जोशीले जवान जाट का नशीला लौड़ा-1
(Joshile Jawan Jaat Ka Nashila Lauda- Part 1)
अन्तर्वासना मनोरंजक साइट होने के साथ-साथ एक ज्ञानवर्धक साइट का कर्तव्य भी पूरा करती है। आप यहां पर सेक्स से जुड़े हर पहलू को कहानियों के रूप में पढ़ते हैं, चाहे वह सेक्स पोज़ हो, व्यक्तिगत रुचि हो, रिश्ते हों या फिर आपकी फैन्टेसी… और समलैंगिकता यानि कि गे सेक्स भी हमारे समाज का एक ऐसा ही हिस्सा है जिसका मजा तो सब लेते हैं लेकिन इसके बारे में कोई बात नहीं करना चाहता, जो बातें होती हैं वो या तो इसको दबाने के लिए होती हैं या फिर इसको अपराध घोषित किए जाने को लेकर होती हैं.
लेकिन अगर बनाने वाले ने एक इंसान को गर्भ से ही ऐसा बनाकर भेजा है, जिसको मर्दों में रुचि है तो उसमें उस इंसान की क्या गलती है। इस सवाल का जवाब शायद आज भी हमारे समाज के पास नहीं है। इसलिए मैं हर कहानी के अंत में आपसे कमेंट करने की गुजारिश करता हूं ताकि मनोरंजन के साथ ही आपकी प्रतिक्रियाओं द्वारा समाज के लोग ये जान सकें कि आप समलैंगिकता के बारे में क्या सोचते हैं और एक समलैंगिक, समाज के बारे में क्या सोचता है.
मेरी यह कहानी भी एक सच्ची घटना है जो मैं आप लोगों को बताने जा रहा हूं। मुझे जाटों की तरफ आकर्षण होता है और उनके लंड के वीर्य को पीने के लिए मैं सारी हदों को पार करने तक पहुंच जाता हूं लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि मुझे हर लड़के के लंड को मुंह में या गांड में लेने का शौक है। सबकी अपनी पसंद होती है और सबको अपनी जिन्दगी अपने तरीके से जीने का हक होता है। हमारे समाज में शादी भी चलन में है और वेश्यावृत्ति भी। लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि हर लड़की को चोदने की वस्तु की समझा जाए। यही बात समलैंगिक समाज पर भी लागू होती है।
लेकिन समाज समलैंगिकों को सेक्स की प्यास बुझाने वाले ऑप्शन के अलावा कुछ नहीं समझता। लेकिन समलैंगिक समाज में भी कुछ लोग वेश्यावृत्ति की तरफ चले जाते हैं, कारण चाहे कुछ भी हो। लेकिन सबको एक ही तराज़ू में तौलना कहां का इन्साफ है और कैसी इन्सानियत?
खैर समाज तो बदलेगा तब बदलेगा, लेकिन मैं आपको अपने पुराने दिनों की एक घटना बताने जा रहा हूं जो रवि के मेरी जिंदगी में आने से पहले घटित हुई थी।
बहादुरगढ़ जो कि हरियाणा और दिल्ली के बॉर्डर पर पड़ता है, मैं वहीं पर अपने काम से लौटते हुए घर की तरफ जा रहा था। रात काफी हो चुकी थी.
हरियाणा है तो जाट तो होंगे ही, मेरी नज़रें बार-बार उनकी पैंट की जिप पर जातीं थी और मेरी कोशिश होती थी कि कोई तो आज अपने लंड का रस पिला दे। लेकिन आधा रास्ता खत्म होने को था किसी ने मुझे भाव नहीं दिया क्योंकि आजकल लौंडों के पास ऑप्शन्स बहुत हैं, जाट देखने में तो स्मार्ट और मजबूत शरीर वाले होते ही हैं इसलिए आजकल उनके पास लड़कियों के साथ-साथ लड़कों की कमी भी नहीं रहती क्योंकि मुझे जैसे लंड के प्यासे उनकी प्यास बुझाते रहते हैं.
