मेरा पहला गे सेक्स अनुभव- 1

(Meri Pahli Free Gay Sex Kahani)

फ्री गे सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं अपनी कॉलोनी के एक लड़के को पसंद करता था। एक दिन बस में उसने मुझे अपने लंड पर बैठा लिया। हम दोनों का प्यार कैसे आगे बढ़ा?

दोस्तो, आज मैं अपनी फ्री गे सेक्स कहानी लेकर प्रस्तुत हुआ हूं जिसमें मैं आपको यह बताऊंगा कि मैं पहली बार कैसे चुदा।
मेरी पहली चुदाई 19 साल की उम्र में हुई थी जो कि बड़ा ही अच्छा अनुभव देकर गयी थी।

मैं बहुत ही किस्मत वाला था कि मुझे समीर जैसा दोस्त मिला; जिसने मुझे बहुत ही प्यार से चोदा था।
हांलाकि इंटरनेट पर जिस तरह की कहानियां लोग बताते हैं कि एक दिन में ही कैसे कोई किसी से चुद गया। ऐसा मेरे साथ बिल्कुल भी नहीं हुआ था।

करीब एक साल पहले मेरी समीर से दोस्ती शुरू हुई थी और ये दोस्ती साधारण नहीं, प्यार वाली ही थी।
समीर मुझे बहुत पसंद था। लेकिन सवाल यह था कि मैं उससे अपनी बात कहूं कैसे।

वह मेरी ही कॉलोनी में रहता था।
बस आंखों ही आंखों में खेल चल रहा था। कभी कभी तो लगता था कि समीर सब कुछ जानता है लेकिन बोलता कुछ नहीं है।

एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि बात खुल ही गयी।

हम कॉलोनी के लोग एक दिन पिकनिक के लिए गये थे। शाम को लौटते समय जिस बस से हम लौट रहे थे उसमें बहुत भीड़ हो गयी थी।
समीर को सीट मिल चुकी थी किंतु मैं खड़ा हुआ था।

थोड़ी देर बाद समीर ने मुझे आवाज देकर बुला लिया और अपनी गोदी में बैठा लिया।
कुछ 10 मिनट के बाद मुझे महसूस हुआ कि समीर का लंड धीरे धीरे खड़ा होकर मेरी मेरी गांड के पीछे सट गया था।

बीच बीच में बस में झटके से ब्रेक लगने के कारण हम भी आगे की तरफ झटका खा रहे थे। समीर ने महसूस किया कि मेरी तरफ से कोई विरोध नहीं हो रहा है तो उसने एक बारी मुझे ऊपर की ओर उठाकर अपने लंड को नीचे की तरफ करते हुए अपने लंड पर मेरी गांड को टिकाकर मुझे बैठा लिया।

मतलब कि अब मैं समीर के खड़े लंड पर अपनी गांड रख कर बैठा हुआ था। मेरे दोनों के पैर खुले हुए थे और मेरी गांड की दरार में समीर का लंड बिल्कुल फिट बैठा हुआ था।

जब कभी बस ड्राईवर झटके से ब्रेक लगाता तो मेरी गांड समीर के लंड पर रगड़ खा जाती थी।

मैंने उस दिन करीब 20 मिनट तक ऐसे ही समीर के लंड पर बैठ कर सफर किया।

समीर के लंड से मेरी गांड रगड़ खा-खाकर बहुत गर्म हो चुकी थी और मेरा भी लंड खड़ा हो चुका था, जिस पर मैंने एक कैरी बैग रखकर छिपा रखा था।

20 मिनट के इस तरह के सफर में मैं जमकर गर्म हो चुका था। बहुत सेक्सी फील होने लगा था।

करीब 20 मिनट के बाद समीर के बाजू वाली सीट खाली हो गई।

तब मुझे मजबूरी में समीर की गोदी से उतरकर बाजू वाली सीट पर बैठना पड़ा।
समीर ने मुझे बहुत प्यार से देखते हुए बोला- सॉरी यार!
मैंने भी उसकी तरफ प्यार से देखते हुए बोला- कोई बात नहीं!
क्योंकि मैं वैसे भी उससे फंसना ही चाहता था।

समीर ने कहा- यार, तू ये बात किसी को बतायेगा तो नहीं?
मैंने कहा- नहीं बताऊंगा, लेकिन मेरी एक शर्त है।
इस पर समीर थोड़ा सकपकाया और बोला- क्या शर्त है?

