दोस्त के पापा से गांड मराकर सुख मिला
(Man To Man Sex Kahani)
मैन टू मैन सेक्स कहानी में एक लड़का है, जिसे लंड आकर्षित करते हैं. उसमें एक औरत बसती है. इसी लंड की प्यास ने उसे उसके दोस्त के पापा से चुदवा दिया.
दोस्तो नमस्ते.
इस सेक्स कहानी को लिखने में मैंने इतना ज्यादा एंजॉय किया है और इसीलिए मुझे उम्मीद है कि आपको भी यह मैन टू मैन सेक्स कहानी जरूर पसंद आएगी.
मैं अपने बारे में बता दूँ कि मैं एक बाईसेक्सुअल लड़का हूं और आधी औरत मुझमें बसती है, जिसे हर तरह के लंड आकर्षित करते हैं.
और लंड पसंद आ जाए, तो उसे लिए बिना रहा नहीं जाता.
बात पिछले महीने की है, जब कॉलेज तो खुल नहीं रहे थे. उस समय मैं अधिकांशत: घर पर ही रहता था और अलग अलग साइट पर कहानियां पढ़ता रहता था.
एक दिन मेरे दोस्त भावेश का फोन आया कि उसे एक मीटिंग के लिए कुछ दिन के लिए बाहर जाना है, तब तक मैं उसके घर रह कर उसके पापा का ध्यान रख लूं.
चूंकि उसके पापा के पैर पर चोट की वजह से प्लास्टर बंधा था, इसलिए मैंने हां बोल दिया और उसके घर चला गया.
शाम में मैंने भावेश को स्टेशन छोड़ दिया और उसके घर आ गया.
भावेश के पापा काफी हट्टे-कट्टे थे और अपनी धुन में ज्यादा ही रहते थे.
उन्होंने रात का खाना होटल से मंगवा लिया और खाना खा लिया.
रात में हम दोनों एक ही कमरे में सो गए क्योंकि अकेले चलने में उनको दिक्कत आती थी.
आधी रात में मैं मोबाइल चला रहा था.
उन्होंने मुझसे पूछा- बेटा नींद नहीं आ रही क्या?
मैं बोला- अंकल, मैं थोड़ा लेट ही सोता हूँ.
वो बोले- बेटा थोड़ा तकलीफ दूंगा, पर मेरा पैर बहुत दर्द कर रहा है, जरा बाम लगा दो.
मैंने बोला- अरे अंकल इसमें तकलीफ क्या … अभी लगा देता हूँ.
मैंने बाम लगानी शुरू की. वह रात में लुंगी पहनते थे.
काफी देर मालिश करने बाद वह बोले- बेटा, अब मुझे वॉशरूम तक छोड़ दो.
मैं उन्हें वॉशरूम तक ले गया और उन्हें अन्दर तक छोड़ दिया.
वाशरूम का दरवाज़ा हल्का सा खुला था.
जब उन्हें आने में काफी देर हो गई,तो मैंने बाथरूम का दरवाजा थोड़ा सा खोला.
मैं देख कर दंग रह गया.
वे अपना मोटा सांप सहला रहे थे.
मैं अंकल का लंड देखता रह गया.
थोड़ी ही देर में उनका मक्खन निकल गया.
यह देख मेरे मुँह से लार टपकने लगी.
मेरी गांड ने भी मैन टू मैन सेक्स के लिए सिग्नल देना शुरू कर दिया.
इससे पहले वे मुझे देख लेते, मैंने दरवाजा बंद कर दिया.
वो बाहर आए और बोले- बेटा तुम बहुत अच्छी मालिश करते हो. भावेश की मां भी ऐसी ही मालिश करती है.
भावेश की मम्मी अपनी नौकरी के चलते बाहर ही रहती हैं.
हम दोनों बिस्तर पर आ गए और सो गए.
रात में भावेश के पापा की लुंगी से उनका थोड़ा सा लंड बाहर आ गया.
मैं काफी देर तक उसे देखता रहा.
फिर जब न रहा गया तो हिम्मत करके मैंने उनकी लुंगी थोड़ी और हटा दी.
अब उनका पूरा लंड मेरे सामने था.
