जन्मदिन के उपहार में गाण्ड मरवाई-2
Janamdin ke Upahar me Gaand Marvai-2
मैं काफ़ी देर तक भैया के ऊपर लेटा रहा, कभी उनकी आँखों मे आँखें डाल कर उनको देखता और वो मुझे फिर उनके रसीले होंठों का रस पीता और कभी उनके बालों पर अपना हाथ फेर कर उनकी गर्दन को चूमता। वो भी मेरे साथ ऐसा ही कर रहे थे। मेरी मरजी ना होने पर उन्होंने मेरी गाण्ड नहीं मारी।
‘बाबू जिस दिन तुम्हारा मन होगा.. उसी दिन हम पूरी तरह से चुदाई करेंगे।’
ऐसा उन्होंने मुझसे कहा। फिर हम दोनों ने अपना-अपना लंड हिला-हिला कर अपनी आग को शान्त कर दिया।
हम हर सप्ताहांत पर मिलते और साथ में रहते हर शनिवार की रात भैया मुझे मेरे कमरे से लेकर जाते थे।
रात भर हम एक-दूसरे की मुठ्ठ मारते, चुदाई जैसी मस्ती करते, शराब पीते, रंगीन बातें करते।
अब धीरे-धीरे भैया मुझसे बहुत प्यार करने लगे और मैं भी उनसे बेइंतहा मुहब्बत करने लगा।
अब तो हर रात हम साथ में नहाते और वो दिन आ गया।
उस दिन भैया का जन्मदिन था, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं उनको क्या गिफ्ट दूँ।
मैं सोचता ही रह गया और भैया मुझे लेने मेरे कमरे पर आ गए।
मैं भैया के कमरे पर चला गया। कमरे पर आज मेरी पसंद के नमकीन आदि रखे हुए थे, साथ में बियर की बोतलें भी थीं।
पहले तो मैंने भैया को जन्मदिन की शुभकामनाएँ देते हुए एक ज़ोरदार चुम्बन किया।
उस दिन का चुम्बन कुछ अलग सा ही था, हम दोनों एक-दूसरे को सामने से लगे क्योंकि आज पहली बार हम प्यार में डूब कर चुम्बन कर रहे थे।
काफ़ी देर तक चुम्बन करने के बाद भैया बोले- लाइट्स बंद कर दो.. मैं कैंडल जलाता हूँ।
हल्की सी रोशनी में जब मैंने उनको देखा तो बस देखता ही रह गया।
‘चलो जश्न करते हैं..’ भैया मुझसे बोले और केक पर लगी कैंडल को बुझा दिया।
‘विश यू ए वेरी-वेरी हैप्पी बर्थ-डे माय लव..’ ये कहते हुए मैंने उनको गले से लगा लिया।
‘माय लव..! बाबू.. तुम मुझसे ये कब से कहने लगे?’ भैया बोले।
‘आज से ही.. माय लव..’ मैंने जबाव दिया। हम दोनों ही बहुत खुश थे।
‘मुझे आप से बहुत प्यार हो गया है आज आप में समा जाने का दिल कर रहा है।’ मैंने उनसे कहा और मैं जाकर उनके सीने से लिपट गया।
भैया ने भी मुझे अपने हाथों से जकड़ लिया।
मुझे उनसे लिपट कर रहने में बड़ा मज़ा आता था। मैं बहुत देर तक उनसे लिपटा रहता था, कभी उनकी गोदी में बैठ कर तो कभी उनके ऊपर लेट कर.. मुझे बहुत ही अच्छा लगता था।
बियर पीते हुए हमने बहुत बार चुम्बन किए।
हम दोनों ही एक दीवार से टिक कर बैठे हुए थे।
मैं तो भैया के दायें हाथ को अपनी गर्दन पर रखकर पूरी तरह से उनके करीब उनसे लिपट कर बैठा हुआ था और उनकी गर्म सांसों को अपने अन्दर ले रहा था।
फिर कुछ देर बाद मैंने भैया से कहा- ये रात सिर्फ आप के लिए है जानू।
आज पहली बार मैंने भैया के कपड़े निकाले। हर बार हम दोनों एक-दूसरे को चुम्बन करते और फिर ड्रिंक करते।
‘आज मुझे आप का बदन बहुत सेक्सी लग रहा है।’ मैंने उनसे कहा।
‘तो आ जा लिपट जा मुझ से… तू भी आज बहुत मस्त लग रहा है मुझे।’ ऐसा कहते हुए उन्होंने मुझे अपने पैरों के बीच बिठा लिया और मेरी गर्दन को पूरी तरह से चूमने लगे।
उन्होंने अपने पैरों को फैला लिया और मैं उनके पैरों के बीच बैठ गया।
