वकील मिश्रा से गांड मरवाई
(Vakeel Se Gand Marvayi)
प्रणाम दोस्तो, मेरे प्यारे आशिको, जो मुझे याहू पर मिलता है उनको भी और जो यहाँ मेरी चुदाई की इन्तजार करते हैं लेकिन दोस्तो,
मैं कोई लेखक नहीं हूँ, एक आम इंसान हूँ, जो भी मेरे साथ कुछ होता है, वो ही सबके साथ शेयर कर देता हूँ।
मैं कई लोगों से चुद चुका हूँ जिनमें पढ़े लिखों की गिनती कम ही है या फिर कॉलेज के लड़कों से !
ऐसे ही मैं याहू मेल पर बैठा अपनी मेल्स चेक कर रहा था, उनमें से एक मेल मिली बी के मिश्रा की, चैट पर मिले, उसने मेरे बारे पूछा, अपने बारे में बताया, मेरे जिस्म के बारे पूछा, अपने लंड के बारे बताया, उसने अपनी आगे नहीं बताई, मैंने पूछी भी नहीं।
बात बात में बात आगे बढ़ी तो मिश्रा मेरे शहर का ही था, उसने मुझे मिलने के लिए प्रस्ताव रखा, मैंने सोचने के लिए कहा, सोचा बाकी सब तो अनजान राज्य से होते हैं, ऊपर से वो लोग पढ़े-लिखे कम ही होते हैं, क्या इतने बड़े वकील से चुदना चाहिए क्या?
उसके मेल पर मेल बरसात की तरह आने लगे तो मैंने जवाब दिया- मुझे मंजूर है, मैं आपका लंड चूसने और गांड में लेने को तैयार हूँ।
वो बहुत खुश हुआ, उसने मेरा बदन देखा था लेकिन मैंने नहीं कुछ देखा था।
उसने कहा कि अगले दिन तक वो जगह बतायेगा लेकिन कुछ ही घंटों बाद उसने मुझे मेल किया कि मेरा चैम्बर है, ** नम्बर, दोपहर को आना एक बजे के करीब !
मैंने उसको मेल किया कि मैं तैयार हूँ कल मिलने के लिए !
मैं बाहर गया और हेयर रेमूवर लेकर आया, अपने गांड को चिकनी किया और अपने पेट, मम्मों को चिकना किया, फिर सेक्सी लोशन लगाया, पूरी रात मुझे उसके ख़याल आते रहे और अगली दोपहर को मैं तैयार हो घर से निकला और पहुँच गया कचहरी !
वहाँ चैंबर ढूँढने लगा।
आखिर पूछताछ करते हुए मैं मिश्रा के चैंबर के बाहर था, वहाँ उसका बोर्ड लगा था, मैंने अंदर प्रवेश किया, उसने झट से लैपटॉप बंद कर दिया, एकदम सीधा होकर बैठ गया- जी कैसे आना हुआ?
मैंने कहा- मुझे आपको हायर करना है एक केस के लिए !
‘बोलिए?’
‘एक बंदा है, वो मुझे अपने पास बुलाता है, और फिर पहचानता ही नहीं है !’
और मैं बताना भूल गया कि मिश्रा के बाल एकदम सफ़ेद थे, उसे देखकर मुझे लगा कि क्या यह मुझे खुश कर लेगा?
इसका लंड खड़ा होता होगा क्या?
वो बोला- अये हाय ! मेरी जान सनी डार्लिंग आई है।
मैंने कहा- आपके बाल तो सफ़ेद हैं, बुड्डे हो चुके हो, आपका खड़ा भी होता है क्या?
‘चिंता मत कर ! यहाँ से तसल्ली होगी, मज़ा लेकर जाएगा !’
वह एकदम खड़ा हो गया, उसने ज़िप खोल लंड पकड़ा हुआ था, शायद वह कोई गंदी वेबसाइट देख रहा था या ब्लू फिल्म ! उसका खड़ा लंड छत की तरफ निहार रहा था, बहुत कड़क, बहुत बड़ा, बेहद ज़बरदस्त लंड था मिश्रा का !
‘वाह मेरे सरताज !’
दरवाज़ा मैंने अंदर से बंद कर दिया, उसके आगे टीशर्ट उतारी, तो मेरे मम्मे देख वो पागल होने लगा।
मैंने पैंट उतारी, नीचे लड़कियों वाली जालीदार पैंटी देख उसका और बुरा हाल होने लगा। मैं उसकी तरफ पिछवाड़ा करके धीरे धीरे पैंटी खिसकते हुए गांड को मटकाने हिलाने लगा, चूतड़ दोफाड़ करके उसको अपना छेद भी दिखा दिया।
‘अरे जान निकालेगा?’
