दिल्ली से मुजफ्फरनगर के सफर में सेक्स
(Oral Sex Lund Chusai Kahani)
ओरल सेक्स लंड चुसाई कहानी में मैंने बस स्टैंड के शौचालय में एक आदमी का लंड चूसकर मजा लिया. मैं चूत भी मारता हूँ और गांड भी मराता हूँ.
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम विजय है मैं मुजफ्फरनगर का निवासी हूँ
ये मेरी पहली सेक्स स्टोरी है. परंतु सेक्स अनुभव पहले ही हो चुका था.
मैं आगे बढ़ने से पहले अपना परिचय दे देता हूँ. मेरी उम्र तब 24 साल थी, अब मैं 26 का हूँ.
मेरा क़द 6 फुट वजन 85 किलो औसत रंग रूप है.
मेरी शादी कम उम्र में लखनऊ ज़िला में एक सुंदर स्त्री से हुई है.
मैं शादी के बाद भी परायी स्त्री से सम्भोग कर चुका हूँ.
परंतु आपको ये जानकर अजीब लगेगा कि मैं शादी से पहले गे था … मतलब अभी भी हूँ.
पर चूत का स्वाद चखने के बाद लंड का स्वाद अब फीका लगने लगा है.
ओरल सेक्स लंड चुसाई कहानी जनवरी की है.
मैं अपने रिश्तेदारों के यहां अपने माता पिता को छोड़ कर घर वापस आने की तैयारी कर रहा था.
तभी मन में ख्याल आया कि सफर रात का है, तो कुछ मौजमस्ती करनी चाहिए.
मैं बस स्टैंड पर गया तो देखा कि भीड़ बहुत थी और दिल्ली से मुजफ्फरनगर की आखिरी बस भी जा चुकी थी.
अब मैं मेरठ की बस पकड़ने का फ़ैसला कर आगे बढ़ा.
एक बस आयी मगर भीड़ से खचाखच थी.
मैं किसी तरह बस में घुस तो गया परंतु बैठने की सीट मिलना सम्भव नहीं लग रहा था.
तभी बस कंडक्टर ने कहा- भाईसाहब आप मेरी सीट पर बैठ जाओ. तब तक मैं टिकट काट लूँ.
मैं खुश होकर उसकी सीट पर बैठ गया.
अब तलाश थी तो किसी लंड या चूत की जो लंड का पानी निकालने के लिए मिल जाए.
बस अब तक आगे बढ़ चुकी थी.
जब कोई माल नहीं दिखा तो मैंने आंख बंद की और सोने का निर्णय ले लिया.
दस मिनट तक तो नींद ही ना आयी, जिसका कारण बस की भीड़ और खराब सड़क थी.
अब मैं ऐसे ही बस आंख बंद करे बैठा था.
मोहन नगर आने वाला था. सवारियों में उतरने की हलचल शुरू हो गयी थी.
मोहन नगर आया, कुछ लोग उतरे तो कुछ ने बस में प्रवेश किया. यात्रा आगे आरम्भ हुई.
तभी एक 23-24 साल का युवक सांवला रंग, पतला दुबला शरीर, बस में सवार हुआ और मेरे बगल में खड़ा हो गया.
उसको मेरठ जाना था.
मेरे सीधे कान के एकदम सामने उसका लंड था. जी तो किया कि अभी चैन खोल कर लंड चूस लूँ. पर ऐसे करना सही नहीं था.
मैंने अपने हाथों को बस में चढ़ने के लिए सहारे के लिए लगे पाईप पर रख दिया और अपना सर, हाथों पर रख कर सोने का ऐसे नाटक करने लगा, जैसे स्कूल में बच्चे मेज पर सर रख कर सोते हैं.
जैसे जैसे बस हिलती, वैसे वैसे मैं हाथों से उस लौड़े की चैन के निकट आने लगा.
इस काम में बस का हिलना बहुत काम आया.
कुछ ही मिनट में मैं उसकी चैन को छू सकता था, तभी एक ब्रेक का झटका आया और मेरा हाथ उसके लंड से स्पर्श हुआ.
उसको कोई प्रभाव नहीं पड़ा.
मैं सोने का नाटक जो कर रहा था.
आगे आने वाले हर गड्ढे में मैं उसके लंड को स्पर्श करने लगा था.
इधर मेरा लंड भी अंगड़ाई लेने लगा था और मैं अपनी धड़कन अपने आप महसूस करने लगा था.
मैंने अहसास किया कि उसका लंड भी अब पहले से बड़ा लगने लगा था. मतलब उसे मेरा स्पर्श मज़ा दे रहा था.
