भाभी और उनकी सहेली की चूत गांड चुदाई-1

दोस्तो, मेरा नाम चार्ली है. मैं कोल्हापुर, महाराष्ट्र का रहने वाला हूँ. मैंने बी.ई. पास किया है. अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज़ पर यह मेरी बहुत सारी कहानी हैं. जो पाठक मेरी पिछली कहानियां पढ़ना चाहते हैं, वो इस कहानी के शीर्षक के नीचे लिखे मेरे नाम पर क्लिक करके अन्तर्वासना पर पढ़ सकते हैं.

मुझे मेरी पिछली कहानी
भाभी की सहेली ने चुदाई के लिए ब्लैकमेल किया
के बाद काफी मेल आए. उनमें से कुछ लड़कियों के मैसेज थे और कुछ भाभियों के मेल भी आए.

जो भी मेल मेरे पास आए, उनमें से कितनी असल में लड़कियां हैं और कितने लड़कों ने लड़की की आई-डी बनाकर मेल किए हैं, ये तो मैं नहीं जानता. लेकिन फिर भी जिन्होंने भी मुझे मेल किया उनका धन्यवाद करता हूँ.

एक बार फिर से अपना संक्षिप्त परिचय देते हुए बताना चाहता हूँ कि मेरी हाइट 6 फीट के करीब है और शरीर औसत ही है. मेरा लंड साइज में 6.5 इंच लंबा है जबकि मोटाई 2.5 इंच है.

मुझे बहुत सारे लड़के ऐसे भी मिले, जो मुझसे कह रहे थे कि उन्हें भी मैं अपने ग्रुप में शामिल कर लूँ. लेकिन उनको मैं कहना चाहता हूँ कि मैं कोई एजेन्ट नहीं हूँ, जो आप लोगों के लिए चुत की सैटिंग करता फिरूं. अगर लंड में इतनी ही खुजली हो रही हो, तो लंड के लिए चुत का इंतजाम खुद कर लें.

पिछली कहानी में मैंने लिखा था कि मैंने संजना और शीना की चुदाई एक साथ कैसे की. उसी कहानी को मैं इस भाग में और आगे बढ़ा रहा हूँ. मैं उम्मीद करता हूँ कि आप इस कहानी को भी बाक़ी कहानियों की तरह पसंद करेंगे.

आप लोगों ने पिछली सेक्स कहानी में पढ़ा था कि हम तीनों चुदाई का घमासान खेल खेलने के बाद वैसे ही नंगे बिस्तर पर पड़े थे.

जब हम अगली सुबह उठे, तब पता चला कि हम तीनों पूरी रात भर नंगे ही थे. सुबह जब शीना ने मेरी गोटियों को पूरा कसके दबा कर मुझे उठाया, तो मेरी चीख निकल गई. मेरी आवाज से इस चीख से संजना भी उठ गई.

मैंने शीना की तरफ ऐसी निगाहों से देखा कि जैसे मैं उसको अब काट ही डालूंगा. मैं गुस्से से आग-बबूला हो चुका था.

पर उसी वक्त शीना ने मेरी तरफ बिल्कुल प्यासी नजरों से देखा. उसकी ऐसी नजरों की वजह से मेरा गुस्सा पूरा ही तरह से मिट गया. मैंने उस गुस्से का बदला लेने के लिए शीना के निप्पलों को ऐसे खींचा, जैसे उसके निप्पल कोई तार हों और खींचे कर मरोड़े जा रहे हों.

मैंने उन्हें इतनी जोर से खींचा कि जैसी मेरी चीख निकली थी, वैसी ही शीना की चीख भी निकल गई. उसके चेहरे पर भी अब वही दर्द के भाव थे, जो कुछ वक्त पहले मेरे थे.

उसी वक्त मैंने देखा कि संजना भी शीना के ऊपर झपट्टा मार कर उसके नजदीक पहुंच गई और उसके दूसरे दूध को पकड़ कर अपने मुँह में डाल कर चूसने लगी.

