गे सेक्स में मैं कैसे बॉटम बन गया
(Meri Gand Chudai Story)
मेरी गांड चुदाई स्टोरी में पढ़ें कि मैं चिकना हूँ, मेरा रंग गोरा है, सभी लोग मेरी चुम्मी लेते रहते थे. मुझे भी अच्छा लगता था. तब से मुझे जवाँ मर्द पसंद आने लगे थे.
नमस्ते दोस्तो, कैसे हो आप लोग? मैं नक्श एक बार फिर से एक नयी सेक्स कहानी के साथ हाजिर हूं.
मेरी पिछली मेरी गांड चुदाई स्टोरी थी: चाचा जी के लंगोट का कमाल
हर बार की तरह शुरूआत करने से पहले मैं आप सभी पाठकों का दिल से शुक्रिया करता हूं कि आप लोगों की ओर से मुझे मेरी पिछली प्रकाशित कहानियों के लिए इतना अधिक प्यार मिला है.
साथ ही मैं उन पाठकों से क्षमा भी मांगता हूं, जिनके मैसेज का मैं किसी कारण से रिप्लाई नहीं कर पाया हूं.
यहां से मुझे कुछ ऐसे दोस्त मिले, जिन्होंने अपने अलग अलग तरह के कई किस्से साझा किए.
उन्हीं में से एक किस्सा में आप लोगों के साथ साझा कर रहा हूँ.
ये सेक्स कहानी मेरी नहीं है तो मैं अपने उसी दोस्त के शब्दों में बयान कर रहा हूँ.
मेरा नाम अंश है और ये मेरी पहली कहानी है. अगर कोई गलती हो, तो माफ़ कर दीजिएगा. ये मेरी गांड चुदाई स्टोरी मेरे जीवन की सच्ची कहानी है.
मैं बहुत सुंदर दिखता हूं, ऐसा मैं नहीं, सब लोग मुझसे कहते हैं.
जब मैं जवानी में आया आया ही था, तब से ही मुझे भरे पूरे मर्द पसंद आने लगे थे. उन मर्दों की चौड़ी छाती, फड़कते बाजु और पैंट के पास का फूला हुआ हिस्सा मुझे बेहद गर्म कर देते थे.
जब लड़के मुझे छेड़ते थे तो मुझे काफी अच्छा लगता था.
मेरा रंग गोरा है तो सभी लोग मेरी किस लेते रहते थे. कभी माथे पर तो कभी गाल पर … और मुझे भी अच्छा लगता था.
खासकर जब कोई मर्द किस्म का बंदा मुझे किस करता था.
समय के साथ साथ मुझे भी धीरे धीरे सब बातों की जानकारी हो ही गई थी. इसलिए मैंने मुट्ठ मारना भी शुरू कर दिया था.
सब कुछ अच्छा चल रहा था.
कि एक दिन मेरे परिवार वाले तीर्थ स्थल दर्शन के लिए गये. घर के सभी लोग 4 दिन के लिए बाहर गए थे.
चूंकि मेरे पेट में दर्द था और घर पर किसी और का रहना भी जरूरी था इसलिए मैंने घर पर रहने का फैसला कर लिया था.
जिस दिन वो सब गए, उस समय पहला दिन तो अच्छा गया.
लेकिन अगले दिन मैंने देखा कि पानी टंकी खाली है.
मैं सोच में पड़ गया कि पानी कहां गया.
मैंने बाथरूम में जाकर देखा तो पता चला कि नल खराब हो गया था इसलिए सारा पानी रात भर में टपक गया.
मैंने मम्मी को फोन लगाया तो उन्होंने कहा- आकाश को बुला ले, वो सही कर जाएगा.
आकाश के बारे मैं आपको बता दूँ, वो करीब 25 साल का था. उस समय शादी नहीं हुई थी.
वो दिखने में ज्यादा अच्छा तो नहीं, पर ठीक था. रंग काला था और हाईट भी कुछ खास नहीं थी. लेकिन उसकी अदा फिर भी कातिलाना थी.
