रात के सफ़र में मिले लौड़े
लेखक : सनी
सभी पाठकों को भी मेरी तरफ से बहुत बहुत प्यार ! सभी कह रहे हैं कि सनी यार, अपनी कोई और चुदाई के बारे लिख !
मुझे पाठकों को निराश नहीं करना है क्योंकि मैं गाण्ड तो खूब मरवाता हूँ लेकिन हर किस्सा तो नहीं बताया जाता।
फिर भी मैं आपको एक चुदाई के बारे में अब बताने जा रहा हूँ।
एजूकेशन बोर्ड में किसी काम से जाना पड़ा। मुझे अपना काम निपटाते हुए मोहाली में ही शाम के पाँच बज गए। मैं बस स्टैंड पहुँचा तो कुछ राहत मिली कि रात्रि सेवा के तहत रात की सर्विस थी। मैंने विडियो कोच का टिकट लिया और बस में बैठ गया।
वहाँ से बस फुल होकर चली। मैंने टू-सीटर सीट ली, मेरे साथ एक अच्छा खासा मर्द बैठा। मेरी नज़र बार बार उस पर जा रही थी, उसके लौड़े वाले स्थान पर !
मुझे वो मर्द बहुत पसंद आया। उसने भी नोट किया कि मेरी निगाहें उसके फूले हुए हिस्से पर जा रुकती हैं।
मुझे लगा कि वक्त अ गया है अपना जाल बिछाने का !
मैंने कहा- आप कहाँ जा रहे हो? क्या करते हैं?
ऐसे ही उसने भी मुझसे कुछ सवाल पूछे। मेरे बोलने का स्टाइल और चेहरा वो पढ़ रहा था।
थोड़ा अँधेरा सा हो रहा था। जैसे ही बस नवां शहर पहुँची तो काफी बस खाली हो गई और इस बस में रास्ते की सवारी नहीं लेते थे। मैंने देखा कि अब सामने वाली सीट खाली है, किसी की नज़र अब मेरे ऊपर नहीं पड़ने वाली।
तब बाहर पूरा अँधेरा छा गया था।
मैंने उसके साथ फिर से बातें करनी शुरु की। इस बार मैंने टोपिक और ही चुना- आप बहुतहैण्डसम हो ! आपकी बीवी भाग्यशाली होगी।
वो बोला- अच्छा !
मैंने कहा- बिल्कुल !
मैंने अपना हाथ उसकी जांघ पर रखते हुए कहा- और नहीं तो क्या ! इतनी जबरदस्त बॉडी है, मजबूत जांघें हैं ! और क्या चाहिए किसी को !
वो कुछ नहीं बोला।
मैंने अपना हाथ उसके फूले हुए स्थान पर रखते हुए कहा- आपका तो यह भी बहुत कड़क लगता है? और क्या चाहिए किसी को?
मैंने पैंट के ऊपर से ही उसको सहलाना शुरु किया। अब उसने अपना हाथ मेरे गले में डाल दिया और मैंने अब आराम से सहलाते हुए कहा- कैसा लग रहा है?
“बहुत अच्छा !”
मैंने उसकी जिप खोल हाथ अन्दर डाल दिया और उस पर हाथ फेरते हुए जड़ तक उसका मुआयना किया- बहुत सॉलिड पीस है आपका !
बोला- अच्छा लगा?
मैंने कहा- बहुत अच्छा !
हम आगे बढ़ने लगे। तभी लुधिआना आ गया, बस रुकी, कंडक्टर ने सबको कहा- अगर किसी ने खाना वगैरा खाना है तो खा लो। बस 30 मिनट रुकेगी।
ज्यादा लोग नहीं थे बस में ! सभी यात्री उतर गए, न वो उठा न मैं !
सिर्फ उठा तो सबसे पिछली सीट पर जाने के लिए उठा, बोला- यह पैसे पकड़, नीचे से कोई कोल्ड ड्रिंक पकड़, साथ प्लास्टिक के ग्लास !
उसके पास विह्स्की का पव्वा था, उसने दो पैग डाले और दोनों ने डकार लिए। मैंने अब जी खोल उसके पप्पू को निकाला और देखता रह गया। सांवला लौड़ा मेरी कमजोरी है।
मैंने उसको सहलाते हुए चेहरा झुकाया और चूसने लगा। वो मस्त होने लगा।
तभी सीटी की आवाज़ सुन हम सीधे हो गए। बस चल पड़ी। सिर्फ दस के करीब सवारी बचीं थी। उनमें से चार तो कपल्स थे, सभी बैठ गए।
कंडक्टर आगे ड्राईवर के पास बैठ चुका था। उसका काम अब ख़त्म था।
सभी जोड़े एक दूसरे से चिपक रहे थे, हम आखिरी सीट पर थे, पूरी लम्बी की लम्बी सीट !
नशे के सरूर ने मुझे पागल कर दिया, मैं घुटनों के बल बैठ गया और लौड़ा निकाल कर चूसने लगा। सफ़र की वजह से मैंने सिर्फ लोअर पहना था, उसने नीचे खिसकाते मेरी गाण्ड पर हाथ फेरा तो मेरी प्यास बढ़ गई। उसने अपनी ऊँगली गीली करके गाण्ड में डाल दी। वो उंगलीबाज़ी करने लगा और मैं उसका लौड़ा चूसने लगा।
इतने में जालंधर आ गया।
वो बोला- तू मेरे साथ चल ! मुझे तेरी गाण्ड मारनी है।
“लेकिन कहाँ?”