मैंने कहा- मुझे आपसे एक दिन अकेले में मिलना है, क्या आप मिलोगे मुझसे?
समीर मान गया।

उस दिन की घटना के बाद से समीर और मेरी अच्छी दोस्ती हो गयी थी।
मगर समीर से अकेले मिलना नहीं हो पा रहा था क्योंकि समीर के पास जगह की समस्या थी।

फिर करीब 4 महीने के बाद समीर ने मुझसे सुबह एक दिन पांच बजे उठने के लिए पूछा।
उसने अपना प्लान बताया और कहा कि सुबह सुबह बिल्डिंग की छत पर कोई नहीं होता है; ठंड के समय में कोई नहीं मिलेगा।

मुझे उसका ये प्लान अच्छा लगा और मैं बताये समय पर वहां पहुंच गया।
समीर वहां पर पहले से ही खड़ा हुआ था।

छत पर बहुत अंधेरा था और छत बिल्कुल सुनसान थी।
समीर मुझे छत पर एक कोने की तरफ ले गया। हम दोनों कोने में एक दूसरे से सट कर खड़े हो गये।

वो कहने लगा कि वो मुझे बहुत पहले से ही पसंद करता था और उस दिन जो बस में हुआ था वो भी अचानक की बात नहीं थी।

मैं उसकी बातें सुन रहा था और नीचे नजर किए हुए था।
मैंने भी उसको धीरे से कह दिया- मैं भी उसको बहुत पसंद करता हूं। उस दिन जो बस में हुआ वो मुझे बहुत अच्छा लगा।

मेरी बात सुनकर समीर ने मुझे अपनी ओर पकड़ कर खींच लिया और अपनी बांहों में भर लिया।
समीर मुझसे कुछ लंबा था। मैंने उसकी बांहों में कसने के बाद बहुत ही सेक्सी फील किया और मेरे पैर के पंजों को मैंने ऊपर उठा दिया जिससे मेरे होंठ उसके होंठों के पास पहुंच गये।

मैंने अपनीं आंखें बंद कर ली थीं।
समीर ने मेरे होंठों को पहली बार प्यार से किस करते हुए कहा- आई लव यू यार … तमन्ना!
(तमन्ना मेरा नाम है.)

समीर के मुंह से निकल रहीं उसकी सांसें मेरे होंठों पर टकरा रही थीं और मेरे होंठों को समीर के होंठों में डालने के लिए उत्तेजित कर रही थीं।
फिर समीर ने पहली बार मेरे होंठों को किस किया और धीरे से मेरे होंठ अपने होंठों से रगड़ने लगा।

अह्ह … करते हुए मैंने अपने होंठों को समीर के होंठों में डाल दिया।
समीर ने मेरी लोवर के अंदर अपने दोनों हाथ डाल दिये और मेरी गांड को सहलाते हुए प्यार से मसलने लगा।

मेरा भी मुझ पर नियंत्रण नहीं रहा और मैंने अपनी दोनों बांहें समीर के गले में डाल दीं और समीर से अपने होंठों को चुसवाते हुए समीर से अपनी गांड को सहलवाने और मसलवाने लगा।

धीरे धीरे मेरी सिसकारियां निकलने लगीं।
वो मेरा पहला मिलन था।

समीर ने मेरी गांड पर हाथ फेरकर मुझे पूरा गर्म कर दिया था।
मुझे समीर से अपने गुलाबी होंठों को चुसवाना बहुत पसंद आ रहा था।

समीर बीच बीच में मेरे होंठों को चूसते हुए हल्के से काट भी लेता था; इससे आह्ह करके सिसकारी निकल जाती थी मेरी!

