खान चाचा ने चुदाई का चस्का लगाया -1
(Khan Chacha Ne Chudai Ka Chaska Lagaya-1)
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दोस्तो, मेरा नाम राकेश शर्मा है, मैं जिला सतना मध्य प्रदेश का रहने वाला हूँ।
मुझे सेक्सी कहानियाँ पढ़ने में बहुत मजा आता है। मेरी पसंद देखकर मेरे मित्र ने मझे इंटरनेट पर अन्तर्वासना की सेक्सी कहानियों के बारे में बताया.. तो मैंने अभी कुछ दिनों पहले से पढ़ना शुरू किया है।
अन्तर्वासना की कहानियाँ वाकयी बड़ी कामुकतापूर्ण हैं, इन कहानियों को पढ़कर मुझे भी कुछ आपको बताने का मन किया.. जो आपके सामने है।
आपसे सच कहूँ तो मैं भी खुद बहुत सेक्सी हूँ.. मुझे हर रात कोई न कोई चूत चुदाई के लिए चाहिए होती है। जिस दिन कोई नहीं मिलता तो मुझे नींद नहीं आती.. जब तक मैं अपना पानी न निकाल दूँ।
मैंने कई लड़कों और लड़कियों के साथ सेक्स किया है, लड़कों के साथ जब सेक्स करता हूँ.. तो पहले उनसे अपनी गाण्ड भी मरवाता हूँ।
मुझे सभी लड़कियाँ चुदासी लगती हैं। मुझे उन्हें चोदने के लिए कुछ भी करना पड़े.. भले ही उनकी चप्पलें खानी पड़े.. पर उन्हें चोदकर ही दम लेता हूँ।
इसी बात पर मेरे परिवार वाले मुझसे परेशान भी रहते हैं। मैंने कई बार ये हरकत छोड़ने का वादा किया.. पर आदत जाती ही नहीं।
अब मैं आपको और ज्यादा बोर नहीं करूँगा.. मुख्य मुद्दे पर आता हूँ। मुझे यह लत कैसे लगी.. वहाँ से शुरुआत करता हूँ।
जब मैं कमसिन था.. मेरे घर के पास एक खान नाम के व्यक्ति रहते थे.. वो किसी ऑफिस में काम करते थे, वे काफी सीधे-साधे से दिखते थे.. न किसी से बोलना.. न किसी से कहना.. बस अपने काम से मतलब रखते थे।
मेरे साथ मेरे पड़ोस का लड़का मोहन.. जो मेरी ही उम्र का था.. उन्हीं के घर में ज्यादा आते-जाते थे, वो हमको पढ़ाते और चाकलेट दिया करते थे।
एक दिन जब हम दोनों उनके घर गए.. तो उनका दरवाजा बंद था। दरवाजा को धक्का देने पर वह खुल गया और हम दोनों अन्दर आ गए.. देखते हैं तो खान अँकल अपने लंड को पकड़ कर मुठ्ठ मार रहे थे।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
तभी उन्होंने हमें देख लिया तो हड़बड़ाकर अपना लौड़ा अन्दर करने लगे.. पर लण्ड खड़ा होने के कारण पैन्ट के अन्दर नहीं जा रहा था।
तभी मेरे दोस्त ने पूछा- चाचा.. आप क्या कर रहे थे।
तो वो तुरंत कहने लगे- कुछ नहीं.. कुछ नहीं..
उनका लण्ड पैन्ट की चैन न लग पाने के कारण फिर से बाहर आ गया तो मैंने पूछ लिया- चच्चा.. ये क्या है?
तो चाचा बोले- किसी को बताना नहीं.. तभी बताऊँगा।
हम दोनों ने ‘हाँ’ कह दिया।
चाचा बोले- इसे लंड कहते हैं.. देखो तुम्हारे भी हैं..
ऐसा कहकर उन्होंने हम दोनों का पैन्ट निकाल कर दोनों के लिंग अपने हाथों में लेकर हिलाने लगे।
हम दोनों के लिंग छोटे थे.. तो मैंने पूछा- हमारा इतना छोटा क्यों है?
तो बोले- अभी देखो, धीरे-धीरे बड़ा हो जाएगा।
वे हम दोनों का लिंग अपने मुँह में लेकर चूसने लगे।
हम दोनों को गुदगुदी लग रही थी और मजा भी आ रहा था।
कुछ देर बाद उन्होंने अपने लंड को हम लोगों से चूसने के लिए कहा.. तो हम लोग भी वैसा करने लगे।
उनका लंड बड़ा था और हमारे गले में लग रहा था।
कुछ देर चुसवाते हुए हुए उन्होंने अपना पानी हमारे मुँह में छोड़ दिया और पी जाने के लिए कहा.. तो हमने पी लिया और बाद में चचा ने अपना लंड चटवाकर साफ़ करवाया।
इसी तरह कुछ दिन वे हमसे लंड चुसवाते और अपनी गाण्ड मरवाते और हमारी गाण्ड में कभी मोमबत्ती या उसी तरह की कोई लम्बी वस्तु डालते रहते, बाद में हमें हमें पांच-पांच रूपये देते।
एक दिन बोले- इसके आगे का मजा लेना है क्या?
