जिस्मानी रिश्तों की चाह -7
(Jismani Rishton Ki Chah- Part 7)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left जिस्मानी रिश्तों की चाह -6
-
keyboard_arrow_right जिस्मानी रिश्तों की चाह -8
-
View all stories in series
मैंने फरहान को ऐसे ही अपने सीने पर सिर रखने को बोला और 5-6 मिनट बाद मेरा लण्ड फिर से अपने पूरे जोबन पर आ चुका था। इसके बाद मैंने एक बार फिर उसकी चुदाई की और ये हमारी चुदाई में से अब तक की सबसे बेहतरीन चुदाई थी।
फरहान बिल्कुल लड़की लग रहा था और अब मैं जान चुका था कि मुझे चुदाई के लिए लड़की मिल गई है.. क्योंकि अब मैं लड़के को चोदने से बेजार हो चुका था और कुछ नया चाहता था।
अब यहाँ कहानी के इस मोड़ पर आकर इस बात की जरूरत है कि मैं अपनी आपी के बारे में चंद बातें खुलासा कर दूँ।
मेरी आपी जिनका नाम रूही है.. वो मुझसे 4 साल बड़ी हैं। वो बहुत ही पाकीज़ा सी हस्ती हैं।
आपी पर्दे की बहुत सख़्त पाबंद हैं.. घर से बाहर निकलती हों.. तो मुक्कमल तौर नक़ाब लगा के.. हाथों पर ब्लैक दस्ताने.. पाँवों में ब्लैक मोज़े.. और आँखों पर काला चश्मा लगाती हैं.. यानि कि उनके जिस्म का कोई हिस्सा तो बहुत दूर की बात एक बाल भी नहीं नज़र आता है।
घर में भी उनके सिर पर हर वक़्त स्कार्फ बँधा होता है.. जैसे नमाज़ पढ़ते वक़्त.. औरतें बाँधा करती हैं। उनका सिर्फ़ चेहरा ही नज़र आता है.. बाल.. माथा और कान भी स्कार्फ में छुपे होते हैं।
मेरी यह बहन हर किसी का ख़याल रखने वाली.. सबके लिए दिल में दर्द रखने वाली.. नरम मिज़ाज की हैं। उनकी शख्सियत में नफ़ासत बहुत ज्यादा है.. उनसे कहीं हल्की सी गंदगी भी बर्दाश्त नहीं होती।
बेहद साफ़ चेहरा और उनका गुलाबी रंग उनको बहुत पुरनूर और उनका लिबास उनकी शख्सियत को मज़ीद नफीस बना देता है।
हमारी छोटी बहन का नाम नूर-उल-आई है.. जो फरहान की हम उम्र और जुड़वां है।
हम सब प्यार से उसे हनी कहते हैं..
बाक़ी तफ़सील उस वक़्त बताऊँगा.. जब हमारी कहानी में हनी की एंट्री होगी।
मुझे और फरहान को चुदाई का खेल खेलते लगभग 3 महीने हो गए थे। हम लण्ड चूसते थे.. गाण्ड चाटा करते थे.. चुदाई की तकरीबन सभी पोज़िशन्स को हम लोग आज़मा चुके थे।
एक रात मैं बहुत ज्यादा गरम हो रहा था.. तो मैंने फरहान से कहा- तू आज फिर से लड़की बन जा।
उसने कहा- भाई ये नहीं हो सकता.. सबके सब घर में हैं.. हम बहनों के कमरे में से उनके ड्रेस नहीं ला सकते..
मैंने उससे कहा- जब सब खाना खा रहे हों.. तो तुम उस वक़्त बहनों के कमरे में चले जाना और कपड़े छुपा लाना..
उसने ऐसा ही किया और खाना खाने के बाद जब हम अपने कमरे में दाखिल हुए तो बहुत एग्ज़ाइटेड हो रहे थे।
मैं अपने कपड़े उतारने लगा और फरहान चेंज करने के लिए बाथरूम में चला गया। फरहान बाथरूम से बाहर आया.. तो उसने सिर्फ़ एक क़मीज़ पहन रखी थी, यह पिंक क़मीज़ पर्पल लाइनिंग के साथ थी.. और वो क़मीज़ हनी की थी।
मैंने उसे किस करना शुरू किया और कुछ ही लम्हों बाद वो मेरी टाँगों के दरमियान बैठा था और मेरा लण्ड जड़ तक उसके मुँह में था।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
वो पागलों की तरह मेरे लण्ड को चूसे जा रहा था।
आज बहुत दिन बाद मुझे इतना मज़ा आ रहा था। मैं उठा और अपने हाथों को पीछे की तरफ बिस्तर पर टिका कर बैठ गया, मेरी आँखें बंद हो चुकी थीं।
फरहान बहुत स्पीड से मेरे लण्ड को अपने मुँह में अन्दर-बाहर कर रहा था और मैं मज़े की आखिरी हदों को छू रहा था। मेरा सिर पीछे की तरफ ढुलक चुका था, मुझे महसूस हो रहा था कि कुछ ही सेकेंड्स में मेरा लण्ड पानी छोड़ देगा।
मेरे लण्ड का जूस निकलने ही वाला था कि एक आवाज़ बम बन कर मेरी शामत से टकराई ‘या मेरे खुदा.. ये तुम दोनों क्या कर रहे हो..!?!’