वो बोला- यहीं पास ही मेरे दोस्त ने कमरा लिया हुआ है, वो दिल्ली से यहाँ पढ़ने आया है, अकेला रहता है।
“चलो चलते हैं !” मैंने कहा।
ह्मने रिक्शा किया और पहुँच गए। बाहर रुक कर उसने अपने दोस्त को मोबाइल किया और बताया।
अन्दर जाकर देखा, वो भी बहुत हैण्डसम था।
बोला- यह सनी है। बस में इसके साथ दोस्ती हुई और इसको खुश करना है।
“ओह ! समझ गया दोस्त !”
“दारू पड़ी है?”
बोला- है !
हमने दो दो पैग लगाये। नशा आते ही मैं बेशर्म बन गया और उसका एक एक कपड़ा उतार दिया और लौड़ा चूसने लगा। दूसरे वाले ने मेरा लोअर खींच दिया और मेरी गाण्ड सहलाने लगा।
पहले वाले ने खींच कर मेरी शर्ट उतार दी, मेरे लड़की जैसे मम्मे देख दोनों दंग रह गए।
वो सीधा लेट गया। मैं उसके लौड़े पर बैठा हुआ उसको पूरा अपनी गाण्ड की गहराई तक पहुँचा लिया और खुद आगे-पीछे होकर चुदने लगा। वह साथ में मेरा मम्मा मुँह में लेकर चूस रहा था। उसका दोस्त मेरे पास आया, मैंने उसका लौड़ा निकाल लिया। क्या सॉलिड था वो भी गुलाबी लौड़ा ! मुंह में पानी आ गया और मैंने झट से चूसना चालू किया। पहला वाला दनादन मेरी गाण्ड पर वार करने लगा।
मैं घोड़ी बन गया उनकी ओर अपनी गाण्ड घुमाई पहले वाले ने थूक लगा कर अपना फिर से अन्दर डाल दिया।
उसका दोस्त मेरे सामने घुटनों के बल खड़ा लौड़ा चुसवा रहा था। दो लौड़े देख मुझे सेक्स चढ़ने लगता।
बोले- साले, तू लड़की जैसा है, कितना नाज़ुक और चिकना है तेरा बदन ! ऊपर से यह मम्मे कोई सतरां साल की लड़की जितने होंगे !
“सालो, दबवा-चुसवा कर ऐसे हुए हैं ! चोदो बस मुझे अभी !”
‘ले साले, दो लौड़े एक साथ डालेंगे !”
“फट जाएगी मेरी !”
“देखता जा बस !”
वो गया, फ्रिज में से खीरा लाया काफी मोटा ! उसने अपने दोस्त को दिया। पास में से बीयर की बोतल उठाई उसने लौड़ा निकाला और पहले बीयर की बोतल घुसाई और उसी से चोदने लगा।
मैं दोनों के लौड़े बारी बारी चूस रहा था।
उसने बोतल एक तरफ़ रख खीरा मेरी गाण्ड में घुसा दिया। काफी मोटा था, थोड़ा सा तेल लगा करीब 5 मिनट दोनों ने खीरे से मुझे चोदा। देखते ही देखते मैं पूरा खीरा अन्दर डलवाने लगा।
फ़िर एकदम खीरा निकाला, दोनों ने लुब्रिकेंट कंडोम डाल लिए और एक सीधा लेट गया और मैं उसके लौड़े पर बैठ गया। पूरा अंदर घुस गया। साथ में उसने अपनी दो उंगलियाँ भी डाल दी। पूरा घुसने पर उसने मुझे अपने साथ चिपका लिया अब पीछे से मेरी गाण्ड चौड़ी हो गई, दूसरा पीछे बैठ गया उंगली निकाल उसकी जगह लौड़ा रखते ही दबाया और उसका सुपारा घुस गया।
“छोड़ दो प्लीज़ !” मैंने कहा,”एक-एक करके लो !”
‘मरोगे नहीं !”
और आधे से ज्यादा लौड़ा घुसा कर रगड़ने लगा। मेरा बुरा हाल था पर धीरे धीरे सकून मिला और वो धक्के लगाने लगे।
एक बार दोनों ने मुझे दो लौड़े डाल कर दिखा दिया फिर एक ने निकल लिया और दूसरे ने तेजी से गाण्ड मरते हुए अपना माल कंडोम में छोड़ दिया। दूसरा चढ़ा और उसने भी कुछ देर फाड़ने के बाद एकदम कंडोम उतार दिया और पेल दिया।
हम तीनों हांफने लगे, वे दोनों मेरे साथ चूमा-चाटी करते रहे और मैं उनके लौड़े सहलाता रहा जिससे आधे घंटे में दोनों के फ़िर से तन गए और फिर शुरु हुआ दूसरा दौर।
दो दो बार चोदने के बाद हम वहीं सो गए नंगे !
सुबह ग्यारह बजे आँख खुली ! मैं झट से उठा लेकिन उसके दोस्त ने मेरी बांह पकड़ कर रोक लिया, बोला- कितनी गर्मी है बाहर ! कल सुबह सुबह निकल जाना ! एक रात रुक ! रात को तुझे और मजे दिलवाऊँगा अपने दो दोस्तों के साथ !
मुझे ग्रुप सेक्स का शौक है।
वो बोले- पास में दो और गाण्डू रहते हैं, साथ-साथ करेंगे।
मैं मान गया और फिर हम तीनों नहाने लगे। बाथरूम में फिर ठुकाई हुई मेरी !
उसके बाद क्या हुआ रात को, यह अगली बार लिखूँगा।
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