इसी के साथ शीना के मुँह से भी सिसकारियां निकलनी शुरू हो गईं. उसी वक्त शीना के मुख पर संजना ने अपनी जुबान रख दी और वह उसकी जुबान को चूसने लगी.

यह देखकर मुझे भी जोश चढ़ गया और मैं अपने हाथों को आगे ले जाकर शीना की चूत और गांड के छेदों को एक साथ कुरेदने लगा.

अब मेरे हाथ शीना के चूत के दाने को कुरेद रहे थे और पीछे मैंने उसकी गांड में अपनी दो उंगलियां घुसा दी थीं. यह माहौल देख संजना भी पागल हो गई और उसी के साथ शीना भी पागल हुई जा रही थी. इसी कशमकश में मेरा लौड़ा भी खड़ा हो गया. जिसे शीना ने अपने हाथों में पकड़ लिया और उसको और ज्यादा तगड़ा करने लगी.

मुझे लग रहा था कि ये वक्त यहीं रुक जाए. जहां दो औरतें किस कर रही हों … तो कोई भला कैसे इस सुख का मजा लेने से मना कर सकता है. मैं एक औरत की चुत के दाने को और दूसरे हाथ से उसकी गांड में उंगलियां डाल रहा था.

अब तो वे दोनों औरतें मेरे लौड़े को अपने हाथ में पकड़ कर खींच रही थीं. उनकी कोशिश थी कि मेरा लौड़ा पूरा खड़ा हो जाए और वे अपनी चूत और गांड में उसको घुसवा कर पूरा मजा ले सकें.

फिर मैंने सीधे से संजना की तरफ देखा और उसको खींच कर अपने होंठों के पास ले आया. ऐसा करते वक्त मैं उसके बालों को खींच कर लाया था. क्योंकि अब मुझे भी उन दोनों को तकलीफ देकर मजा लेने में बहुत मजा आने वाला था.

इन दोनों बातों का मतलब अब यह था कि हम तीनों में बहुत ही घमासान तरीके से चुदाई होने वाली थी. आज हम तीनों को बहुत ज्यादा तकलीफ होने वाली थी. वो दोनों मुझे … और मैं उन दोनों को तकलीफ देने वाला था.

आज शीना ने उसकी शुरुआत भी सुबह-सुबह कर ही दी थी. आज तो कुछ चुदाई होने वाली थी. घमासान, पूरी तरह से तकलीफ से भरी … और सभी की चीखें निकालने वाली चुदाई का आगाज हो गया था.

उन दोनों को मैंने अपनी ओर खींच लिया और दोनों को नीचे अपने लंड के पास बैठा दिया. अब दोनों ही चीख रही थी क्योंकि मैंने उनके बाल पकड़े हुए थे और उन दोनों को नीचे लंड के पास बैठा लिया था.

अब तक मैंने बस संजना के ऊपर ही अपना मूत डाला हुआ था. पर आज हम तीनों ही जानवर बनना चाहते थे और जानवर होने की सारी हदें तोड़ देना चाहते थे. हम तीनों एक दूसरे में समाना चाहते थे.

सुबह सुबह का वक्त था और मैंने अभी तक पेशाब भी नहीं किया था. उसी पर शीना ने मेरे गोटियों को इतना तेजी से दबाया था कि उसमें से अब मूत भी निकलने वाला था. मैंने यही सोचा कि क्यों न मैं उन दोनों पर ही मूत दूं.

मैंने मेरी जानेमन संजना से पूछा- बेबी, आज तुम मेरा पानी पियोगी?

संजना अच्छे से समझ गई कि मैं अपनी पेशाब पीने की बात कर रहा हूं, पर शीना यह बात नहीं जानती थी कि मैं किस पानी की बात कर रहा हूं.

शीना को ये पता ना होने की वजह से उसने बिना रुके सीधे से कहना शुरू कर दिया- मुझे भी अपना पानी पिलाओ मेरे बाबू. आज से तो मैं भी तुम्हारी रखैल ही हूं और जिंदगी भर तुम्हारे लौड़े की रखैल ही रहूंगी. तुम्हारे लौड़े के पानी पर मेरा भी हक है, जितना इस छिनाल का है. पर तुमने अगर इस कुतिया पर ही मेहरबानी करनी हो, तो ठीक है … मैं ऐसे ही चली जाती हूं.

