गांडू की दूसरी सुहागरात
(Meri Dusri Suhagraat)
सभी दोस्तों को राज शर्मा का नमस्कार ! मैं राज शर्मा नोएडा से हाज़िर हूँ अपनी दूसरी कहानी के साथ।
मेरी पहली कहानी मेरी पहली सुहाग रात को आपने बहुत पसंद किया, उसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया।
मुझे आपके ढेरों मेल मिले और आप में से काफ़ी लोगों ने मुझसे मिलने की ख्वाहिश भी जताई।
मैंने सभी मेल का रिप्लाई भी किया पर सभी से मिल पाना मुश्किल था। मेरे पास काफ़ी मेल आए जो लोग मेरे से मिलना चाहते थे। पर किसी से बात जमी नहीं।
फिर कुछ दिन बाद मेरे पास देहली के एक बिज़नेसमैन का मेल आया। उसका नाम विशाल खन्ना (बदला हुआ) था, उसकी उमर बावन साल थी और उसकी बीवी मर चुकी थी, बच्चे विदेश में रहते थे।
कुछ दिनों तक हम लोग मेल से बात करते रहे और फिर हम लोग फोन पर बाते करने लगे।
फिर एक दिन हमने मिलने का प्रोग्राम बनाया। नोएडा ज़ी आई पी माल में हम लोग मिले। करीब दो घंटे तक हमने बाते की। मुझे वो बंदा अच्छा लगा और उसे भी मैं पसंद आया।
फिर उसने मुझसे पूछा- क्या तुम मेरे साथ सुहागरात मनाना पसंद करोगे?
और मैंने हाँ बोल दिया।
उसने कहा कि दो दिन बाद वो मुझे शाम के चार बजे ज़ी आई पी माल के पास मिलेगा।
दो दिन बाद में घर से ऑफीस टूअर का बहाना बना कर निकला और चार बजे जी आई पी पहुँच गया। वहाँ विशाल अपनी गाड़ी के साथ मौजूद था और फिर हम दोनों देहली की लिए चल दिए।
उसने मुझसे कहा कि उसके घर के पास उसका एक ब्यूटी पार्लर है, अगर चाहो तो वहाँ मेकअप करवा सकते हो।
मैं तैयार हो गया। करीब डेढ़ घंटे बाद हम उसके ब्यूटी पार्लर पहुँच गये।
विशाल ने रास्ते में ही पार्लर फोन कर दिया था और अपनी एक ख़ास स्टाफ मेम्बर (उसका नाम निशा था) को बताया कि पार्लर खाली कर ले। उसने सारे स्टाफ की छुट्टी कर दी और पार्लर का शटर डाउन कर दिया।
विशाल ने निशा को बताया- यह मेरा दोस्त राज है और यह एक नाटक में दुल्हन का रोल कर रहा है, तुम्हें इसे दुल्हन बनाना है।
फिर विशाल हमें वहाँ छोड़ कर दुल्हन के कपड़े लेने चला गया।
निशा ने मुझसे मेरे सारे कपड़े उतारने को कहा अंडरवीर को छोड़ कर और मैने अंडरवीयर के अलावा सारे कपड़े उतार दिए।
फिर निशा ने मेरे सारे शरीर पर एक लिक्विड लगाया। मैने पूछा तो उसने बताया की वो मेरा फुल बोडी वॅक्स करेगी और इस क्रीम की वजह से मुझे कम दर्द होगा। फिर उसने मेरी वॅक्सिंग शुरू कर दी।
उसने मेरे हाथ, पैर, छाती सब जगह से बाल हटा दिए। मुझे काफ़ी दर्द हुआ पर मैं सह गया।
फिर उसने मुझे कहा- नहा कर आ जाओ।
बाथरूम पार्लर में ही था। मैं बाथरूम में घुस गया। बाथरूम में वीट हेयर रिमूवर क्रीम रखी थी। मैने अपना अंडर वेर उतारा और अपने आगे और पीछे के सारे बाल साफ कर लिए और नहा कर अंडरवीयर पहन कर बाहर आ गया।
अब निशा ने मेरे पूरे बदन पर एक क्रीम लगाई, मेरी पूरी बॉडी चिकनी हो गई। फिर निशा ने मेरा दुल्हन का मेकअप शुरू किया। इस पूरे काम में करीब दो घंटे लगे।
तभी विशाल दुल्हन की ड्रेस लेकर आया और बोला- इसे पहन लो।
निशा मेरी मदद करना चाहती थी तो मैंने मना कर दिया और दूसरे रूम में जाकर ड्रेस पहनने लगा। सबसे पहले मैंने साटन नेट की स्ट्रीप वाली पैंटी और ब्रा पहनी और फिर दुल्हन वाला लहंगा और चोली।