उसने ये काम सीखा हुआ था इसलिए मैंने उसे बुला लिया.
उसके घर और मेरे घर के बीच में सिर्फ एक ही घर है.
वो आया और उसने नल ठीक किया.
फिर उसने पूछा- मेरा ईनाम कहां है?
मैंने पूछा- बोलो कितने पैसे हुए!
उसने कहा- पागल हो क्या यार … तुझसे पैसे लूंगा. बस 5-6 किस दे दे.
क्योंकि मुझे भी ये सब पसंद था तो मैंने कहा- क्या भैया आप भी!
उसने कहा- देख ले तेरा मन हो तो चुम्मी ले लेने दे.
मैंने कहा- ठीक है.
मुझे सच में लगा था कि वो गाल पर किस करेगा … क्योंकि लड़के भी लिप किस करते हैं, तब तक मुझे ये बात नहीं पता थी.
वो मेरे पास आया और मुझे बांहों में भर कर मेरे होंठों पर होंठ रख दिए.
ये मेरा पहला अनुभव था … पहले तो मुझे बहुत अजीब सा लगा लेकिन फिर उसमें मुझे मज़ा आने लगा.
कुछ देर बाद वो बोला- अब मुझे जाना है … बाकी की किस शाम को कर लूंगा.
ये कहकर वो चला गया.
मैं दिन भर सोचता रहा कि ये क्या हुआ.
मैंने अपने सारे काम किए.
वो शाम को 4 बजे आने की कह गया था.
मेरा सारे दिन किसी काम में मन नहीं लग रहा था. मैं बस आकाश का इंतज़ार करता रहा.
शाम को चार बज गए थे मगर आकाश का कहीं कोई अता-पता ही नहीं था.
मैंने एक दो बार सोचा कि उसे फोन करूं, मगर न जाने क्या सोच कर मैं रह गया.
करीब 5 बजे वो मेरे पास आया, तो मैंने उससे पूछा- क्या हुआ भैया, आप लेट हो गए?
उसने कहा- हां यार, मेरा कुछ काम रह गया था.
मैंने जानपूछ कर बोला- भैया आप सुबह कुछ कह रहे थे.
वो मेरे पास आया और बोला- हां, अधूरा काम फिर से पूरा कर लेता हूँ.
उसने फिर से मेरे होंठों पर होंठ रख दिए और मुझे चूमने लगा.
मुझे असीम आनन्द मिलने लगा.
वो दो मिनट तक किस करता रहा.
फिर उसने कहा- ये कैसा लगा?
मैंने कुछ नहीं कहा.
उसने एक दो बार मुझे ऐसे ही फिर से किस किया.
अब वो मेरे मुँह में जीभ डालने लगा था.
मैंने भी उसकी देखा देखी अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी.
हम दोनों ऐसे ही किस करते रहे.
फिर उसने पूछा- क्या तुझे अच्छा लग रहा है?
मैंने नशीली आवाज में कहा- हां.
वो बोला- अगर मैं ऐसे ही तेरे चूचों पर करूं … तो तुझे अच्छा लगेगा!
मैंने उसे मना कर दिया.
उसने कहा- एक बार करवा के देख ले … अगर पसंद ना आए, तो बताना.
मेरे कुछ ना कहने पर उसने बड़े प्यार से मेरी टी-शर्ट उतारी और मेरे दोनों निप्पलों को बारी बारी से चूसने लगा.
मुझे अजीब सा मजा आने लगा और बहुत अच्छा लग रहा था.
मेरा मन कर रहा था कि वो मेरे निप्पलों को यूं ही चूसता रहे बस!
आकाश ने बड़े आराम से मेरे दोनों निप्पलों को प्यार से चूसा.
कभी वो एक निप्पल को अपने मुँह में लेता … तो दूसरे को अपनी उंगलियों में दबा कर मींज देता.
मैं भी गर्म हो गया और उसके सर को जोर से पकड़ कर अपनी चूचियों पर दबाने लगा.