हमारे लंड अब एक-दूसरे के लंड को छूने लगे।
मैं धीरे-धीरे अपने लंड को उनके लंड से रगड़ने लगा।
भैया अब पूरी तरह से मदहोश हो चुके थे और मेरे हर एक संवेदनशील अंग पर चुम्बन करके मुझे पागल करने लगे थे।
मैंने भी उनके बदन को चूमना आरम्भ कर दिया।
‘बाबू आज मैं हर सीमा को पार करना चाहता हूँ.. आज मैं तुम्हें पूरी तरह से प्यार करना चाहता हूँ।’ मेरी आँखों में आँखें डाल कर उन्होंने गहरी सांस लेते हुए मुझसे कहा।
मैं उनका मतलब समझ रहा था कि आज वो मेरी गाण्ड मारना चाहते है। मैंने भी उनको आज अपनी गाण्ड मरवाने की गिफ्ट देने की सोच रखा था।
‘बाबू आज मेरे जन्मदिन पर मुझे कोई गिफ्ट नहीं दोगे?’ मेरी आँखों में देखते हुए भैया मुझसे बोले।
जब वो मेरी तरफ इस तरह से देखते थे तो मुझे उनके लिए और भी प्यार आता था।
‘भैया.. मैं तो पूरा ही आपका हूँ.. जो चाहे ले लो.. फिर भी आज मैं ऐसा कुछ दूँगा, जिसे आप हमेशा से लेना चाहते थे।’ ऐसा कहते हुए मैंने अपनी गाण्ड उनके लंड पर रख दी।
भैया इसका मतलब अच्छे से जानते थे।
फिर क्या था भैया ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया।
‘ये हुई ना बात.. बाबू आज का दिन हम दोनों को हमेशा याद रहेगा।’ कहते हुए मुझे उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया।
धीरे-धीरे उन्होंने कमरे की मोमबत्ती को बुझा दिया, बस एक को ही जलने दिया।
उस हल्की सी रौशनी में उनका नंगा बदन, उनका बड़ा सा लंड देख कर मुझे अपने आप पर संयम ही नहीं हो रहा था और मैं उनके पास जाकर उनके गले से लग गया।
मैंने अपने पैरों को उठा लिया और उनकी कमर से लिपटा दिया। भैया ने भी मुझे पूरी तरह से उठा रखा था।
‘लगता है आज मेरे बाबू को मुझ पर कुछ ज़्यादा ही प्यार आ रहा है।’ ऐसा कहते हुए मुझे गुसलखाने में ले गए और फव्वारे को चला कर उसके नीचे बैठ गए।
अब मैं उनकी गोदी में था, हमारे गरम शरीर पर जब ठंडा पानी पड़ रहा था तो जैसे उनके अंग से भाप निकलने लगी हो।
काफ़ी देर तक एक-दूसरे के भीगे बदन को चूमने के बाद भैया ने मुझे फिर से उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया।
अब उस करतब का वक्त था जो इससे पहले कभी नहीं हुआ था।
भैया वैसलीन की शीशी देते हुए मुझसे बोले- जरा इसे मेरे लंड पर अच्छी तरह से लगा दो।
जब मैं उनके लंड पर वैसलीन लगा रहा था, तो भैया ने भी बहुत सारी वैसलीन लेकर मेरी गाण्ड के छेद में और उसके आस-पास लगाना शुरू कर दिया।
मैं भी वैसलीन लगाते हुए उनके लंड को धीरे-धीरे मुठिया रहा था।
फिर मैंने अपनी गाण्ड को उनके लंड पर रख कर बोला- जानू ये लो, अब तुम्हारी मस्ती करने के लिए मैं तैयार हूँ.. पर जरा आराम से करना।
‘बाबू तुम डरो मत.. मैं तुम्हें बिल्कुल भी दर्द नहीं होने दूँगा।’ ऐसा बोलते हुए भैया ने मेरे होंठों को चूमते हुए मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और खुद मेरे ऊपर लेट गए।
चूमते हुए धीरे-धीरे उन्होंने अपना लंड मेरी गाण्ड में डालना शुरू कर दिया।
मुझे दर्द तो शुरू होने लगा था लेकिन वो मेरे होंठों को इस तरह चूमने लगे कि मुझे पता ही नहीं होने दिया और अपना पूरा लंड मेरी गाण्ड में पेल दिया।
वे बोले- बाबू लो.. पूरा चला गया.. ज़्यादा दर्द तो नहीं हुआ मेरे बाबू को?
