ट्रेन में अंकल का लण्ड चूसा
(Train Me Uncle Ka Lund Chusa)
सारे पाठक दोस्तों को नमस्कार!
यह अन्तर्वासना पर मेरी पहली कहानी है, उम्मीद करता हूँ कि सभी को पसंद आएगी।
मेरा नाम विकी है.. मेरी उम्र बीस साल, लम्बाई पांच फुट तीन इंच और रंग सफ़ेद गोरा.. शरीर पतला-दुबला और शक्ल भी अच्छी-खासी है। मैं मेरठ का रहने वाला हूँ। मेरी दाढ़ी-मूंछ अभी नहीं निकली है।
मेरे दोस्तों ने अन्तर्वासना के बारे में बताया.. तब से मैं अन्तर्वासना का रेगुलर पाठक बन गया। मुझे यह साईट बहुत अच्छी लगती है।
दोस्तो, बात यह है कि पिछले छः महीनों से मेरे अन्दर अजीब सा बदलाव आया और मुझे मर्द अच्छे लगने लगे हैं।
वैसे तो मुझे लगता है कि मेरे अन्दर हमेशा से एक लड़की छिपी थी.. जो एक ट्रेन के सफ़र के दौरान बाहर आ गई थी।
करीब छः महीने पहले मुझे किसी काम से मेरठ से अलीगढ़ जाना पड़ा।
मैंने रिजर्वेशन कराया.. मगर सीट नहीं मिल पाई। मैंने वेटिंग का टिकट लिया.. स्टेशन पहुँचा तो पता चला कि आरएसी मिल गई है।
मैंने चार्ट में देखा तो किसी 52 साल के अधेड़ के साथ की सीट थी।
मैं सीट पर आकर लेट गया।
रात के साढ़े ग्यारह बज रहे थे और मुझे सुबह पांच बजे उतरना था।
अगले स्टेशन से वो आदमी भी चढ़ गया देखने में हट्टा-कट्टा क्लीन शेव था.. कपड़े भी अच्छे पहने था, वो आकर मेरे बगल में बैठ गया..
थोड़ी देर तक औपचारिक पूछताछ नुमा बातें चलती रहीं.. फिर उसने व्हिस्की की बोतल निकाल ली।
मैंने आस-पास देखा तो सब सो चुके थे।
उसने गिलास निकाल कर दो जगह पैग बनाए.. मैंने पहले मना किया.. फिर बाद में मान गया और उससे पैग ले लिया।
धीरे-धीरे हम लोग 4-4 पैग पी गए। पीते-पीते मैंने ध्यान दिया कि बूढ़ा बड़े गौर से मेरे होंठों को ललचाई नजरों से घूर रहा है.. मगर मैंने इस बारे में ज्यादा नहीं सोचा।
इतने पैग पीने के बाद मुझे होश न रहा और मैं नींद आने को कहकर लेट गया और जैसे ही लेटा.. वैसे ही सो भी गया।
पता नहीं कितनी देर में मेरी नींद खुली.. तो महसूस किया कि मेरे ऊपर चादर पड़ा है और मेरे हाफ पैंट और अंडरवियर के अन्दर पुट्ठे पर एक मजबूत हाथ घूम रहा है।
मुझ पर नशा अब तक चढ़ा हुआ था.. तभी एक अनजाने हाथ को अपनी गाण्ड का जायजा लेते महसूस कर मेरे रोंगटे खड़े हो गए।
नशे के कारण मेरे अन्दर की लड़की जाग गई।
मैं थोड़ी देर आँखें बंद किए लेटा रहा.. फिर हल्के से सिसकारी भरके धीरे से बोला- आह.. क्या कर रहे हो अंकल.. कोई देख लेगा।
अंकल तो मानो इसी का इंतजार कर रहे थे.. उन्होंने झट से मेरा लोअर और अंडरवियर नीचे खींच दिया और मुझे पूरा पेट के बल घुमा कर मेरी गाण्ड को दोनों हाथों से पकड़ कर दबा दिया.. जैसे किसी लड़की की चूची दबा रहे हों।
मेरा लण्ड भी अब टाइट हो रहा था।
अंकल ने फुसफुसाते हुए पूछा- मुँह में लेगा?