मैं अंगड़ाई तोड़ता हुआ उठा और सीट पर सीधा बैठ गया.
मेरी नजरें उस व्यक्ति से मिलीं, उसकी आंखों में एक अजीब सी पा लेने वाली इच्छा दिख रही थी.
मैंने हल्की सी स्माइल पास कर दी और नजरें झुका कर फ़ोन चलाने लगा.
इतना संकेत पाकर उसने भी अपना जलवा दिखाना शुरू कर दिया.
वो अब मेरे और नक़दीक आकर खड़ा हो गया और आने वाले हर झटके पर वो अपना लंड मेरे गाल से छुआने लगा.
मैं मन ही मन खुश होने लगा और उसके लंड के साइज का अनुमान लगाने लगा.
इसी बीच एकदम से ब्रेक लगे और वो व्यक्ति एकदम मेरे ऊपर गिरने को हुआ.
तब मैंने महसूस किया कि लंड अपने पूरे जोश में खड़ा हो चुका था.
वो बोला- सॉरी सॉरी.
मैंने कहा- ओके ओके.
अब मैं अपने ईयर फोन लगा कर गाने सुनने में मगन हो गया.
मैं भी अपने गाल को उसके लंड के नजदीक लाने लगा था.
कभी कभी लंड मेरे मुँह के सामने आ जाता.
मेर मन तो कर रहा था कि चैन खोल कर लंड चूसने लगूँ पर भीड़ की वजह से मजबूर था.
तभी बस वाले ने आवाज दी- भैसली डिपो वाले आ जाओ.
मैंने पूछा- मुजफ्फरनगर की बस कहां से मिलेगी?
वो व्यक्ति बोला- यहीं से मिलती है. बस आगे नहीं मिल पाएगी, देर हो गयी है.
मैंने अपने फ़ोन में समय देखा तो नौ बज चुके थे.
जैसे ही बस रुकी तो मैं नीचे उतरा और मुजफ्फरनगर की बस की खोज में सड़क पार करके पूछताछ की ओर बढ़ा.
वहां जाकर पता लगा कि अब बस नहीं है. देहरादून की बस से जाना होगा.
इतनी रात में मैंने ये फ़ैसला टाल दिया क्योंकि देहरादून की बस बाईपास से निकल जाती है और रात में कोई साधन नहीं मिलता है.
मैं वापस उस स्थान पर आ गया जहां पर मैंने बस छोड़ी थी.
सर्दी के मौसम के कारण कोहरा पड़ने लगा था और ठंड भी बढ़ गयी थी.
मैंने चाय पीने का निर्णय किया और चाय की दुकान की तरफ आ गया.
तभी मेरी निगाह एकदम से उसी व्यक्ति पर पड़ी जो अपने लंड से मुझे दीवाना बना गया था.
वो भी चाय पी रहा था.
मैंने पूछा- अब मुजफ्फरनगर जाने का क्या साधन है?
वो बोला- अब तो छोटा हाथी या टेम्पो ही मिलेगा.
मैंने सुरक्षा की दृष्टि से दोनों साधन छोड़ दिए और चाय पीने पर ध्यान लगाया.
वो बोला- मुजफ्फरनगर ही जाना है या उसके पास किसी गाँव में?
दरअसल वो अब बातचीत करने का प्रयास कर रहा था, जो मैं समझ चुका था.
मैंने कहा- ख़ास मुजफ्फरनगर.
सच बोलूँ तो अनजान जगह की वजह से मैं खुल कर बोल नहीं पा रहा था … पर साधारण विषय पर चर्चा शुरू हो चुकी थी, जैसे मौसम और माहौल आदि.
मैंने पूछा कि तुम कहां जा रहे हो?
वो बोला- मेरे को सकौती जाना है. मैं सुबह निकलूंगा … रात यहीं आरामघर में आराम करूंगा. मैं बिहार से आ रहा हूँ.
चाय खत्म हुई तो मैं अब सार्वजनिक शौचालय की तरफ चलने लगा.
मेरे को पेशाब आ रही थी.
कोहरा इतना गहरा गया था कि सड़क के उस पार देखना थोड़ा मुश्किल हो रहा था.
पता नहीं क्यों … वो भी मेरे साथ चल दिया.
मैंने सोचा इसे भी मुतास लगी होगी.
पर मैं मन ही मन खुश था.
मैं बाथरूम में पेशाब करने लगा.
वो एकदम मेरे बगल में खड़ा होकर मूतने लगा.
