शैलेश भैया का लण्ड
(Shailesh Bhaiya Ka Lund)
हैलो दोस्तो, मैं यह पहली कहानी लिख रहा हूँ। मैं 23 साल का एक स्टूडेंट हूँ, मेरा नाम समर है। मेरा कद पाँच फुट दस इँच है। देखने में एवरेज से थोड़ा खूबसूरत हूँ, लेकिन कई लड़के मुझे चोदे बिना नहीं रह पाए।
मुझे पता नहीं कि कब मुझे गाण्ड मराने की लत लग गई। मगर आज जो मैं कहानी लिखने जा रहा हूँ। यह 100 प्रतिशत मेरी अपनी कहानी है।
बात चार साल पुरानी है, जब मैंने 12वीं का एक्जाम पास किया था। एक्जाम के खत्म होने के बाद ज्यादा वक्त मैं खाली ही बैठा रहता था। अगली कक्षा में एडमीशन में अभी टाइम था, सो दिन भर मैं घर में बोर होता रहता था।
शाम को अगर कोई दोस्त आता तो घूमता फिरता था। पर मेरे ही मोहल्ले में मुझसे 4 साल बड़े एक भैया रहते हैं, कभी-कभार अगर मेरे दोस्त लोग नहीं आते, तो मैं उनके पास ही जा कर गप्पें मार लिया करता हूँ। उनका नाम शैलेश है, देखने मे काफ़ी स्मार्ट हैं। पाँच फ़ीट दस इँच के हैं, गोरे हैं और काफ़ी खूबसूरत हैं।
पहले तो उनके बारे में कभी भी गलत नहीं सोचा क्योंकि उस समय मुझे अपना एक दोस्त चन्दन बहुत अच्छा लगता था।
मैं हमेशा चाहता था कि काश मैं चन्दन से चुद पाता, मगर कभी चन्दन से बोलने की हिम्मत नहीं हुई। शैलेश भैया से अच्छे से बात होती थी, क्योंकि मैं पढ़ाई में अच्छा था तो वो हमेशा मेरी पढ़ाई के बारे में पूछा करते थे।
एक दिन शाम को चन्दन घूमने के लिये बुलाने के लिये नहीं आया तो मैंने सोचा कि आज मैं खुद उसके घर जाऊँगा।
हम लोग रोज कहीं न कहीं घूमने जाते थे। जमुरीया बाज़ार में एक होटल था, तो वहीं पर हम लोग रोज दोस्तों के साथ जाते थे और गप्पें मारा करते थे। मगर चन्दन नहीं आया तो मैं ही जाने के लिये तैयार हुआ।
जैसे ही बाहर निकला तो देखा कि शैलेश भैया अपने गेट के पास बैठे हुए थे। जब उन्होंने मुझे देखा तो मुझे अपने गेट के पास से ही आवाज़ दी।
मैं उनके पास गया, तो वो मुझसे पूछ्ने लगे- कहाँ जा रहा है बे, इतना स्मार्ट बन के.!
मैं- अरे कहीं नहीं जा रहा था, थोड़ा घूमने के लिये निकला था।
शैलेश भैया- कोई ‘माल-उल’ पटाया है क्या तुमने? जो रोज़ जाते हो उधर घूमने के लिये..!
मैं- अरे नहीं भैया, पागल हैं क्या, मेरे पास इस सब के लिये टाईम नहीं है।
शैलेश भैया गमछा पहने हुए थे और ऊपर कुछ भी नहीं पहने हुए थे। उनके ऊपर का पूरा गोरा था। वो उस समय 21 साल के थे और मैं 18 साल का था। आज पहली बार मेरा मन उनके साथ गाण्ड मरवाने का मन कर रहा था, मगर फिर डर लगता था कि अगर मैं कुछ कहूँ तो शायद शैलेश भैया गुस्सा हो जायेंगे..!
और अगर मान भी गए तो पता नहीं उनका लंड कितना मोटा होगा..!
शैलेश भैया- बैठो, यहीं पर.. चले जाना..!
मैं थोड़ी देर के लिये बैठ गया।
शैलेश भैया- और बताओ समर, पढ़ाई कैसा चल रहा है?
मैं- एडमीशन लेनी है, शायद राँची में किसी कालेज में लूँगा।
शैलेश भैया- हम्म..!
मैं- और आप बताइए शैलेश भैया, आपकी पढ़ाई कैसी चल रही है?