फिर करीब 5 मिनट के बाद समीर के मुंह से आह्ह की आवाज निकली और उसने जोर से मुझे अपनी बांहों में कस लिया।

करीब एक मिनट के बाद उसने अपनी पकड़ ढीली करते हुए कहा- अबे यार … हो गया बे!
मैंने उससे कहा- क्या हो गया?
तो उसने बोला- तेरा नहीं हुआ क्या?

मैंने पूछा- क्या?
तो उसने कहा- मेरा झड़ गया यार!
मैंने कहा- क्या?

तब उसने अपनी लोवर की तरफ मेरा हाथ पकड़ कर छुआ दिया तो उसकी लोवर उस जगह पर गीली हो चुकी थी।
उसने बोला- अब आया समझ?

मैंने कहा- हां, आ गया।
वो बोला- तेरा नहीं हुआ क्या?
मैंने कहा- नहीं।
वो बोला- तो मुठ मार ले।

मैं उस समय मुट्ठ मारने का मतलब नहीं जानता था तो मैंने कहा- वो कैसे मारते हैं?
वो हंसा और बोला- मैं सिखाता हूं तुझे!

उसने मुझे घुमाकर अपनी ओर कर लिया। मेरी गांड समीर के लंड की जगह गीली लोवर पर सट गयी।

समीर ने मेरी लोवर में हाथ देकर मेरी लुल्ली को हाथ में लिया और मसलने लगा।
फिर मेरी मुठ मारने लगा।
मेरी सिसकारियां निकलने लगीं।

वो बोला- तेरा तो बहुत छोटा है मगर अच्छे से खड़ा है।
मेरा लंड उस वक्त 4 इंच का था और आज भी उतना ही है।

समीर ने मेरे लंड की मुटठ मारते हुए मुझे मस्त कर दिया था।
फिर कुछ देर बाद मेरे मुंह से आहह की सिसकारी निकल गयी, साथ ही मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी निकल गयी।

बहुत ही सुखद अनुभव था।
आज समीर के साथ सुबह की ठंडी में बड़ा मजा आ गया था।

हम दोनों का ही माल गिर चुका था इसलिये हम दोनों ही ठंडे पड़ गये थे।
इसलिये हम दोनों ने ही अपने अपने घर जाना ही ठीक समझा।

इस अनुभव के बाद मैं समीर से मिलने के लिये बेताब रहने लगा था।
मगर बाद में बिल्डिंग की छत पर मिलना मुश्किल होने लगा था क्योंकि बिल्डिंग में रहने वाले कुछ लोग सुबह सुबह एक्सरसाईज करने आ जाते थे।
वैसे समीर भी ज्यादा इंटरेस्ट नहीं दिखाता था।

एक दिन समीर मुझे रास्ते में मिला तो उसने बोला- आज तू घर आ जाना, घर पर कोई नहीं है।

जब मैं उसके बताये टाइम पर जाने लगा तो इससे पहले कि मैं उसके घर जाता वो ही मेरे पास आ गया।
वो बोला- मम्मी आ गयी है और गड़बड़ प्लान हो गया सब।

उसके बाद वो बोला- मेरे साथ चल!
मैंने पूछा- मगर कहां?
वो बोला- चल तू!

