जवाँ मर्द का आण्ड-रस-4
(Jawan Mard Ka Aand Ras- Part 4)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left जवाँ मर्द का आण्ड-रस-3
-
View all stories in series
कहानी के पिछले भाग में मैंने बताया कि जिम में सुबह के समय एक लड़की आती थी. जिस लड़के को पटाने के सपने मैं देख रहा था वो दरअसल उस लड़की की चूत चोदने की फिराक में था.
उस दिन शाम को जिम का ट्रेनर बाहर घूमने जा रहा था. मेरे लिए लंड चूसने का ये अच्छा मौका था. उस दिन मुझसे शाम का इंतजार नहीं हो रहा था.
साथ ही डर भी था कि अगर सुमित भी गलती से वहां चला गया तो सारा खेल बिगड़ जायेगा. हालांकि सुमित ने मुझसे कहा था कि वो भी नहीं जा रहा है. वो था भी आलसी सा. बस मैं यही सोच रहा था कि बस सुमित आज जिम में न जाये.
उस दिन शाम को मैं पूरी तैयारी के साथ गया था. मैंने एक टाइट फिटिंग वाली लोअर पहन ली थी ताकि नवीन को अपनी गांड की तरफ आकर्षित कर सकूं. साथ ही मर्दों को उकसाने वाला परफ्यूम भी लगाया था.
अपनी तरफ से पूरी प्लानिंग के साथ गया था मैं. जिम में जाते हुए मैंने सप्लीमेंट शॉप की तरफ देखा. दुकान का शटर बंद था. देखते ही खुश हो गया कि आज काम बनने वाला है.
मैं खुशी-खुशी जिम में अंदर दाखिल हुआ. मगर काउंटर पर वही कलमुंहा ट्रेनर बैठा देख कर मेरा सारा प्लान चौपट हो गया. दिमाग खराब हो गया. कहां मैं नवीन का लंड लेने की प्लानिंग के साथ आया था लेकिन यहां तो मामला कुछ और ही निकला.
फिर भी मैंने सोचा कि चलो जब आ ही गया हूं तो थोड़ी बहुत एक्सरसाइज़ कर लूं. मैं सीधा ट्रेडमिल पर गया और वार्मअप करने लगा. आज तो ट्रेनर भी मेरी तरफ ध्यान दे रहा था. मैं भी गांड मटका-मटका कर ट्रेडमिल पर दौड़ रहा था.
फिर मैं डम्बल्स की तरफ चला गया. एक दो सेट मरे हुए मन से पूरे किये. उसके बाद थाइज़ की एक्सरसाइज़ करने लगा. लेग-पुशअप कर रहा था कि तभी मेन डोर में नवीन दाखिल हुआ.
उसके आते ही ट्रेनर उठ गया. उसने फटाक से अपना फोन लिया और उसको जिम की चाबी सौंप दी.
मेरी खुशी का ठिकाना न रहा. अब बस दुआ कर रहा था कि सुमित न आ टपके. बाकी सब तो मैं खुद देख लूंगा. नवीन ने टीशर्ट और लोअर पहनी हुई थी. कुछ देर वो काउंटर पर बैठ कर फोन में टाइम पास करता रहा.
जिम में 6-7 लड़के और थे. अभी उनके सामने तो कुछ हो नहीं सकता था. शाम के 8 बजने वाले थे. टाइमिंग 9.30 तक थी. मैं मन ही मन सबको कोस रहा था कि सालो निकल भी जाओ अब ताकि मुझे कुछ करने का मौका मिले. मगर तीन-चार लड़के तो जिम की मशीनों को ऐसे तोड़ने में ऐसे लगे हुए थे जैसे ओलम्पिक में मेडल इन्हीं को मिलेगा.
इधर नवीन भी अपने फोन में लगा हुआ था. फिर उसने घड़ी की तरफ देखा. अभी डेढ़ घंटा बाकी था. शायद फोन चला कर वो भी बोर हो चुका था. उसने बाकी लड़कों की तरफ देखा. मेरे समेत चार और लड़के बचे हुए थे. शायद उसने सोचा कि अभी काफी टाइम बचा है. कुछ एक्सरसाइज़ ही कर ली जाये.
दो मिनट के बाद वो उठा और अपने बैग से लंगोट निकाला. अब मेरे इंतजार की घड़ियां धीरे-धीरे खत्म हो रही थीं. नवीन उठ कर अंदर की तरफ आ गया. जिम की बैक साइड में बिल्कुल पीछे की तरफ एक पिल्लर बना हुआ था. वो उसकी तरफ जाने लगा.
