पहली बार लंड चूसने का मजा

(Pahli Bar Lund Chusne Ka Maja)

मोहित 444445555 2018-03-19 Comments

मेरे प्यारे दोस्तो, आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार. सबसे पहले मैं अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज साईट को धन्यवाद करना चाहता हूँ जिसने हमें अपनी एडल्ट कहानी शेयर करने के लिए अवसर और स्थान दिया.

मेरा नाम मोहित है. मेरी उम्र 19 साल है. मैं 12 वीं क्लास में पढ़ता हूँ. मैं एक बोर्डिंग स्कूल में रहता हूँ. मैं लगभग 2-3 साल से अन्तर्वासना पर हिंदी सेक्स स्टोरी का मजा ले रहा हूँ. आज मुझे लगा कि मैं अपनी स्टोरी आपके साथ शेयर करूँ. मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं अपनी सेक्स स्टोरी आपके साथ शेयर करूँगा पर आज वो मौका मिल ही गया.

ये सेक्स स्टोरी एकदम रियल है और इसमें केवल प्राइवेसी के कारण मेरे नाम के अलावा सबके नाम चेंज कर दिए गए हैं. मैं पहली बार अन्तर्वासना पर कोई सेक्स स्टोरी लिखने जा रहा हूँ तो अगर कोई ग़लती हो जाए तो मुझे माफ कर देना.

जब मैं 10वीं क्लास में था तो तब से अन्तर्वासना पर सेक्स स्टोरी पढ़ना शुरू हो गया था और तब से ही मेरे मन में सेक्स करने का विचार आने लगा था. पर कभी मौका ही नहीं लगा क्योंकि कभी मेरी गर्लफ्रेंड भी नहीं बनी थी तो बिना चूत के कभी बात बनने का अवसर ही हाथ नहीं लगा.

जवानी मचलने लगी थी छेद की जुगाड़ नहीं हो रही थी, तभी एक दिन मुझे ‘गे सेक्स..’ की स्टोरी पढ़ने को मिली. मुझे मजा आने लगा और अब मैं इसी तरह की सेक्स स्टोरी पढ़ने लगा.

फिर मुझे पता ही नहीं चला कि कब मुझे ‘गे सेक्स..’ करने की चाहत मन में आ गई. पर अभी भी मैं किसी से ये सब बोल नहीं पाता था.. मन में अपनी निजता और इज्जत मेरी कामना को दबाए हुए थी.

जब भी मैं घर पर अकेला होता था तो लड़की की ड्रेस पहन लेता था, जैसे कि ब्रा-पेंटी और ऊपर से लड़कियों की ड्रेस जैसे सलवार सूट आदि पहन लेता था. कुछ मेकअप वगैरह भी कर लेता था, बिंदी लगा लेता था.. लिपस्टिक भी यूज कर लेता था. बालों को लड़कियों जैसे बना कर सिंदूर लगा लेता और गालों पर पाउडर लगाना तो आम सी बात होने लगी थी.

ये सब तभी होता था, जब मैं घर पर अकेला होता था. घर पर दीदी की सैंडिल वगैरह तो होती ही थीं, जो मुझे बिल्कुल फिट आ जाती थीं, तो मैं वही पहन लेता था और एकदम लड़की बन कर घर में घूमने लगता. फिर अपनी प्यास को शांत करने के लिए मुठ मार लेता और अपनी गांड में फिंगरिंग भी कर लेता था.

मैं आपको एक बात बताना तो भूल ही गया कि प्राकृतिक रूप से मेरे चूचे थोड़े ज्यादा बाहर की ओर उभरे हुए हैं और मेरे नितंब भी फूले हुए हैं. दोनों ही आइटम बहुत मुलायम यानि बिल्कुल लड़कियों जैसे सॉफ्ट हैं.
इसी कारण से मैं एकदम हॉट & सेक्सी लड़की बन जाता था. मुझे लगता है कि भगवान ने मुझे लड़की बनाते बनाते ग़लती से चुत की बजाए लंड दे दिया.