‘हम्म.. थोड़ा हुआ लेकिन आपके लिए तो ऐसे 1000 दर्द भी सहन कर लूँगा।’ ऐसा कहते हुए मैंने उनकी तरफ ज़ोर लगा कर उनको अपने से चिपका लिया।
‘बाबू तू बहुत अच्छा है आई लव यू..’
कहते हुए वो अपने लंड को आगे-पीछे करने लगे। अब मुझे दर्द के साथ मजा भी आ रहा था।
थोड़ी देर में भैया ने मुझे उसी तरह उठा का एक कुर्सी पर बैठ गए, उनका पूरा लंड मेरी गाण्ड में था और मैं उनकी जाँघों के ऊपर बैठा हुआ था। मैं उनकी तरफ देख कर अपनी गाण्ड को हिलाता जिससे उनको बड़ा मजा आ रहा था।
भैया गहरी साँस लेते हुए ‘बाबू..बाबू’ करते और मेरे चूचकों को मींजते, साथ में हम पूरी तरह से चूमने में मस्त थे।
वो अपने हाथों से मेरा लण्ड हिला रहे थे। अब तो मुझे दो तरफ से मजा आ रहा था।
एक तो गाण्ड से और एक हिलते हुए लंड से। धीरे-धीरे भैया ने अपना माल मेरी गाण्ड में ही गिरा दिया और मेरे लंड को हिला-हिला कर मेरा माल भी नीचे गिरा दिया।
अब हम दोनों ही पूरी तरह से निढाल हो चुके थे। मैं भैया से उसी कुर्सी पर लिपट कर लेट गया।
‘बाबू..’ भैया बोले।
‘हाँ भैया..’ मैंने जबाव दिया।
‘बाबू आज तूने मुझे बहुत अच्छा गिफ्ट दिया है.. आज का बर्थडे मैं कभी नहीं भूलूँगा।’ मेरे बदन पर अपने होंठों को रगड़ते हुए भैया मुझसे बोले।
‘मैं भी भैया कभी नहीं भूल पाऊँगा और ना ही मैं आपको कभी भूल पाऊँगा आई लव यू.. सो मच माय लव..।’
वो भी मुझसे बोले- कमीने में भी तुझे कभी नहीं भूलूँगा।
फिर हम दोनों चुम्बन करते-करते उसी कुर्सी पर थोड़ी देर में सो गए।
इसके बाद हम दोनों हर शनिवार की रात का इन्तजार करते और एक-दूसरे को प्यार करते। फिर दो साल बाद भैया का स्थानान्तरण हो गया और शादी भी हो गई।
लेकिन आज भी 2-3 महीनों में वो मुझसे मिलने जरूर आते हैं और हम 2-3 महीनों का प्यार 2-3 दिन लगातार चुदाई करके पूरा कर लेते हैं।
अपने विचार भेजने के लिए मुझे ईमेल कीजिए।
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