लिफ़्ट देकर गांड को लिफ्ट दिलवाई
(Lift Dekar Gaand Ko Lift Dilwai)
प्रणाम जी, सबको मेरा प्रणाम!
लो आ गया आपका प्यारा सा सनी अपनी गांड की लेटेस्ट ठुकाई करवाकर जनता के बीच!
हाज़िर हूँ, वैसे जनता से ही ठुकता हूँ मेरे बहुत प्रीतम हैं लेकिन मुझे किसी एक के लंड से संतोष कहाँ आता है, चाहे कई हाथ में हों पर मुझे नया लंड लेने का दिल हो तो मैं शिकार करने निकलता हूँ।
मैं बाय पास रोड पर मोटर साइकिल लेकर निकला था कि मुझे किसी ने हाथ दिया, एक चौक में खड़े एक तकड़े से बन्दे को देखा, पहले नहीं रुका आधा किलोमीटर आगे गया, सोचा देखना चाहिए, बंदा सही माल लगता है, सांवले रंग का! पंजाबी नहीं था, यह तो पक्का था।
मैंने यू-टर्न मारा, वापस चौक से गोलाई काट फिर से उसी सड़क पर, उस सड़क की परेशानी यह है कि वहाँ ऑटो नहीं चलते, दूसरा वहाँ लोग बहुत कम कम होते हैं।
उसने मुझे गौर से देखा कि यह तो वही था जो अभी निकल गया था, उसने दुबारा हाथ किया लेकिन फिर रुक गया कि शायद इसने कौन सी लिफ्ट देनी है।
मैं रुक गया वहाँ- तुमने मुझे हाथ दिया था लिफ्ट के लिए?
बोला- हाँ!
‘कहाँ जाना है?’
बोला- चौथे चौक में उतरना है।
‘बैठ जा!’
बोला- मेरा साथी भी है!
‘किराया भी लगेगा, दो का दे दोगे?’ मैं मुस्कुराया।
बोले- वहाँ उतार देना, ले लेना किराया आप! वैसे भले चंगे दीखते हो! भला आपको किराया क्यूँ लेना?’
‘किराया किसी भी तरह का होता है!’
दोनों बैठ गए, मैं जानता था कि आगे पुलिस चौकी नहीं थी, तभी ट्रिप्ले कर ली।
वो मेरे साथ सट कर बैठा, पीछे उसका साथी। थोड़ा आगे गया तो मैंने गांड का दबाव पीछे की तरफ दिया, उसको शायद समझ नहीं आई लेकिन जब थोड़ा उठकर मैंने गांड को धकेला तो मैंने नोट किया कि उसका लंड हरकत में था।
बोला- बाबू जी, क्या कर रहे हो? पहले ही पीछे जगह कम है।
मैंने कहा- जब कुछ करना हो तो यार, जगह बन ही जाती है। मुझे पकड़ कर बैठ जा!
मैंने टीशर्ट थोड़ी उठाई, उसके दोनों हाथ घुसवा दिए जब उसके हाथ मेरे नर्म नर्म लड़की जैसे कोमल मम्मो पर गए, मैंने एक हाथ पीछे ले जा उसके लंड को टटोला।
पीछे वाला बोला- सही कहते हो।
बोला- बाबू जी, आपके तो लड़की जैसे हैं, कैसे हो गए इतने बड़े?
मैंने बाईक बहुत धीमी कर रखी थी ताकि मंजिल जल्दी ना आये।
‘तेरे जैसे मर्दों ने मसल मसल कर बड़े कर दिए!’
उसके तेवर बदल गए, मेरे निप्पल को मसलता हुआ बोला- साले, तुम तो मस्त माल हो।
दूसरा बंदा पीछे से ही हाथ बढ़ा कर देखना चाहता था, मैंने कहा- साले, तुझे क्या हो रहा है?
बोला- जो तुझे हो रहा है।
मैंने बाईक किसी गाँव की तरफ जाते कच्चे रास्ते उतार दी। एक दो किलोमीटर आगे जाकर गन्ने के काफी खेत थे, बोले- किधर जा रहे हैं हम?
‘तुझे जैसे कुछ मालूम नहीं? कमीनो इस पीछे वाले को हाथ आगे लेकर आने में दिक्कत थी सो इस तरफ ले आया!’
‘हाय मेरे गांडू! सब समझ गया।
बाईक थोडा आगे लगा कर हम खेत में गए, लगता था जैसे वहाँ ऐसे काम होते रहते थे, खेत के बीचम बीच गन्ने काट कर दायरा सा बना रखा था।
‘आज जाओ!’
शाम हो रही थी, थोड़ा अँधेरा था, पीछे वाला जयादा उछल रहा था इसलिए मैंने उसके लंड को दबोच लिया। दोनों खड़े रहे, मैंने घुटनों के बल होकर उसकी जिप खोली, कच्छे को सरकाया, उसका काला लंड देख मेरी गांड गीली होने लगी।
मैंने पागलों की तरह उसका लंड चूसना चालू किया।
दोनों हैरान थे!
उसका चूसते चूसते मैंने दूसरे का लंड निकाला, उसका तो पहले से ज्यादा बड़ा, रसीला लगा, मैंने एक लंड छोड़ा, दूसरे का मुँह में ले लिया। पहले वाले के लंड को मुठ में लेकर हिलाता रहा।
‘साली छिनाल! अपनी लड़की जैसे चूची दिखा!’
मैंने टीशर्ट उतार दिया।
मेरे मम्मे देख दोनों पगल हो गए- साली हमसे शादी कर ले, खुश रखेंगे!
‘कमीनो, मैं रंडी हूँ दोनों की! मसल डालो, बुझा दो मेरी गांड की प्यास!’
मैं लेट गया वो मुझ पर सवार होकर मेरे निप्पल को चूसने लगा, उसका लंड मेरी जांघों में रगड़ रहा था। मैंने टांगें खोली, वो समझ गए, बीच में बैठ उसने टांगें कंधों पर रख सुपारा मेरे छेद पर रख सरकाया लेकिन फिसल गया।
‘रुक-रुक!’
मैंने जेब से कंडोम निकाले- यह डाल!
कंडोम की चिकनाई से उसका पूरा लंड घुस गया। दस मिनट उसने मुझे जम जम कर पेला, जब उसका निकलने वाला था, उसने खींचा कंडोम उतारा मेरा चेहरा भर दिया।
फिर दूसरे ने मुझे दस मिनट घोड़ी बना कर ठोका।
कसम से शाम रंगीन हो गई थी।
बोले साले- चिकने खुश है? मिल गया तुझे किराया? अगर और चाहिए तो चौक से थोड़ा आगे कमरा है। चल वहाँ, हम रहतें है। फिर तुम कभी भी चुदने आ जाया करना।
उनके कमरे में गए, दो कमरे थे, एक रसोई थी, वहाँ उनका तीसरा साथी था, बोले- इससे भी मजे ले ले!
उसने अपना लंड निकाला और सहलाने लगा। उसका लाल सुपारा देख मैंने मना नहीं किया।दोस्तो, उस दिन के बाद मैं तीन बार उनके कमरे में गया हूँ।
जल्दी अपनी अगली चुदाई लेकर आऊँगा।
आपका प्यारा गाण्डू सनी
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