वो जब ये सब कह रही थी, तब उसका चेहरा और उसकी आंखें रोने जैसी हो गई थीं.

उसकी यह बातें सुनके संजना हंसने लगी और उसने कहा- हां मेरी रंडी … साली तू भी मेरे चार्ली की रखैल है और मेरी सौतन भी है रंडी. जिस चीज पर मेरा हक है, उस चीज पर तेरा भी हक है मेरी जान … पर मेरी छम्मक छल्लो … अपना चार्ली अभी कुछ अलग किस्म के पानी की बात कर रहा है, जो शायद तुझे पसंद ना आए. इसलिए पहले मैं उस पानी को थोड़ा सा पीती हूं … और अगर तुझे पसंद आए … तो तू भी पी लेना. बहुत टेस्टी होता है. अगर तुम मेरी जान की हर एक चीज भी टेस्ट करोगी, तो वह सब भी टेस्टी है. फिर वह उसके लंड से निकलने वाला सफेद पानी हो या फिर कुछ और हो.

अब शायद शीना समझ चुकी थी कि मैं और संजना मेरे लौड़े के सफेद पानी की बात नहीं कर रहे थे. पर शायद फिर भी वो अन्दर से तैयार थी … चाहे जो भी हो उसको भी वो पानी चाहिए ही था.

संजना की बात समझते हुए उसने सीधे सीधे संजना के मम्मों को दबाया और जोर से उसके निप्पल खींचते हुए बोली- चाहे जो कुछ भी हो मेरी जान, मैं सब कुछ पीने के लिए, पिलाने के लिए और खाने के लिए तैयार हूं. बस तुम दोनों मुझे अपने आपसे अलग कभी मत करना.

यह कहते हुए उसने संजना की चूत के दाने पर अपना हाथ रख दिया और चुत के अन्दर उंगलियां डाल दीं. इसी के साथ संजना ने मेरा लौड़ा अपने मुँह में ले लिया और मेरे गोटियों को कसके दबा दिया, जिससे मैं संजना के मुँह के अन्दर मूतने लगा.

संजना थोड़ा-थोड़ा करके मेरा मूत पूरा पीने लगी. जैसे उसने मेरा लौड़ा अपने मुँह से निकाला, वैसे ही पूरे मेरी मूत की धार संजना के मुँह और उसके मम्मों पर गिरने लगी. वो लंड के साथ खेलने लगी और अपने पूरे अंगों पर मलने लगी.

यह देखकर शीना ने भी अपना मुँह मेरे लौड़े के सामने कर दिया, जिससे मेरी तेज धार निकल कर उसके बदन और उसके मुँह पर गिरने लगी.

अभी शीना इस चीज का अहसास ले ही रही थी, तब तक संजना ने मेरे लौड़े को उसके मुँह में पूरा घुसा दिया, इससे मेरा लौड़ा शीना के गले तक चला गया. जैसे-जैसे मेरी धार निकल रही थी, वैसे वैसे मेरी शीना उसको पीती जा रही थी.

जब मैं पूरी तरह से खत्म हो गया, तभी जाकर मैंने अपना लौड़ा उसके मुँह से बाहर निकाला … तब तक वह पीती ही रही. ना उसने कुछ बोला … ना उसने मुझे रोका और ना ही उसके चेहरे पर कुछ अलग किस्म का भाव था.

जब उसने मेरा लौड़ा अपने मुँह से निकाला, तब देख कर ऐसा लगा कि उसको भी मेरा मूत पीना अच्छा लग रहा हो. जैसे ही मैंने अपना लौड़ा उसके मुँह से निकाला और उसकी तरफ देखा, तो वह मेरी तरफ देख कर हंस रही थी. फिर उसने झट से अपना चेहरा संजना की तरफ घुमाया और उसके होंठों पर किस करने लगी.