मैंने मना कर दिया.. तो उन्होंने कहा- अच्छा पकड़ तो सही।
मैंने नीचे की ओर हाथ बढ़ा दिया.. तो बोले- ऐसे नहीं.. मेरी तरफ सर करके पकड़।
मैं अंकल की तरफ घूम गया.. तब तक अंकल ने भी अपना पायजामा खोल लिया था और मेरा हाथ पकड़ कर अन्दर डलवा दिया।
मैंने उनकी अंडरवियर में हाथ डाला तो उनका सोया हुआ लण्ड हाथ में आ गया।
इतना बड़ा लण्ड मैंने चुदाई वाली पिक्चर में भी नहीं देखा था।
मेरा लण्ड तो बड़ी मुश्किल से खड़ा होने के बाद 5 इंच का होता था।
इतने बड़े लण्ड को देख कर अजीब सा डर लगा।
तब तक अंकल ने मेरे बाल पकड़ कर मेरे चेहरे को अपनी गोदी में खींच चुके थे और अपने चादर से मुझे पूरा कवर कर दिया।
अब अन्दर क्या हो रहा.. कोई नहीं देख सकता था।
अब अंकल आराम से अपने पैरों को घुटने से मोड़ कर अधलेटी अवस्था में बैठे थे और मैं उनकी दोनों टाँगों के बीच में उनके लण्ड पर अपना चेहरा डाले लेटा था।
अंकल ने एक हाथ से मेरे बाल पकड़े और एक हाथ से मेरी गर्दन और अपने सोये लण्ड पर मेरा पूरा चेहरा रगड़ने लगे।
उनके लण्ड से अजीब सी गंध आ रही थी, मुझे साँस लेने में दिक्कत हुई तो मैंने उनका हाथ हटाना चाहा।
उन्होंने एक हाथ से मेरे दोनों हाथ पकड़ कर अपने घुटनों और जाँघों के बीच में दबा लिया। अब मैं कुछ नहीं कर सकता था।
मैं चुपचाप अपने चेहरे से अंकल के लण्ड और अण्डों की मसाज कर रहा था।
दो मिनट तक अंकल मुझे पकड़ कर अपने लण्ड पर रगड़ते रहे.. तब तक मैं भी लण्ड की महक का आदी हो गया था।
अब अंकल का लण्ड आधा खड़ा हो चुका था और लण्ड का साइज़ ख़ासा लम्बा हो गया था।
अंकल लगभग पागल हो चुके थे.. वह बड़े प्यार से बार-बार मुझसे मुँह खोलने को बोल रहे थे।
मुझे भी लग रहा था कि बूढ़ा जब तक मेरे मुँह में डालेगा नहीं.. तब तक मुझे नहीं छोड़ेगा। मुझे डर भी लग रहा था कि कहीं कोई जाग न जाए।
मैंने कहा- अच्छा केवल एक मिनट के लिए खोलूँगा।
अंकल मान गए।
मैंने अपना मुँह पूरा खोल दिया तो अंकल का मशरूम जैसा टोपा मेरे गुलाबी होंठों से आ चिपका। मगर टेनिस की गेंद जितना बड़ा टोपा मुँह के अन्दर नहीं गया।
अंकल बोले- और खोल..
मैंने कहा- इससे ज्यादा नहीं खोल सकता।
तो अंकल ने टोपा चाटने के लिए कहा.. मैं तो ये सोच रहा था कि जल्दी से अंकल झड़ जाएं.. तो मैं फ्री होऊँ।
मैंने जीभ निकाल कर अंकल के टोपे पर रख दी.. अब मुझे भी लण्ड की महक अच्छी लग रही थी।
तभी अंकल के लण्ड से थोड़ा सा नमकीन पानी छूटा.. मैं जीभ से चाट गया।
अंकल ने अब मेरा सर पीछे से पकड़ लिया और एक हाथ से अपना लण्ड पकड़ कर मेरे होंठों पर जोर-जोर से रगड़ने लगे।
मेरा लण्ड फुल टाइट हो रहा था.. मन सड़का मारने को हो रहा था.. मगर हाथ उनकी टाँगों के नीचे दबे थे।
काफी देर तक अंकल अपना लण्ड मेरे होंठों पर रगड़ते रहे.. फिर उनकी उत्तेजना एकाएक बढ़ गई।
वो बोले- थोड़ा सा जीभ से चाट अच्छे से..