मेरी आँखे बार-बार शैलेश भैया के गमछे में जा रही थीं। गमछे के ऊपर से ही उनका लंड का शेप पूरा पता चल रहा था। उनके ऊपर का जिस्म तो पूरा गोरा था।
मगर पता नहीं क्यूँ आज ऐसा लग रहा था कि बस उनके गमछे को हटा दूँ और उनका लंड चाट लूँ।
शैलेश भैया- मुझे उतना पढ़ने लिखने में दिल नहीं लगता.. वैसे तेरे बारे मे आजकल कुछ सुन रहे हैं।
मैं- क्या शैलेश भैया..?
शैलेश भैया- सुन रहे हैं कि तू नुसरत को लाईन मारता है..!
मैं- नहीं शैलेश भैया वो तो सिर्फ़ मेरी दोस्त है।
शैलेश भैया- उसे लाईन मारना भी मत साली बहुत मोटी है। उसको तू सम्भाल भी नहीं पाएगा।
मैं हँसने लगा, मैंने उनसे कह दिया कि नुसरत सिर्फ़ मेरी दोस्त है।
फिर मैं शैलेश भैया से थोड़ा खुल गया और फिर उनसे बुर और लंड की भी बातें होने लगीं।
मैंने उनसे कह दिया कि शायद मैं नुसरत को सम्भाल ना पाऊँ.. मगर आप तो बहुत हेल्थी हो.. आप चोदोगे तो, किसी को भी रुला दोगे।
वो भी खुल कर बातें करने लगे, बोले- मेरा लन्ड कोई सम्भाल नहीं पाएगा, किसी भी लड़की की बुर में पेलूँगा तो रो देगी।
अब मेरा पूरा दिल जिद करने लगा था कि शैलेश भैया से गाण्ड मरवा कर ही रहूँगा।
मैंने पूछ ही लिया- वैसे आपका लंड कितना मोटा है?
उसने अपने हाथों से उँगलियों को मोड़ कर बता दिया कि इतना मोटा है मेरा लंड।
मैंने उनसे कहा- कभी मुझे भी चांस दीजिए.. आपके लंड देखने का।
वो समझ गए कि लगता है मैं उससे गाण्ड मराना चाहता हूँ।
उसने कहा- हाँ बे.. तुमको चांस जरूर मिलेगा।
मगर ये सब मुझे मज़ाक लगा। फिर थोड़ी बातें हुई और मैं, फिर अपने दोस्तों से मिलने के लिये चला गया।
अगले दिन शाम को मैं घूमने अपने दोस्तों के साथ गया तो लौटते वक्त बारिश होने लगी।
मगर मैं बचते-बचाते अपने घर पहुँच गया। घर में घुसते समय मैंने देखा कि शैलेश भैया अपने गेट के सामने खड़े थे। मगर फिर भी मैं अपने घर में घुस गया।
मगर घर में घुसने के बाद भी बार-बार मन कर रहा था कि काश अभी उनके घर जा पाता तो शायद उम्मीद थी कि वो मेरी गाण्ड में अपना लंड पेलते।
मैं बेचैन हो गया था और बारिश में ही बाहर निकल गया और बारिश में भीगने लगा।
उनका घर मेरे घर से साफ़ दिखता था। थोड़ी देर मैं भीगता रहा, इस उम्मीद से कि वो काश अपने घर के बाहर निकलेंगे..!
ऐसा हुआ भी, अभी शाम के साढ़े सात बज रहे थे और लगभग रात हो ही रही थी। उनके घर की लाइट जली हुई थी।
कुछ देर के बाद शैलेश भैया फ़िर से बाहर निकले, उन्होंने मुझे भीगता हुआ देखा और उनके ही घर तरफ़ टकटकी लगाये हुए देखा तो शायद वो समझ गए कि मैं उनसे आज गाण्ड पेलवाना चाहता हूँ।
उसने मुझे अपने गेट से ही आवाज़ लगा कर बुलाया। मैं यही तो चाहता था, सो मैं झट से उनके घर के दरवाजे पर चला गया।
शैलेश भैया- क्या बे, बारिश में क्यूँ भीग रहा है?
मैं- अरे बस ऐसे ही, मन किया कि आज थोड़ा भीग लूँ..
शैलेश भैया- तेरा मन भीगने को किया या कुछ और वजह से भीग रहे थे…! नुसरत के लिए तो नहीं न भीग रहे थे?