मैं खुद को रोकने की पूरी कोशिश कर रहा था.
मैंने धीरे धीरे से अंकल के लंड को किस कर दिया. इतने में उन्होंने मेरी तरफ करवट बदल दी, मैं डर कर सो गया.
मुझे रात में नींद आ ही नहीं रही थी, बस उनका लंड देखते देखते सुबह होते होते मेरी आंख लगी.
वे भी लेट ही उठते थे.
उन्होंने उठ कर मुझे उठाया और कहा- चलो बेटा, चाय पी लेते हैं.
मैंने हम दोनों के लिए चाय बना ली और नहा धोकर तैयार हो गए.
दोपहर को हॉस्पिटल चैकअप में उनका प्लास्टर निकाल दिया गया और फिजियोथैरेपिस्ट ने उनके पैर का ध्यान रखने का बोला.
हम दोनों घर आ गए.
मैंने उनके पैर पर मालिश की.
वह बोले- बेटा, तेरी मालिश किसी औरत की मालिश जैसी लगती है.
मैं बोला- अंकल जी, आप न … मुझे अपनी बीवी ही समझ लो … मेरे कहने का मतलब मेरी तरफ से आपका ध्यान रखने में कोई कमी नहीं आएगी.
इतना सुनते ही उन्होंने मुझे पकड़ लिया और बोले- बेटा तू लड़की होता … और जिसके पास जाता, उसे बहुत खुश रखता.
उसी समय मेरा ध्यान उनकी लुंगी पर आ गया. उनका लौड़ा फन मार के बैठा था.
वो दिन बातों में निकल गया और रात में खाना खाकर हम सोने चले गए.
रात मैं उनकी बाम से मालिश कर रहा था.
उस वक़्त उन्होंने मुझसे कहा- बेटा, तू बुरा न माने तो बात बोलूं?
मैं बोला- हां बोलो न अंकल जी?
वे बोले- तू बिल्कुल भावेश की मां जैसा है. उसको मैं प्यार से सन्नो बुलाता हूँ … अगर तुझे बुरा न लगे तो दो दिन तुझे भी मैं सन्नो बुला लूं?
मैंने हामी भर दी.
उन्होंने मेरी जांघ पर हाथ फेर दिया.
इतने में ही मेरे अन्दर की औरत पूरी जाग गई.
अब मैं भी खुद को उनकी बीवी महसूस कर रहा था.
मुझे लग रहा था कि आज मैं अपने पति के साथ सोने वाली हूँ.
रात में मैं उनसे सट कर सोया था.
नींद में उनका पैर मेरे ऊपर आ गया तो मेरी नींद खुल गई.
धीरे धीरे उनका हाथ भी मेरे ऊपर आ गया.
अब उनका लंड मेरी गांड से सटा था और मुझे उनसे चुदाई का परम सुख मिलेगा.
ऐसा सोच मेरी गांड में खुजली रुकने का नाम नहीं ले रही थी पर मैं बस सो गया.
सुबह मेरी आंख खुली मैंने देखा कि अंकल की लुंगी उनसे अलग थलग पड़ी है और उनका हथियार सोया हुआ है.
पर अब भी मेरे मुँह में पानी आ रहा था.
मैंने अंकल के लंड को किस किया और उठ कर चाय बना ली.
फिर मैंने धीरे धीरे उनकी लुंगी ठीक की और उन्हें उठाया.
वे अंगड़ाई लेते हुए बोले- आज जल्दी उठ गए?
मैं बोला- हां आज आंख खुल गई.
वे बोले- सन्नो सही में तुम औरत होती, तो आज किसी की किस्मत चमक उठी होती.
ये कह कर अंकल हंसने लगे.
मैं भी मजाक समझ हंसने लगा.
अब हम दोनों चाय पीकर नहाकर तैयार हो गए.
मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरी छाती पर बूब्स टाईट हो गए हैं और मैं खुद को पूरा औरत ही महसूस कर रहा था.
मुझे सच में ऐसा लगने लगा था कि अंकल मेरे पति ही हैं और मैं उनकी सेक्सी हॉट लुगाई हूँ. मुझे उनसे चुदना है.
मैं चाहता था कि वे सामने से मुझे चुदाई ऑफर करें!
