जब मैंने पहली बार गाण्ड मरवाई

(Maine Pahli Bar Gaand Marwai)

आशू 2015-01-11 Comments

हाय दोस्तों.. मैं आशू.. बुरहानपुर मध्यप्रदेश का रहने वाला हूँ।

यह मेरी अन्तर्वासना पर पहली कहानी है, यदि कहानी लिखने में मुझसे कुछ गलती हो जाए तो माफ कीजिएगा।

यह कहानी छः महीने पहले की है.. जब गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही थीं।

मैं इन छुट्टियों में कम्प्यूटर क्लास जाया करता था।
वहाँ एक आकर्षक आदमी हमें कम्प्यूटर सिखाता था, उसका नाम विक्रम था और उसकी आयु 28 साल थी।

पता नहीं क्यों मुझे वो आदमी बहुत अच्छा लगता था। वैसे मैं उन्हें विक्रम भैया कहता था।

मैं एक दिन कम्प्यूटर क्लास जा रहा था, वहाँ पहुँचा तो पता चला कि बिजली नहीं है।

मैं थोड़ा देर से पहुँचा था.. इसलिए वहाँ ज्यादा स्टूडेंट नहीं थे।
बस चार-पाँच ही थे.. बाकी सब बिजली नहीं होने के कारण घर चले गए थे।

मैंने सोचा कि बिजली थोड़ी देर में आ जाएगी.. तो मैं वहीं रुक गया।

दस मिनट होने पर भी बिजली नहीं आई तो सभी चले गए, मैं अकेला रह गया।

मैं भी बैग उठा कर जाने लगा.. तभी विक्रम भैया और उनके साथ में उनके दोस्त जिनका नाम अजहर था.. वो कम्प्यूटर क्लास में आए।

मुझे जाता देख कर विक्रम भैया बोले- मुझे तुमसे कुछ बात करना है.. थोड़ी देर रुक जाओ।

मैं थोड़ा घबराया कि सर को मुझसे ऐसी क्या बात करनी होगी.. खैर मैं रुक गया।

थोड़ी देर बाद उनका दोस्त चला गया तो विक्रम भैया ने मुझे अपने कमरे में बुलाया।

मैं अन्दर पहुँचा तो विक्रम भैया ने अपनी शर्ट उतार दी और बोले- आज बहुत गर्मी हो रही है।

वो अब सिर्फ बनियान में थे। पता नहीं मुझे उन्हें ऐसे देख कर क्या हो रहा था।

उन्होंने मुझे अपने पास वाली सीट पर बैठने का इशारा किया तो मैं सीट पर बैठ गया।

उन्होंने मुझसे पूछा- पानी पिओगे?

मैंने कहा- नहीं।

फिर उन्होंने मुझसे पूछा- मैं तुम्हें कैसा लगता हूँ?

मैं थोड़ा सा घबरा गया कि वो यह सब क्यों पूछ रहे हैं।

फिर भी मैंने कह दिया- अच्छे लगते हैं।

फिर उन्होंने पूछा- सिर्फ अच्छा लगता हूँ या कुछ ज्यादा ही अच्छा लगता हूँ।

मैं यह सुनकर थोड़ा और घबरा गया।
मुझे पता नहीं क्या हो रहा था.. मेरे मुँह से आवाज नहीं निकल रही थी।

फिर सर बोले- जाने दो.. अच्छा यह बताओ कि कल तुम कम्प्यूटर पर नैट पर कौन सा वीडियो देख रहे थे?

मैं एकदम से चौंक गया।
क्योंकि कल मैं एक गे (गाण्डू) फिल्म देख रहा था।

मुझे अब डर लगने लगा कि कहीं उन्होंने मुझे वो फिल्म देखते हुए तो नहीं देख लिया।

मैंने जवाब दिया- मूवी देख रहा था।

उन्होंने कहा- अच्छा.. मुझ से झूठ बोल रहे हो.. मैंने तुम्हें वो फिल्म देखते हुए कल देख लिया था.. तुम्हें तो पता ही होगा कि मैं किसकी बात कर रहा हूँ।

मैंने कहा- सॉरी भैया.. अब नहीं देखूँगा।

तो उन्होंने कहा- मैंने तुमसे ये कब कहा कि वो फिल्म मत देखो.. अच्छा यह बताओ कि क्या तुम ‘गे’ हो?

