काला हीरा -2

(Kala Heera Black Diamond-2)

रंगबाज़ 2015-03-23 Comments

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अब तक ट्रेन में भीड़ कम हो गई थी, लेकिन दोनों उसी जगह, हैंडरेल का सहारा लिए, खड़े हुए बतिया रहे थे।

‘मेरी भी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।’ अर्जुन का तो मन था कि कह दे ‘तुम हो न मेरी गर्लफ्रेंड…’

थोड़ी ही देर में साकेत स्टेशन आ गया, दोनों को यहीं उतरना था।
स्टेशन से बाहर आते-आते दोनों ने मोबाइल नंबर की अदला-बदली की, बात यहाँ तक बढ़ गई कि दोनों विदा लेते समय दूसरे के गले लगे।

गले लग कर दोनों एक सुखद अनुभूति हुई – इस अनुभूति में सिर्फ हवस ही नहीं थी, बल्कि उससे बढ़ कर एक भावना थी। दोनों को लगा जैसे दोनों को थोड़ी देर और उसी तरह लिपटे रहना चाहिए था, उन्हें ऐसा लगा जैसे उन्हें और पहले ही एक दूसरे से लिपट जाना चाहिए था।

उस रात न विनीत को नींद आई ना सौरभ को। दोनों रात भर एक दूसरे व्हाट्सऐप से बतियाते रहे।

दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया।

अब तक दोनों सिर्फ सेक्स करते आये थे, यह उनका पहला प्यार था… वैसे भी लड़कपन में बहुत जल्दी प्यार होता है।
अब दोनों अक्सर मिलने लगे। विनीत ने अर्जुन की तस्वीर फेसबुक पर अपने दोस्तों को दिखाई। एक आध को तो उसका डील डौल बहुत पसंद आया और कुछ को अर्जुन बिल्कुल नहीं अच्छा लगा।

‘विनीत, ही इज़ सो ब्लैक… हाउ कैन यू लाइक हिम?’ ( यह तो इतना काला है… तुम इसे कैसे पसन्द कर सकते हो?)
‘छी सौरभ… ब्लैक मॉन्स्टर !!’ (काला दैत्य )
‘यह तो घुड़मुहा है… ऊपर से भुच्च काला !’
‘वाओ… ही इज़ अ हँक… !!’ (कितना बाँका लड़का है !)
‘सेक्सी !!’

उसके दोस्तों की मिलीजुली प्रतिक्रिया थी।

विनीत ने सिर्फ एक जवाब दिया- ब्यूटी लाइज़ इन दी आइज़ ऑफ बीहोल्डर’ (सौन्दर्य देखने वाले की निगाह में होता है।)

विनीत ने ज़्यादा बहस नहीं की, उसे अर्जुन पसन्द था, सौन्दर्य क्या सिर्फ गोरे-चिट्टे लोगों में होता है? क्या काले लोगों से कोई प्यार नहीं कर सकता?
अर्जुन कितना सेक्सी लड़का था, कितना मर्दाना, कितना बाँका। अगर विनीत लड़की होता तो उससे शादी कर लेता, उसे खूब प्यार करता, उसे अपना राजा बना कर रखता।

विनीत और अर्जुन सी आई इस एफ कैंप के मैदान में मिलते, दोनों एक दूसरे के करीब आते गए, अर्जुन हँसी-हँसी में विनीत की गाण्ड में कभी कभी चिकोटी काट लेता, विनीत पलट कर हँस देता, बेचारे खुले मैदान में ज़्यादा कुछ कर भी नहीं सकते थे।

अर्जुन कैम्प में बने बैरकों में रहता था, जहाँ उसके साथ कई सी आई इस एफ के जवान रहते थे और विनीत तो अपने परिवार के साथ रहता था, घर में हमेशा उसकी मम्मी रहती थी, यानि दोनों को एकांत मिलना मुश्किल था।