खास कर दिल्ली और एनसीआर में तो ये चलन बढ़ता जा रहा है क्योंकि जाट अब सिर्फ गांवों तक ही सीमित नहीं रह गए हैं वो शहर में पढ़ाई करने भी आते हैं, कोई अखाड़े में दाखिला लेता है तो कोई कोचिंग सेंटर में… बाकी नौकरी करने के लिए डेली अप-डाउन करते हैं. और दिल्ली जैसे शहर में मटरगश्ती भी खूब करते हैं।
इसलिए मेरे जैसों के लिए लंड और उनके जैसों के लिए चूत, बड़ी-बड़ी चूचियां और गांड अक्सर तैयार रहती हैं। यहां पर एक बात और बताना चाहूंगा कि भले ही जाट गांडुओं को यूज़ करते हों लेकिन जितना मजा एक लंड चूसने वाला उनको दे सकता है उतना शायद उनके चूत मारने में भी नहीं आता होगा। क्योंकि लड़कियों के साथ सौ तरह के झंझट होते हैं और नखरे होते हैं लेकिन मेरे जैसे लंड के पुजारी तो उनको जन्नत में ले जाकर ही सांस लेते हैं चाहे उनके भारी भरकम आण्डों के नीचे सांस क्यों न रुक जाए। इसलिए वो चूत मारकर गांडुओं के साथ ऐश करने से परहेज़ नहीं करते।
अब कहानी पर आता हूं। तो हुआ यूं कि मैं घर की तरफ जा रहा था तो एक हट्टा-कट्टा देसी जाट लड़का पास की ही वाइन शॉप पर खड़ा था। क्योंकि रात में अक्सर इनकी दारू पार्टी चलती है तो पीने के बाद लंड में गर्मी भी बढ़ जाती है जिसको निकाल देना ही बेहतर होता है नहीं तो इनका लंड रात भर खड़ा रहता है।
उसके हाथ में बीयर की दो बोतलें थीं. 28-30 साल का जिम टॉन्ड बॉडी का लड़का था जो किसी पहलवान जैसा दिख रहा था… उसने गहरे नीले रंग की हाफ-बाजू की टी शर्ट पहनी थी, जिसमें उसके 16 इंच के डोले कसे थे और छाती जैसे टी-शर्ट को फाड़ ही देगी. नीचे उसने हल्के आसमानी रंग की जींस पहनी हुई थी जिसमें उसकी मोटी-मोटी जांघें भरी हुई थी जो जींस की चेन को दोनों तरफ से अपनी-अपनी ओर खींचते हुए लंड के ऊपर एक उभार बना रहीं थी और वहीं पर साइड में दिख रहा था उसके सोये हुए मोटे लंड का छोटे केले जैसा शेप।
सामने का नज़ारा ही ऐसा था कि कोई लड़का हो या लड़की एक बार उस जवान मर्द को देखे बिना आगे बढ़ ही ना पाए। इसलिए मैं वहीं साइड में खड़ा होकर उसको देखने लगा और सोचने लगा कि काश ये अपना लंड मुझे पिला दे।
जब जींस में ही इतना मोटा है तो मुंह में जाकर तो मुंह ही भर देगा। यही सोचकर मेरी अन्तर्वासना हिलौरियां खाने लगी। लेकिन समझ नहीं आ रहा था इसको मन की बात कैसे बताऊं और बता भी दूं तो ये मानेगा या नहीं इसकी भी कोई गारन्टी नहीं है… कहीं 4 लोगों के सामने इज्जत ही ना उतार दे मेरी, कि “चल साले गांडू…”
लेकिन हवस के आगे मेरे अंतर्मन ने घुटने टेक दिये और मैं उसको देखने लगा। लेकिन उसका ध्यान मेरी तरफ जा ही नहीं रहा था। अगर वो देख लेता तो मैं उसके लंड की तरफ देखकर ही इस बात इशारा कर देता कि मुझे उसका लंड अपने मुंह में लेकर चूसने का मन है…उसके मोटे-मोटे आण्डों को चाटने का मन है। मेरे पीठ पर बैग था जिसका सहारा लेने की तरकीब दिमाग में आई, मैं उसके करीब जाकर खड़ा हो गया… उसके लंड और मेरे कंधे पर लटके बैग पर रखे मेरे हाथ में केवल 2 फीट का फासला था…हाय..एक बार छू लूं इसके लौड़े को… मेरी हवस की आग और भड़की और मुझे उसके बिल्कुल करीब ले गई.
