मालगाड़ी में भाई और अनजान से चुदाई का रोमांचक सफर- 6
(Anal Sex In Train)
एनल सेक्स इन ट्रेन का मजा मैंने अपने छोटे भाई के साथ लिया माल गाड़ी के गार्ड के डिब्बे में. गार्ड अंकल ने भी मेरी जवानी का पूरा भोग किया.
कहानी के पांचवें भाग
अंकल का लंड घुसा मेरी चूत में
में आपने पढ़ा कि अंकल का लंड चूसने के बाद मैं उनसे चुद भी गयी. लेकिन मेरा भाई भी मुझे चोदना चाह रहा था.
अब आगे एनल सेक्स इन ट्रेन:
हम लोग की बात पर अंकल मुस्कुराते हुए बोले- रेलिंग पकड़कर खड़े होना!
फिर हम दोनों नंगे बाहर आ गये।
बादलों की वजह से बाहर एकदम घुप अंधेरा था।
ट्रेन कहीं सुनसान खेतों, झाड़ियों और जंगल के बीच से गुजर रही थी, ठंडी हवा के तेज झोंके लग रहे थे।
बाहर बिना रेलिंग पकड़े खड़े होने में डर था।
मैं रेलिंग पकड़कर झुककर खड़ी हो गयी।
सोनू मेरे पीछे आकर घुटनों के बल बैठ गया फिर मेरी गांड को फैलाकर गांड की छेद को चाटने लगा।
कुछ देर गांड चाटने के बाद सोनू खूब सारा थूक लगाकर गांड की छेद को चिकना कर दिया और फिर खड़ा हो गया।
खड़े होने के बाद थोड़ा सा थूक अपने लंड पर लगाकर सीधा गांड की छेद पर रखकर धीरे-धीरे दबाते हुए गांड के अंदर डालने लगा।
एनल सेक्स इन ट्रेन के मजे से मेरे मुंह से आआ आह हह की सिसकारी निकलने लगी।
जब सोनू का आधा लंड गांड में घुस गया तो मेरी कमर को पकड़ कर हल्का-हल्का धक्का लगाते हुए उसने मेरी गांड मारनी शुरू कर दी।
तभी अंकल भी बाहर आ गये और दूसरी तरफ रेलिंग पकड़कर खड़े हो गये और हमें देखने लगे।
सोनू ट्रेन के हिलने के साथ अपने धक्के की ताल मिलाते हुए गांड मार रहा था।
चलती ट्रेन में खुले आसमान के नीचे इस तरह नंगे होकर भाई के साथ सेक्स करने का अलग ही मजा आ रहा था।
ठंडी हवा लगने के बावजूद भी कामुकता की आग में मेरा बदन एकदम गरम हो गया था।
करीब 2-3 मिनट तक गांड मारने के बाद सोनू ने लंड को गांड से निकाल कर चूत में डाल कर चोदना शुरू कर दिया।
हम दोनों का पानी कई बार निकल चुका था तो जल्दी झड़ने का नाम नहीं ले रहे थे।
मैं रेलिंग पर झुके हुए आराम से ठंडी हवा का मजा लेते हुए चुदवा रही थी।
अंकल बगल में खड़े हुए हम दोनों को मजे से देख रहे थे।
करीब 10-15 मिनट की जबरदस्त चुदाई के अचानक सोनू ने कमर हिलाने की स्पीड बढ़ा दी और तेजी से धक्के मारकर लंड को चूत के अंदर-बाहर करने लगा।
मेरी भी बर्दाश्त की सीमा टूटने वाली थी और मैं भी सिसकारियां लेते हुए गांड को पीछे कर धक्का लगाते हुए लंड को पूरा चूत में लेने लगी।
तभी मेरे मुंह से आआ आआआ हहह की तेज सिसकारी निकली और ऐसा लगा जैसे चूत की नसें फटने को बेताब हैं.
और अचानक मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।
मेरी जांघें कांपनें लगीं.