दिन में उन्होंने मुझसे पूरी फ्रैंक होकर बातें की.
उन्होंने बताया कि खेतों में उन्होंने कई काम करने वाली लड़कियों और औरतों को पेला है.
मगर अब वो अपनी औरत के अलावा किसी की तरफ नहीं देखते.
उन्हें चुदाई करने का मौका छुट्टियों में ही मिल पाता है.
उस रात को खाना खाकर मैंने उनकी मालिश की.
उन्होंने बोला- सन्नो, ऐसा पहली बार हुआ है कि मेरी इतनी सेवा अपनी औरत के बाद किसी ने की है.
उनकी बातों से मुझे अब लगने लगा था कि अब अंकल का लंड मेरी गांड का सुख लेना चाहता है और मैं खुद भी मरा जा रहा था कि किसी तरह मेरी गांड मारी जाए.
आखिरकार मेरी मेहनत धीरे धीरे काम आ रही थी.
फिर हम सोने चले गए.
रात में अंकल ने मुझे पास खींच लिया और कहा- सन्नो, कहीं तू औरत तो नहीं है?
मैंने बोला- अंकल हूं तो नहीं, पर आप मुझे बना रहे हो.
वे बोले- चलो सो जाओ, नहीं तो सन्नो की याद में मुझे नींद नहीं आएगी.
आधी रात तक मैं मोबाइल पर खेलता रहा और जागता रहा.
अंकल भी करवटें बदल रहे थे.
मैंने पूछा- क्या हुआ अंकल?
वे बोले- सन्नो, मेरे अन्दर आग सी लगी है … आज पहली बार इतना याद आ रही है.
थोड़ी देर बाद अंकल रोने लगे.
मैं उनको चुप कराने लगा, बोला- अंकल रो नहीं, मैं हूं ना आपके पास.
वह बोले- अरे जो मुझे चाहिए, वह तू नहीं दे पाएगा.
मैं बोला- अंकल मैं मानता हूं कि मैं सन्नो नहीं हूँ. पर आपने तो मुझे सन्नो माना ही है, तो मुझे ही सन्नो समझ लो न.
अब मैं खुद को औरत मान बैठा था और आगे की सेक्स कहानी भी उसी रूप में लिखूंगा, मतलब जैसे औरत बोलती है.
अंकल ने मुझे बोला- बेटा, तू आज के लिए सन्नो के कपड़े पहन ले, मुझे पता है कि तू लड़का है, पर मेरी तबियत सही रहे … इसके लिए तू लौंडियों के कपड़े पहन ले.
मैंने ना करने का नाटक किया.
फिर उनका दिल रखने के लिए मैंने आंटी की नाइट ड्रेस पहन ली.
आंटी काफी शौकीन लग रही थीं क्योंकि उनके पास लेटेस्ट ट्रेंड की सारी नाइट वियर्स थे और वैक्सिंग का सारा सामान भी था.
आखिर अंकल भी इतने दिलखुश इंसान थे, वो खुद अपनी बीवी को सनी लियोनी बना कर रखते थे.
आंटी के कुछ मेकअप का सामान मैंने यूज किया और पटाखा बन कर अंकल के सामने आ गई.
अंकल ने मुझे पास बुला लिया और मुझे ज़ोर की किस की.
वो बोले- तू सन्नो तो नहीं लग रही, पर तेरा टच सन्नो सा ही है … और सन्नो के कपड़े तुझे फिट तो बैठ रहे है ना.
मैंने सर हिलाया.
अंकल बोले- टेंशन मत लेना, मैं तुझे कुछ करूंगा नहीं.
पर मैं तो चाहती थी कि अंकल सब कुछ करें.
मैं उनके पास सो गई.
मैंने अन्दर आंटी की ब्रा और पैंटी भी पहनी थी.
मैं अब अंकल की पत्नी सन्नो बन कर उनके साथ लेटी थी.
वे भी कभी कभी मुझे औरत की तरह हाथ घुमा घुमा उत्तेजित कर रहे थे.
मैं भी पूरी उत्तेजित हो चुकी थी. मैं खुद की गांड को अंकल के लौड़े से सटा कर सोई थी.