उस दिन के बाद से आज तक मुझे अपने निप्पल चुसवाना सबसे मस्त लगता है.
आकाश ने दस मिनट तक मेरे दोनों निप्पलों को चूसा.
फिर उसने मेरी आंखों में आंखें डाल कर कहा- मजा आया हो तो और मज़ा दूँ!
मैंने पूछा- कैसे?
उसने कहा- जैसे जीभ मैंने तेरे मुँह में डाली, निप्पल पर घुमाई, ऐसे ही अगर तेरी गांड के छेद पर लगाऊंगा तो तुझे बहुत मजा आएगा.
मैंने कहा- पागल हो गए हो क्या … वो गंदी जगह है, तुम वहां मुँह लगाओगे … छी:!
उसने कहा- मुँह मेरा गंदा होगा मगर तुझे मजा आएगा … तू चिंता मत कर!
मैंने उससे कहा- मैं उसके बाद तुम्हें होंठों से किस नहीं करूंगा, चाहे जो भी हो.
मन में मैंने सोचा कि इसका मुँह गंदा होगा … मुझे क्या … गांड चुसवा कर भी देख लेता हूँ.
उसने मेरी हां देख कर मेरे कपड़े निकाले और मेरे दोनों निप्पल दबाते हुए गांड चाटने लगा.
पहले पहल तो मुझे गुदगुदी हुई … फिर मजा आने लगा तो मैंने अपनी गांड के छेद को ढीला छोड़ दिया.
आकाश अब मेरी गांड में जीभ डाल कर कुरेदने लगा.
अब मेरा भी धीरे धीरे छेद ढीला हो गया तो उसने पूरी जीभ गांड के अन्दर डालना शुरू कर दी.
मैं मजे से पागल हो रहा था.
उसकी हल्की हल्की दाढ़ी मेरी गांड के बाहर चुभ ही थी जिससे मुझे बेहद मज़ा आ रहा था.
उसने काफी देर तक ऐसा किया, फिर उसने धीरे धीरे एक उंगली मेरी गांड के छेद के अन्दर डालना शुरू की.
शुरू में तो मुझे हल्का सा दर्द हुआ, पर उंगली आराम से अन्दर चली गई.
वो उंगली से मेरी गांड मारने लगा तो मुझे और भी ज्यादा मजा आने लगा था. वो बाहर से मेरी गांड चाट रहा था और उंगली अन्दर बाहर करने में लगा था.
कुछ देर बाद वो हट गया.
मैंने कहा- क्या हुआ?
उसने कहा- तुझे अच्छा लग रहा हो तो मैं आगे कुछ और करूं.
मैं शर्माने लगा, तो उसने कहा- दो उंगलियों से करवाने में और ज्यादा मजा आएगा.
मैंने कहा- क्या दर्द होगा?
वो बोला- देख ले … मैंने अभी तक जो किया, उसमें तुझे मजा ही आया है. अब आगे भी आएगा … बाकी तेरी मर्जी.
मैंने कहा- ठीक है.
वो बोला- ओके पहले तू तेल लेकर आ.
मैं तेल की शीशी लेकर आया.
उसने मेरी गांड पर एक उंगली से तेल लगाया और मुझे पीठ के बल बेड पर लिटा दिया.
फिर वो बोला- अब तू आंख बंद कर ले … मजा आएगा.
मैं अपनी गांड खोल कर लेट गया.
उसने मेरी टांगें उठा कर मेरी छाती पर कर दीं और बोला कि टांगें यूं ही किये रहना.
मैंने अपने हाथों से अपनी टांगें पकड़ लीं और गांड खोल दी.
आकाश में अपनी उंगली पर तेल लगाया और धीरे धीरे करके मेरी गांड में अपनी दोनों उंगलियां अन्दर डाल दीं.
वो एक हाथ से तेल की शीशी से गांड के छेद पर तेल टपकाते हुए अपनी दोनों उंगलियों को गांड के अन्दर बाहर करने लगा.