फिर मैंने निशा को अपनी मदद के लिए बुलाया, बाकी का काम उसने कर दिया। अब मैं दुल्हन बन कर तैयार था। विशाल ने अपनी कार पार्लर के गेट पर लगाई और मैं उसमें बैठ गया। पाँच मिनट बाद हम लोग विशाल के घर पर थे।
उसने सब नौकरों की छुट्टी कर दी थी। कार सीधे गैराज में जाकर रुकी। हम लोग गैराज से होते हुए विशाल के बेडरूम में पहुँचे।
पूरा बेडरूम फूलों से महक रहा था, हमारी सुहाग सेज तैयार थी। मैं जाकर बिस्तर पर बैठ गया, विशाल भी मेरे पास आकर बैठ गया और मुझे सीने से लगा लिया। मेरी धड़कनें तेज होने लगी।
विशाल ने मेरा दुपट्टा उतार दिया और मेरे गालों और गर्दन को किस करने लगा, फिर वो मेरे लब चूसने लगा।
करीब पाँच मिनट तक हम एक दूसरे के होंठ चूसते रहे। हम दोनों की साँसें गर्म होने लगी और हम दोनों एक दूसरे की गरम सांसों को महसूस कर रहे थे।
विशाल के हाथ धीरे धीरे मेरे जिस्म को सहलाने लगे और फिर उसने मेरे जिस्म से चोली को उतार दिया।
अब वो ब्रा के ऊपर से ही मेरे बूब्स सहलाने लगा।
फिर उसने मेरी ब्रा को भी उतार दिया और दीवानों की तरह मेरे बूब्स को चूसने लगा।
मैं मदहोश होने लगा था, मैंने विशाल के बालों को कस कर पकड़ लिया।
फिर विशाल ने मेरा लहंगा भी उतार दिया और मेरे पूरे जिस्म को चूमने लगा। अब उसने मेरी पैंटी भी उतार दी। मैंने भी विशाल के सारे कपड़े उतार दिये अब हम दोनों पूरे नंगे थे।
विशाल ने मुझे पेट के बल लिटा दिया और मेरे पूरे जिस्म को चूमने लगा। उसने अपने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को फैलाया और मेरी गाण्ड के छेद को चाटने लगा। मेरे पूरे जिस्म मे वासना की आग भड़क गई और मैं चुदने को बेकरार होने लगा।
फिर विशाल ने एक क्रीम ली और अपने लंड पर लगाने लगा। फिर उसने वही क्रीम मेरी गान्ड पर भी लगाई और अपनी उंगली से मेरे छेद के अन्दर भी क्रीम को लगाने लगा।
करीब दो मिनट तक मेरी गाण्ड में उंगली करने के बाद विशाल ने अपना लन्ड मेरी गान्ड पर लगाया और धीरे धीरे धक्के मारने लगा।
विशाल का 6 इंच का लण्ड एकदम सख्त था और वो कोई जल्दबाज़ी भी नहीं कर रहा था। उसका लंड मेरी गांड के छेद से फिसल रहा था। मैंने अपने दोनों हाथ पीछे ले जा कर अपने दोनों चूतड़ फैला दिए, विशाल ने अपना लंड मेरे छेद पर टिका दिया और धीरे धीरे दबाव देने लगा। विशाल के लण्ड का सुपारा मेरी गाण्ड में घुस गया और मेरे जिस्म में दर्द की एक लहर दौड़ गई।
विशाल ने घुसाना बंद कर दिया और मेरे चूतड़ों को मसलने लगा। अब मेरा दर्द कम हो गया था और विशाल ने फिर धीरे धीरे घुसाना शुरू कर दिया। अब मुझे कम दर्द हो रहा था और करीब दो मिनट में विशाल का पूरा लंड मेरी गाण्ड में था। अब वो धीरे धीरे धक्के मारने लगा। अब विशाल ने अपने हाथ आगे लाकर मेरे बूब्स को दबाने लगा और मेरी कमर को किस करने लगा। मुझे असीम आनन्द की अनुभूति हो रही थी और मैने अपने चूतड़ों को हिला हिला कर चुदना शुरू कर दिया।
करीब पाँच मिनट बाद विशाल ने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। मैं समझ गया कि अब वो झड़ने वाला है और करीब एक मिनट बाद ही विशाल ने अपने लण्ड से पिचकारी छोड़ दी। वो करीब एक मिनट तक पिचकारी छोड़ता रहा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