इसी कारण से जब भी मैं लड़की बनता तो अपने मम्मों को भी दबा लेता था और नितंबों को भी दबाता था. लेकिन मैं कभी भी किसी दोस्त से इसके बारे में बात नहीं कर पाया था. क्योंकि जब भी करने की सोचता तो अपनी इज्जत का ख्याल दिमाग में आ जाता था.

इसके बाद मैं अगली क्लास करने के लिए बोर्डिंग स्कूल में चला गया. वहां मुझे हॉस्टल के कमरे में एक दूसरे लड़के के साथ रहना पड़ा तो मेरी वासना एक बार फिर जाग गई. मैंने सोचा कि क्यों ना अपने रूममेट के साथ ही काम कर लूँ. पर मैं शुरुआत में उसे खास जानता नहीं था. वहां सब नये दोस्त थे तो उनके बीच अपनी इज्जत बनाना थी, न कि उनके हाथों अपनी इज्जत लुटवानी थी. इसीलिए मैं उनके सामने नॉर्मल रहता था. एक और कारण भी था मैं उनके सामने सेक्सी गर्ल बन कर भी नहीं जा सकता था क्योंकि मेरे पास ना तो कोई कपड़े थे लड़कियों वाले, ना मेकअप किट और ना ही कोई हाई हील्स या सैंडिल्स थे मतलब मेरे पास लड़की बनने का कोई भी समान नहीं था. इसीलिए मैंने वहां अपने आप को शांत रखा.

फिर ऐसे ही कुछ महीने बीत गए, महीने क्या पूरी गर्मी का मौसम निकल गया और फिर सर्दियाँ शुरू हो गईं. सर्दियों की छुट्टियों में भी सिर्फ़ लड़की बन कर अपनी गांड में फिंगरिंग कर लेता, मम्मों को दबा लेता.. बस इसी तरह समय कटने लगा.

छुट्टियों के बाद दोबारा हॉस्टल वापस जाने का समय आ गया.

मैं आपको एक बात पहले ही बता दूँ मेरे साथ मेरे शहर से ही मेरे दो पुराने दोस्त भी उसी बोर्डिंग स्कूल में गए हुए थे. पर हम अभी तक एक रूम में एक साथ नहीं रहे थे. हम सब हॉस्टल वापस पहुँच गए.

फिर अगले दिन ही सभी विद्यार्थियों को कमरे अदला बदल करने को कहा गया और उसी दिन शाम में सभी को दूसरे कमरे आबंटित भी कर दिए गए.
एक दो दिन में ही सभी छात्रों ने अपने अपने रूम चेंज कर लिए.

अब मेरे रूम में मेरा पुराना दोस्त चिंटू भी आ गया.. और इसी कारण से मेरे मन की वासना फिर जाग गई. पर मैं उसे कुछ बोल नहीं पाया.

जैसा कि मैंने पहले बताया था कि मेरे चूचे उभरे हुए हैं तो चिंटू कई बार मेरे मम्मों को टच करके भाग जाता था और मैं भी सबके सामने होने के कारण थोड़ा सा विरोध करता कि ये सब ठीक नहीं है. पर मेरे मन को तो ख़ुशी मिलती थी. मैं तो चाहता ही था कि चिंटू मेरे मम्मों को सिर्फ़ टच ना करे, बल्कि उन्हें दबाए और चूसे.

फिर एक रात हम सब बातें कर रहे थे तो मैं चिंटू के बेड पर उसके साथ ही लेटा था. हमने लाइट बंद कर रखी थी क्योंकि रात के करीब 11-11:30 बज चुके थे.

