मेरा भाई गान्डू है, दोस्त का लन्ड लेता है -2

(Mera Bhai Gandu Hai, Dost Ka Lund Leta Hai -2)

मेरा भाई गान्डू है, दोस्त का लन्ड लेता है -1
अब तक आपने पढ़ा..
राजेश ने मेरी गाण्ड के छेद की चुम्मी लेते हुए कहा- ताकि मेरे जैसे गाण्ड के दीवानों का काम बन जाए। मैं तो बस अब सिर्फ तुम्हारी गाण्ड मारने के लिए ही अपना लौड़ा यूज करूँगा।
मैंने कहा- मैं भी अब बस तुमसे ही अपनी गाण्ड मरवाऊँगी.. लेकिन तुम्हारी बीवी का क्या होगा..?
उसने कहा- वह काफी अच्छी है और खूब गरम भी है। फिर भी मुझे उसके साथ सेक्स में कोई ख़ास मजा नहीं आता और मैं जल्दी झड़ जाता हूँ। तुम चाहो तो मेरी बीवी को चोद सकते हो।
मैंने हैरानी से कहा- यह तुम क्या कह रहे हो..?

अब आगे..

मैंने हैरानी से कहा- यह तुम क्या कह रहे हो? लेकिन मैं अपनी बीवी को किसी और मर्द को चोदने नहीं दूँगा।
राजेश बोला- मुझे भी वैसी कोई इच्छा नहीं है। मैंने कहा ना.. अब मैं बस सिर्फ तुम्हें ही चोदूंगा और तुम मेरी बीवी की हवस मिटाना।

मैंने धीरे से पूछा- क्या वो इसके लिए तैयार होगी?
उसने कहा- अरे.. वो तो पॉर्न की बहुत शौक़ीन है.. और उसे तिकड़ी का सेक्स देखने में मजा आता है.. वो तो मुझे ऐसे सेक्स की फ़िल्म देखने के लिए प्रोत्साहित करती है। कहो तो एक दिन हम तीनों वैसे सेक्स की आजमाइश करें.. उसकी तरफ से टेंशन मत लेना.. मैं बातों-बातों में उसे पटा लूँगा। लेकिन मेरी रानी.. अब तुम्हारा लण्ड लुल्ल हो चुका है और यही मौका है कि अब बस तुम्हारी गाण्ड बड़े प्यार से मारी जाए।

मैं फ़ौरन उलटी लेट गई और अपने चूतड़ फैलाते हुए बोली- लो.. तुमने तो मेरी गाण्ड को चाट-चाट कर उसे तर कर ही दिया है.. और अब वह तुम्हारा यह मोटा तगड़ा लौड़ा अपने भीतर समा लेने के लिए उतावली हो गई है.. तो अब देरी किस बात की? आओ मेरे ऊपर चढ़ जाओ.. किसी घोड़े की तरह जोर से घुसेड़ दो अपना लौड़ा मेरी गाण्ड में..

उसने अपना लौड़ा मेरी गाण्ड के छेद पर टिकाया और एक ही झटके में आधे से ज्यादा अन्दर घुसेड़ दिया और मेरी कमर कस कर पकड़ कर फिर और एक धक्का मार कर अपना लौड़ा पूरा का पूरा मेरी गाण्ड में ठूंस दिया। मैं कुछ कराही.. लेकिन खुद अपनी गाण्ड पीछे धकेल कर उसके लौड़े को ज्यादा से ज्यादा अपने अन्दर लेने लगी।

बस फिर क्या था.. राजेश मुझे गपागप चोदने लगा और मेरी गाण्ड ‘फ़चाफ़च..’ का आवाज निकाल कर उसके लौड़े का मज़ा लेने लगी।

अब तो हम दोनों रोज रात को एक-दूसरे की बाँहों में नंगे ही सो जाते और राजेश रोज रात को कम से कम दो बार मेरी गाण्ड मारता। रोज सुबह जागने पर मैं उसका लौड़ा अपने हाथों से धोती और उसको बहुत प्यार से चूमती और चूसती भी..