उसका गर्म वीर्य मेरी गाण्ड की गर्मी को ठंडा करता रहा। उसने अपने वीर्य से मेरी गांड़ का कुंआ लबालब भर दिया और आनन्द की वजह से मेरी आँखें बंद हो रही थी। अब वो मेरी पीठ पर ही लुढ़क गया।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। करीब दो मिनट तक हम ऐसे ही लेटे रहे। अब विशाल का लण्ड सिकुड़ कर मेरी गाण्ड से बाहर आने लगा। मुझे अपनी गांड में विशाल का वीर्य भरा हुआ महसूस हुआ। फिर मैं उठकर बाथरूम में गया और अपनी गांड को धोने लगा। मेरी गांड से विशाल का वीर्य निकलता ही जा रहा था्।
मैं अपनी गांड को साफ कर के बाहर आ गया। विशाल ने भी बाथरूम में जाकर अपने लण्ड को साफ किया और हम फिर बेड पर आ गये और एक दूसरे की बाहों में समा गये।
करीब दस मिनट बाद विशाल ने फिर मुझे चुम्बन करना शुरू किया और मेरे बूब्स को चूमने लगा।फिर उसने मेरी टाँगों को उठा कर मेरे गाण्ड के छेद को चाटना शुरू कर दिया। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। करीब दस मिनट तक मेरी गाण्ड चाटने के बाद विशाल कमर के बल बेड पर लेट गया।
अब मैं उठा और विशाल के लण्ड को चूमने लगा। मैंने विशाल के सुकड़े हुए लण्ड को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। करीब तीन मिनट बाद उसका लण्ड बड़ा होने लगा और जल्दी ही चुदाई के लिए तैयार हो गया। इस बार विशाल ने मुझे कमर के बल बेड पर लिटाया और मेरे गाण्ड के नीचे एक तकिया लगा दिया।
अब उसने क्रीम उठाई और मेरी गाण्ड पर लगाने लगा और कुछ क्रीम अपनी उंगली से मेरे छेद में भी लगा दी। फिर उसने क्रीम को अपने लण्ड पर भी लगाया। अब उसने मेरे दोनों पैर ऊपर उठाए और अपना लण्ड मेरी गाण्ड में डालने लगा। इस बार लंड आराम से घुस गया। अब विशाल ने स्ट्रोक लगाने शुरू किए और साथ ही साथ मेरे बूब्स भी दबाने लगा।मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, मैं भी नीचे से अपनी गाण्ड हिलाने लगा।
अब विशाल ज़ोर ज़ोर से स्ट्रोक लगाने लगा। उसका लण्ड मेरी गाण्ड की गहराइयों को चीरता हुआ मेरी आत्मा तक जा रहा था और मेरे अंदर की औरत को अपार संतुष्टि मिल रही थी। करीब दस बारह मिनट बाद विशाल के स्ट्रोक की स्पीड बढ़ गई।
गाण्ड चुदने की फट-फट की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी और फिर विशाल का लावा फ़ूट गया। उसके लण्ड का वीर्य मेरी गाण्ड की कटोरी को भरने लगा। विशाल के वीर्य ने मेरी गाण्ड की आग को शांत कर दिया। कमरे में हवस का तूफान आ कर गुजर चुका था। वासना की आग में जलते हुए हमारे बदन अब शांत हो चुके थे।विशाल को पसीना आ गया था और मैंने उसके गीले बदन को अपने शरीर से चिपका लिया।
करीब पाँच मिनट तक हम ऐसे ही पड़े रहे और फिर बाथरूम में जाकर अपने अपने बदन को साफ करके बेड रूम में आ गये और नंगे ही एक दूसरे की बाहों में लुढ़क गये।
करीब आधे घंटे बाद विशाल उठा और अलमारी से निकाल कर मुझे एक पाँच पीस की नाइटी दी। मैंने उसे पहन लिया और विशाल ने भी अपने कपड़े पहन लिए और फिर हम दोनों ने डिनर किया।
उसके बाद हमने रात को दो बार और फिर अगले दो दिन तक अपनी सुहागरात मनाई। इन दो दिनों में मेरे अंदर की औरत पूरी तरह संतुष्ट हो चुकी थी और फिर मैं अपने घर वापस लौट आया।
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