मैंने सोचा- हो न हो, ये इसके पीछे जाकर लंगोट बांधेगा. इसलिए मैं भी अब एक्शन मोड में आ गया. वहां पर बाइसेप्स वाला सेटअप रखा हुआ था. मैं भी उठ कर उसी तरफ चला गया.
जब उसने देखा कि मैं पीछे की तरफ आ रहा हूं तो वो रुक गया. लेकिन मैंने तुरंत मौके की नज़ाकत को भांपते हुए बैक-पुल्लिंग वाली मशीन पकड़ ली. मैंने उसको जता दिया कि मैं अपनी एक्सरसाइज़ के ध्यान में हूं.
हालांकि जिम में सारे लड़के ही थे. लेकिन फिर भी नवीन सबके सामने बिल्कुल नंगा होकर लंगोट नहीं बांध सकता था. इसलिए उसको एक कोना चाहिए था.
वो पिल्लर के पीछे चला गया और मैं तुरंत बाइसेप्स वाले सेटअप के पास पहुंच गया. उसको बिना ये जताये कि मैं उसकी तरफ ध्यान दे रहा हूं, मैंने बाइसेप्स पुलिंग एक्सरसाइज़ शुरू कर दी.
नवीन पिल्लर के पीछे था. मुझे वो दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन सामने शीशा भी लगा हुआ था. जहां पर वो पिल्लर के आगे खड़ा हुआ साफ दिख रहा था. मगर मैं जैसे अन्जान बना हुआ अपनी एक्सरसाइज़ में मग्न था.
मैंने देखा कि उसने एकदम से अपनी टीशर्ट को उठा कर अपनी ठुड्डी के नीचे दबा दिया. उसकी गर्दन नीचे झुक गयी थी. इसलिए सामने शीशे में उसको पता नहीं चल रहा था कि पीछे से मैं भी उसको देख रहा हूं.
टीशर्ट को उठाकर उसने अपनी लोअर को नीचे खींच दिया. उसकी जांघें नंगी हो गईं. नीचे से उसने नीले रंग की फ्रेंची पहनी हुई थी. जिसमें उसके लौड़े का उठाव हल्का सा दिखाई दे रहा था.
उसकी लोअर उसकी घुटनों से बस थोड़ी सी ऊपर आकर रुकी थी. मैं उसकी जांघों के बीच में ही नज़र गड़ाये हुए था. फिर उसने फ्रेंची को एकदम से नीचे खींच दिया.
आह्ह … फ्रेंची नीचे होते ही उसका लम्बा सा लंड घने काले झाँटों के बीच में लटका हुआ मुझे दिखाई दे गया. मेरी सांस जैसे रुक सी गई. उसका लंड देखने की चाहत इतने दिनों से थी मेरे मन में. लंड सांवला सा था. मगर सोया हुआ भी 6 इंच के करीब था.
उसके आण्ड भी काफी मोटे थे जिन्होंने उसके लंड को आगे की तरफ उठाया हुआ था. जब वो लोअर में होता था तो उसके लौड़े का उभार अलग से मालूम पड़ जाता था. अब समझ में आया कि जितना सेक्सी वो शक्ल से था उसका लौड़ा उससे कहीं ज्यादा रसीला और दमदार था.
फ्रेंची को नीचे करके उसने जल्दी से अपनी गांड के पीछे की तरफ हाथ ले जाकर लंगोट के दोनों छोर को आपस में पकड़ लिया. फिर उनको आगे पेट की तरफ ले आया.
उसके लटके हुए लंड को देख कर मेरा तो बुरा हाल हो गया था. सीने में धक-धक हो रही थी. उसने पेट पर लाकर लंगोट के दोनों छोर की गांठ बांध दी. फिर नीचे जांघों के बीच से हाथ ले जाकर लंगोट की लम्बी पट्टी को पकड़ लिया.
पट्टी को पकड़ कर उसने अपने मोटे आण्डों के नीचे से लाते हुए ऊपर की तरफ अपने लंड पर कवर करते हुए लंड को पट्टी के नीचे दबा दिया. फिर पट्टी को गांठ के नीचे फंसाया और दोबारा से लंड पर नीचे की तरफ ले जाते हुए पीछे अपनी गांड की ओर पीछे ले जाकर लंगोट को फिक्स कर दिया.