वो मुझे ले जाने लगा और हम एक कुलिया पर पहुंचे। वहां काफी संकरी जगह थी जहां पर अंदर घुप्प अंधेरा था। हम दोनों वहां जाकर खड़े हो गए।

उसने पूछा- तू चाहता है कि मैं कुछ करूं तो ठीक है नहीं तो मैं जबरदस्ती नहीं करूंगा तेरे साथ!
मैं बोला- नहीं, मैं ठीक हूं। अच्छी जगह है ये, किसी तो पता भी नहीं लगेगा।

समीर मेरी बात सुनकर रिलेक्स हो गया।

तो मैंने कहा- आप तो मुझे उस दिन के बाद से भूल ही गये। क्या सिर्फ सेक्स के लिये ही …

इसके आगे मैं कुछ बोलता कि उससे पहले उसने मेरे होंठों पर हाथ रख दिया और बोला- तुझे नहीं पता, उस दिन बिल्डिंग की छत पर कुछ लोगों ने हमें देख लिया था मगर अंधेरे के कारण पहचान नहीं पाए। जब मैं क्रिकेट खेलने गया तो लोग उसी बारे में बात कर रहे थे और मुझ पर कुछ को शक भी था लेकिन कोई यकीन के साथ नहीं बोल सकता था। इसलिए मैंने तुझको इग्नोर करना शुरू कर दिया था ताकि किसी को तेरे और मेरे बारे में पता न चले।

उसकी ये बातें सुनकर मेरा दिल समीर के प्रति प्यार से भर गया और मैं समीर के सीने से चिपक गया और कहा- समीर … आई लव यू यार! सॉरी … मैंने तुम्हें गलत समझ लिया।

समीर ने मुझे अपनी बांहों में कस लिया और मैंने अपने पैरों के पंजे ऊपर करते हुए अपने होंठ उसके होंठों में डाल दिये। समीर मेरे होंठों को चूसने लगा और गर्दन पर किस करने लगा।

मैंने महसूस किया कि समीर का लंड खड़ा होकर मेरे लंड के थोड़ी ऊपर 90 डिग्री के कोण पर चिपक गया था।
समीर का वो खड़ा हुआ लंड दिल में बहुत बेताबी पैदा करने लगा था।

मेरे अंदर उसके लंड को देखने की बहुत तड़प थी। आखिर जिस लंड से मैंने चुदने के सपने संजो लिये थे उसको देखना कोई पाप तो नहीं था।
फिर समीर मेरे पीछे आकर मुझसे चिपक गया और अपने लंड को मेरी गांड पर लगा कर मुझे कसकर अपनी बांहों में ले लिया।

उसने मेरी टीशर्ट उठा दी और मेरी अधपकी कच्ची निंबोड़ियों को अपने अंगूठे और उंगली के बीच में भींचने लगा।
मेरी आह्ह … निकलने लगी, मैं लगातार सिसकारने लगा था।
उसकी ये हरकत बहुत रोमांच दे रही थी।

चूचियां मसलवाने के बाद मैं बहुत ही गर्म हो गया था।
मैंने मदहोशी में कह दिया- आज से मैं तेरी हूं समीर!
वो चौंक कर बोला- क्या?

मैंने कहा- हां, तुम ही हो जो एक दिन मेरी लोगे।
वो उत्तेजित हो गया और उसने मेरी लोवर को नीचे करके अपनी लोवर भी नीचे खींच दी।
अपने लंड को वो मेरी गांड पर ऊपर से नीचे लगातार रगड़ने लगा और मैं मदहोश होता चला गया।

ऐसे ही रगड़ते हुए उसने बीच में एक बार मेरी गांड के छेद पर लंड को रखा और दबाव डाला।
मुझे हल्का दर्द महसूस हुआ।
मैंने कहा- नहीं, ऐसे नहीं, कहीं और करेंगे।

उसने मेरी बात झट से मान ली और मेरी गांड से लंड को हटा लिया।
हम दोनों ने अपनी लोवर ऊपर कर ली।

उसका लंड उसकी लोवर में तना हुआ साफ दिख रहा था।
अभी तक मैंने उसके लंड के दर्शन नहीं किए थे। मैं उसके लंड को देखने लगा।