कुछ दिनों में बाद दशहरा आया। मेट्रो की रखवाली के लिए सी आई इस एफ में किसी को भी छुट्टी नहीं मिली लेकिन सौभाग्य से अर्जुन को सिर्फ दशहरे के दिन छुट्टी मिल गई। वो अपने बैरक में अकेला पड़ा था, उसके दिमाग में बिजली कौंधी और उसने विनीत को अपने कैम्प में बुला लिया।
विनीत भागा-भागा आ गया।

दोनों एकान्त में पहली बार मिल रहे थे, विनीत के आते ही अर्जुन ने उसे गले लगा लिया।

‘मेरी जान…’ अर्जुन ने हलके से मदहोशी में विनीत के कान में बोला, उसका लौड़ा उसकी चड्ढी में बिल्कुल टाइट खड़ा हो गया, उसकी हवस बेकाबू हो गई, कपड़े भी उतारने के फुर्सत नहीं थी उसे, उसने वैसे ही विनीत के ऊपर अपना लण्ड रगड़ना शुरू कर दिया।
दोनों ने अपने होंठ एक दूसरे के होंठों पर रख दिए, दोनों एक दूसरे से गुत्थम-गुत्था पलँग पर गिर गए।
ज़ाहिर सी बात है, अर्जुन विनीत के ऊपर चढ़ा हुआ था।

तभी बाहर से आवाज़ आई- अर्जुन… ओ अर्जुन… सी ओ साहब ने बुलाया है…

दोनों लपक कर अलग खड़े हो गए, इससे पहले कि कोई अंदर आता, अभी खड़े ही हुए थे की अर्जुन का साथी जवान आ गया- अर्जुन, यार तुम्हारे लिए बुरी खबर है… सी ओ साहब ने बुलाया है, एयरपोर्ट जाना है, फटाफट आओ।
कहते ही वो वापस हो लिया।

दोनों का जी छोटा हो गया। एयरपोर्ट पर सुरक्षाकर्मियों की कमी थी, अर्जुन को उसके कमाण्डेंट ने बुलाया था, उसे तुरन्त ही निकलना था, बुझे मन से दोनों ने एक दूसरे से विदा ली।
विनीत मुँह लटका कर घर वापस आ गया और अर्जुन वर्दी पहनकर, बन्दूक लेकर हवाई अड्डे भेज दिया गया।

कुछ दिन यूँ ही बीत गए। फिर विनीत के रिश्तेदारों में कोई गुज़र गया, उसके मम्मी-पापा को उसे घर में अकेला छोड़ कर दो-तीन दिनों के लिए अल्मोड़ा चले गए।
विनीत की तो बाँछे खिल गई, उसने अर्जुन को बताया, दोनों ने मिलने का प्रोग्राम बनाया। विनीत के मम्मी-पापा दोपहर को बस पकड़ने निकले, उसी दिन शाम को अर्जुन विनीत के घर आ गया।

सारे दिन अर्जुन अपना बावरा लण्ड सम्भाले उस पल का इंतज़ार कर रहा था कि कब वो विनीत को अपनी बाँहों में लेगा, कब उसके होंठों को चूसेगा, कब उसके सुन्दर से चेहरे को अपनी विशाल, काली बालदार जाँघों के बीच दबा कर अपना लण्ड चुसवाएगा…
विनीत से मिलने के बाद से ही वो कल्पना करता था कि वो उसे कैसे चोदेगा, उसकी गाण्ड में अपना लन्ड पूरा का पूरा एक बार में घुसेड़ देगा, विनीत कैसे उछलेगा, उसका तगड़ा, मोटा लण्ड जब उसकी गाण्ड को फाड़ेगा तब विनीत को दर्द होगा- जब उसे दर्द होगा तो वो कैसे तड़पे-छटपटायेगा, चिल्लाएगा… विनीत उससे धीरे चोदने के लिए गिड़गिड़ाएगा, लेकिन वो उसे और तेज़ी से चोदेगा, विनीत और ज़ोर से चिल्लाएगा और वो बिल्कुल बहरा बन कर उसे भड़ा-भड़ चोदता चला जायेगा, अपने लण्ड को उसकी गाण्ड के मज़े दिलाएगा..