मैं- नहीं नहीं, मैं तो आपके लिये भीग रहा था।
शैलेश भैया- क्यूँ गाण्ड मरवाना चाहता है क्या?
वो फ़िर से गमछा पहने हुए थे, मगर इस बार उनका लंड पूरा टाईट था और गमछे के ऊपर से ही पूरा शेप पता चल रहा था।
मैंने उनके गमछे के ऊपर से ही लंड छू कर कहा- इतना मोटा लंड…मुझे तो डर लगता है..!
वो समझ गए कि मैंने उन्हें ग्रीन सिग्नल दे दिया।
उसने कहा- कमरे के अन्दर आ जाओ.. बहुत बारिश हो रही है, दरवाज़ा बंद करना है।
मैं उसके कमरे के अन्दर चला गया।
वो मेरे पड़ोसी हैं मगर मैं कभी भी उनके घर नहीं गया था, क्यूँकि मैं हमेशा पढ़ाई में लगा रहता था और उनकी फ़्रेन्ड-सर्कल भी अलग थी। जब उनके घर में पहली बार गया तो अच्छा लग रहा था।
वो घर में अकेले ही रहते थे।
उनके पापा चार बजे अपनी ड्यूटी जाते तो फ़िर बारह बजे रात में आते थे।
यानि कि अभी अगर कुछ चुदाई होती भी है तो कोई आने वाला नहीं, यही सोच कर मैं उनके भीतर वाले रूम में चला गया। भीतर वाले रूम में टीवी थी और पता नहीं कोई प्रोग्राम चल रहा था।
मैं उनके पलंग पर बैठ गया और टीवी देखने लगा।
दो मिनट के बाद शैलेश भैया भीतर वाले कमरे में आए और पूछने लगे- समर, सच बोलो, गाण्ड मरवाने का मन है?
मैंने झट से ‘हाँ’ कह दिया। मगर अब उनसे मुझे डर भी लग रहा था।
क्योंकि मैंने हमेशा अपने दोस्तों से ही गाण्ड मरवाई थी और उन लोगों के लंड मेरी गाण्ड में आसानी से घुस जाते थे। मगर शैलेश भैया का लंड सोच-सोच कर ही डर लग रहा था।
वो ‘हाँ’ सुनने के बाद खुश हो गए दरअसल वो भी बहुत दिन से मेरी गाण्ड मारना चाहते थे मगर कभी जाहिर नहीं करते थे।
वो दूसरे रूम में गए और मैं फिर से टीवी देखने लगा।
थोड़ी देर के बाद मैंने देखा कि वो फिर से इस रूम में आए मगर इस बार केवल अंडरवियर पहने हुए थे, गमछा नहीं था।
उन्होंने अंडरवियर से अपने लंड को बाहर निकाला हुआ था और उसमे तेल लगा कर अपने हाथों से अपने लंड को आगे-पीछे कर के पूरा खड़ा करते हुए आ रहे थे।
मैंने जैसे ही उनका लंड देखा मुझे तो लगा कि आज़ तो मैं मर ही जाऊँगा।
उनका लंड लगभग 7 इन्च का था, मगर आज तक मैंने 5 या साढ़े 5 इन्च से बड़े लंड से नहीं चुदवाया था। वो अब मेरे सामने अपना 7 इन्च का लंड लेकर मेरे सामने खड़े हो गए, उनका लंड बहुत ही गोरा था। बहुत खूबसूरत लग रहा था। सुपाड़े के ऊपर की चमड़ी अभी पूरी तरह नहीं निकली थी।
ओह… काफ़ी खूबसूरत लंड था… मैं फ़ैय्याज़ से भी चुदवा चुका था, मगर वो सिर्फ़ 18 साल का था और शैलेश भैया 21 साल के थे,
आज मैं पहली बार किसी 21 साल के लड़के का लंड देख रहा था।
उसने मुझसे कहा- ब्लू-फ़िल्म में कभी लंड चाटते हुए देखा है? आज़ तुझे वैसे ही लंड चाटना है।
मैंने उनके हलब्बी लंड को अपने हाथों में ले रखा था… ओह… काफ़ी कड़ा था।