न जाने क्यूं मैं पहली बार खुद को इतना औरत महसूस करने लगी थी कि अब मैं अंकल को अपना पति मान कर उनसे चिपक कर सो रही थी.
मैंने उन्हें बोला- अंकल, आपने तो मुझे सच की औरत बना ही दिया.
अंकल ने मुझे बांहों में भर के सीधा किया और बोले- सन्नो मुझे तुम धीरू ही बुलाओ … और चिंता मत करो. मुझ पर भरोसा रखो.
इतना बोल कर धीरू ने मेरी कमर कस कर पकड़ी और मेरे चूतड़ों पर हाथ मार दिया.
इतना होने साथ मेरे अन्दर की औरत धीरू के सामने धराशायी हो गई और उनसे लिपट गई.
मैं बोली- बस अंकल और न तड़पाओ … आपकी सन्नो की प्यास बढ़ती जा रही है. आपकी सन्नो और सहन नहीं कर पाएगी. अब आप अपनी सन्नो की ले लो.
इतना सुन धीरू बोले- सन्नो मेरे लंड ने तेरे अन्दर की औरत कब की देख ली थी, पर मैं उस बाहर लाना चाहता था कि मजा बराबर से आए. चल आ जा मेरी सन्नो, आज मैं तेरी सारी ख्वाहिश पूरी करूंगा. तुझे वो मज़े दूंगा, जो तूने अब तक कभी नहीं लिए होंगे. आज तुझे औरत के सुख को महसूस करवा दूंगा. चल आ जा!
इतना सुनते ही मैंने धीरू के शर्ट के बटन खोल दिए और उनकी छाती को चूमना शुरू कर दिया.
अब धीरू ने मुझे उठा कर अपने ऊपर बिठा दिया और बोले- सन्नो मुझे पता है … तू रोज़ मेरे लंड को चूमती है.
इतना सुनकर मैंने नीचे देख लिया और धीरे धीरे उनकी बाल भरी छाती चूमती हुई नीचे आती गई.
फिर मैंने उनकी लुंगी हटाई और उनके हथियार को बाहर निकाल कर चूमने लगी.
उनका लंड पूरा तना हुआ था और मेरे स्पर्श से फुंफकार मारने लगा.
मैंने भी उसे लपक लिया और पूरा मुँह में ले लिया.
धीरू का लंड मेरे मुँह को पूरा भर रही थी क्योंकि वह काफी मोटा लंड था.
इतना मोटा लंड मैंने आज तक सिर्फ पोर्न में देखा था.
ऐसा लग रहा था कि धीरू का लंड मेरी गांड की दीवारों को चौड़ी कर देगा.
पर मैं भी चुदासी रंडी हूं. लंड देख कर कहां डरने वाली थी.
अब मुझे लग रहा था कि आंटी सच में इस लंड के मामले में काफी किस्मत वाली हैं. पर वह किस्मत अब मेरी भी हो रही थी.
धीरू ने कहा- सन्नो तू जिस तरह लंड चूस रही है, लग रहा है बहुत एक्सीरियंस्ड है.
मैं हंस दी और धीरू ने मेरे सर को पकड़ धक्का दे दिया.
उनका लंड पूरा मेरे मुँह में ही खाली हो गया.
मैंने सारा माल गटक लिया और फिर से धीरू के हथियार को चूमने लगी.
धीरू ने कहा- रुक जा … उसे थोड़ा रेस्ट कर लेने दे. तब तक तू मेरे पास आ जा.
मैं धीरू से चिपक गई.
धीरू ने मुझसे पूछा- अच्छा बता, कितने लंड लिए हैं?
मैं थोड़ा हिचकिचाई और कहा- धीरू वह सब पहले की बात है, पर अब मैं सिर्फ़ तुम्हारी सन्नो हूँ.
वो बोले- नहीं सन्नो, मेरे दो दोस्त हैं, उनको भी तुम्हारे जैसे ही किसी का इंतज़ार है. तुम उनको मज़ा दे सकोगी?
मैं बोली- धीरू तुम जो बोलोगे, मैं वो करूंगी. बस आज तुम मेरी गांड तोड़ डालो. साली बहुत परेशान करती है.