मेरे पास उस समय कोई जवाब नहीं था.. मैं चुप रहा।

फिर उन्होंने पूछा- कभी किसी ‘का’ लिया है?

मैंने ‘ना’ में सर में हिलाया।

तो उन्होंने कहा- मेरा लोगे?

मैं चौंक गया कि वो ये क्या कह रहे हैं। मैं चुपचाप बैठा रहा।

तो उन्होंने कहा- मुझे पता है कि तुम भी यही चाहते हो.. पर कहने में शरमा रहे हो।

वो अपनी जगह पर से उठे और कहा- मुझे तुम जैसे की ही तलाश थी।

अब उन्होंने मेरे पास आकर मुझे छूना आरम्भ कर दिया।
मुझे उनका छूना बहुत ही अच्छा लग रहा था।
फिर वे मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर चूसने लगे।

मैं पहली बार यह सब कर रहा तो मुझे समझ नहीं रहा था कि मैं क्या करूँ?

फिर उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और मेरे गालों पर चुम्बन करने लगे।

मुझे उनकी गरम-गरम साँसें महसूस हो रही थीं.. जो मुझे बहुत अच्छी लग रही थीं। दस मिनट बाद उन्होंने मेरे शर्ट के बटन खोलना शुरू कर दिए और मेरी शर्ट उतार दी।

अब मुझे कुछ कुछ शर्म आ रही थी।

उन्होंने मेरी बनियान भी उतार दी.. और मेरे निप्पल चूसने लगे।

मुझे बहुत ही ज्यादा सनसनी हो रही थी और मजा आ रहा था क्योंकि मैं विक्रम भैया से दिल ही दिल में प्यार करने लगा था।

वो अब मेरे निप्पल दाँत से काटने लगे।
थोड़ी देर बाद वो मुझसे दूर हटे और अपनी बनियान उतार दी।
उनकी बाडी देखकर मेरा लंड पैन्ट के अन्दर ही खड़ा हो गया।
उनके मसल्स बहुत बढ़िया थे।

अब उन्होंने अपनी पैन्ट भी उतार दी और अब वो सिर्फ अंडरवियर में थे।

मुझे कुछ पता नहीं था कि विक्रम भैया अब क्या करने वाले हैं।

अब वो मेरे पास आए और मेरा हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया और मेरे कान में कहा- ले अब खेल इससे..

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ?

फिर भी मैंने उनके लण्ड को अंडरवियर के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया।

उनका लण्ड धीरे-धीरे बड़ा हो गया.. मुझे उनका लण्ड कुछ ज्यादा ही बड़ा लग रहा था।

जब उनका लण्ड आऊट आफ कँट्रोल होने लगा तो वो एक कुर्सी पर बैठ गए और अपनी अंडरवियर उतार दी।

यह नज़ारा देख कर तो मेरे होश ही उड़ गए।
उनका लण्ड लगभग 9 इँच का होगा।
पूरा खड़ा होकर खम्बे जैसा लग रहा था।

विक्रम ने अपने लण्ड की तरफ इशारा करते हुए कहा- दर्शन कर लिए हों.. तो अब इसे मुँह में लेने का कष्ट करो..

‘मुँह में?’ मेरे मुँह से एकदम से निकल गया।

उसने कहा- हाँ.. मुँह में.. अब ज्यादा श्याना मत बन.. चल ले जल्दी से आजा..