मैं मन ही में सोच लिया कि मैं आज अगर इनसे पिलवाऊँगा तो ये मेरी गाण्ड चोद-चोद कर फाड़ देंगे।
मैंने सोच लिया कि मैं सिर्फ़ शैलेश भैया के लंड को चाटूँगा और उनका मुठ्ठ मार कर गिरा दूँगा।
मैंने उनका लंड अपने मुँह में गड़प कर लिया।
मैं बिस्तर पर बैठा था और वो ज़मीन में खड़े हो कर अपना लंड मेरे मुँह में डाले हुए थे।
वो मेरे मुँह में पूरा का पूरा लंड डाल कर अपनी गाण्ड को आगे पीछे कर रहे थे जिससे कि उनका लंड मेरे मुँह में पूरी तरह घुस जाए।
उन्हें अपना लंड चुसवाने में बड़ा मज़ा आ रहा था।
लेकिन मेरा मुँह उनके लंड से भरा हुआ था। उनके लंड से अजीब तरह की खुश्बू आ रही थी मगर फिर भी अच्छा लग रहा था।
उनका लंड अब धीरे धीरे और भी बड़ा हो गया।
मुझे लगा कि अब वो शायद झड़ जायेंगे और उनका माल निकल जाएगा।
लेकिन ऐसा नहीं हुआ 10 मिनट ऐसे ही लंड चटाई के बाद उन्होंने मुझे लेटने के लिये कहा।
मुझे बिल्कुल भी मन नहीं था उनसे गांड मरवाने को, क्योंकि उनका काफ़ी मोटा था।
मगर आज उनसे अगर नहीं चुदवाता तो मेरे हाथ से इतना स्मार्ट लड़का निकल जाता
और अगर उन्हें सन्तुष्ट नहीं करता तो शायद वो अगले दिन से मेरी गांड न मारते।
‘फर्स्ट इम्प्रेश्न इज़ लास्ट इम्प्रेश्न’ यही सोच कर मैं, पेट के बल लेट गया।
अब वो भी पलंग पर चढ़ गए और मेरी पैंट को उतार दिया। वो मेरी गांड को देखते ही खुश हो गए। क्यूँकि मेरी गाण्ड बहुत ही ख़ूबसूरत है, गोल-गोल है। एक भी बाल नहीं है और काफ़ी चिकनी है।
और लड़कों के जैसी नहीं, जिनके गाण्ड में बाल ही बाल भरे रहते हैं।
अब उनके सामने मेरी गाण्ड पूरी खुली हुई थी। चुदने के लिये पूरी तैयार थी।
उसने अपने हाथ से मेरे गाण्ड की फाँकों को अलग किया और अपने लंड में अपना थोड़ा सा थूक लगाया और अपने लंड के सुपाड़े को मेरे गाण्ड के छेद में डाल दिया।
पहली बार इतना मोटा लंड का सुपाड़ा मेरी गाण्ड में घुसा था.. मेरा दर्द से बुरा हाल था।
मैं ज़ोर से ह्ह्ह्ह्ह ह्ह… अह्ह्ह्ह्ह ह्ह्ह्… कर रहा था…
आह्… छोड़ दीजिय..ए शैलेश भैया बहुत दर्द हो रहा है… आह्ह्ह…
शैलेश भैया ने एक ठाप और मारा… उनका आधा लंड मेरी गाण्ड में समा गया।
बहुत दर्द हो रहा था…
अब दर्द सहा नहीं जा रहा था… ऽ आह्ह्ह… निकाल लीजिए अपना लंड.. शैलेश भैया .. प्लीज़…!
लेकिन वो अपना लंड निकाल ही नहीं रहे थे, तो मैं जबर्दस्ती पीछे घूम गया और कहा- शैलेश भैया आपका लंड बहुत मोटा है, नहीं घुसेगा।
तो वो समझाने लगे- अरे बाबा, थोड़ा सा तो दर्द होगा ही, तुम अपने शैलेश भैया को खुश नहीं करोगे?
तो मैंने कहा- कभी दूसरे दिन चोद लीजिएगा मगर आज नहीं.. बहुत दर्द हो रहा है।
तो उन्होंने कहा- ठीक है.. मैं आखिरी बार कोशिश करता हूँ, रुको तेल लगा कर तुम्हें पेलूँगा तो शायद कम दर्द होगा।
मैंने कहा- अगर दर्द होगा तो मैं घर चला जाऊँगा…!