वहीं सोनू के मुंह से भी आआ आआआ हह हहह … दीदीई ईईईई की तेज सिसकारी निकली और उसने भी मेरी चूत में अपने लंड का पानी छोड़ दिया।
हम दोनों करीब-करीब साथ ही झड़े थे।
मैं उसी तरह झुकी हुई रेलिंग पर सिर रखकर हांफ रही थी और सांस पर काबू पाने की कोशिश कर रही थी वहीं सोनू का लंड अभी भी मेरी चूत में ही था।
वो मेरी कमर को पकड़े हांफ रहा था।
कुछ देर बाद जब सोनू नॉर्मल हुआ तो उसने चूत से लंड निकाला तब तक मैं भी नॉर्मल हो चुकी थी।
हम दोनों वहीं बाहर ही रेलिंग पकड़कर अगल-बगल खड़े हो गये।
हम दोनों का मिक्स जूस चूत से निकल कर मेरी जांघों पर बह रहा था।
फिर भी मैं बेफिक्र होकर सोनू का बांह पकड़े उसके कंधे पर सिर टिका कर खड़ी थी।
सोनू मजे लेते हुए धीरे से कान में बोला- मैं तो एक ही थ्रीसम की सोचकर आया था यहां तो दो-दो थ्रीसम हो गया।
मैं भी हंसते हुए धीरे से बोली- शुक्र मनाओ कि आंधी में कार पर पेड़ गिर गया था. नहीं तो ये मजा कहां मिल पाता।
सोनू फिर धीरे से कान में हंसते हुए बोला- वैसे असली लॉटरी तो अंकल की लगी है।
इस पर हम दोनों हंस दिये।
अंकल सामने खड़े थे हम लोगों की बात सुन नहीं सकते थे.
लेकिन हमें हंसकर बातें करता देखकर मजे लेते हुए बोले- अरे अब तो कपड़े पहन लो या ऐसे ही घर जाओगे।
उनकी बात पर मैं और सोनू दोनों हंसते हुए केबिन के अंदर आ गये।
अंकल भी हमारे पीछे-पीछे अंदर आ गये.
फिर हम दोनों ने कपड़े पहने और बेंच पर बैठ गये।
अंकल अपनी कुर्सी पर बैठे हुए थे।
मैंने पूछा- कितनी देर में पहुंचेंगे हम लोग अपने स्टेशन?
अंकल मोबाइल में टाइम देखते हुए बोले- करीब एक-डेढ़ घंटा और है अभी!
सोनू थोड़ा मजा लेते हुए अंकल से पूछा- अंकल, आपने तो सोचा भी नहीं होगा आज की ड्यूटी में इतना मजा आएगा।
अंकल मुस्कुराते भी मुस्कुराते हुए बोले- मत पूछो, सपने में भी नहीं सोचा था कि आज की ड्यूटी इतनी मजेदार होगी।
सोनू हंसते हुए बोला- हां … मजेदार भी और यादगार भी!
इस पर हम तीनों हंस दिये।
तभी मैंने देखा कि अंकल हंसते हुए पैंट के ऊपर से ही अपने लंड को फिर थोड़ा एडजस्ट करने की कोशिश कर रहे थे।
सोनू ने भी ये देख लिया था।
सोनू हंसते हुए अंकल से बोला- क्या हुआ अंकल, फिर से मन होने लगा क्या आपका?
अंकल समझ गये थे कि हमने कि लंड को एडजस्ट करते देख लिया है तो वो भी पैंट के ऊपर से ही लंड पर हाथ रखकर मुस्कुराते हुए बोले- अरे इतनी देर से तुम दोनों का सीन देख रहा था तो थोड़ा एक्साइटमेंट हो गयी थी और ये फिर से खड़ा हो गया है थोड़ा!
सोनू हंसते हुए बोला- फिर तो अब हाथ से ही काम चला लीजिए।
अंकल बोले- अरे उसकी ज़रूरत नहीं है, कुछ देर में नॉर्मल हो जाएगा।
सोनू फिर बोला- अरे अब क्या शरमाना अंकल, आराम से बाहर निकाल कर हिला लीजिए नहीं तो मन बार-बार करता रहेगा।
अंकल बिना कुछ बोले फिर से लंड एडजस्ट करते हुए हंसने लगे।
हालांकि उनके चेहरे से लग रहा था कि इतनी देर तक सोनू और मेरी चुदाई देखने के बाद वो फिर से एक्साइटेड हो गये थे क्योंकि वो बार-बार अपने लंड को एडजस्ट कर रहे थे।
और वो भी शायद लंड को हिलाकर शांत करना चाह रहे थे।
इस पर मैं भी हंसती हुई बोली- अरे कर लीजिए अंकल, आराम मिल जाएगा।
हम दोनों के बार-बार बोलने पर अंकल की हम दोनों की तरफ देख कर हल्का सा मुस्कुराते हुए धीरे से बोले- चलो थोड़ा हिला ही लेता हूं. नहीं तो ये खड़ा ही रहेगा।
ये कहकर अंकल कुर्सी पर बैठे-बैठे ही अपने पैरों को थोड़ा सामने की तरफ सीधा फैलाकर अपनी पैंट की चेन खोलने लगे।
सोनू मेरी तरफ इशारा कर हंसता हुआ बोला- हां और क्या अभी कर लेंगे तो दीदी भी थोड़ा हेल्प कर देंगी आपकी।
मैं सोनू की पीठ पर मुक्का मारते हुए हंसकर बोली- अच्छा बेटा, अब मैं नहीं करने वाली हूं कुछ!