हालांकि मैं वहां के हर एरिया को जानता था लेकिन फिर भी मैंने अनजान बनते हुए उससे वहां के एरिया का पता पूछ डाला और ऐसा करते हुए मैंने बहाने से साइड में निकले उसके सोए हुए लंड को टच कर दिया.
क्या लंड था यार… छूते ही आंखें बंद हो गईं मेरी तो!
उसने पहले तो ध्यान नहीं दिया कि मैंने उसके लंड को टच कर लिया है, उसे लगा कि मैं सच में उससे रास्ता पूछ रहा हूं, और उसने मेरे पूछे गए पते के बारे में बता दिया.
उसके लंड को एक बार छूने से हवस की आग को और ज्यादा हवा मिल गई और मैंने बात बढ़ाते हुए कहा- भैया कितनी दूर है यहां से? पैदल ही जा सकते हैं या ऑटो से जाना पड़़ेगा?
ऐसा पूछते हुए मैंने उसके केले जैसे लंड पर से अपनी दो उंगलियां दोबारा फिरा दीं लेकिन उसने अभी भी मेरी नीचे वाली हरकत पर ध्यान नहीं दिया और बोला- यहां से 15 मिनट का पैदल का रास्ता है.
मैंने कहा- ठीक है.
उसने देखा कि पता पूछने के बाद भी मैं वहीं खड़ा हुआ हूं… मैं अब जान बूझकर उसकी जींस में कैद लंड को देखने लगा… और चाह रहा था कि वो मुझे देखे… हुआ भी कुछ ऐसा ही, उसने देख लिया कि मैं उसकी पैंट की चेन की तरफ देख रहा हूं.
उसने एक पल के लिए अपनी नज़र नीचे की ओर घुमाई तो वो समझ गया कि मैं कहां देख रहा हूं… लेकिन उसने कोई रिएक्शन नहीं दिया.
मैं थोड़ी और हिम्मत करके उसके पास गया और अबकी बार मैंने बहाने से अपनी चारों उंगलियां उसके लंड पर फिराते हुए पूछा- रिक्शा कहां से मिलेगी?
लेकिन अगले ही पल उसने पूछ लिया- लेना है के… लोला मेरा? (लेना है क्या….मेरा लंड)
मेरे तो वारे के न्यारे हो गये… मैंने झट से हां की और वो बोला- जगह है कहीं आस-पास में?
मैंने कहा- मैं यहां पर नया हूं तो मुझे ज्यादा नहीं पता यहां के बारे में।
ये सब बात होते-होते उसका लंड जींस में जिप की साइड में एक तरफ किसी भारी मोटे डंडे की तरह तन गया था।
तो वो बोला- ठीक है, आ जा… बाइक पर बैठ, मैं ले चलता हूं तुझे…
उसके मोटे लंड को मुंह में लेने की ललक में मेरी बुद्धि ने काम करना बंद कर दिया और मैं उसके पीछे बाइक पर जा बैठा, उसने बीयर की बोतलें मेरे बैग में रखी और बाइक गुड़गांव वाले रोड पर दौड़ा दी।
मैं हवस की आग में उसकी पीठ से लगा हुआ उसकी टी-शर्ट से आ रही पसीने की हल्की गंध को अपनी सांसों में भरने लगा. वाकई मर्द था यार… किलोमीटर भर चलने के बाद एक पार्क के सामने उसने बाइक रोकी और उतर कर मूतने लगा. मैंने उसके लंड को देखना चाहा पर अंधेरे में देख नहीं पाया। रात के 10.30 बज चुके थे और पार्क में इक्का दुक्का लोग ही बचे थे.
हम जाकर एक बैंच पर बैठ गए. उसने बैग मुझसे लिया और उसमें से बोतल निकाल कर पीने लगा.