तो हम लोगों ने ‘हाँ’ कहा.. तो बोले- अब शाम को फिर से आना.. तब ज्यादा मजा करेंगे।
यह कहानी आप अन्तर्वासना पर पढ़ रहे हैं।
शाम को फिर हम दोनों उनके घर गए तो वो सिर्फ लुंगी में थे। हमें देखते ही वो मुस्कराए और दरवाजा बंद कर दिया।
उन्होंने हमें अपनी पैन्ट उतारने के लिए कहा.. तो हम दोनों ने तुरंत अपनी पैन्ट उतार दीं और नंगे हो गए।
वे भी अपने सारे कपड़े उतार कर हमसे लंड चुसवाने लगे।
कुछ देर बाद बोले- क्यों तुम लोगों को मजा करना है.. तो मैं जैसे कहूँ वैसा करोगे.. लेकिन किसी को बताना नहीं.. नहीं तो लोग तुम्हें गन्दा कहेंगे।
हम लोगों ने ‘हाँ’ कर दी।
खान- देखो पहले दर्द होगा.. चिल्लाना नहीं.. बाद में खूब मजा आयगा।
हम दोनों ‘हाँ’ में मुंडी हिलाने लगे।
तभी उन्होंने मुझे पेट के बल लेटने को कहा और मेरी गाण्ड के छेद पर तेल लगाने लगे और उन्होंने अपनी उंगली मेरे छेद में डाल दी।
मुझे दर्द हो रहा था मैं चिल्लाने वाला ही था कि उन्होंने मेरा मुँह बंद कर दिया। दर्द के कारण मेरी आँखों में पानी आ गया और मैं चिल्ला भी नहीं सकता था।
अब उन्होंने दूसरी उंगली भी अन्दर डाल और उंगली को अन्दर-बाहर करने लगे। कुछ देर करने के बाद मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर मोहन की गाण्ड में उंगली करने लगे.. पर मोहन को कुछ असर नहीं हो रहा था.. वह चुपचाप अन्दर उंगली डलवाता रहा और खान चाचा उसका चुम्मा लेते और मेरा लंड चूसते रहे।
कुछ समय बाद मेरे लंड को पकड़ कर मोहन की गाण्ड पर रख दिया और पीछे से मुझे धक्का देने लगे तो मेरा लंड थोडा सा मोहन की गाण्ड के अन्दर चला गया.. पर मेरे लंड में भी दर्द हो रहा था। इधर चाचा मुझे धक्का देते ही रहे.. जिस कारण मेरा लंड आधा अन्दर चला गया। अब मोहन भी दर्द के मारे चिल्ला उठा- अरेऐए बाप रेऐऐए.. उई..ई..अम्माआ आरेऐए.. निकाआलो.. मैं मर जाऊँऊउगा..
वह रोने लगा था.. पर चाचा मुझे धक्का देते ही रहे और एक धक्का इतनी जोर से दिया कि मैं मोहन के ऊपर गिर पड़ा जिससे मेरा लंड अब पूरा उसके अन्दर घुस चुका था।
उसकी गाण्ड में से खून बहने लगा.. तो मैं डर गया।
तभी चाचा बोले- कुछ नहीं होगा.. ऐसे ही करते और कराते रहो.. मजा आने लगेगा।
पर मोहन दर्द के मारे हिल रहा था.. तो चाचा ने उसे कस कर पकड़ लिया और मुझे जोर-जोर से धक्का देने के लिए कहा।
मैं भी जोर-जोर से धकका देने लगा।
खान- शाबाश मेरे नए गाण्ड चोदू.. और जोर से धक्का लगाओ.. अपनी कमर जल्दी-जल्दी हिलाओ.. अभी मजा आने लगेगा.. शाबाश.. ऐसे ही करते रहो। मैं मोहन का लंड चूसता हूँ.. फिर ये नहीं हिलेगा.. इसे भी मजा आने लगेगा।
चाचा नीचे से मोहन के लंड को चूसने लगे.. अब मोहन को भी मजा आने लगा तो वह अपने चूतड़ों को हिलाने लगा।
अब मुझे भी मजा आ रहा था, मैं भी जोर-जोर से लंड अन्दर-बाहर कर रहा था।
तभी मेरा पानी छूटने वाला था.. तो मैं चाचा से बोला- मेरा होने वाला है..