मेरी तो तकरीबन हवा निकलने वाली हो गई जब मैंने दरवाज़े में रूही आपी को खड़ा देखा।
उनकी आँखें फटी हुई थीं और मुँह खुला हुआ था।
वो शॉक की हालत में खड़ी थीं.. और उनका चेहरा काले स्कार्फ में लाल सुर्ख हो रहा था।
मुझे नहीं पता ये उस माहौल की टेन्शन थी.. या कुछ और..
तभी फरहान ने मेरे लण्ड को अपने मुँह से निकाला ही था और उसका चेहरा मेरे लण्ड के पास ही था.. इसलिए अचानक मेरे लण्ड ने पिचकारी मारनी शुरू कर दी और मेरे लण्ड का वाइट पानी फरहान के पूरे चेहरे पर चिपकता चला गया।
मेरे मुँह से घुटी-घुटी सी सिसकारियाँ भी निकली थीं.. जो तक़लीफ़, मज़े और डर की मिली-जुली कैफियत की नुमायश कर रही थीं।
मेरी सग़ी बहन.. मेरी रूही आपी की नजरें मेरे लण्ड की नोक से निकलते वाइट लावे पर जमी थीं।
इसके बाद मैं फ़ौरन सीधा हो कर बैठा और मैंने बिस्तर की चादर को अपने जिस्म के साथ लपेट लिया।
फरहान भी फ़ौरन बेडशीट में छुपने के कोशिश कर रहा था.. उसकी पोजीशन ज्यादा ऑक्वर्ड थी.. क्योंकि रूही आपी ने जब देखा था.. तो वो मेरी टाँगों के दरमियान बैठा था और मेरा लण्ड उसके मुँह में था और सोने पर सुहागा उसने कपड़े भी लड़कियों वाले पहन रखे थे।
‘ये क्या गन्दगी है.. और तुमने कपड़े… ये हनी की क़मीज़ पहन रखी है ना तुमने..??’
रूही आपी अपनी कमर पर दरवाज़ा बंद करते हुए इन्तेहाई गुस्से से बोलीं।
हमारी हालत ऐसी थी कि काटो तो बदन में लहू नहीं.. हमारा खून खुश्क हो चुका था।
‘सगीर तुम्हें शरम आनी चाहिए.. बड़ा भाई होने के नाते तुम इस तरह रोल मॉडल बन रहे हो… छोटे भाई के साथ ऐसी गंदी हरकतें करके… छी:.. मैं सोच भी नहीं सकती थी कि तुम ऐसा करोगे।’
वो इसी तरह थोड़ी देर हम दोनों पर चिल्लाती रहीं, उनका चेहरा गुस्से की शिद्दत से लाल हो रहा था।
मैंने थोड़ा सा उठ कर अपने कपड़ों के तरफ हाथ बढ़ाया तो रूही आपी ने चिल्ला कर कहा- वहीं बैठे रहो.. मज़ीद कमीनगी मत दिखाओ.. मेरी बातों को इग्नोर करके..
उनके हाथ-पाँव गुस्से की वजह से काँपने लगे।
कुछ देर वो अपनी हालत पर क़ाबू पाने के लिए वहीं खड़ी रहीं।
शायद वो हमें मज़ीद लेक्चर देना चाहती थीं.. इसलिए उन्होंने सोफे की तरफ क़दम बढ़ाए ही थे कि उनकी नज़र कंप्यूटर स्क्रीन पर पड़ी जहाँ पहले से ही ट्रिपल एक्स मूवी चल रही थी और एक ब्लैक लड़का एक अंग्रेज गोरी लड़की को डॉगी स्टाइल में चोद रहा था और उसका स्याह काला लण्ड उस लड़की की पिंक चूत में अन्दर-बाहर होता साफ दिख रहा था।
रूही आपी ने चेहरा हमारी तरफ मोड़ा और कहा- तो ऐसी नीच और घटिया फिल्म देख-देख कर तुम लोगों का दिमाग खराब हुआ है हाँ..!”