मेरा ध्यान उसके लंड पर था. सुसुप्त अवस्था में चार पांच इंच बड़ा लंड था.
काला सुपारा, अन्दर से थोड़ा गुलाबी … पेशाब की मोटी धार में चमक रहा था.
मैं जैसे लंड की चमक में खो ही गया था.
तभी वो बोला- क्या देख रहे हो?
मैं चौंक गया और बोला- कुछ नहीं.
वो बोला- कैसा लगा?
मैं दो सेकंड चुप रहा, फिर बोला- अच्छा है.
अब मैं अपनी चैन बंद करके हाथ धोने की तरफ बढ़ा.
वो भी मेरे पीछे खड़ा था.
उसने मेरी गांड पर हल्का सा टच कर दिया.
मैंने थोड़ा सा मुँह घुमाया और स्माइल पास कर दी.
वो बोला- मुजफ्फरनगर सुबह चले जाना, रात में मेरे साथ रुक जाओ.
मैंने बोला- नहीं, घर पर छोटा भाई और चाचा मेरा इंतज़ार कर रहे हैं.
वो बोला- लोगे?
ये कह कर वो लंड पर इशारा करने लगा.
अब मैं भी खुल चुका था. मैंने कहा- मौक़ा नहीं है और जगह नहीं है और घर भी जाना है.
मैंने फ़ोन पर ट्रेन चैक की और देखा कि छत्तीसगढ़ ट्रेन अभी दो घंटे बाद मेरठ कैंट पर आने वाली है.
वो बोला कि आरामघर में चलते हैं. यहां से 15-20 मिनट का रास्ता है.
फिलहाल मेरे पास ट्रेन ही एक आखिरी साधन था, मैं उसको छोड़ना नहीं चाहता था.
मैंने कहा- नहीं.
तभी मैंने ध्यान दिया कि शौचालय में कोई भी देखरेख करने वाला नहीं है.
मैंने बोला कि कुछ कर सकते हैं तो यहीं कर सकते है. बस इससे आगे नहीं.
वो बोला- ठीक है देखते हैं.
मैं अन्दर जाकर देखा कि पांच संडास बने हुए थे. मैंने सबसे अंत वाले में जाने का निर्णय लिया. हम दोनों अन्दर आ गए और गेट बंद कर लिया. सुनसान माहौल … अगर कोई अन्दर आता तो उसे पक्का पता लग जाता.
उसने अपना पैंट खोला. उसका लंड कच्छे में ही खड़ा हो चुका था.
मैंने अपने हाथ से उसका लंड बाहर निकाला तो मैं खुश हो गया.
सात इंच का बड़ा और भरपूर मोटा एकदम गर्म लंड था.
मैंने उसकी आंखों में देखा और एक हाथ से लंड हिलाने लगा.
उसने अपने होंठ मेरे होंठ से लगा दिए और चूसने लगा.
क़रीब पांच मिनट तक होंठ चूसने के बाद मैंने जैकेट खोल दी और कपड़े ऊपर कर के अपने निप्पल उसके मुँह में लगा दिए.
वो एक हाथ से एक निप्पल दबाने लगा और दूसरे हाथ से पकड़ कर दूसरा निप्पल चूसने लगा.
तभी उसने एक हाथ निप्पल से मुँह हटा कर मेरा मुँह बंद कर दिया और अपने दाँत मेरे निप्पल में घुसा दिए.
दर्द से मेरी चीख निकलने को हो गयी जो मुँह में ही दबी रह गयी.
मेरी आंखों में आंसू आ गए.
तब उसने अपने दांतों की पकड़ ढीली की.
मैंने कहा- क्या कर रहा है यार … पागल है क्या?
इतना कहते ही उसने दूसरे निप्पल पर काटना शुरू कर दिया और मेरा मुँह दबा दिया.
सात आठ सेकंड तक वो काटता ही रहा था.
दर्द की वजह से मैं छटपटा रहा था. मेरी आंखों में आंसू आ गए थे.
उसने मुँह हटा कर तुरंत होंठ से होंठ लगा दिए और दोनों हाथों से निप्पल पर उंगली फेरने लगा.
फिर एकदम से उसने मेरे होंठों पर दबाव बनाया और निप्पल पर जोर से चूंट लिया.
मेरी मानो जान निकल गयी.
उसके इस 2-3 मिनट के हमलों ने मेरी हालत खराब कर दी थी.
फिर उसने नीचे बैठने को बोला.
मैं समझ चुका था कि अब मेरा काण्ड होकर रहेगा. मैं उसका लंड मुँह में लेकर चूसने लगा.