जब मैं उन दोनों को किस करते हुए देख रहा था तो अपने आप में ही मेरे अन्दर एक कुछ खलबली समझ रही थी. उन दोनों के अन्दर भी कुछ ना कुछ तो हलचल मच रही थी. ये सब इतना कामुक था कि हम तीनों के जनन अंगों से थोड़ा-थोड़ा पानी बहने लगा था. मेरे लौड़े से प्री-कम की बूंदें आ रही थीं. संजना और शीना के छेद से पानी निकल रहा था, जो उनकी जांघों तक पूरा निकल रहा था और नीचे जमीन पर भी गिर रहा था.

मैं समझ चुका था कि अब तो इनकी चूतों की खैर नहीं है … बस ठुकाई ही होना बाकी है. मैं भी अब खुद को उन दोनों की ठुकाई करने से रोकना भी नहीं चाहता था. बस दिमाग में उन दोनों की इतनी तगड़ी ठुकाई करना चाहता था कि वह दोनों अगले दो-तीन महीने तक लौड़ा आपने चूत और गांड में लेने के लिए सोचे भी ना.

चूंकि मुझे उन दोनों को तकलीफ देकर उनकी ठुकाई करनी थी, इसलिए मैंने संजना को गले से पकड़ा और उसका गला दबाते हुए उसको ऊपर उठाया.

यह देखकर शीना भी अपने आप से उठने लगी थी, पर मैंने उसके मुँह पर लात मारते हुए उसको नीचे गिराया और उससे कहा कि रंडी साली … वहीं पर पड़ी रह … वरना तेरी गांड में अपना हाथ डाल दूंगा. तुझे ऐसे चोदूंगा कि ना तुझे कोई दूसरा दिखाई देगा और ना ही और कुछ भी दिखाई देगा. तुझे अगर मेरा लौड़ा चाहिए और मस्ती चाहिए … तो बस कुतिया की तरह नीचे पड़ी रह … और जो मैं बोलता हूं, वही करती रह. अगर तूने दूसरा कुछ भी किया, तो उसका बहुत ही ज्यादा बुरा परिणाम तुझे भुगतना पड़ेगा.

यह सब सुनकर संजना और शीना दोनों भी घबराहट के मारे थोड़ी सी सहम गईं. और घबराती भी क्यों ना … उन दोनों ने यह मेरा रूप तो पहली ही बार देखा था. इससे पहले उन दोनों को मेरा प्यारा, प्यार करने वाला, ख्याल रखने वाला रूप ही पता था.

तब मैंने उन दोनों की तरफ देखा और हंसकर कहा- तुम दोनों डरो मत … मेरी प्यारी रखैलों. जैसा तुमने मेरे साथ किया, उसी का बदला मैं तुमको अच्छे से और सूद समेत लौटा दूंगा. जैसे शीना ने सुबह-सुबह मेरे लौड़े को पकड़ कर और कसके दबा दिया था न … वैसे ही मैं तुम दोनों की अभी ठुकाई करूंगा. जिससे तुमको भी याद रहे कि तुमने पंगा किससे लिया है. और तुम दोनों भी इसका पूरी तरह से मजा लो.

ये सुनकर वो दोनों भी मुस्कुराने लगीं और कहने लगीं- जी हमारे मालिक जैसे चाहो, वैसे हमारी ठुकाई करो. हम दोनों का पूरा जिस्म और जिस्म के पूरे हिस्से तुम्हारी ही जायदाद हैं. जो चाहो सो करो … तुम हम दोनों के साथ जैसे चाहो वैसे करो … और जितना चाहो उतना दरिंदगी से करो. हम दोनों इस चीज के लिए ना उफ़ कहेंगे और ना ही तुमको मना करेंगे.

आगे इस मदमस्त कामुक और सेक्स कहानी में मैं आपको उन दोनों की एक साथ चुदाई की कहानी को आगे लिखूंगा. मुझे मेल कीजिएगा.
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कहानी का अगला भाग: भाभी और उनकी सहेली की चूत गांड चुदाई-2

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