वो हमेशा की तरह मेरे मम्मों को टच कर रहा था, पर लाइट्स ऑफ होने की वजह से किसी और को ये दिख नहीं रहा था. मैंने इसी बात का फायदा उठाने की सोची और उससे कुछ नहीं कहा बल्कि इस पोज़िशन में लेट गया कि वो मेरे मम्मों को आराम से सहला सके और किसी को पता भी ना चले.
मेरे इस तरह के रिएक्शन से चिंटू की हिम्मत भी बढ़ गई. अब उसने अपना एक हाथ मेरे एक चुचे पर रखते हुए मेरे कान में पूछा- क्या मैं तेरे मम्मों को दबा सकता हूँ?
मैंने कहा- ज़रा ध्यान से.. कोई और ना देख ले.
उसने फिर वही पूछा- पक्का दबा लूँ ना.. तू कुछ बोलेगा तो नहीं?
मेरे हामी भरने के साथ उसने ये कहते हुए कि तू चिंता मत कर कोई नहीं देखेगा.. उसने मेरे मम्मों को टी-शर्ट के ऊपर से ही सहलाने चालू कर दिए. वो हाथ अन्दर ले जाना चाहता था पर मैंने ही मना कर दिया कि अभी ये बाकी के दोस्त देख लेंगे.. कल जब हम अकेले होंगे तो तुम जैसे चाहो वैसे मेरे मम्मों को दबा लेना.

कुछ देर बात सब चले गए और हम सो गए. अगले दिन जब हम रूम में अकेले थे तो चिंटू ने गेट बंद कर दिए और मुझे अपने बिस्तर पर बुला लिया. हम दोनों एक दूसरे की ओर मुँह करके लेट गए और जैसे ही लेटे, उसने एक हाथ मेरी टी-शर्ट में डाला और मेरे मम्मों को दबाने लगा. उसे मेरी टीशर्ट के कारण मेरे मम्मों को दबाने में दिक्कत सी हो रही थी तो मैंने अपनी टीशर्ट निकाल दी और वो मेरे मम्मों को आराम से दबाने लगा.

मुझे पता ही नहीं चला कि इसी बीच कब मेरा हाथ चिंटू के लंड के पास पहुँच गया था. उसका खड़ा लंड एकदम गरम था. वो कभी मेरा एक चुचा दबाता तो दूसरा चूसता और अगर दूसरा दबाता तो पहला चूसता. इधर मैं उसके लंड के साथ खेल रहा था. थोड़ी देर मम्मों को दबाने और चूसने के बाद हमने लगभग 5 मिनट तक किसिंग की.

फिर चिंटू ने मेरी गांड मारने को कहा तो मैं चाहता था कुछ ऐसा करना लेकिन मैंने मना कर दिया क्योंकि मुझे डर लग रहा था कि गांड में दर्द होगा और न जाने क्या हो जाए!
उसने कहा- ठीक है या, लंड गांड के अन्दर मत लेना, पर सिर्फ़ गांड पर टच करवा ले. मैं ऊपर ऊपर रगड़ कर मजा ले लूंगा और अपना पानी निकाल दूँगा.

तो मैं उसकी यह बात मान गया क्योंकि दिल तो मेरा भी कुछ करने को कर रहा था लेकिन मेरे मन में में थोड़ा भय सा बना हुआ था.
पहले तो उसने मेरे कपड़ों के पहने पहने ही मेरी गांड पर लंड रगड़ना शुरू किया, पर उसर मजा नहीं आया तो चिंटू ने बोला- यार, ऐसे मज़ा नहीं आ रहा है, तू अपनी निक्कर भी उतार ड़े और पूरा नंगा हो जा!
मैं भी यही चाहता था तो मैंने अपनी निक्कर और चड्डी दोनों उतार दिए, मेरी नर्म मुलायम गांड नंगी हो गयी.
अब चिंटू ने भी अपनी शर्ट और निक्कर चड्डी सब उतार दिया. हम दोनों पूरे कपड़े उतार कर पूरे नंगे हो चुके थे.
मैंने चिंटू का लंड देखा, वो पूरा खड़ा था, मेरे लंड जितना ही लंबा लग रहा था करीब पांच इंच का… लंड देख कर मेरे मन में आया भी कि एक बार इसे अपनी गांड में डलवा कर देख लूं, लेकिन मेरे मन से दर्द का डर नहीं निकला. तो सोचा जितना हो रहा है, उतना ही ठीक है.