मेरी आंखें मजे में बंद हो गई थीं और मैं उसकी उंगलियों से अपनी गांड की खुजली को शांत करवाते आनन्द ल रहा था.
दो मिनट बाद उसने उंगलियां बाहर निकाल लीं.
तो मुझे लगा कि ये अभी और तेल लगा रहा होगा.
पर अचानक से मुझे लगा कि किसी ने मेरी गांड में लोहे की गरम रॉड डाल दी हो.
मुझे तेज दर्द हुआ तो मेरी आंखें खुल गईं.
मेरे मुँह से जोर से आवाज निकली और मैंने देखा कि उसने अपना पूरा लंड एक ही झटके में मेरी गांड में अन्दर कर दिया था.
मैंने उसको हटाना चाहा तो उसने और जोर से लंड अन्दर को दबा दिया.
उसे मैं नहीं हटा सका. मेरा शरीर एकदम से ढीला पड़ गया था और मेरी आंख दर्द से बंद होने लगी थीं. मैं बेहोश सा हो गया था.
वो मुझे धकापेल चोदता रहा.
मुझे कुछ होश ही नहीं था.
जब मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि रात के 10 बज रहे थे.
मैंने करवट लेने की कोशिश की तो मुझसे हिला ही नहीं जा रहा था. मैं बेहद कमजोर महसूस कर रहा था. मेरे बितर पर मेरी गांड फट जाने का सबूत खून लगा हुआ था.
जब मैंने नज़र घुमाई तो देखा वो मेरे पास में ही कुर्सी पर बैठा हुआ था.
मैंने उसे बहुत बुरा भला कहा और घर से निकल जाने को कहा.
उसने कहा- ठीक है, मैं चला जाऊंगा … लेकिन मुझे अपनी मदद करने दे.
मैंने मना किया लेकिन उसने मुझे उठाया और बाथरूम में ले गया. उधर उसने मुझे नहलाया, साफ किया और वापस कमरे में लाकर बेड पर लिटा दिया.
फिर उसने मेरे लिए खाना मंगा कर रखा था, वो खिलाया.
उसी समय मम्मी का फोन आया.
मैंने फोन उठाया तो मम्मी बोलीं- आकाश से फोन करके कह देना कि रात में वो तेरे पास ही सो जाए.
मैंने मना किया, तो उन्होंने मुझे डांट कर फोन रख दिया.
बाद में मुझे पता चला कि उसने मम्मी को फोन करके कह दिया था कि मेरे पेट में आज बहुत दर्द है और फीवर भी है इसलिए मम्मी ने उसे रुक जाने को कहा था.
खाना खाने के बाद मैं ऐसे ही लेटा रहा.
मैंने कपड़े नहीं पहने थे, मुझसे उठा नहीं जा रहा था.
मेरी गांड से थोड़ा थोड़ा खून अभी भी बाहर आ रहा था.
रात के करीब 12 बज गए थे.
मैंने बिस्तर की चादर नहीं बदली औऱ ना ही उठकर बदलने की हिम्मत हो रही थी.
बस मैं किसी तरह से सोने की कोशिश करने में लगा था.
कुछ देर बाद … ना चाहते हुए भी मुझे उसको बताना पड़ा कि मुझे बेहद दर्द हो रहा है.
उसने पूछा- कहां पर?
मैंने गांड की तरफ इशारा किया तो वो बोला कि उधर दवाई लगानी पड़ेगी.
तो मैंने कहा- लगा दो.
वो बोला- गांड के अन्दर से खून आया है … तो दवाई भी गांड के अन्दर ही लगेगी.
मेरे पास कोई औऱ चारा भी नहीं था तो मैंने कहा- ठीक है.
उसने अपना पैंट खोल लिया.
ये पहली बार था जब मैंने अच्छे से उसका लंड देखा था … उसका 6 इंच का काला मोटा लंड देख कर मैं सोचने लगा कि मैंने इस मोटे लंड को अन्दर कैसे ले लिया है.