मैं बोला- यार दिखाया नहीं आपने अभी तक।
वो बोला- खुद ही देख ले।

मैंने उसकी लोअर को नीचे किया तो उसका 7 इंच का लंड देखकर मेरे मुंह में पानी आ गया।
उसने मुझे नीचे बैठा लिया और मेरी नाक उसके लंड के पास थी।

उसके लंड से वीर्य की भीनी भीनी खुशबू आ रही थी।
वो बोला- किस करेगा क्या?
मैं उसको मना कर ही नहीं पाया। उसके गुलाबी टोपे वाले लंड की खुशबू बहुत अच्छी लग रही थी मुझे!

मैंने उसके लंड को हाथ में लिया और उसकी मुंडी को किस कर दिया।
समीर भी उत्तेजित हो गया और उसने मेरे सिर पर अपना हाथ फेरा तो मुझे बहुत ही अच्छा महसूस हुआ और मैंने समीर के लंड को 2 इंच तक मुंह में भर लिया और चूसने लगा।

मेरे दिमाग में मदहोशी छा गई और मैं मन ही मन कहने लगा- आई लव यू समीर … एक दिन मुझे इसी लंड से चुदना भी है।
इधर मेरे मुंह में लंड अब आधे से ज्यादा जाने लगा था और समीर के मुंह से आह्ह … स्स्स … आह्ह स्स् … जैसी सिसकारियां निकल रही थीं।

चूसते चूसते मैंने एक बार समीर के लंड को अपने मुंह में पूरा भर लिया। समीर का लंड मेरे गले में आकर फंस गया।
मैंने धीरे धीरे उसके आधे लंड को ही चूसना जारी रखा।

अचानक मुझे महसूस किया कि उसका लंड कुछ ज्यादा ही तनाव में आ गया है। उसके लंड की नसें सामान्य से ज्यादा फूल सी गई थीं और लगा कि समीर की नसों में कुछ दौड़ रहा हो।

तभी अचानक समीर ने मेरे मुंह से अपना लंड बाहर निकाल लिया और नाली की तरफ मोड़ लिया।
मैंने देखा कि समीर के लंड से उसके वीर्य की एक पिचकारी निकली।
उसके बाद एक पिचकारी और निकली जो पहले वाली से कुछ कम थी।

समीर ने आह्ह … आह्ह … करते हुए अपना पूरा वीर्य उस नाली में गिरा दिया।
फिर जल्दी से अपनी लोअर को ऊपर कर लिया और चलने के लिए कहने लगा।

हम दोनों बाहर निकल आए।

रास्ते में बातें करते हुए मैंने पूछा- कैसा लगा?
तो वो कहने लगा- मजा नहीं आया, अगली बार ऐसी गंदी जगह में सेक्स नहीं करेंगे।

मैंने पूछा- अगली बार कब मिलेंगे?
वो बोला- बहुत जल्दी।

फिर हम अपने अपने घर चले गए।

उस मुलाकात के बाद समीर की मुझे याद आती रही।

मैं कोई चुदक्कड़ गांडू नहीं हूं जैसा कि बाकी गे सेक्स कहानियों में पढ़ने को मिलता है। समीर भी वैसा नहीं था वर्ना वो मुझे उस कुलिया में जबरदस्ती चोद भी सकता था।

कुछ दिन बाद उसने फिर से मुझे अपने घर बुलाया।

उस दिन कोई गड़बड़ नहीं हुई और हम दोनों ही अकेले थे।

समीर ने एक शॉर्ट पैंट और सेंडो बनियान पहनी हुई थी। उसकी हाफ पैंट में उसकी मजबूत और गोल जांघें बहुत सेक्सी लग रही थी।
उसकी चौड़ी छाती और कसे हुए हाथों के बल्ले अपनी ओर खींच रहे थे।
मैं उसकी बांहों में समा जाना चाह रहा था।

इतने में वो मेरे बाजू में सोफे पर आकर बैठ गया।
वो बोला- यार, मैं तुझे कुछ ज्यादा ही पसंद करने लगा हूं।
मैंने पूछा- क्यों?