जब राजेश के जाने का दिन आ गया तो मुझे रोना आ गया.. मैंने कहा- अब तो मेरी गाण्ड प्यासी ही रहेगी।
उसका मुँह भी उतर गया।

लेकिन भगवान ने जैसे हमारी इच्छा सुन ली और राजेश की पोस्टिंग झाँसी में ही हो गई और उसे मेरे घर के पास का ही मकान रहने के लिए मिल गया, कुछ ही दिनों में मेरी और उसकी बीवी एक-दूसरे की सहेलियां बन गईं, हम लोगों का एक-दूसरे के यहाँ आना-जाना शुरू हो गया।

मैंने सोचा कि अपनी वाइफ को सच-सच बता देना ठीक रहेगा.. वह मुझसे बहुत प्यार करती है और मैं भी उससे बहुत प्यार करता हूँ।

एक दिन मैंने बड़ा साहस जुटा कर उससे कहा- रानी.. मेरे में कुछ कमी है या यह कोई भगवान की इच्छा है.. मैं नहीं कह सकता।
उसने कहा- जो भी है.. साफ-साफ कहो।
मैंने कहा- मैं शायद समलिंगी हूँ।
‘क्या?’

‘हाँ.. तुम जब मायके गई थीं.. उस वक्त राजेश अपने यहाँ रहा था।’
‘मुझे मालूम है.. तो फिर?’
‘मेरा मन उस पर आ गया।’
‘मतलब?’

‘उसके साथ सेक्स करने की इच्छा हुई।’
‘उसका क्या रिएक्शन था?’
‘सच कहूँ.. तो वो मुझ पर हॉस्टल के दिनों से ही मरता है।’

उसने हँस कर कहा- तुम तो अभी भी चिकने दिखते हो.. कोई तुम्हारी उम्र का अंदाजा नहीं लगा सकता और मुझे मालूम है कि तुम्हारे कूल्हे मेरे कूल्हों से भी ज्यादा गोल और गदराए हुए है.. बिल्कुल किसी हसीन औरत की तरह..
मैंने हैरानी से कहा- यह तुम क्या कह रही हो? क्या तुम्हें वाकयी में ऐसा लगता है?

उसने मेरी गाण्ड की चिकोटी काटते हुए कहा- हाँ.. मेरे राजा.. तुम पर कोई मर्द फिदा हो जाए तो उसमें कोई आश्चर्य नहीं.. शायद हॉस्टल में तुम्हारे साथी तुम पर मरते होंगे और उनमें से ही एक राजेश होगा। उन लड़कों के इशारों से तुम्हारे मन में भी अपने इस अलग सी खूबसूरती का एहसास जाग उठता होगा।

मैं उसकी बातों से हैरान हो गया और उसे बाँहों में ले कर कहा- तुम तो कितनी गहराई से सोचती हो और कितनी समझदार हो.. इसी लिए तो मैं तुमसे इस तरह की बात कर सकता हूँ। हाँ.. तुम ने सही कहा.. शायद उसी वक्त मेरे मन में भी वैसे विचार आ गए थे.. लेकिन मैंने उन्हें अन्दर ही दबाए रखा.. परन्तु अब राजेश की नजदीकी से वे विचार फिर जाग से गए।

उसने हँस कर कहा- कहीं वास्तव में किया तो नहीं ना?
मैंने कहा- मान लो.. अगर मैं उसके साथ ऐसा संबंध रखूँ तो?

वह चुप हो गई और मेरा कलेजा धड़कने लगा.. न जाने उसका रिएक्शन क्या होगा..

उसने कहा- अगर बिल्कुल सीक्रेट में ऐसा करते हो.. तो मुझे कोई हर्ज नहीं.. क्योंकि मैं तुम्हें हर तरह से खुश देखना चाहती हूँ.. मुझे तो तुमसे सेक्स का पूरा मजा मिलता ही है। फिर अगर तुम्हें ऐसी प्यास है.. तो उसे बुझा लो.. नहीं तो तुम अन्दर ही अन्दर घुटन महसूस करते रहोगे। क्योंकि राजेश तो अब पास में ही रहता है और अब मुझे तुम दोनों की आँखों में जो बातें होती है उसका मतलब समझ में आ रहा है।