फिर मैंने उनके लण्ड के टोपे पर अपने होंठ रख दिए और धीरे-धीरे अपने होंठ आगे बढ़ाने लगा।

मैं उनके लौड़े को आगे-पीछे करने लगा।

अब उन्हें मजा आने लगा तो उन्होंने मेरा सर पकड़ कर अपना पूरा का पूरा लण्ड मेरे मुँह में घुसेड़ दिया।

मुझे उल्टी आने जैसा लग रहा था तो उन्होंने मेरा सर छोड़ दिया।
अब मैं पागलों की तरह उनका लण्ड चूसने लगा।

लगभग दस मिनट बाद उन्होंने मेरा सर पकड़ कर झटके देना चालू कर दिए और थोड़ी देर बाद वो मेरे मुँह में झड़ गए।

मेरे मुँह में उनका वीर्य भर गया था.. जो कुछ मैंने टेस्ट किया.. बाकी का थूक दिया और उनके लण्ड को चाट-चाट कर साफ कर दिया।

थोड़ी देर बाद उनका लण्ड फिर खड़ा हो गया।

अब वो अपनी जगह से उठे और मेरी पैन्ट उतार दी और मुझे अपनी गोद में उठा लिया।

मैं अब समझ गया कि आज मेरी गांड का उद्घाटन होने वाला है।

विक्रम ने मुझे गोदी में उठा कर एक बेंच पर लिटा दिया और मेरी चड्डी उतार दी।

उसने वहीं पास में तेल की बोतल उठाई और अपनी ऊँगली पर तेल लगा कर मेरी गाण्ड में डाल दी।

‘आआआहह…’ मेरे मुँह से आवाज निकल गई।

उसने मेरा मुँह अपने हाथ से दबा दिया और ऊँगली अन्दर-बाहर करने लगा।

मुझे पहले बहुत दर्द हुआ फिर बाद में दर्द कम हो गया।

शायद मेरी गाण्ड थोड़ी ढीली हो गई थी।

अब उसने अपनी ऊँगली निकाल दी और फिर बोतल उठाई और तेल लेकर अपने लण्ड और मेरी गाण्ड पर लगा दिया।

अब वो अपना खम्बे जैसा लण्ड मेरी गाण्ड पर रगड़ने लगा और मेरी गाण्ड के छेद पर अपना लण्ड रख कर एक जोरदार धक्का लगाया।
उसका आधा लण्ड मेरी गाण्ड में था।

‘आह्ह..’ अब मुझे पहले से कहीं ज्यादा दर्द हुआ.. तो उसने अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिए।

थोड़ी देर बाद जब मेरा दर्द कुछ कम हुआ तो उसने एक और धक्का लगाया।

अब उसका पूरा लण्ड मेरी गाण्ड में था।

अब उसने बिना रूके धक्के लगाना शुरू कर दिए।
मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं मर जाऊँगा।
लेकिन अब वो मुझे चुम्बन करते हुए चोद रहा था और बीच-बीच में मुझे गालियाँ भी दे रहा था।

अब मुझे मजा आ रहा था, मैं भी अपनी गाण्ड उठा-उठा कर चुदा रहा था।

थोड़ी देर बाद मुझे अपनी गाण्ड में कुछ गरम-गरम महसूस हुआ।
वो मेरी गाण्ड में ही झड़ गया था।

थोड़ी देर बाद उसने अपना लण्ड मेरी गाण्ड में से निकाल दिया और अपने कपड़े पहनने लगा।

मैं थोड़ी देर बाद उठा तो देखकर मैं डर गया।
बैंच पर खून पड़ा था जो मेरी गाण्ड से निकला था।

तो विक्रम ने मुझसे कहा- डरने की बात नहीं है.. पहली बार में यह सब होता ही है।

फिर मैंने अपने कपड़े पहने तो विक्रम ने पूछा- मजा आया?

तो मैंने ‘हाँ’ में सर हिला दिया।

इस तरह हमने कई बार गाण्ड और लण्ड का खेल खेला।

अब मैं अपनी अगली कहानी में बताऊँगा कि मैंने अजहर के साथ कैसे गाण्ड और लण्ड का खेल खेला।
आपकी प्रतिक्रियायों को जानने के लिए बहुत बेचैन हूँ..
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top