आपी ने हमें ये बोला और अपना रुख़ मोड़ कर कंप्यूटर के तरफ चल दीं।
रूही आपी अभी कंप्यूटर से चंद क़दम के फ़ासले पर ही थीं कि मूवी में लड़के ने अपना लण्ड लड़की की चूत से निकाला।
उसका लण्ड तकरीबन 10 इंच लंबा होगा और लड़की फ़ौरन मुड़ कर लड़के की टाँगों के दरमियान बैठ गई और खड़े लण्ड को पकड़ के अपने खुले हुए मुँह के पास लाई और फ़ौरन ही उसके डार्क ब्लैक लण्ड से वाइट जूस निकलने लगा.. जो कि लड़की अपने मुँह में भरने लगी।
पता नहीं यह हक़ीक़त थी या मुझे ऐसा लगा जैसे रूही आपी के बढ़ते क़दम इस सीन को देख कर एक लम्हें के लिए रुक से गए थे। उनकी नजरें स्क्रीन पर ही जमी थीं।
जब उन्होंने आगे बढ़ कर कंप्यूटर को ऑफ किया.. तो उस वक़्त तक मूवी वाली लड़की ब्लैक आदमी के लण्ड के जूस को पी चुकी थी और अब अपना खाली मुँह खोल के कैमरा में दिखा रही थी।
आपी कंप्यूटर ऑफ कर के मुड़ी.. तो मैं अपना शॉर्ट पहन रहा था और फरहान भाग कर बाथरूम में घुस चुका था।
मैं 2 क़दम आपी की तरफ बढ़ा और ज़मीन पर बैठ गया और मैंने कहा- सॉरी आपी.. हमारे जेहन हमारे क़ाबू में नहीं रहे थे.. हम बहुत एग्ज़ाइटेड हो गए थे।
‘क्या मतलब है तुम्हारा एग्ज़ाइटेड.. हो गए थे..?? तुम इतने पागल हो गए थे कि अपना सगा और छोटा भाई भी तुम्हें नहीं नज़र आया..। किसी लड़की के साथ मुँह नहीं काला कर सकते थे.. तो कम से कम कहीं बाहर ही कोई अपने जैसी खबीस रूह वाला लड़का देख लेते.. जो तुम्हारा सगा भाई तो ना होता..”
मेरे पास उनकी इस बात का कोई जवाब नहीं था.. लेकिन मैंने यह महसूस किया था कि कंप्यूटर स्क्रीन पर नज़र पड़ने के बाद से आपी के लहजे में बहुत फ़र्क़ आ गया था और उनका गुस्सा तकरीबन गायब ही हो चुका था।
कुछ देर खामोशी रही.. आपी किसी सोच में डूबी हुई सी लग रही थीं।
मैंने झिझकते-झिझकते खौफज़दा सी आवाज़ में उनसे पूछा- क्या आप अम्मी-अब्बू को भी बता दोगी?
वो ऐसे चौंकी.. जैसे यहाँ से बिल्कुल ही गाफिल थीं और फिर वे बोलीं- मैं नहीं जानती कि मैं क्या करूँगी.. लेकिन ये ही कहूँगी कि तुम दोनों को शरम आनी चाहिए.. ये सब करना ही है.. तो घर से बाहर किसी और के साथ जाकर करो।
फिर कुछ देर और खामोशी में ही गुज़र गई, मैंने आपी के चेहरे की तरफ देखा.. तो वो छत की तरफ देख रही थीं और उनका जेहन कहीं और मशरूफ था।
अब उनका गुस्सा मुकम्मल तौर पर खत्म हो चुका था.. चेहरा भी नॉर्मल हो गया था.. लेकिन वो कुछ खोई-खोई सी थीं। मेरी नजरों को अपने चेहरे पर महसूस करके उन्होंने मेरी तरफ देखा और कहा- उठो और जाकर फरहान को देखो।
मैं उठा तो आपी ने भी कुर्सी छोड़ दी और मेरे साथ ही बाथरूम की तरफ चल दीं। दरवाज़ा बन्द था.. आपी ने दरवाज़ा बजाया.. अन्दर से कोई आवाज़ नहीं आई।
तो वो बोलीं- फरहान मुझे तुमसे बिल्कुल भी ये उम्मीद नहीं थी.. तुम दोनों ही गंदगी में धंसे हुए नापाक इंसान हो।
आप अपने ख्यालात कहानी के आखिर में अवश्य लिखें।
ये वाकिया जारी है।
[email protected]
What did you think of this story??
Comments