इतना सुनते ही धीरू ने मुझे खड़ा किया और दीवार से सटा दिया, मेरी गांड से नाइटी और पैंटी हटाई, थोड़ा तेल लगाया और अपना लौड़ा रगड़ने लगे.
मैं आहें भरने लगी.
धीरू बड़े ही आराम से अपने लंड को मेरी गांड की दरार के बीच रगड़ रहे थे.
और उसी बीच वो मेरे कान में बोले- रंडी जैसी गांड आगे कर रखी है तूने तो? मैंने तो तुझे औरत बनाया था, पर तू तो रंडी है.
मैं पूरी मदहोशी में धीरू के लंड को आंखें बंद करके महसूस कर रही थी.
धीरू का लंड बड़ा ही मोटा तना हुआ मेरी गांड के दरवाजे पर था.
मैंने कहा- अब क्यों तड़फा रहे हो धीरू … जल्दी से अन्दर घुसा दो ना!
धीरू बोले- नहीं पहले तेरी गांड को तड़पाऊंगा, फिर तोड़ूंगा. उससे पहले तू बस लंड के लिए तरस.
मैं बोली- नहीं न धीरू … अपनी सन्नो को और इंतजार न करवाओ. तुम्हारी सन्नो चुदने को बेकरार है.
इतना सुनते ही धीरू ने एक ज़ोरदार धक्का लगाया और अपना लौड़ा मेरी गांड के अन्दर तक घुसा दिया.
धीरू का मोटा लंड गांड में लेते ही मैं चीख उठी. मेरी आंखें बाहर सी आ गईं और मेरे दोनों हाथ दीवार पर सट गए.
मैं जैसे तैसे उतने लंड को सहन कर पाई थी कि इतने में दूसरा धक्का और तेज़ी के साथ लगा और मेरी गांड फट चुकी थी.
धीरू के उस प्यार के लिए मेरी गांड तरस गई थी, पर उस प्यार के दर्द ने मुझे तारे दिखा दिए थे.
मैंने कहा- मुझसे सहन नहीं हो रहा, मुझे लिटा कर चोदो.
धीरू ने मुझे बेड पर गिराया और मुझे औंधी कर दिया.
मेरी नाइटी को ऊपर कर दिया और फिर से धक्का लगा कर लौड़ा घुसा दिया.
मैंने अपने हाथों से बेडशीट को टाईटली पकड़ लिया और खुद को बेड से चिपका लिया.
अब धीरू पूरा मेरे ऊपर चढ़ गए और धक्के लगाते रहे.
मैंने धीरू से पूछा- आपकी औरत मतलब आंटी जी जब चुदती हैं, तब वे चीखती नहीं हैं? इतना मोटा लंड है.
धीरू ने हंस कर कहा- अब तो नहीं … पर सुहागरात में मुझे बहुत मेहनत लगी थी.
धीरू के धक्के अब तेज़ होते जा रहे थे और अब मैंने भी धीरू का साथ देना शुरू कर दिया था.
मैंने अपनी गांड को थोड़ा ऊपर कर दिया था जिससे धीरू का लंड आराम से मेरी गांड तोड़ पाए.
लंड पेलते हुए धीरू बोले- तेरी गांड किसी छोरी से कम नहीं है, तू यदि किसी कोठे पर लग जाए तो लोग रंडियां छोड़ कर तेरे पीछे हो जाएं.
मैं अब झड़ चुकी थी.
अब भी धीरू के धक्के काफी तेज थे. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.
मैं खुद को भूल कर सन्नो बन कर धीरू से चुदने के मज़े ले रही थी.
तब मैं धीरू से बोली- मैंने जब आपका लंड पहली बार देखा, तो सोचा नहीं था कि ये मेरी गांड मारेगा.
धीरू बोले- सन्नो, कल तू वैक्स कर आधी औरत तो बन जा. मैं तुझे अपनी औरत बना कर रखूंगा.
थोड़ी ही देर में धक्के धीरे हुए और धीरू मेरी गांड में झड़ गए.
उनका सारा गर्म पानी मेरी गांड में चला गया.
धीरू मुझ पर गिर गए और मैं भी थोड़ा हट कर उनसे लिपट कर सो गई.