उसके झाँट अभी भी लंगोट की बगलों से दिख रहे थे. जांघें काफी गोरी थीं. उनके बीच में काले झाँट, झाँटों के बीच में लटकता उसका मस्त लंड और उस पर लिपटा लाल लंगोट देख कर मैं तो अपने होश जैसे खो बैठा था.
ये भी भूल गया कि मैं जिम में बैठा हुआ एक्सरसाइज़ कर रहा हूं. मेरे हाथ से मशीन एकदम से छूट गयी और धम्म से पीछे जा लगी. मशीन की आवाज उसे सुनाई दे गयी. उसने ठुड्डी उठाकर शीशे में देखा तो मैं मुंह खोल कर उसके लौड़े की तरफ देख रहा था.
मगर मैंने जैसे-तैसे खुद को संभाला और दोबारा से मशीन उठा ली. लेकिन उसको शक जरूर हो गया कि मैं उसकी तरफ ही देख रहा था. फिर उसने जल्दी से अपनी नीली फ्रेंची ऊपर कर ली. अब दोबारा उसकी तरफ देखने में मुझे घबराहट सी हो रही थी. मेरी चोरी पकड़े जाने का डर था.
वो अपनी लोअर को ऊपर करके पिल्लर के पीछे से निकल कर आ गया. मैंने अन्जान बनने की कोशिश की लेकिन सामने का वो नज़ारा देख कर मेरे चेहरे पर घबराहट और पसीना मेरी हकीकत बयां कर रहे थे. फिर भी मैं चुपचाप मशीन को खींचने में लगा रहा.
मेरे पास से गुजरते हुए उसने एक बार मेरी तरफ देखा. मगर मैंने उसकी तरफ नहीं देखा. मेरी गांड फटी पड़ी थी. वो मेरे करीब से निकल कर आगे चला गया. कुछ देर मैं वहीं टाइम पास करता रहा.
पांच मिनट के बाद उठ कर आया तो वो डम्बल मारने में लगा हुआ था. उसने टीशर्ट उतार दी थी. नीचे से उसने काले रंग की स्लीवलेस बनियान पहनी हुई थी जिसकी पट्टियां उसके कंधों पर कसी हुई थी.
मैं चोर नजरों से बार-बार उसको देख रहा था. लेकिन खुल कर सामने आने की हिम्मत नहीं हो रही थी. घर से तो बहुत कुछ सोच कर आया था मगर जब वो सामने था तो सारी हवा निकल गयी थी.
8.30 बज गये थे और जिम में अभी दो लड़के और थे. मेरे समेत हम तीन थे और नवीन को मिलाकर चार. दस मिनट तक नवीन डम्बल मारता रहा. मैं बार-बार उसको ताड़ने की कोशिश कर रहा था. काले बनियान में उसके गोरे डोलों पर पसीना आना शुरू हो गया था.
डम्बल मारने के बाद वो चेस्ट पुशअप करने के लिए आया. मैं बगल में ही बैक पुलिंग वाली मशीन पर बैठा था. रॉड में तीन प्लेट्स लगाकर वो मेरे ठीक बराबर में बेंच पर लेट गया. उसका जिस्म काफी गोरा था. उसकी अंडरआर्म में भूरे भूरे पतले बाल थे जिनमें पसीना आया हुआ था.
उसने बेंच पर लेटकर दोनों तरफ अपनी जांघें फैलाकर नीचे जमीन पर पैर रखे हुए थे. वो बड़े ही जोश में चेस्ट पुशअप करने लगा. उसकी छाती की शेप ऊपर उठती हुई मुझे दिखाई दे रही थी. मैं उसकी जांघों के बीच में उसकी लोअर के उभार को घूर रहा था. उसका सोया हुआ लंड जो फ्रेंची और लंगोट के नीचे था, उसकी शेप किसी 6 इंच के मीडियम साइज के लम्बे बैंगन के समान एक तरफ निकली हुई दिखाई दे रही थी.
उसकी चेस्ट पर हल्के रोएंदार से बाल थे जो ना तो भूरे थे और न ही बिल्कुल काले. मगर बनियान के ऊपर से आधी नंगी चेस्ट पर बड़े सेक्सी लग रहे थे. उसकी बगलों से निकल रहे पसीने की गंध अब मेरी नाक तक पहुंच रही थी.
मेरे अंदर वासना हिलौरियां खाने लगी थी. ना चाहते हुए भी बार बार उसके जिस्म को ऊपर से नीचे से तक निहार रहा था. दूसरा कार्तिक आर्यन था वो बिल्कुल. लेकिन बस शरीर का थोड़ा भरा हुआ था. उसकी जांघें और गांड काफी मोटी थीं और डोले भी मीडियम थे. मगर एक्सरसाइज़ करने के बाद अब ज्यादा ही मस्त लग रहे थे. उसकी आगे की बाजुओं के बालों में भी पसीना चमक रहा था.