बाथरूम ‘गच गच …’ की आवाज से भर गया था.
लंड के पानी और थूक से बनी लार अब मेरे मुँह से निकलने लगी थी.
वो भी मेरे मुँह में धक्के मारने लगा था.
मैं भी अब थकने लगा था.
तभी उसने एक हाथ से मेरा सर पकड़ा और एक हाथ मेरी ठोड़ी के नीचे लगाया.
उसकी ये अलग सी पकड़ से मैं समझ गया कि ये अब जोश में आ रहा है.
मैंने मौक़ा देख कर लंड बाहर निकाल कर उसके एक आंड को मुँह में भर लिया.
जिसकी वजह से मैं उसके वार से बच गया.
दो मिनट बाद उसने फिर अपना लंड मुँह में डाल कर हिलाना आरम्भ कर दिया.
क़रीब दो मिनट में ही उसकी वही पकड़ महसूस की.
इस बार वो धक्के भी मार रहा था और मेरी गर्दन भी हिला रहा था.
मेरी आंखों में अब आंसू आ गए थे.
गच गच की आवाज से माहौल और मादक बन चला था.
तभी उसने मेरे सर को दीवार से और दबा दिया और धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी.
उसका लंड मेरे गले से नीचे उतर रहा था.
मेरी हालत ख़राब होने लगी थी.
मैं अपने हाथों से उसकी जांघ को पीछे धक्का दे रहा था.
ये प्रयास मेरा बेकार हो गया.
उसने मेरे दोनों हाथों को पकड़ लिया और अपनी जांघ से मेरे सर को दीवार से लगा दिया.
मेरी सांसें अब रुकने लगी थीं.
तभी धक्कों की रफ़्तार बढ़ी और उसका गर्म गर्म वीर्य … मैंने अपने मुँह में महसूस किया.
मेरी सांसें बंद हो गई … धड़कन तेज हो गई … मुँह में वीर्य भर गया.
मेरे दोनों हाथ उसके हाथों की पकड़ में थे. मेरे सर पर उसकी जांघों का भारी दबाव था. ऐसा लग रहा था मानो मैं मर ही जाऊंगा.
अब उसके धक्के बंद हुए तो मुँह पूरा गर्म, नमकीन और बदबूदार वीर्य से भर चुका था.
वो ज़ालिम अभी भी लंड बाहर नहीं निकाल रहा था.
मजबूरन मेरे को उसका वीर्य अपने अन्दर गटकना पड़ा.
फिर उसने अपना लंड बाहर निकाला.
वीर्य और थूक से सना लंड मेरी आंखों के सामने था.
जिसको मैंने चाट कर साफ किया.
वो बोला- अब गांड तैयार रख मेरे यार … लंड पेलूंगा.
उसकी ये बात सुनकर मेरी गांड तो पहले ही फट गयी थी.
मैंने कहा- ट्रेन आने में एक घंटा रह गया है, अभी स्टेशन भी जाना है. अभी गांड मरवाने का समय नहीं है. मुझको घर जाना है प्लीज रहने दो.
मेरी बहुत कोशिश के बाद वो मान गया.
उसने अपना सोया हुआ लंड पैंट के अन्दर कर लिया.
मैंने भी मुँह साफ किया.
मुँह साफ़ करते समय महसूस हुआ कि मेरे गले में काफी दर्द होने लगा था.
पहले वो बाहर निकला … देखा बाहर कोई नहीं है.
फिर उसने मुझको आने को इशारा किया.
बाहर आकर मैंने उससे हाथ मिलाया और स्टेशन जाने का फ़ैसला किया.
वो बोला- अपना नम्बर दे जाओ, कभी मौक़ा लगा तो घर आकर गांड मारूंगा.
मैंने अपना नम्बर दे दिया पर उसका नम्बर लेना भूल गया.
आज भी मुझे उसके फ़ोन का इंतज़ार है.
दोस्तो … अभी इस ओरल सेक्स लंड चुसाई कहानी को यहीं ख़त्म करते हैं, पर अभी मेरठ से मुजफ्फरनगर का ये सफर बाक़ी है.
उस सेक्स कहानी का शीर्षक अलग होगा, उसे भी जल्द ही लेकर प्रस्तुत होता हूँ.
मैं बता दूँ कि अपने आगे के उस सफर में मैंने चूत मारी थी.
ओरल सेक्स लंड चुसाई कहानी पर आप अपने विचार मेरी मेल आईडी पर साझा कर सकते हैं.
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