मेरी गांड की चुदाई की कहानी-11
(Meri Gand Ki Chudai Ki Kahani- Part 11)
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शादी में चूसा कज़न के दोस्त का लंड-11
अभी तक मेरी गांड की चुदाई की कहानी में आपने पढ़ा कि मैं हिसार जा रही बस में एक पुलिस वाले सिपाही के साथ बैठा हुआ था और उसके लंड को उसकी पैंट में टटोलने की कोशिशों में लगा हुआ था. अब शायद वो भी समझ गया कि मैं कहाँ और क्यों देख रहा हूँ… लेकिन उसने फिर से आँखें बंद कर लीं और ऐसा करते हुए एक बार अपनी जिप वाला भाग हल्के से खुजला दिया, ऐसा करने से उसका सोया हुआ लंड उसके लेफ्ट हैंड की तरफ दिखने लगा.
एक तरफ तो वो पुलिस वाला गबरु जवान और साइड में दिख रहा उसका लंड… मेरा मन ललचाया कि किसी तरह इसके लंड को छू लूं… इस पर हाथ फेरूं, लेकिन फिर अंदर से आवाज़ आई ‘ये मैं क्या कर रहा हूँ… जहाँ भी लंड देखा बस उसी के पीछे चल दिया… नहीं, ये गलत है… लंड चाहे कितना भी अच्छा और मोटा क्यों न हो… मर्द चाहे कितना भी हैंडसम और जवान क्यों न हो… जो प्यार मुझे रवि ने दिया, वो कोई और नहीं दे सकता.’
मैंने अपनी भावनाओं को अपनी हवस के वश में नहीं होने दिया और चुपचाप आराम से सीट से कमर लगाकर सोने की कोशिश करने लगा क्योंकि लगभग 130 किलोमीटर का सफर था जिसमें करीब 2.30 घंटे लगने थे और मेरे पास टाइम पास करने के लिए कोई साधन भी नहीं था इसलिए मैंने सोना ही बेहतर समझा.
बस चलती रही और सफर घटता रहा. लगभग एक घंटे बाद मेरी आँख खुली तो देखा कि फोन पर किसी अनजान नंबर से मिसकॉल आई हुई है. मैंने सोचा कहीं रवि का ही फोन तो नहीं आ रहा? क्या पता मौसी से वो मेरा नंबर लेकर गया हो… और मुझे याद कर रहा हो.
मैंने दोबारा क़ॉल लगाई तो फोन एक लड़के ने उठाया, मैंने पूछा- आप कौन बात कर रहे हैं, आपके फोन से मिसकॉल आई हुई है.
तो लड़के ने कहा- मैं संदीप बोल रहा हूँ, जो तुझे सोनीपत से बहादुरगढ़ की बस में मिला था. जिसका लौड़ा देखकर तू चूसने के लिए मजबूर हो गया था.
मुझे एक बार तो अटपटा सा लगा कि इसको बात करने की तमीज़ भी नहीं है लेकिन फिर मैंने कहा- हाँ भैया, कैसे हो आप?
वो बोला- मैं तो ठीक हूँ, तू बता कब आ रहा है मेरा लंड लेने?
मैंने कहा- भैया मैं रवि से मिलने हिसार जा रहा हूँ. उस रात तो मैं ऐसे ही बहक गया था इसलिए आपके लंड को चूस लिया था लेकिन मैं रवि के सिवा किसी के साथ खुश नहीं रह पाऊँगा.
तो उसने कहा- तो मैं कौन सा तुझसे शादी करने वाला हूँ, एक बार गांड दे दे जानेमन… लंड तो तू बहुत अच्छा चूसता है, एक बार मुझसे भी गांड की चुदाई करवा के भी देख ले कि मैं कैसे चोदता हूँ.
मैंने कहा- नहीं भैया, अब मैं रवि के पास ही जा रहा हूँ और किसी के पास ऐसा गलत काम नहीं करना चाहता.
तो वो बोला- आ जा ना गांडू… क्यों नखरे कर रहा है, मैं तुझे खुश कर दूंगा.
मैंने अपने आप से कहा- गांडू अगर दिल से किसी को चाहे और सेक्स के लिेए मना करे तो नखरे दिखते हैं, और किसी को मना ना करे तो रंडी कहलाता है… उसका खुद का कोई स्टैंड ही नहीं होता क्या यार!
उसने फिर पूछा- आ रहा है क्या?