चेस्ट मारने के बाद वो उठा और उसने मेरी तरफ देखा. मैं घबरा कर सामने देखने लगा. उसको शायद शक हो गया था कि मैं उस पर नजर बनाये हुए हूं. वो उठकर खड़ा हो गया.
शीशे में अपने डोलों की शेप को देखने लगा. उसके बदन के हर नंगे हिस्से पर हर जगह पसीना दिखाई दे रहा था. मैंने देखा कि जिस बेंच पर लेट कर उसने चेस्ट पुशअप किये थे, उसकी काली रबर पर भी उसके पसीने का गीलापन लगा हुआ था.
फिर वो दोबारा से डम्बल्स की तरफ चला गया. जब वो मेरे पास से गुजरा तो उसके पसीने की महक मेरी नाक में और अंदर तक गई जिसको मैंने महसूस किया. मैं तुरंत उठ कर चेस्ट वाले बेंच पर बैठ गया. बहाने से उसके पसीने को सूंघने लगा.
अब जिम में केवल एक लड़का रह गया था. नवीन डम्बल्स के साथ शीशे के सामने ट्राइसेप्स कर रहा था. मैंने बहाने से उस बेंच पर लगे उसके पसीने को चाट लिया. इतने में ही उसने मुझे देख लिया.
वो मेरे पास आया और बोला- क्या कर रहा है भाई?
मेरी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई. कहने के लिए कुछ था ही नहीं.
उसने घड़ी की तरफ देखा और बोला- घर नहीं जाना क्या तुझे?
मैंने कहा- ब..बस… चेस्ट करके जा रहा हूं.
उसने कहा- तो फिर ये क्या कर रहा था?
मैंने कहा- बैक में पेन हो रहा था. इसलिए कमर को बेंड करके रिलेक्स कर रहा था.
वो बोला- उठ, मुझे दिखा कहां पेन हो रहा है.
मैं उठ गया. मेरी गांड फट रही थी.
सांसें भारी हो रही थीं. मैंने पीछे कमर के बीच वाले हिस्से में रीढ की हड्डी पर हाथ लगाकर बताया कि यहां सेंटर प्वाइंट में दर्द है.
उसने अपने मजबूत हाथों से मेरी कमर को थाम लिया. अपने अंगूठे से मेरी बतायी जगह को दबा कर देखने लगा.
बोला- यहां पर?
मैंने कहा- हम्म!
उसके हाथों की पकड़ काफी टाइट थी. मेरी तो हालत खराब हो रही थी. एक तो बार उसने दबाया और फिर हाथों को नीचे ले गया. वो मेरे बदन को जैसे छूकर देख रहा था. उसके हाथ मेरी गांड तक जा पहुंचे थे.
बहाने से उसने मेरी गांड को छूकर देखा. मेरी आंखें बंद हो गयीं. शायद उसे मेरे बारे में पता लग गया था. एक दो बार मेरे चूतड़ों को दबा कर देखने के बाद उसने पूछा- और एक्सरसाइज़ करनी है क्या?
मैंने कहा- बस लास्ट सेट चेस्ट का मारना है.
वो बोला- ठीक है, जल्दी कर ले, 9 बजने वाले हैं.
फिर वो दूसरे लड़के के पास गया. उससे कुछ पूछा और फिर काउंटर टेबल के पास जाकर अपना फोन चेक किया.
पांच मिनट के बाद आखिरी लड़का भी जिम से चला गया. अब जिम के अंदर मैं और नवीन ही रह गये. उसने ऐ.सी. बंद कर दिया. आगे वाली लाइटें भी ऑफ कर दीं.
फिर आवाज लगा कर बोला- भाई कितनी देर और लगेगी?
मैंने कहा- बस पांच मिनट भाई.
मेरी ज़बान लड़खड़ाने लगी थी. फिर उसने शटर आधा गिरा दिया. मैंने देखा कि वो मेरी तरफ आ रहा था. उसके लंड की शेप अब पहले से ज्यादा उम्दा दिखने लगी थी. मैंने गर्दन आगे की तरफ कर ली और एक्सरसाइज़ करने का नाटक करने लगा.