शैलेश भैया ‘ओके’ कह कर अपने किचन में तेल लेने के लिये चले गए।
मैं इस रूम में उनके आने का इन्तज़ार करने लगा। अभी भी गाण्ड में दर्द हो रहा था, मगर कम हो गया था।
वे थोड़ी देर के बाद आए, उनके हाथ में तेल की शीशी थी।
आकर उसने मेरे माथे को चूमा और कहा- समर मेरे लिये आज दर्द प्लीज़ सह लेना..!
मैंने कहा- ठीक है, बस जल्दी से चोद डालो मुझे।
उन्होंने कहा- तुम कुत्ते की पोजीशन में आ जाओ.. जैसे कुत्ता.. कुतियों की चुदाई करता है, वैसे ही आज तुम्हारी गाण्ड में मेरा लंड जाएगा।
मैं पलँग पर फिर से कुत्ते की तरह झुक गया।
उसने शीशी से थोड़ा तेल हाथों में लेकर मेरी गाण्ड में लगाया और एक ऊँगली भी घुसेड़ दी।
मुझे बहुत ही अच्छा लगा। वो फिर से पलंग पर चढ़ गए और शीशी से थोड़ा सा सरसों का तेल लेकर अपने लंड में मालिश करने लगे।
अब उन्होंने मेरी कमर को पकड़ा और फिर से अपना लंड मेरे गाण्ड में सटाया।
तेल से सने हुए उनका लंड का अहसास मुझे काफ़ी अच्छा लग रहा था।
मैंने कहा- शैलेश भैया थोड़ा धीरे-धीरे पेलिएगा।
वो मुस्कु्राए और एक हल्का सा झटका मेरी गाण्ड के छेद में ठेल दिया।
मुझे फिर दर्द हुआ, मगर इस बार बहुत मज़ा भी आया, लगा कि काश ऐसे ही इनका लंड मेरे गाण्ड में घुसा रहे।
उसने लंड निकाला और फिर से एक ज़ोर की ठाप मारी, इस बार उनका लंड पूरा का पूरा मेरी अलबेली गाण्ड समा गया।
‘आह्ह्ह्ह्ह… ओह्ह्ह्ह… शैलेश भैया… और ज़ोर से चोदिये… और ज़ोर से चोदिये…।’
‘आह्ह… ओह्ह्ह… कैसा लग रहा है समर?’ उन्होंने पूछा।
मैंने कहा- अच्छा लग रहा है, बस यूँ ही चोदते रहिये… आह्ह्ह… ओह्ह्ह्ह…
अब उसने मुझे लिटा दिया… और फिर मेरे ऊपर लेट कर पेलने लगे, अब उनकी स्पीड भी बढ़ रही थी।
मेरी चुदाई लगभग 15 मिनट से चल रही थी और अब वो लेट कर पेल रहे थे।
पूरे गाण्ड में तेल ही तेल लगा हुआ था और अब उनका लंड आसानी से बाहर-भीतर हो रहा था।
वो मेरे बाल को पकड़ कर अपना लंड ज़ोर-ज़ोर से मेरे गांड में चोद रहे थे।
उनकी स्पीड अब और बढ़ गई। मुझे इतना मज़ा कभी नहीं आया था।
उन्होंने मेरे कान में कहा- समर मेरा माल निकलने वाला है.. मैं तुम्हारी गाण्ड में डाल दूँ?
मैंने कहा- हाँ डाल दीजिये।
उन्होंने अपना लंड पूरा मेरे गाण्ड में घुसेड़ा हुआ था और उनकी स्पीड अचानक से स्लो हो गई और मेरी गाण्ड में कुछ गरम सा दौड़ने लगा। हम दोनों सुस्त पड़ चुके थे।
मेरी शैलेश भैया से चुदने की ख्वाहिश पूरी हो चुकी थी।
उसने अपना माल साफ़ किया, फिर कपड़े पहने और टीवी देखने लगे।
कुछ देर के बाद उसने मुझे बिस्कुट खाने को दिए, साथ में चाय और बिस्कुट खाए।
रात के 9 बज चुके थे, फिर मैंने शैलेश भैया को कहा- मैं घर जा रहा हूँ।
तो उसने भी कहा- हाँ रात बहुत हो चुकी है, अब तुम्हें जाना चाहिए।
उसने मेरे माथे को फिर चूमा और मैं घर आ गया।
प्लीज़ मुझे बताइएगा कि आपको ये मेरी कहानी कैसी लगी? मुझे आप मेल भी कर सकते हैं…
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