मैंने कहा- नहीं भैया, मैं रवि से मिलने हिसार जा रहा हूँ, सॉरी, मैं नहीं आ पाऊँगा.
तो वो बोला- कोई बात नहीं, मैं भी हिसार में ही रुका हुआ हूँ अभी, मैं तुझे रवि से मिलवा दूंगा. और तेरा मन करे तो मेरा चूस लियो नहीं तो कोई जबरदस्ती नहीं है.
मैंने सोचा ‘इनकी मदद से मैं रवि तक पहुंच सकता हूँ.’
तो मैंने उससे मिलने के लिए हाँ कर दी,
उसने कहा- तू हिसार के बस स्टैंड पर आकर मुझे फोन कर लियो, मैं तुझे रवि के पास पहुंचा दूंगा.
मैं यह सुनकर खुश हो गया और कहा- थैंक यू भैया, मैं वहाँ पहुंच कर आपको फोन करता हूँ.
मैंने फोन रख दिया.
मैंने साथ में बैठे पुलिस वाले की तरफ देखा तो वो मेरी तरफ देखकर मुस्करा रहा था. मैं समझ गया कि इसने सारी बातें सुन ली हैं.
मैंने उसकी जिप की तरफ देखा तो उसका लंड भी अब जाग चुका था और वो उसको अपने हाथ से सहला रहा था.
लेकिन मैंने अनजान बनते हुए वहाँ से नज़रें हटा लीं और वापस सीट से कमर लगाकर लेट गया. मैंने अपने आप से कहा ‘अब से मैं किसी पराये मर्द की तरफ नज़र उठाकर भी नहीं देखूंगा.
और ऐसा सोचते हुए मुझे अपने आप पर गर्व महसूस हो रहा था. मैंने ठान लिया था कि मैं सिर्फ रवि का बनकर रहूँगा वो चाहे मुझे कैसे भी ट्रीट करे, मैं उसके सिवा किसी और को टच भी नहीं करुंगा.
ये सब सोचते हुए मैं मन ही मन खुश हो रहा था और अब इंतज़ार कर रहा था कि कब ये सफर खत्म हो और मैं जाकर रवि को अपने दिल की बात बता दूँ. उसके बाद जो वो चाहेगा, वही करुंगा.
बस तेज गति से सड़क पर दौड़ रही थी और मेरी धड़कन मेरे दिल में उससे भी तेज गति से दौड़ रही थी.
आधे घंटे के बाद बस हिसार जिले की सीमा में प्रवेश कर गई. कंडक्टर की आवाज़ सुनकर मेरी कच्ची नींद पूरी तरह से खुल गई और 5 मिनट बाद बस स्टैंड पर पहुंचकर बस खाली होने लगी.
मैंने बस से नीचे उतर कर संदीप को फोन लगाया तो उसने सेकेण्ड्स में ही फोन उठा लिया जैसे मेरे ही फोन का इंतज़ार कर रहा हो.
मैंने कहा- संदीप भाई, मैं हिसार पहुंच गया हूँ. आपने कहा था कि आप मुझे यहाँ से रवि के गांव में ले जाओगे.
संदीप ने कहा- तू वहीं पर रुक, मैं अभी आता हूँ तुझे लेने.
कह कर उसने फोन रख दिया और मैं वहीं पर संदीप का इंतज़ार करने लगा.
मुझे हिसार के जाखोद खेड़ा गाँव में जाना था जैसा कि रवि ने मौसी को उस कागज़ पर लिख कर दिया था.
शाम का समय हो रहा था और लंबे सफर के बाद मुझे काफी थकान महसूस हो रही थी, मैंने बस अड्डे पर बने एक स्टॉल पर जाकर चाय बनवा ली. चाय पीकर थोड़ी थकान दूर हुई.
मैंने आसमान की तरफ देखा तो गर्मियों की शाम लाल रोशनी की चादर ओढ़े हुए आसमान को अपने आगोश में लेती हुई दिखाई दे रही थी.