लेकिन हड़बड़ाहट में मैं अपने हिसाब से प्लेट्स लगाना भूल गया. इससे पहले नवीन तीन प्लेट्स के साथ कर रहा था. मैंने जल्दी-जल्दी के चक्कर में दो प्लेट्स छोड़ दी थीं.
रॉड को उठाने की कोशिश करने लगा लेकिन वो आधी ही ऊपर तक जा रही थी.
वो बोला- क्या कर रहा है यार! चोट लग जायेगी. रुक मैं करवा देता हूं.
वो पीछे की तरफ आकर खड़ा हो गया. दोनों टांगें फैलाकर मेरे सिर के ठीक ऊपर आकर दोनों हाथों से मुझे सपोर्ट करने लगा. उसके आण्ड ठीक मेरे सिर के ऊपर थे. उसकी गांड से निकलने वाली पसीने की गंध को मैं महसूस कर सकता था.
एक दो बार उसके आण्ड मेरे माथे से आकर टकरा चुक थे. मेरा लंड खड़ा हो गया था. हाथ कांपने लगे थे.
फिर वो बोला- ऐसे सही नहीं हो रहा है. मैं आगे की तरफ आ जाता हूं.
वो मेरे पेट पर से टांगों को दोनों तरफ फैलाता हुआ मेरी छाती पर चढ़ गया. मुझे उसके लंड का उठाव ठीक अपनी आंखों के सामने दिख रहा था.
एक दो बार उसने रॉड को उठाने के बहाने से मेरी नाक पर लंड को छुआ दिया. गांड को नीचे करते हुए बार-बार वो मेरे होंठों पर अपने आण्डों को रगड़ने लगा. अब स्थिति मेरे बस के बाहर हो गयी. मेरा बदन बुरी तरह कांपने लगा. उसने एकदम से रॉड को संभाला और ऊपर स्टैंड पर रखवा दिया.
मैंने उसकी गांड को पकड़ लिया और हांफने लगा. उसका लौड़ा तनाव में आ चुका था जिसकी शेप मुझे किसी डंडे की तरह उसकी लोअर में अलग से दिख रही थी. उसके लंड ने एक झटका सा दिया तो मुझसे रहा न गया और मैंने उसकी लोअर को खींच कर उसकी जांघों को नंगी करते हुए उसकी नीली फ्रेंची में उठे लंड के नीचे उसके आण्डों की पोटली में मुंह दे दिया.
उसने फ्रेंची उतार दी और उसके लंगोट के अगल-बगल उसकी गोरी जांघों से निकल रहे झाँटों के बीच में तने अपने लौड़े को लंगोट समेत ही वो मेरे होंठों पर धकेलने लगा. मैं पसीने में नहाये उसके लंगोट को ऊपर से ही चाटने लगा. उसके झांटों से पसीने की गंध आ रही थी.
लंगोट में लंड पूरा तन चुका था. मैंने उसके लंगोट को एक तरफ सरका कर उसके मोटे आण्डों को बाहर निकाल लिया. आण्डों को एक तरफ निकाल कर मैं उनको चूसने लगा.
आह्ह … स्स्स … उसके मुंह से सीत्कार निकल पड़े.
उसने अपनी गांड से लगोट की पट्टी को निकाल कर आगे करते हुए उसे हटा दिया. उसका आठ इंच का मोटा लंड पूरे आकार में आ गया. उसने लंगोट की गाँठ को पेट से खोल दिया. अब उसके पेट से लेकर और जांघों तक का नंगा हिस्सा मेरे सामने था.
मैंने गर्दन उठाते हुए उस जाट की नंगी गांड को पकड़ कर हाथों से भींचते हुए होंठों की तरफ आगे धकेलते हुए उसके दोनों आण्डों को मुंह में ले लिया. मैं उसके आण्डों को मस्ती में चूसने लगा.
वो भी मेरे सिर को पकड़ कर मेरे मुंह को अपने झाँटों के गुच्छे के नीचे लंड की जड़ में लटक रहे अपने आण्डों में दबाने लगा. उसका लौड़ा मेरे माथे पर टिक गया था. अब उसकी गांड आगे पीछे होते हुए उसके लंड को मेरे चेहरे पर रगड़वाने लगी थी.
उसके बालों वाले आण्डों में आये पसीने से नमकीन सा टेस्ट मिल रहा था. मैं आंखें बंद किये हुए उसकी बड़ी बड़ी सांवले रंग की गोल्फ बॉल्स को मस्ती में चूस रहा था.