सोनू हंसकर बोला- अरे कुछ करने को थोड़े कह रहा हूं बस हाथ से ही हेल्प कर दो अंकल की तो थोड़ा जल्दी हो जाएगा उनका काम।
इतनी देर में अंकल पैंट की चेन खोलकर लंड बाहर निकाल चुके थे।
उनका लंड पूरी तरह खड़ा तो नहीं था लेकिन तनाव साफ दिख रहा था।
अंकल बैठे-बैठे लंड की चमड़ी को आगे-पीछे करते हुए धीरे-धीरे मुठ मारने लगे।
वो मुझे ही देखते हुए मुठ मार रहे थे. शायद इससे उन्हें ज्यादा मजा आ रहा था।
वहीं मैं और सोनू दोनों चुपचाप बैठे उन्हें लंड हिलाते हुए देख रहे थे।
सच कहूं तो मेरे लिए ये नया अनुभव था, पहली बार कोई इस तरह मेरे सामने बैठ कर मुझे देखता हुआ मुठ मार रहा था।
अंकल की आंखों में वासना साफ झलक रही थी और वो एक टक कभी मेरे चेहरे और कभी मेरी चूचियों को देखते हुए मुठ मार रहे थे।
तभी अचानक मुझे पता नहीं क्या सूझा मैंने अपनी कुर्ती उठाकर चूचियों के ऊपर कर दिया और ब्रा को भी दोनों किनारों से पकड़ कर नीचे कर दिया जिससे मेरी दोनों चूचियां नंगी हो गयीं।
फिर मैं नंगी चूचियों को अंकल के सामने कर पीछे पीठ टिकाकर आराम से बैठ गयी।
अंकल को शायद इसका अंदाजा नहीं था कि मैं ऐसा करुंगी एक्साइटमेंट में उनके मुंह से हल्की-हल्की सिसकारी निकलने लगी और वो मेरी नंगी चूचियों को देखते हुए तेजी से मुठ मारने लगे।
उनका लंड एकदम खड़ा हो चुका था।
अंकल मेरी चूचियों को देखते हुए तेजी से मुठ मारने लगे।
इस उम्र में अब तक सेक्स के मेरे एक्सपीरियंस में ये एक नया एक्सपीरियंस जुड़ गया था।
जिसमें कोई मेरी नंगी चूचियों को देखते हुए अपना लंड हिला रहा था और मैं चुपचाप देख रही थी।
सच कहूं तो मुझे खुद ये सब बेहद कामुक लग रहा था।
कुछ देर इसी तरह मेरी चूचियों को देखकर लंड हिलाने के बाद अंकल अचानक अपनी कुर्सी से उठे और ठीक एकदम मेरे सामने आकर खड़े हो गये और अपने लंड को मेरी चूचियों के सामने करके मुठ मारने लगे।
इस पर मैंने एक हाथ बढ़ाकर खुद ही अंकल के लंड को पकड़ लिया।
मेरे पकड़ने पर अंकल ने मुठ मारना छोड़कर अपना हाथ लंड से हटा लिया।
अंकल का लंड एक्साइटमेंट में एक दम गरम हो गया था।
हाथ से पकड़ने के बाद मैंने उनके लंड की चमड़ी को पूरा पीछे किया और थोड़ा आगे झुककर लंड के सुपाड़े को बारी-बारी से दोनों चूचियों की निप्पल से रगड़ने लगी।
अंकल के मुंह से आआ आआह हह हहह … ओओ ओओओह हह हहह … हांआआआ आआ … की हल्की हल्की सिसकारी निकलने लगी थी।
कुछ देर इसी तरह लंड के सुपाड़े को निप्पल से रगड़ने के बाद मैं उसकी चमड़ी को आगे पीछे करते हुए मुठ मारने लगी।
अंकल के मुंह से लगातार सिसकारी निकल रही थी।
सोनू बगल में चुपचाप बैठकर हमें देख रहा था।
कुछ देर तक इसी तरह मुठ मारने के बाद मैं झुककर अंकल के लंड को मुंह में ले लिया और चूसने लगी।
अंकल को शायद इसका अंदाजा नहीं था कि मैं फिर से उनका लंड चूसने लगूंगी।
उनके मुंह से आ आआ आआह हहह … बेटा आआ … आआहह हहह.. की तेज सिसकारी निकली।
अंकल मेरे सिर को दोनों हाथों से पकड़कर कमर को हिलाते हुए अपने लंड को मेरे मुंह में आगे-पीछे करते हुए चुसवाने लगे।
वे दो बार झड़ चुके थे तो जल्दी पानी नहीं निकल रहा था उनका।
करीब 8-10 मिनट तक लगातार चूसने के बाद अंकल मुंह से तेज सिसकारियां लेने लगे और दोनों हाथों से मेरे सिर को कसकर पकड़े हुए अपनी कमर को तेजी से हिलाते हुए लंड को मुंह में आगे-पीछे करने लगे।