मैं वहीं पर बैठकर ढलते सूरज को देखता हुआ रवि से मिलने के हसीन सपने बुनने लगा था. रवि के साथ ये मेरी दूसरी सुहागरात होगी. उसके जिस्म के हर एक रोम को चूमने का ख्वाब मेरी आँखों में था. और साथ ही उसके साथ बिताए गए लम्हों की यादें एक बार फिर से मेरी आँखों के सामने तैरने लगीं जब मैंने उसको पहली बार देखा था, उसके मर्दाना जिस्म की तरफ मेरा इतना आकर्षित हो जाना… रात में उसके लंड का अमृत पीना… उसकी कातिल मुस्कानें… उसकी भरी-भरी मोटी मांसल जांघों में फंसती उसकी पैंट में बनता लंड का उभार… उसकी मोटी बालों भरी गांड को चाटना… उसके लंड को अपनी गांड के अंदर समाते हुए उससे जुड़ने का अहसास… और नशीले होठों की नमी और उसके मर्दाना जिस्म से आती मदमस्त करने वाली मर्दों की खुशबू को अपनी सांसों में भरना… उसके मर्दाना गांड की चुदाई के बाद उसके लंड से निकले गर्म लावा को अपनी गांड में महसूस करने का सुखद अहसास और उसका थक कर मेरे सीने के ऊपर गिर जाना.
अचानक फोन की वाइब्रेशन के साथ मेरी खुली आँखों में चल रहा उसके प्यार का सपना टूटा और फोन बजने लगा. फोन की स्क्रीन पर संदीप का नंबर फ्लैश हो रहा था, मैंने फोन उठा कर पूछा-
हाँ संदीप भैया, कहाँ हो आप?
संदीप- मैं यहीं बस स्टैंड के एक्जिट पर बाइक लेकर खडा़ हूँ, तू बाहर निकल आ!
मैंने कहा- ठीक है आता हूँ!
मैं जल्दी से चलकर बस स्टैंड से बाहर जाने वाले रास्ते से मेन रोड पर आ गया और सामने पल्सर बाइक पर संदीप हेल्मेट हाथ में लिए मेरा इंतज़ार कर रहा था. वो बाइक के साथ अपनी गांड लगाकर खड़ा हुआ था, उसने दोनों हाथ छाती के पास लाकर बांध रखे थे और उसकी खाकी पैंट में से उसका मोटा सा सोया हुआ सा लंड अलग से दिख रहा था जो आधी सोई हुई अवस्था में मालूम हो रहा था. उसने छाती पर सी ग्रीन रंग की हल्के शेड वाली शर्ट पहनी हुई थी जिसका ऊपर वाला बटन खुला हुआ था. उसके चौड़े कंधों पर फंसी हुई शर्ट उसके डोलों पर आकर और फंस गई थी.
इस पोज़ में खड़ा हुआ संदीप बहुत ही सेक्सी लग रहा था लेकिन मैंने दिल को रोका और कहा- मैं सिर्फ रवि का हूँ और उसी का रहूँगा!
यह सोचकर मैंने उसके बदन से ध्यान हटाया और रोड के पार दूसरी तरफ उसके पास जाकर बोला- थैंक्यू भैया, आप मेरी हेल्प करने के लिए यहाँ तक आए.
उसने कहा- कोई बात नहीं लाडले, चल बाइक पर बैठ तुझे तेरे रवि के पास पहुंचा देता हूँ. बता कौन से गांव जाना है तुझे?
मैंने कहा- जाखोद खेड़ा!
उसने कहा- ठीक है, बैठ पीछे जल्दी!
कह कर उसने हेल्मेट पहना और अपनी भारी भरकम दाहिनी जांघ को घुमाते हुए अपनी मोटी गांड को बाइक सीट पर टिका दिया. उसके वज़न के नीचे बाइक भी दबी हुई महसूस हो रही थी. मैं भी झट से बाइक पर बैठ गया और बाइक स्टार्ट करके हम निकल पड़े.
मैंने पूछा- रवि का गांव कितनी दूर है?
तो उसने कहा- ज्यादा दूर नहीं है बस 20 किलोमीटर के आस पास है यहाँ से.
मैं खुश हो गया कि आज रात रवि के साथ दूसरी सुहागरात मनाने की घड़ी नज़दीक आ रही है.
शहर से बाहर निकल कर उसने बाइक की स्पीड बढ़ा दी और बाइक हवा से बातें करने लगी लेकिन जब भी स्पीड ब्रेकर आता मैं एक फीट तक ऊपर उछल जाता और बड़ी मुश्किल से बैलेंस संभालता.
संदीप ने कहा- मुझे अच्छी तरह पकड़ ले नहीं तो नीचे गिर जाएगा.
मैंने दोनों तरफ से संदीप की कमर को घेरते हुए सामने उसके पेट पर हाथ बांध लिए.
वो बोला- क्या कर रहा है, मुझे गुदगुदी हो रही है…ज़रा नीचे से पकड़!