पांच मिनट तक उसने अपनी बॉल्स का रस मेरे मुंह में चुसवाया. उसका लंड फड़क रहा था. जब उससे बर्दाश्त न हुआ तो उत्तेजना में आकर उसने अपनी दाईं टांग से अपनी फ्रेंची और लोअर को निकाल दिया.
अब उसकी एक टांग बिल्कुल नंगी हो गयी थी. उसकी गोरी मोटी जांघों पर बाल भरे हुए थे. उसने अपनी गांड को मेरी छाती पर टिका लिया. उसके आण्ड मेरी ठुड्डी पर आकर लग गये.
अपने लंड को हाथ में लेकर मेरी नाक और माथे पर पटकते हुए वो पट-पट की आवाज करने लगा. उसके लंड से रस निकल रहा था जिसकी चिपचिपाहट मेरे माथे पर लग रही थी.
फिर अपनी नंगी गांड को थोड़ी सी ऊपर उठाते हुए उसने कहा- इस्स … मुंह खोल ले यार … चूस ले इसे अब.
मैं भी इसी इंतजार में था. उसके कहते ही मैंने मुंह खोल दिया और उसने अपने लंड को मेरे मुंह में दे दिया.
उसका आठ इंची लौड़ा सीधा मेरे गले तक घुसने लगा. लंड चूसने में तो मैं शुरू से ही माहिर था. एक हाथ को मेरे सिर के पीछे ले जाकर दूसरे हाथ से उसने लंड को पकड़ कर पूरा मेरे मुंह में घुसा दिया.
मेरी सांस रुकने लगी. लंड गले में टकराने लगा. मगर उत्तेजना और प्यास ऐसी थी कि पूरा लंड अंदर ले गया मैं भी. वो एक हाथ से मेरे सिर को लंड की तरफ धकेल रहा था. दूसरा हाथ उसने ऊपर स्टैंड पर रख लिया था.
वो अब मस्ती में अपनी गांड को मेरी छाती पर रगड़ता हुआ मेरे मुंह को अपने लौड़े से चोदने लगा. मैं भी उसके लंड का टेस्ट मुंह में लेते हुए उसका लौड़ा पूरी शिद्दत से चूसता रहा.
दो मिनट के बाद उसने अपने लंड को मेरे मुंह में पूरा घुसाते हुए अंदर तक दबा दिया. उसके लंड से वीर्य की पिचकारी निकल कर उसका गाढ़ा गर्म माल सीधा मेरे गले में गिरने लगा. मेरी प्यास बुझने लगी और मैंने उसके वीर्य की बूंद-बूंद को अपने अंदर जाने दिया.
अंडकोष खाली करने के बाद उसने मेरे मुंह से लंड को निकाल लिया. उसका लंड मेरी लार से पूरा लथपथ हो चुका था. हम दोनों की प्यास बुझ गयी थी. उसने मेरे टीशर्ट से अपने लंड को साफ कर लिया और फिर वो उठ गया.
उसने टाइम देखा तो 10 बजने वाले थे. उसने मुझे भी जल्दी से उठने के लिए कहा. अब उसको जाने की जल्दी मच गयी. मैं भी उठ गया और उसने सारी लाइट्स बंद कर दीं.
इसके बाद मैं चुपचाप बाहर निकल गया. न मैंने कुछ कहा और न उसने कुछ और पूछा. मेरा महीना पूरा हो गया था. अगले दिन मैंने सुमित को मना कर दिया कि मैं जिम छोड़ रहा हूं. फिर सुमित भी नहीं गया.
मगर उस सेक्सी जाट के आण्डों के रस का स्वाद आज भी मेरे मुंह में पानी ले आता है.
दोस्तो, गांडुओं की जिन्दगी में ऐसी घटनाएं जाने अन्जाने घटती रहती हैं. अधिकतर मामलों में हम खुद ऐसी घटनाओं के लिए उत्तरदायी होते हैं. समाज की चक्की में उसकी नैतिकता और स्वयं की हवस के दो पाटों के बीच में पिसना तो हमें जिन्दगी भर ही है.
इसलिए कभी-कभी जिन्दगी अत्यंत क्रूर लगने लगती है. मगर जो भी सामने हो उसको अपनाने में ही संतुष्टि है. इसलिए किसी से ज्यादा उम्मीद न रखें. बस जीते रहें.
मैं अंश बजाज फिर किसी घटना के साथ लौटूंगा. तब तक अपना और अपने चाहने वालों का ख़याल रखिये और पढ़ते रहिये अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज़.
[email protected]
What did you think of this story??
Comments