मैं मटकता हुआ उसके करीब गया, उसने मेज पर से सामान हटा लिटा लिया और मेरा एक निप्पल को मुँह में लिया, दूसरे मम्मे को दबाने, मसलने लगा। मैं गर्म होने लगा, मैंने हाथ नीचे लेजा कर उसका लंड थाम लिया, आगे-पीछे करने लगा, वो मेरे मम्मों पर निशान डालने लगा दांतों से, होंठों से, फिर पलटा कर मेरी पीठ सहलाने लगा, चूमने लगा और फिर मेरी गांड चूमने लगा।
उसने पैंटी फाड़ दी, मैंने उसको नीचे से नंगा किया, उसको अपनी ज़गह लिटाया और उसके लंड को मुँह में भर लिया और चुप्पे लगाने लगा। उसकी हालत खराब होने लग गई, वह भी गांड उठा उठा कर लंड चुसवाने लगा। मैंने दिल भर कर उसका लुल्ला चूसा और फ़िर उसने मेरा हाथ थाम मुझे अपने साथ चलने को कहा।
उसने चैम्बर के पीछे रेस्ट रूम हुआ था, उसका मुंशी अन्दर था, मुझे नंगा देख वो मुझे घूरने लगा, मुस्कुराने लगा।
मिश्रा बोला- चल साले बाहर बैठ जाकर ! दरवाज़ा नहीं खुलना चाहिए !
सिंगल बैड था, मिश्रा मुझ पर सवार होने लगा, मैंने चुप्पे लगाकर फिर से लंड खड़ा दिया, उसने मेरी गांड के नीचे तकिया लगाया और लंड थूक से गीला करके घुसाने लगा। देखते देखते उसका लंड मेरी गांड में समाने लग और अंदर चला गया।
वो मुझे जोर जोर से चोदने लगा, मेरी नज़र उसके पीछे दरवाज़े पर गई, उसका मुंशी अपना लंड निकाल हिला मुझे दिखा रहा था !
क्या मस्त लंड था उसका ! मिश्रा से काफी बड़ा था, एकदम क़ाला, जो मुझे बहुत पसंद है !
वो मुस्कुरा रहा था।
तभी मिश्रा बोला- रानी, घोड़ी बनकर सामने आ !
उसका स्टेमिना बहुत बढ़िया था, उसने झट से दुबारा पेल दिया और लगा चोदने ! करीब दस मिनट की और चुदाई के बाद मिश्रा ने अपना माल मेरी चिकनी पीठ पर निकाल दिया और लंड से उसको मल दिया। हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना डॉट कॉम पर !
वकील हांफने लगा, मैंने उसका लंड मुह में ले लिया, थोड़ा बहुत माल लगा था, उसको चाट लिया।
वकील बोला- मजा आया तुझे?
‘बहुत बहुत मजा आया मुझे ! अब किस दिन चोदोगे मुझे?’
‘परसों ! कल में यहाँ नहीं हूँगा !’
मैंने कहा- एक मिनट रुको, लगता है मेरी पेंट बाहर रह गई थी तो अंदर से गांड हिलाते हुए बाहर गया।
मुंशी ने मुझे दबोच लिया, चूमने लगा, लेकिन मैंने उसको अपना नंबर लिख दिया। उसने मेरे मम्मे दबाये, चूसे और मैं वापस अंदर गया। मिश्रा फिर तैयार था, थोड़ा चुसवा कर मिश्रा ने दुबारा पेलना चालू किया, इस बार आधा घंटा उसने मुझे चोदा।
मेरा मन मुंशी, जिसने अपना नाम हरिराम बताया, उसमें था।वकील साब थक कर वहीं सो गए, मैंने कपड़े उठाये, बाहर निकल आया। हरिराम ने मुझे बाँहों में दबोच लिया, जगह जगह चूमने लगा। मैंने उसके लंड को हाथ में लिया, कितना बड़ा लंड था !
तभी मिश्रा ने हरिराम को आवाज़ लगा दी, मैंने झट से कपड़े पहने, हरी का भी नंबर लिया और वहाँ से निकल आया।
दोस्तो, हरी ने मुझे किस तरह बेरहमी से चोद दिया, यह जल्दी बताऊँगा।
आपकी रंडी सनी कुमारी
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