ट्रेन में गाण्ड मरवाई और टीटी से पैसे लिए
(Train Me Gand Marwai Aur TT se Paise Liye)
दोस्तो.. मैं 28 साल का कसरती जिस्म का इंसान हूँ। मेरा 42 इंच का सीना.. 32 इंच की कमर.. 6 इंच का भुसंड लंड.. कुल मिला कर एक हैण्डसम मर्द हूँ, मैं दिल्ली के एनसीआर इलाके में रहता हूँ।
पर मुझे बचपन से ही गाण्ड मरवाने का शौक था। स्कूल कॉलेज में मैंने बहुत बार गाण्ड मरवाई है.. और मुझे अच्छा भी लगता था।
दोस्तो.. मैंने अन्तर्वासना पर सारी कहानियाँ पढ़ी हैं। आज अपनी कहानी पर आता हूँ।
बात पिछले महीने की है जब मैं दीवाली और छट जोया के लिए घर जा रहा था। मेरी टिकट वेटिंग लिस्ट में थी.. मैं फिर भी ट्रेन में चढ़ गया।
कुछ ही देर में टीटी टिकट चैक करने आ गया।
टीटी को देखते ही मैं बाथरूम की तरफ चला गया.. पर टीटी ने मुझे बाथरूम जाते हुए देख लिया था। जब मैं निकला.. तो देखा टीटी वहीं खड़ा था। फिर उसने मुझसे टिकट माँगा.. तो मेरी वेटिंग लिस्ट देख मुझे अपने साथ आने को कहा और बोला- तुमको फाइन देना होगा।
जब मैंने अपनी जेब देखी तो जेब में सिर्फ़ 50 रुपये थे।
उसने मुझसे पूछा.. तो मैंने झूठ-मूठ का बोल दिया- पैसे हैं।
वो मुझे एक केबिन में ले गया और वहीं बैठने को बोल कर चला गया। मैं वहीं बैठा.. उसका इंतज़ार करने लगा। करीब आधे घंटे बाद टीटी आया और उसने मुझसे 400 रुपये माँगे.. पर मेरे पास तो थे ही नहीं।
टीटी मुझ पर गुस्सा होने लगा। मुझे कुछ सूझ ही नहीं रहा था.. पर अचानक मेरी नज़र टीटी के पैन्ट की तरफ गई।
मैंने देखा कि उसका लंड खड़ा हुआ है.. तो मैंरे मन में बचपन वाले शौक का ख्याल आया और मैंने टीटी को पटाने का सोचा।
फिर मैंने बड़े प्यार से टीटी की कमर पर हाथ रख कर कहा- अगर मैं कुछ और दूँ तो!
वो समझ नहीं पाया और बोला- क्या?
मैंने कहा- आपके तंबू को शान्त कर दूँ तो?
इतना कहते ही मैंने उसके लंड पर पैन्ट के ऊपर से ही हाथ फिराया.. तो वो समझ गया और बोला- अभी एसी फर्स्ट क्लास में एक जोड़े को चुदाई करते हुए देख कर उसका मन भी हो गया था।
मैंने मौका देख कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे चूमने लगा।
कुछ देर की झिझक के बाद वो भी मुझे चूमने लगा। टीटी शायद पहली बार किसी लड़के को चूम रहा था। अब उसने मेरी गाण्ड पर हाथ फेरना शुरू किया.. और मुझे भी ये सब बहुत अच्छा लग रहा था।
वो मेरी छाती भी सहला रहा था.. एक अरसे बाद मुझे अपने अन्दर वासना महसूस होने लगी थी। मैंने झटसे उसके पैन्ट की बेल्ट खोली और उसका काला लौड़ा.. लंबा करीबन 7 इंच का लम्बा हथियार पैन्ट से बाहर निकाल कर सहलाने लगा।
अचानक से उसका लंड और भी लंबा और मोटा हो गया। मेरे मुँह में पानी आ गया और मैं अपने घुटनों के बल बैठ कर उसके लौड़े को चाटने लगा।
क्या कहूँ दोस्तो.. कितना मज़ा आ रहा था.. मैं बयान नहीं कर सकता।
फिर मैं उसके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। टीटी बड़े मज़े लेकर लंड चुसवाए जा रहा था, उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं।
वो बोल रहा था- आह्ह.. चूस बहन के लंड.. और चूस…मादरचोद.. और चूस.. निकाल इसका पानी..
फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और उसके भी उतार दिए।
अब मैं घोड़ी बनकर उसका लंड चूस रहा था और वो मेरी गाण्ड सहला रहा था। वो कभी-कभी बीच में मेरी गाण्ड में उंगली भी कर रहा था.. उस वक़्त शायद टीटी से ज़्यादा आनन्द मुझे आ रहा था।
इतने में उसके केबिन में किसी ने नॉक किया.. तो उसने आवाज़ लगाई.. तो कोई खाना के लिए बोल रहा था। तो उसने अपनी सांस सम्हालते हुए उसको बाद में आने को कहा।
अब बारी उसकी थी।
टीटी ने मुझे पीछे घूमने को कहा और अब मेरे मन में डर लगने लगा क्यूंकि मैंने बहुत सालों से गाण्ड नहीं मरवाई थी।
मैंने टीटी को कहा.. तो उसके अपने बैग से वैसलीन की डिब्बी निकाली और मेरी गाण्ड पर मलने लगा, गाण्ड के अन्दर भी उंगली करके उसने अच्छे से क्रीम लगा दी।
फिर मेरी गाण्ड पे लंड रख के अन्दर घुसाने की कोशिश करने लगा। मेरी गाण्ड का छेद काफ़ी तंग था क्यूंकि मैंने बहुत सालों से नहीं मरवाई थी।
फिर उसने मेरी कमर जोर से पकड़ कर अपना लंड को ज़ोरदार तरीके अन्दर धकेला.. तो उसका सुपारा मेरी गाण्ड में घुस गया।
अब मैं दर्द से रोने लगा.. पर टीटी को मेरे ऊपर दया नहीं आई और उसने दूसरा झटके मार कर अपना पूरा सात इंच का लण्ड मेरी गाण्ड में उतार दिया।
थोड़ी देर ऐसे ही मेरी कमर को पकड़े रहा और फिर धीरे-धीरे लंड को गाण्ड के अन्दर-बाहर करने लगा। पुरानी याद लौट आई थी.. अब मुझे भी मज़ा आने लगा था।
अब मेरी सिसकारियाँ निकल रही थीं और टीटी के पसीने.. क्यूंकि मेरी गाण्ड काफ़ी टाइट थी।
मैं बोल रहा था- फाड़ साले.. अपने बाप की गाण्ड.. फाड़ दे मादरचोद..
और वो और गुस्सा हो कर ज़ोर-ज़ोर से मेरी गाण्ड मारे ज़ा रहा था.. पर मुझे और ज़्यादा मज़ा आ रहा था।
इतने मैं मुझे लगा कि उसका लंड और मोटा हो गया है.. तो मुझे समझे में आया कि अब टीटी का निकलने वाला है तो मैंने उससे कहा- मेरे मुँह में निकालो..
यह सुनकर टीटी और खुश हो गया और झट से लंड मेरे मुँह में देकर पेलने लगा।
पंद्रह मिनट की गाण्ड पेलाई और दो मिनट की मुँह चुदाई के बाद टीटी ने अचानक से अपना सारा माल मेरे मुँह में छोड़ दिया।
अब वो हाँफ़ रहा था.. मैं फिर उसके लंड को मुँह में लकर् चूसने लगा क्योंकि मुझे फिर गाण्ड मरवाने का मन हो रहा था।
पर वो बोला- दुबारा नहीं कर पाऊँगा बे..
तो मैंने उसके लंड का पानी चूस-चूस कर ही दुबारा निकाल दिया।
इतने मैं हमें ख़याल ही नहीं रहा कि केबिन का दरवाज़ा थोड़ा सा खुला हुआ था। एक वेंडर हमें देख रहा था और अपने लंड को हाथों से सहला रहा था।
टीटी ने उसको डांट लगाई और उसे भगा दिया, फिर मुझसे बोला- आज़ अरसे बाद मुझे गाण्ड मारने को मिली है।
उसने खुश होकर मुझे पांच सौ का नोट थमाया और अपने केबिन में ही सीट देकर फिर टिकट चैक करने चला गया।
वो मुझे एक स्लिप दे गया.. बोला- पीछे उसका नंबर है.. अगले स्टेशन पर दूसरा टीटी आएगा.. तो उसको ये स्लिप दिखा देना.. तो वो पैसे नहीं माँगेगा।
तो मैंने मज़ाक में कहा- आप भी तो पैसे माँग रहे थे.. देखो पैसे देके जा रहे हो।
तो वो हँसने लगा.. और मुझे चूम कर चला गया।
उसके जाते ही वही वेंडर फिर ज़बरदस्ती अन्दर आया और मुझसे कहने लगा- साहब मैं भी पांच सौ रुपए दूँगा..
उसका मतलब मैं समझ गया कि वो भी मेरी गाण्ड मारना चाहता था। उसने कैसे मेरी मारी.. वो अगले कहानी में लिखूँगा।
तो दोस्तो, ये थी मेरी सच्ची कहानी.. और मैं इसी तरह पांच सौ रुपए में गाण्ड मरवाने वाला गान्डू बन गया।
दोस्तो.. आप मुझे ईमेल कर सकते हो।
आप लोगों के ईमेल के इंतज़ार मैं आपका समीर गान्डू..
[email protected]
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