वो बोला- उस दिन कुलिया में कोई चलता फिरता गांडू होता तो चुद लेता। मगर तूने ऐसा कुछ नहीं किया।
मैंने कहा- मैं आपसे प्यार करता हूं। सेक्स के लिए नहीं मिल रहा हूं।

ये सुनकर उसने मुझे अपनी बांहों में भर लिया।
वो बोला- अगर तुम कहोगे तो मर्जी के बिना मैं तुम्हें हाथ भी नहीं लगाऊंगा।
ये सुनकर मैं इमोशनल हो गया और मैंने उसके होंठों में होंठ डाल दिए।

जल्दी ही हम दोनों गर्म होने लगे। उसने मेरी शर्ट के बटन खोल दिए और मेरी निप्पलों को मसलते हुए मेरे होंठों को पीने लगा।
फिर उसने मेरी गर्दन पर चूमना शुरू कर दिया।

इससे मेरी आह्ह … आह्ह करके सिसकारियां निकलने लगीं और मैं बड़बड़ाने लगा- आह्ह … आह्ह … आई लव यू समीर … आह्ह।

ये सुनकर वो और ज्यादा जोश में आ गया और उसने मेरा हाथ अपने लंड पर रखवा दिया।

मैंने भी शर्म खोली और उसकी शॉर्ट्स का बटन खोलकर उसे नीचे कर दिया। मैंने उसके गर्म लंड को अपने हाथ में ले लिया और उससे खेलने लगा।

अपने होंठों को समीर के होंठों से निकाल कर उसके सीने पर किस करते हुए मैंने नीचे की तरफ देखा तो पाया कि समीर का लंड एक दम फनफनाया हुआ था जिसको मैं अपनी मुलायम हथेली से ऊपर नीचे करके सहला रहा था।

तभी मैंने देखा कि समीर के लंड से कुछ पानी जैसा पदार्थ निकलने लगा था लेकिन वो उसका वीर्य नहीं था।

समीर फुल मूड में आ चुका था, वह मुझे अपने बेड पर ले गया।

उसने अपनी टीशर्ट उतार दी और मेरी भी बनियान उतार दी; फिर मेरी पैंट भी उतार दी और मुझे बेड पर लिटा दिया।
फिर समीर मेरे ऊपर आकर लेट गया।

अब मैं पूरी तरह से उसकी चौड़ी छाती के नीचे और उसकी दोनों जांघों के बीच में था।

उसने अपने दोनों हाथों का एंगल बनाते हुए मेरे सिर के नीचे रखकर एक तकिया की तरह बना दिया जिससे मेरा मुंह ऊपर की तरफ आ गया।

अब समीर मुझे किस करने लगा और अपने लंड को ऊपर नीचे करके मुझे चोदने की स्टाईल में धीमे धीमे झटके देने लगा।
उसके सीने के नीचे दबी मेरी चूचियां उसके सीने से बार बार रगड़ खा रही थीं।

समीर का विशाल लंड मेरे छोटे से लंड के आजू बाजू ऊपर नीचे हो रहा था और मुझे चुदने के लिए आमंत्रित कर रहा था। मगर मैंने खुद को रोक कर रखा हुआ था।

मैं चाह रहा था कि चोदने की पहल भी समीर ही करे।
मगर साथ ही मेरे मन में एक दबा हुआ सा डर भी था कि इतने मोटे लंड को मैं अपनी गांड के छेद में कैसे ले पाऊंगा?

दोस्तो, मेरी फ्री गे सेक्स कहानी पर अपनी राय देना न भूलें।
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फ्री गे सेक्स कहानी का अगला भाग: मेरा पहला गे सेक्स अनुभव- 2

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