उसने पहले अपने लंड पर दवाई लगाई.
मैं अपने ख्यालों से बाहर आया तो मैंने उससे कहा- ये क्या कर रहे हो?
वो बोला- दवाई अन्दर लगानी है, तो ये अन्दर जाकर दवाई लगाएगा.
मैंने उससे कहा- नहीं मुझे नहीं लगवानी.
उसने लंड सहलाते हुए कहा- यार मान जा … अब जो होना था सो हो गया. मुझे सच में बहुत दुख है कि मेरी वजह से तू इतना दर्द सहन कर रहा है. अब मुझे मदद करने दे.
मुझे पता नहीं क्यों, उसकी बातों में सच्चाई लगी.
मैंने ओके कहा तो उसने धीरे धीरे लंड डालना शुरू किया.
मुझे और ज्यादा दर्द होने लगा, मैंने उससे मना किया तो वो बोला- यार चोट पर दवाई लगाते हैं. तो थोड़ा दर्द तो होता ही है … तू बस सहन कर ले.
मैं कुछ नहीं बोला.
उसने धीरे धीरे करके पूरा लंड मेरी गांड के अन्दर कर दिया और अन्दर बाहर करने लगा.
इस बार मुझे भी थोड़ा मज़ा आने लगा था.
मैंने कहा- अब ये क्या कर रहे हो?
वो बोला- अच्छे से दवाई मल रहा हूं.
मेरी समझ में आ गया था कि ये मेरी गांड मार रहा है और कुछ नहीं.
उस समय तक मुझे कुछ चीजों की जानकारी हो गई थी.
एक-दो बार पोर्न भी देखा था और गांड मारने की बातें भी सुनी थीं, पर कभी लड़के के बारे में नहीं सुना था … और ना ही पोर्न में किसी लड़के की गांड चुदाई देखी थी.
उसने मुझे 10 मिनट तक अलग अलग तरीके से चोदा और अपना माल मेरे अन्दर ही छोड़ दिया.
वो गर्मागर्म माल मेरी गांड में काफी राहत दे रहा था.
मेरी गांड अब दुखनी भी बंद हो गयी थी. अब मुझे उससे कोई शिकायत नहीं थी.
मैं गांड मरवा कर नंगा ही सो गया. आकाश भी नंगा ही मुझसे चिपक कर सो गया.
अगले दिन सुबह जागकर उसने फिर से उसी तरह से मेरी गांड में दवाई लगाई और शाम को भी.
आकाश ने हर बार अपना माल मेरी गांड में डाला.
फिर आखिरी के दिन भी उसने सुबह लगाई और शाम को मेरे घर वाले आ गए.
मेरी उसके बाद कभी हिम्मत नहीं हुई उससे कहने की … और उसकी भी नहीं हुई.
या कह लो उसे सही जगह और समय नहीं मिला.
उसने मेरी 5 बार गांड चुदाई की थी जो मुझे अभी तक याद है.
हालांकि इसके बाद मैंने कई मर्तबा अपनी गांड में बड़े बड़े लंड लिए हैं मगर जब तक आपकी पसंद मालूम नहीं होगी, मेरा उन देसी गे सेक्स कहानियों को लिखना बेमानी होगा.
हैलो दोस्तो, मैं नक्श … पुन: आपसे मुखातिब हूँ. इस देसी गे सेक्स कहानी के लेखक के आग्रह पर मैंने इसमें कोई बदलाव नहीं किए हैं. मुझे उम्मीद है कि आप लोगों को ये सच्ची गे सेक्स कहानी पसंद आई होगी.
अगर आप चाहते हैं कि मैं अपनी या उस दोस्त की ऐसी ही और मस्त देसी सेक्स कहानियां लिखूँ, तो प्लीज़ आप मेरी गांड चुदाई स्टोरी पर अपने विचार जरूर बताइएगा. मुझे आपके कमेंट्स का इंतज़ार रहेगा.
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