भर गयी। दिन की शुरुआत हो गयी थी। सबने कपड़े पहने। तीनों मर्दों ने बारी बारी हम तीनों को आलिंगन चुम्बन किया और चले गए। हम भी फार्म हाउस से निकल के घर को चल पड़े. चुद चुदाई देसी ग्रुप स्टोरी कैसी लगी आपको? [email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top