मैंने हाथ उसकी पैंट के हुक पर लाकर बांध लिए.
उसने कहा- यहाँ भी गुदगुदी हो रही है, तू एक काम कर मेरी जांघों पर हाथ रख ले.
मैंने उसकी मोटी कसी हुई जांघों पर हाथ रख दिए और उसने बाइक की स्पीड और तेज कर दी. जब भी स्पीड ब्रेकर आता..मेरे हाथ उसकी जांघों पर फिसल जाते और मेरी पकड़ उसकी जांघों के बीच में बने लंड के एरिया के पास जाकर मजबूत हो जाती. ऐसा करते हुए कई बार तो मेरा लेफ्ट हैंड उसके लंड को टच कर चुका था. और दो-तीन बार ऐसा होने के बाद उसका लौड़ा एक तरफ पैंट में तनकर बड़ा हो चुका था.
अब जब भी हल्का सा ब्रेक लगता, मेरी उंगलियाँ उसके लंड के ऊपर जाकर उसके डंडे को पकड़ लेती. उसकी वासना बढ़ने लगी और उसकी जांघें थोड़ा खुल गई और कमर मेरी तरफ पीछे झुकने लगी.
जैसे-जैसे उसके लंड का तनाव पूरा होता गया उसकी जांघें और चौड़ी होकर मेरे पूरे हाथ को उसके लंड पर ले जाने लगीं.
मैंने हाथ हटाना चाहा तो वो बोला- क्या हुआ? पकड़ ले ना डंडा… तुझे गिरने नहीं देगा ये!
मैंने कहा- भैया, आप गलत मत समझना लेकिन मेरे मन में अब ऐसा कुछ नहीं है.
वो बोला- कोई बात नहीं… मैं कौन सा अपना लंड तुझे मुंह में लेने को कह रहा हूँ. जब तक बाइक पर बैठा है तब तक तो आराम से पकड़ ले.
अनजान रास्ता और अनजान शहर होने के कारण मेरे पास कोई और चारा नहीं था. और रात भी होने लगी थी इसलिए ना चाहते हुए भी मुझे उसका तना हुआ लंड उसकी पैंट के ऊपर पकड़ना पड़ा.
उसके खड़े लंड को मेरे नर्म हाथों ने पूरी तरह कवर कर लिया और उसके मुंह से कामुक सिसकारियाँ निकलने लगीं, वो बोला- हाय रै लड़के… तू तो छोरी तै भी फालतू सुवाद दे देगा… (हाय रे लड़के… तू तो लड़की से भी ज्यादा मज़ा दे देगा)
कह कर वो बाइक पर थोड़ा आगे पीछे होने लगा जिससे मेरा हाथ उसके लंड पर रगड़ मारने लगा.
मैंने पूछा- कितनी दूर है अभी रवि का गांव?
तो वो बोला- बस दस मिनट में पहुंच जाएंगे, तू अपना काम करता रह!
रात का अंधेरा घिर आया था और रोड पर वाहनों की लाइटें जलनें लगी थीं, मेरा मन थोड़ा घबरा रहा था लेकिन सोचा कि दस मिनट की ही तो बात है, एक बार रवि के पास पहुंच जाऊँ, फिर सब ठीक हो जाएगा.
बाइक अंधेरी सड़क पर दौड़ती जा रही थी और संदीप के लंड में तूफान उछाले मार रहा था. तभी मेरी नज़र सामने के ग्रीन साइन बोर्ड पर पड़ी जिस पर लिखा था ‘जाखोद खेड़ा- 10 किलोमीटर और साथ में एक और नाम था नेवली खुर्द- 5 किलोमीटर’
साइन बोर्ड देखकर मेरी जान में जान आई, मैंने सोचा कि हम पहुंचने वाले हैं. और मैं खुश हो गया.
मैंने पूछा- संदीप भैया, हम पहुंचने वाले हैं न?
संदीप ने कोई जवाब नहीं दिया, मैंने सोचा शायद हवा के शोर में उनको सुनाई नहीं दिया.
मैंने उसके लंड को पकड़ कर रगड़ना जारी रखा और लगभग 2 किलोमीटर के बाद बाइक ने सीधे जाखोद खेड़ा का रोड छोड़कर दाहिने हाथ की तरफ नेवली खुर्द गांव की तरफ कट मार दिया और हम रात के अंधेरे में सुनसान गांव की तरफ अंधेरे में गुम हो गए.
गांड की चुदाई की कहानी जारी रहेगी.
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