अब चिंटू सीधा लेट गया और मैं उसके ऊपर ऐसे बैठ गया कि मेरी गांड उसके लंड पर आ गई थी. फिर वो मेरे मम्मों को दबाते हुए धक्के मारने लगा. बीच में एक बार उसके लंड का सुपारा मेरी गांड के छेद पर लगा तो मुझे दर्द हुआ और मैं उठ गया.
डर के मारे मैंने लंड लेने से मना कर दिया.

फिर थोड़ी देर चूमा चाटी के बाद उसने मुझे उलटा लेटने को कहा, मैंने सोचा कि ये फिर मेरी गांड में लंड डालेगा तो मैंने मना कर दिया.
लेकिन जब उसने मुझे आश्वासन दिया कि वो मेरी गांड को देखेगा, उससे खेलेगा, उंगली से रागादेगा लेकिन मेरिउइ गांड में लंड नहीं घुसायेगा तो मैं मान गया और उसके कहे अनुसार लेट गया.

वो मेरी टांगों पर बैठ गया और मेरे नंगे कूल्हों को अपने दोनों हाथों से सहलाने लगा, मसलने लगा. मुझे ये सब अच्छा लग रहा था.
फिर उसने अपने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ के पट खोले और मेरी गांड का छेद देखने लगा. उसने मेरे छेद में उंगली लगाई तो मेरा बदन सिहर उठा, मेरे मन में आया कि कहीं ये मेरी गांड में उंगली तो नहीं डाल देगा? लेकिन मैं चुपचाप लेटा रहा और चिंटू की अगली हरकत का इन्तजार करने लगा.

चिंटू मेरे छेद में उंगली का ज़रा सा हिसा रखा कर उसे गोल गोल घुमाने लगा, मुझे अच्छा लगा रहा था तो मैंने उसे कुछ नहीं कहा.
मेरे चुप रहने से उसका हौंसला बढ़ गया और वो अपनी उंगली मेरी गांड के छेद में दबाने लगा, उसकी उंगली आधा इंच मेरी गांड में घुस गई, तो भी मुझे अच्छा ही लग रहा था.
जब उसके उंगली और घुसाने की कोशिश की तो मुझे दर्द होने लगा और मैंने डर कर उसे अपने ऊपर से हटने को कहा.

वो मेरे ऊपर से हट गया और तब उसने मुझे उसका लंड चूसने को कहा, तो पहले तो मैं मना करने का नाटक करने लगा, पर बाद में मान गया क्योंकि लंड चूसने का मन तो मेरा भी कर रहा था.
मैंने चिंटू को लेटने को कहा और मैं उसके लंड के ऊपर झुक गया, लंड को एक हाथ से पकड़ कर उस पर अपने होंठ रख दिए.
मुझे थोड़ा अजीब सा लगा लेकिन मन में एक जोश भी था और मेरी कामवासना भी काफी बढ़ी हुई थी तो मैंने उसका पूरा लंड अपने मुंह में ले लिया.

अब मैं अपने दोस्त चिंटू का लंड चूसने लगा. थोड़ी देर लंड चूसने के बाद जब उसका वीर्य छूटने वाला था, तो उसने मेरे मुँह से लंड निकाला और डस्टबिन में माल गिरा दिया.

उसके बाद जब भी मौका मिलता, हम दोनों चूमाचाटी कर लेते, पर मैंने हॉस्टल में कभी गांड नहीं मरवाई.

बाय दोस्तो, मेरी गे सेक्स कहानी आपको कैसे लगी, अपने कमेंट्स लिखना ना भूलें. मेरी ईमेल आईडी है.

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