तो उन्होंने मेरा लंड बाहर निकलवाकर चूसने लगे, मैंने अपना पानी उनके मुँह में छोड़ दिया.. जिसे वो पी गए।
अब अपनी गाण्ड मरवाने मेरी बारी थी।
चाचा ने मोहन को कहा- मोहन कैसा लगा?
मोहन- मजा तो आया.. पर दर्द हो रहा है।
खान- अब दूसरी बार दर्द नहीं होगा.. अब ज्यादा मजा आएगा। चलो.. अब तुम राकेश की गाण्ड चुदाई करो।
अब चाचा ने मुझे घोड़ा बनाकर मेरी गाण्ड के छेद पर खूब तेल लगाकर मेरे छेद में उंगली डाल कर ढीला किया अबकी बार उंगली डलवाने में कोई दर्द नहीं हो रहा था। चाचा ने मेरी गाण्ड में तीन-तीन उंगलियाँ डाल दीं और अन्दर-बाहर करने लगे।
छेद के फ़ैल जाने के बाद मोहन के लंड को पकड़ कर मेरी गाण्ड के छेद पर लगाया और मोहन से लंड अन्दर करने को कहा तो मोहन धीरे-धीरे मेरी गाण्ड में अपना लंड डालने लगा।
अब दर्द की बारी मेरी थी, मुझे ऐसा लग रहा था कि कोई मोटा सा डंडा मेरी गाण्ड के अन्दर डाल दिया हो, मैं भी जोर से चिल्ला पड़ा- अरेऐए.. आअहह.. मर गयाआअ.. निकालोओ.. ओई.. अम्माआ.. रे..
तभी खान ने मेरा मुँह जोर से बंद कर दिया और मुझे चुप रहने को कहा।
मुझे जोरों का दर्द हो रहा था, मुझे रोना आ गया, तभी खान ने मेरे मुँह में अपना पूरा लंड घुसेड़ दिया.. अब मैं चिल्ला भी नहीं पा रहा था।
तभी पीछे से मोहन ने दूसरा झटका दिया तो मेरा बैलेंस बिगड़ गया और मैं आगे की झुक गया.. जिससे चाचा का लंड मेरे हलक तक पहुँच गया। अब इस झटके ने मोहन ने पूरा लंड मेरी गाण्ड में डाल दिया था और वह झटके मारने लगा था।
इधर चाचा मेरे मुँह को चोद रहे थे।
तीन-चार झटकों के बाद मेरा दर्द कम हो गया.. तो मुझे मजा आने लगा इधर मैं चाचा के लंड को भी चूसता जा रहा था।
चाचा- आआआह.. ऐसे ही चूसते रहो आआआआअ मेरे गाण्ड चोदू.. आआआआअह.. जोर-जोर से चूस.. मेरे लाल.. खा जा मेरे लंड को.. शाब्बास मेरे शेर आआईईई इस्स्स्स..
पीछे से मोहन भी मेरी गाण्ड मारते हुए “आअह ऊऊउह ईईईईस्स स्स्सस्स..” की आवाज निकाल रहा था। मुझे मजा आने लगा तो मैंने भी सीत्कार निकाली-आह… आआईई इस्सस्स.. और डाल.. पूरा डाल दो.. मजाआ.. आआ रहा है..
यह कहने के साथ मैं मोहन को जल्दी-जल्दी धक्के मारने के लिए कहने लगा।
अब चाचा हम दोनों को देख कर बोले- क्यों मजा आ रहा है न.. इसी तरह यहाँ आ कर मजा लिया करो और मेरी भी गाण्ड मार लिया करो.. मैं तुम्हें इनाम दिया करूँगा..
इसी तरह करते-करते मोहन ने पिचकारी मेरी गाण्ड में छोड़ दी और अपना लंड बाहर निकाल लिया।
तभी चाचा ने मेरी गाण्ड चाट कर गाण्ड को साफ़ किया।
यह मेरी पहली गाण्ड मराई थी, इसके बाद हम लोग रोज एक-दूसरे की गाण्ड मारते थे।
खान चाचा ने ही चूत का मजा दिलवाया था। इसका वर्णन अगले भाग में लिखूँगा..
मित्रो, मेरी भाषा एकदम सपाट हो सकती है पर ये मेरी सच्ची दास्तान है.. उम्मीद करता हूँ कि आप सबको मजा आया होगा।
मुझे आपके विचारों को जानने की उत्सुकता रहेगी..
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