अर्जुन अपने उन्हीं जॉगिंग वाले कपड़ों में आया था, दरवाज़ा खोलते ही अन्दर घुस गया. आव देखा न ताव, उसने विनीत को बाहों में भर लिया।

‘मेरी जान…’

विनीत भी अर्जुन की चौड़ी छाती में समा गया। इतनी चौड़ी छाती से लिपटना एक अद्भुत एहसास था। एक दो मिनट तक तो दोनों यूँ ही एक-दूसरे से लिपटे रहे, फिर विनीत को ध्यान आया की दरवाज़ा सपाट खुला था, उसने झट से दरवाज़ा बंद किया, सिटकनी लगाई और अर्जुन को अपने मम्मी पापा के बेडरूम में ले गया।
डबल बेड पर फ़ैल कर प्यार करेंगे !

जैसे ही विनीत ने कमरे की लाइट जलाई, अर्जुन ने उसे बिस्तर पर पटका और खुद उसके ऊपर चढ़ गया, उसे दबोचा और उसके होटों के रस को पीने लगा।
विनीत भी अपने राजकुमार से लिपट गया और उसके भी होटों को चूसने लगा।
कमरे में उनके चूमा-चाटी की आवाज़ गूँजने लगी, आपने ब्लू फिल्मों में चूमने की आवाज़ तो सुनी ही होगी, बिल्कुल वैसी ही।

करीब पन्द्रह मिनट तक अर्जुन विनीत पर लेटा हुआ उसके पतले-पतले कोमल होंठों का रस पीता रहा फिर विनीत ने उसे रोक दिया
‘मेरे होंठ सुजा दोगे क्या?’

‘म्म्म्म… मेरी जान रोको मत… तुम्हारे होंठ इतने रसीले हैं कि छोड़ने का मन ही कर रहा… तुमने बहुत तड़पाया है… आज अपना मन भर के ही जाऊँगा।’ उसने विनीत का जबड़ा हाथ से खोला और फिर से उसके होंठ चूसने लगा, ऐसे चूस रहा था जैसे उसे बहुत रसीला फल मिल गया हो।

विनीत उसी तरह, अर्जुन के नीचे दबा, उसके बालों और पीठ को सहलाता अपने होंठ चुसवाता रहा, उसने उसका खड़ा हुआ लण्ड भी महसूस किया।
अर्जुन आज पूरी तैयारी से आया था, इतने इन्तज़ार के बाद आज उसे विनीत मिला था। आज तो वो सारी रात विनीत साथ सेक्स करेगा।

करीब आधा घंटा अर्जुन ने विनीत को किस किया, जब जी भर कर किस कर लिया तब उठा और अपने कपड़े उतारने लगा।
उसने पहले अपनी टी शर्ट और बनियान उतारी, फिर जूते और फिर नेकर… अभी उसने नेकर उतारी ही थी कि विनीत भौंचक रह गया। अर्जुन ने नेकर के अन्दर बॉक्सर शॉर्ट्स पहनी हुई थी, और उसका विकराल लण्ड पूरी तरह तन कर खड़ा हुआ था- ऐसा लग रहा था जैसे कोई तम्बू ताना गया हो।
उसका लण्ड इतना लम्बा था कि शॉर्ट्स का इलास्टिक खिंच कर ऊपर उठ आया था। विनीत की आँखें आश्चर्य से फटी रह गई।
उसने इतना बड़ा लण्ड असल ज़िन्दगी में पहले कभी नहीं देखा था।

‘क्या देख रहे हो?’ अर्जुन ने मुस्कुराते हुए पूछा।

‘यह तो बहुत बड़ा है…’ विनीत अचंभित होकर बोला।

‘तुम्हारा है…’ उसने फिर से विनीत को बाँहों में भींच लिया, अपने होंठ विनीत के होंठों पर रखने ही वाला था कि विनीत पीछे हो गया- बस करो प्लीज़, मेरे होंठ सूज जायेंगे।