मैंने जैसे ही अपनी जीभ निकालने के लिए मुँह खोला तो अंकल ने अपना लण्ड मेरे मुँह में अड़ा दिया।
इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता उन्होंने ताक़त लगा कर अपना लण्ड मेरे मुँह में जबरदस्ती ठेल दिया।
मेरे जबड़े अपने आप चौड़े हो गए और उनका लण्ड मेरे मुँह में जगह बनाता हुआ गले तक घुस गया।
मेरी सांस जहाँ की तहाँ रुक गई, मुझे खांसी आने को हुई.. मगर मुँह में जगह न होने के कारण आ नहीं पाई।
अंकल अपना लण्ड मेरे मुँह के अन्दर आगे-पीछे करने की नाकाम कोशिश कर रहे थे।
मेरा हाल तो पूछिये ही मत, मुझे लगा कि मेरी जान अब गई कि तब गई।
करीब 30 सेकंड बाद ही अंकल का माल छूट गया.. मगर वो 30 सेकंड मेरे तड़पते हुए गुजरे।
अंकल ने माल छोड़ते हुए मेरा चेहरा पूरी तरह से अपने लण्ड पर दबा रखा था उनका सारा माल सीधे मेरे पेट में उतर गया।
मैं बेबस सा उनकी गोद में पड़ा हुआ था।
अब अंकल का लण्ड धीरे-धीरे सिकुड़ रहा था।
मैंने आज पहली बार किसी दूसरे का लण्ड सिकुड़ते हुए महसूस किया था.. वो भी अपने मुँह के अन्दर।
जैसे ही अंकल ने अपना लण्ड मेरे मुँह से निकाला.. मेरा पूरा मुँह वीर्य के स्वाद से भर गया।
मेरे जबड़े अभी भी दर्द कर रहे थे, दर्द की वजह से मेरी उत्तेजना भी ख़त्म हो गई थी, नशा भी पूरा उतर गया था।
अंकल ने अपना लण्ड चादर से पोंछ कर पायजामे के अन्दर कर लिया।
मैं भी पलट कर दूसरी तरफ लेट गया।
टाइम देखा तो अलीगढ़ आने में एक घंटा था।
अंकल को भी अलीगढ़ ही जाना था, अंकल बोले- मैं अकेले रहता हूँ.. मेरे साथ रुक जा.. तुझे लड़की बना कर चोदूँगा।
मेरे मुँह में अब तक दर्द था, मैंने मना कर दिया.. तो उन्होंने अपना नंबर देते हुए कहा- कोई जबरदस्ती नहीं है.. अगर मूड बने तो शाम तक फ़ोन कर लेना।
मैंने अनमने से उनका नंबर अपने मोबाइल में सेव कर लिया, स्टेशन पर उतर कर अपना रास्ता पकड़ा।
अपना काम ख़त्म करके शाम को 5 बजे स्टेशन पर आ बैठा.. तो पता चला कि ट्रेन 9:30 बजे की है.. तो मैं फिर बियर बार चला गया।
बियर पीते-पीते अंकल की याद आई.. तो लण्ड खड़ा होने लगा।
मैंने सोचा कि अंकल के घर चला जाए मगर डर की वजह से यह विचार छोड़ दिया।
मगर दिमाग से लड़की बन कर चुदने का ख्याल जा ही नहीं रहा था।
तभी मेरा फ़ोन बजा.. देखा तो अंकल का ही फ़ोन था।
फिर मैंने अंकल के घर जाने का मूड बना लिया।
आप सभी को मेरी आपबीती कैसी लगी.. मुझे जरूर लिखिएगा।
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