‘क्या कहा?’ मैंने हैरानी से पूछा।

‘जी हाँ.. मैं तुम पर नजर रखती हूँ.. ज़नाब.. और एक वक्त तो मैंने यह भी देखा था कि जब तुम राजेश के बिल्कुल बगल में बैठे थे। वह कुरता-पजामा पहने हुए था और उसका कुरता थोड़ा ऊपर खिसक गया था। उसी वक्त उसका ‘वो’ खड़ा हो गया था और वह धीरे-धीरे तुम्हारी पीठ सहला रहा था। उसकी वाइफ शीला ने भी यह महसूस किया और वह मेरी ओर देखने लगी कि मेरा क्या रिएक्शन है.. लेकिन मैंने जाहिर नहीं होने दिया। सही कहूँ तो शीला का दिल तुम पर आ गया है और वह बातों-बातों में तुम्हारे बारे में पूछती रहती है।’

‘हे भगवान.. यह सब क्या चक्कर है?’ सोचते ही मुझे चक्कर सा आने लगा है।
इतना कह कर वह हँस दी।

मैंने आगे पूछा- सच बताओ.. शीला ने उस दिन के बारे में कुछ नहीं कहा?
वो थोड़ा सोच कर बोली- हाँ.. उसने कहा था कि शायद राजेश तुम्हारे प्रवीण को ज्यादा ही लाइक करता है। तुम्हें हैरानी तो नहीं हुई ना? तब मैंने अनजान बन कर उससे कहा कि किस बात पर? तो उसने कहा कि बस भी करो.. मोना.. तुमने भी तो देखा था।

जब मैंने कहा- तुम साफ-साफ बताओ..
तो उसने कहा- ठीक है.. तुम्हें सब कुछ खुल कर सुनना है.. तो सुनो.. राजेश का लौड़ा उस वक़्त कैसा तन गया था.. पजामे में साँप जैसे लहरा रहा था। वह भी सिर्फ प्रवीण को छूने भर से। अगर हम दोनों वहाँ नहीं होती तो?
मैंने उसे बीच में ही टोका- तो क्या होता?

वह बोली- तो क्या.. शायद राजेश प्रवीण पर चढ़ जाता।
मैंने मुस्कुरा कर कहा- और..
उसने भी हँस कर कहा- और तुम्हारे प्रवीण ‘की’ मार देता। वैसे प्रवीण के कूल्हे हम औरतों से भी ज्यादा खूबसूरत हैं। उसकी तो हर बात मुझे प्यारी लगती है। तुम प्लीज़ मेरी बात का बुरा मत मानना।

मैंने पूछा- तो तुमने क्या कहा?
मोना बोली- मैंने उससे कहा शीला.. हाँ.. तुम्हारा कहना ठीक है.. प्रवीण की बनावट जरा स्पेशल ही है.. लेकिन उसके मर्दानगी में कोई कमी नहीं है.. मुझे तो रोज थका देता है। कभी-कभी लगता है कि कोई उसे मेरे साथ शेयर कर ले.. उसका काम हो जाएगा और मुझे भी थोड़ा आराम मिलेगा।
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‘फिर?’
‘फिर क्या?’

‘फिर शीला मेरी तरफ अचरज के साथ देखने लगी.. और धीरे से बोली कि तुम्हें चलेगा? यानि राजेश या कोई औरत प्रवीण के साथ झेल लोगी?’
‘तो तुमने क्या कहा?’

मैंने कहा- राजेश का तो मुझे मालूम नहीं.. यानि प्रवीण उस प्रकार का सेक्स राजेश के साथ करना चाहेगा या नहीं.. मैं कह नहीं सकती.. लेकिन कोई औरत प्रवीण के साथ सेक्स करती है तो मुझे चलेगा। क्यों.. तुम्हारा इरादा क्या है..? तो वह शर्मा गई और बोली कि चलो.. हटो..
‘फिर..’
‘उस पर मैंने उसके कूल्हे की चिकोटी काटी और कहा- ओके..बेबी.. ओके.. अब मतलब तुम खुद समझ जाओ।’
‘फिर..’
‘फिर यह सुन कर शीला वहाँ से शर्मा कर भाग गई।’

मित्रो, इसके बाद जो कुछ हुआ वो सब आप समझ सकते हैं तब भी मैं इसका विस्तृत विवरण भी लिखना चाहता हूँ। आप सभी अपने ईमेल भेजिएगा.. उस से प्रेरित होकर मैं आगे की घटना को लिखूंगी।

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