‘जानू तुम्हारे होंठ इतने रसीले मुलायम हैं… मम्म… मन करता है चूसता चला जाऊँ…
अर्जुन फिर से विनीत के ऊपर लेट गया, उसे अपने नीचे दबोच लिया और फिर से उसके होंठों का रस चूसने लगा। विनीत बेचारा उसके विकराल शरीर के नीचे दबा, उसके कंधे थामे, अपने होंठों के सूजने का इंतज़ार करता रहा।
वैसे विनीत को भी बहुत मज़ा आ रहा था, इतने बाँके, तगड़े लड़के के नीचे दबना बहुत नसीब से होता है। उसका मन कर रहा था कि इस पल को हमेशा के लिए कैद कर ले।

आज वो राक्षस अपनी हर इच्छा पूरी करेगा, पूरे इत्मिनान से, और करता भी क्यों ना? इतना सुन्दर लड़का, इतने इंतज़ार के बाद उसे मिला था।

आज रात विनीत अर्जुन की ‘प्राइवेट प्रॉपर्टी’ था- अर्जुन जो मर्ज़ी विनीत करेगा, उससे करवाएगा, जितनी देर तक उसका मन करेगा।

थोड़ी देर बाद अर्जुन उठा और अपनी बॉक्सर शॉर्ट्स उतार कर अलफ नंगा हो गया। उसका लौकी जितना मोटा, भुट्टे जितना लम्बा, काला लण्ड पूरा तन कर खड़ा था। ऐसा लग रहा था जैसे कोई काला दानव अपनी कटार ताने खड़ा हो।

एक मिनट को तो विनीत उसे आँखें फाड़े देखता रहा, फिर अर्जुन ने विनीत के कपड़े उतारने शुरू किये- उसकी टी शर्ट और बनियान खींच कर एक कोने में फेंक दी, अपनी जीन्स विनीत ने खुद उतार फेंकी।
अभी अपना कच्छा उतार ही रहा था कि अर्जुन ने अपना लण्ड विनीत के चेहरे पर तान दिया। अब विनीत ने ध्यान से अर्जुन का लण्ड देखा, लगभग दस इंच लम्बा, उसी की तरह काला, खीरे जितना मोटा। उस पर नसें उभरी हुई थी, उसका बैगनी रँग का सुपाड़ा फूल कर बड़े से गुलाबजामुन के जैसा हो गया था, बिल्कुल सीधा तन कर खड़ा था, जैसे भगवान ने उसे एक तीसरी बाँह दे दी हो जांघों के बीच से, जैसे कोई तोप तैयार हो दगने के लिए, अफ़्रीकी भी इतने बड़े लण्ड को देख कर शर्माए।

विनीत इतना सुन्दर, गदराया लण्ड पाकर ऐसे खुश हुआ जैसे कोई बच्चा नया खिलौना पाकर खुश होता है।

इतने में अर्जुन ने लण्ड विनीत से मुहाने पर रख दिया, विनीत तुरंत ही उसे चूसने लगा, उसके नथुने में लण्ड की गंध भर गई।

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‘आह्ह्ह…!’ यह आह अर्जुन की थी। विनीत के मुँह की गर्मी पाकर अर्जुन को बहुत मज़ा आया।
विनीत मस्त होकर चूसने लगा- स्वाद ले-लेकर, अपनी जीभ से सहला-सहला कर चूस रहा था, जैसे कोई हवस की मारी लड़की अपने मर्द का लण्ड चूसती हो।
अर्जुन उसके बाल सहलाता, उसी तरह खड़ा अपना लण्ड चुसवा रहा था, बहुत मज़ा आ रहा था उसे।

उसका लण्ड विनीत के मुंह में ऐश कर रहा था, विनीत की गीली, मुलायम जीभ उसके काले गदराये मुसण्ड का दुलार करती, उसे सहला रही थी।
अर्जुन बड़े कौतूहल से विनीत को अपना लण्ड चूसता हुआ देख रहा था और आनन्द भी ले रहा था- हाय राम, कितने प्यार से विनीत उसका लण्ड चूस रहा था !!