मैं समझ गयी थी कि अंकल अब झड़ने के नजदीक हैं।
इसलिए मैं भी तेजी से उनके मुंह को आगे-पीछे कर लंड चूसने लगी।
तभी कुछ सेकेण्ड बाद अंकल के मुंह से आआ आआआ आआह हहहह … की तेज सिसकारी निकली और दो-तीन तेज झटके देते हुए उन्होंने अपने लंड का पानी मेरे मुंह में निकाल दिया।
मैं लंड को बिना मुंह से निकाले एक ही बार में पूरा वीर्य गटक गयी।
अंकल मेरे सिर को कसकर पकड़े हुए लंड को मुंह में डाले तेजी से हांफ रहे थे।
मैं भी लंड को मुंह मे लिए हुए चुपचाप उनके नॉर्मल होने का इंतजार करने लगी।
कुछ देर बाद जब अंकल अपनी सांस पर काबू पा लिये तो हाथों को मेरे सिर से हटाया जिसके बाद मैं भी उनके लंड को मुंह से निकाल कर सीधा बैठ गयी।
मैं सोनू से रूमाल मांग कर मुंह और होंठ पर लगे पानी को साफ किया और फिर ब्रा और कुर्ती को ठीक कर नीचे करके बैठ गयी।
अंकल भी अपनी पैंट को ठीक कर चुपचाप अपनी कुर्सी पर जाकर सिर को पीछे की ओर करके आंखें बंद कर बैठ गये।
वो अभी भी नॉर्मल होने की कोशिश कर रहे थे।
मैंने सोनू की तरफ देखा तो मुझे देखकर मुस्कुराने लगा।
उसके बाद हम तीनों के बीच बस थोड़ी बहुत बातचीत हुई।
फिर कुछ देर बाद मैं भी सोनू के कंधे पर सिर रखकर आंखें बद करके आराम करने लगी।
स्टेशन के आने के करीब आधे घंटे पहले सोनू ने पापा को फोन करके बता दिया था।
हमारा स्टेशन जब आने को हुआ तो अंकल बोले- स्टेशन आने वाला है. तुम लोग जल्दी से उतर जाना क्योंकि ट्रेन ज्यादा रुकेगी नहीं यहां पर!
इसके बाद जैसे ही गाड़ी स्टेशन पर पहुंची तो हम दोनों अंकल को बाय बोलकर अपना सामान लेकर उतर गये।
टाइम देखा तो रात के करीबर साढ़े दस बज चुके थे।
कार थी नहीं तो पापा पहले से ही कैब बुक करके स्टेशन पर पहुंच गये थे।
फिर हम साथ में घर पहुंचे।
घर पहुंचते पहुंचते 11 बज चुके थे।
मम्मी खाना वगैरह लगाकर वेट कर रही थीं।
हमारे पहुंचने पर हमने जल्दी हाथ मुंह धोकर खाना खाया।
चूंकि देर हो चुकी थी तो खाना खाने के बाद मम्मी मुझसे बोली- तेरा कमरा ठीक कर दिया है जाकर आराम कर. सुबह बात करते हैं।
सोनू का कमरा भी ऊपर ही था तो मैं और सोनू दोनों खाना खाकर ऊपर अपने-अपने कमरे में आ गये।
हम दोनों थके हुए थे तो चुपचाप कमरे में जाकर सो गये।
इस तरह ससुराल से मायके का मेरा ये रोमांचक और कामुकता से भरा सफर खत्म हो गया।
हालांकि सिर्फ सफर खत्म हुआ है, कामुकता नहीं।
क्योंकि पूरी छुट्टी के दौरान मायके में भी बहुत कुछ हुआ।
क्या-क्या हुआ, कैसै हुआ, ये सब मैं अगली कहानी में बताऊंगी।
तब तक थोड़ा इंतज़ार करिए।
एनल सेक्स इन ट्रेन स्टोरी कैसी लगी?
अपने कमेंट्स और मेल के ज़रिए मुझे ये ज़रूर बताते रहिएगा.
और हां, बहुत से लोग अक्सर मेल पर मुझसे पूछते हैं कि ये स्टोरी काल्पनिक है या रीयल?
तो मैं पहले ही बता चुकी हूं कि ये मेरा रियल एक्सपीरियंस है जो मैं कहानी के रूप में आपके सामने रखती हूं।
आपकी तारीफ मुझे अपनी जिंदगी के अनुभवों को आपके सामने लाने के लिए प्रेरित करती है तो मुझे ज़रूर बताइयेगा कि मेरी पूरी कहानी कैसी लगी।
आपकी गरिमा
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