सुबह होने पर धीरू ने मुझे उठाया और अपने ऊपर चढ़ा दिया, धीरे से अपना कड़क लौड़ा मेरी गांड में दबाया और घुसा दिया.
मेरी आंखें खुलने से पहले तक पूरा लंड मेरी गांड चीरते हुए घुस चुका था.
मैंने अपने हाथ धीरू की छाती पर रख दिए.
धीरू ने मेरी पतली कमर पकड़ ली और ऊपर नीचे करके अपने मोटे लौड़े से मेरी गांड चोदनी शुरू कर दी.
अब दर्द कम था और उत्तेजना ज्यादा थी. मैं ‘आंह उ्ह उम् …’ करके चुद रही थी.
मेरे लंड से थोड़ी ही देर में पानी निकलने वाला था, मैंने सारा माल आंटी की पैंटी पर छोड़ दिया और वापस धीरू की चुदाई के मज़े लेने लगी.
अब धीरू ने मुझे उठा कर दीवार से सटा दिया और मेरी गांड चोदने लगे.
थोड़ी ही देर में उन्होंने मुझे नीचे बिठाया.
आंटी की नाइटी हटा कर लंड का सारा माल मेरी छाती पर डाल दिया.
मैंने भी उनका दूध सा माल अपनी छाती पर रगड़ लिया.
अंकल ने कहा- चल, अब तू नहा ले.
मैं नहायी और धीरू के लिए मार्केट से सामान लेने चली गई.
मैंने अपने लिए एक अच्छा सा विग और ब्रा कप खरीदे.
शाम को मैंने साड़ी पहनी, ब्रा में कप लगाए और विग लगा कर मेकअप कर लिया. थोड़ी शेविंग और वैक्स भी कर ली.
अब मैं असल में भी औरत लग रही थी.
मैं धीरे के सामने गई, तो धीरू बोले- अरे सन्नो क्या कमाल लग रही है. आज तो तेरी चुदाई में आनन्द आ जाएगा.
मैं बोली- हां मेरे धीरू, आज मैं तुम्हारे साथ औरत का पूरा सुख लूंगी.
इतना सुन कर धीरू ने लुंगी निकाल कर अपने लौड़े को मेरे सामने कर दिया.
मैंने उसे लपक कर मुँह में घुसा लिया और चूसने लगी.
एक हाथ से धीरू मेरी गांड सहला रहे थे और एक हाथ से मेरे बालों को पकड़ अपना लौड़ा चुसा रहे थे.
धीरू ने मेरी साड़ी निकाली और पेटीकोट चौड़ा करके मुझे अपने लंड पर बिठा दिया. फिर मेरे बूब्स पकड़ ऊपर नीचे करते हुए लंड सैट करने लगे.
उतने में ही मेरी लपलप करती हुई गांड सीधे धीरू के लंड को अपने अन्दर समा चुकी थी.
धीरू ने ब्लाउज के ऊपर से मेरे कप वाले मम्मों को दबा दबा कर मुझे बेहाल कर दिया.
अंकल चुदासे स्वर में बोले- आंह साली … एक दिन में तेरे बूब्स निकल आए?
मैंने कहा- हां चुदाई भी तो आपकी थी.
इतना सुनकर धीरू ने बड़ी जोर जोर से मुझे ऊपर नीचे किया और अब उनके लंड ने सारा माल मेरी गांड में भर दिया.
मैं भी धीरू से चिपक गई और धीरू ने मुझे बेड पर गिरा दिया.
थोड़ी ही देर में धीरू के दो दोस्त भी आ गए.
तीनों ने मिल कर रात भर मेरी गांड मारी.
सुबह तक मैं चल भी नहीं पा रही थी.
मेरा बुरा हाल था, पर उन सबका लंड लेकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.
अब मैं अकसर भावेश के ऑफिस जाते ही उसके घर आ जाती हूँ. मैं अंकल की सन्नो बन कर उनके सीने से लिपट जाती हूँ.
धीरू अंकल के मोटे लंड से गांड मरवाने में मुझे बड़ा सुख मिलता है.
आपको मेरी ये मैन टू मैन सेक्स कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मेल करके बताएं.
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