थोड़ी देर अर्जुन ने ऐसे ही लण्ड चुसवाया, फिर पलंग पर सहारा लेकर लेट गया, उसका लण्ड अब पत्थर की तरह सख्त हो चुका था, इतना कि अगर वो ज़बरदस्ती घुसेड़ दे, तो चूत या गाण्ड फट जाती।

‘आओ, पलँग पर…’ उसने विनीत को पलँग पर घसीट लिया- सामने लेट जाओ।

उसने टाँगे फैला लीं, और विनीत उसकी जाँघों के बीच आ गया।

‘अब चूसो…’ उसने आदेश दिया।

विनीत उसकी टांगों बीच घुटनों के बल बैठ कर फिर चुसाई में लग गया। उसके मन में न जाने कितने हज़ार लड्डू फूट रहे थे, इतना बड़ा लण्ड चूसने को मिला था ! वो तो ऐसे खुश था जैसे किसी बच्चे को मनचाहा खिलौना मिल गया हो। उसका बस चलता तो सारा का सारा अपने मुँह में ले लेता और हमेशा और हमेशा ऐसे ही लिए रहता। आज तक उसने इतनी ललक और इतने प्यार से किसी का लण्ड नहीं चूसा था, न ही इतना बड़ा लण्ड उसे आज तक कहीं मिला था। आज वो जी भर के अपने हीरो का गदराया रसीला काला लण्ड चूसेगा।

अर्जुन ने अपनी जाँघों से विनीत का सर दबा लिया। उसका सुन्दर सा चेहरा उसकी भीमकाय चौड़ी-चौड़ी, काली-काली, बालदार जाँघों के बीच समा गया। ठीक यही कल्पना उसने करी थी।
अर्जुन लण्ड चुसवा रहा था और चूसते हुए विनीत को देख रहा था- उसका काला-मोटा लौड़ा विनीत के कोमल गुलाबी होंठों के बीच दबा हुआ था।

करीब आधे घण्टे तक दोनों मुख-मैथुन का आनन्द लेते रहे, फिर बेचारा विनीत थकने लगा। इतना बड़ा लण्ड झेलना कोई आसान काम नहीं है।

अर्जुन भाँप गया- आओ जानू… क्या मस्त लण्ड चूसते हो… कभी सारा दिन तुमसे सिर्फ अपना लण्ड ही चुसवाऊँगा… अभी यहाँ आओ…
उसनेअपनी जाँघें खोली और विनीत को बाँह से पकड़ कर अपने पास खींच लिया, उसने विनीत को फिर से अपनी बाँहों में भर लिया। अर्जुन उसकी आँखों में झाँकता हुआ बोला- विनीत… तुम बहुत सुन्दर हो… मैं तुम्हें पाकर बहुत खुश हूँ।

विनीत शर्म से पानी-पानी हो गया, उसने नज़रें झुका ली और मुस्कुराने लगा।

अर्जुन ने उसे गले लगा लिया- अगर तुम लड़की होते तो तुम्हें उठा कर ले जाता… तुम्हारा चोदन कर देता… तुम्हें इतना चोदता कि तुम मुझसे प्रेग्नेंट हो जाते… फिर तुम हमेशा के लिए मेरे हो जाते।

विनीत अर्जुन से कस कर लिपट गया- इसकी ज़रूरत ही नहीं पड़ती… मैं खुद ही तुम्हारे साथ भाग चलता। तुम्हारे जैसा बाँका लड़का पाकर तो मेरी किस्मत ही खुल गई।

दोनों ने अब सेक्स करना फिर से शुरू कर दिया, अर्जुन विनीत के निप्पल चूसने लगा, विनीत को इतना मज़ा आ रहा था जैसे किसी लड़की को आता है निप्पल चुसवाने में।
वो अर्जुन के बाल सहलाता, उसे निहारता, अपनी चूचियाँ चुसवा रहा था।

थोड़ी देर बाद अर्जुन बोला- जानू… आओ तुम्हें चोद दूँ…
कहानी जारी रहेगी…
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