अपने होठों से लगाई हुई बोतल उसने मुझे भी पिला दी जिसे मैं अमृत समझ कर पी गया.
चंद मिनटों में सभी लोग चले गए, पार्क में सिर्फ हम दोनों बचे थे। उसने कहा- बैग में और क्या है?
कह कर वो मेरा बैग टटोलने लगा… जिसमें एक डायरी और एक चिप्स के पैकेट के सिवा कुछ नहीं था.
वो चिप्स निकालकर खाने लगा. इतने में मैंने उसके लंड पर हाथ रख दिया और वो तनकर बड़ा होने लगा.
वो बोला- आराम से पकड़ ले यार… तेरा ही है।
मैंने उसका खड़ा हो चुका लंड अपनी मुट्ठी में भर लिया और जींस के ऊपर से ही उसको रगड़ने और सहलाने लगा जिससे वो तनकर झटके मारने लगा. मैंने उसको जींस के ऊपर से ही चाटना चाहा लेकिन उसने मेरा मुंह हटा दिया, बोला- क्या कर रहा है, पैंट पर निशान हो जाएगा।
“चल पीछे झाड़ियों में चलते हैं…” यह कहकर हम अंधेरे कोने में पहुंच गए और उसने जाते ही अपनी जींस की पैंट का हुक खोल दिया, बोला- नीचे उतार ले…
मेरी कामना पूरी होते देख मैंने बड़ी मुश्किल से उसकी कसी हुई जांघों में जींस को नीचे घसीटना शुरु किया और चेन का एरिया नीचे जाते ही उसकी फ्रेंची में तना हुआ लौड़ा दिखने लगा. मैंने उसको चाटने के लिए जीभ निकाली ही थी कि उसने मेरे बाल पकड़ लिए.
वो बोला- रुक जा जाने-मन… इतनी भी क्या जल्दी है.
कहते हुए उसने थोडी सी बीयर अपनी फ्रेंची पर गिरा दी और बोला- अब चाट इसको… तुझे मजा आएगा.
मैं बीयर से सनी उसकी फ्रेंची में तने हुए लौड़े को चाटने लगा. लंड क्या लट्ठ था वो… करीब 7 इंच का लंबा और 3 इंच का मोटा… उसके लंड को चाटने के साथ ही मैं उसकी खुशबू में खो गया और वो अपनी भारी सी गांड को मेरे मुंह की तरफ धक्के देते हुए फ्रेंची को फाड़ने वाले लंड को मेरे मुंह पर फेरने लगा. मेरे हाथ उसके मोटे गद्देदार चूतड़ों पर जाकर रुक गए और मैं उसकी मोटी गांड को दबाता हुआ उसके अंडरवियर की गंध लेने लगा.
मैंने पूरा मुंह उसकी जांघों के बीच दे दिया. उसकी फ्रेंची के किनारों के साथ में जांघों पर बड़े-बड़े बाल निकले हुए थे। जो मेरे कोमल होठों पर अलग से महसूस हो रहे थे। वैसे भी मुझे बालों वाले मर्द कुछ ज्यादा ही पसंद हैं। इसलिए मैं उसकी जांघों को होठों से किस करने लगा।
उसकी सिसकारियां निकलना शुरु हो गईं ‘ईस्स्स्स… अम्म्म्म… आह्ह्ह्ह…’ वो आगे की तरफ गांड धकेलता हुआ रिदम में आ चुका था। मैं उसके लंड वाले उभार को चूमे चाटे जा रहा था। उसने बोतल फेंकी और दोनों हाथों से मेरे बाल पकड़ लिए और फ्रेंची को मुंह में घुसाता कभी नाक पर रगड़ता.
वो भी हवस में पागल सा हो चुका था… उसके मुंह से निकला- आह… साले चूसेगा… लोला मेरा?(उसने पूछा चूसेगा मेरा लौड़ा…)
मैंने ‘हम्म…’ करते हुए उसके आंडों में मुंह दे दिया.
आगे की कहानी दूसरे भाग में जारी रहेगी।
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कहानी का अगला भाग : जोशीले जवान जाट का नशीला लौड़ा-2
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