अस्पताल में लंड की खोज-1
(Hospital Mein Lund Ki Khoj- Part 1)
दोस्तो, मैं लव शर्मा एक बार फिर हाज़िर हूँ अपनी अगली कहानी को लेकर जो एक अस्पताल से सम्बन्ध रखती है.
कहानी से सम्बन्धित शहर और अस्पताल का नाम तो मैं नहीं बता पाऊँगा बस ये मान लीजिये उज्जैन के पास का ही कोई शहर है, वो और मैं उस अस्पताल में एक पूरी रात रुकने वाले थे. अस्पताल काफी बड़ा था और बाहर से देखने पर 5 मंजिला दिख रहा था.
जैसे ही मैं अस्पताल में गया, मुझे हमेशा की तरह लौंडे, मर्द और लंड के ही ख्याल आ रहे थे क्योंकि जब भी मैं सार्वजनिक स्थानों पर जाता हूँ मेरी लंड की भूख अपने आप ही जाग जाती है क्योंकि वहाँ पर कई सारे अंजान जवान मर्द होते है जिनसे हमारा कोई सम्बन्ध नहीं होता है, फंस जाये तो अपना काम बन जाये, नहीं तो कोई बात ही नहीं.
इसके अलावा ऐसी जगहों पर सेक्स करने की जगह भी मिल जाती है और रात में तो अस्पताल में ज्यादातर लोग फ्री ही होते हैं, उनको कोई काम भी नहीं रहता और अकेले मर्द मिल भी जाते हैं जिनको फंसा सको… दिन में तो यह असंभव सा ही होता है.
यही सारी सोच के साथ मैं लगभग 11 बजे रात को जो प्राइवेट रूम लिया था उससे बाहर निकला, उस फ्लोर पर दोनों तरफ लाइन से प्राइवेट वार्ड ही थे इसलिए बहुत कम ही लोग वहाँ घूमते हुए दिख रहे थे. जो कुछ रिश्तेदार होते हैं, रूम में ही इतनी जगह होती है कि वो उसमें ही रह लेते हैं.
मैं वह पूरे फ्लोर पर नज़र दौड़ाने लगा और सोचने लगा कि आज किस मर्द का लंड लिया जाये और कैसे?
घूमते हुए आगे गया तो वहाँ इक्का दुक्का नर्स दिख रही थी और कुछ कुछ वार्ड बॉय दिख रहे थे. वैसे वहाँ के वार्ड बॉय दिखने मैं काफी अच्छे थे क्योंकि प्राइवेट महंगा अस्पताल था. आपको तो पता ही होगा कि अस्पताल में हर फ्लोर पर एक हेल्प डेस्क होती है जहाँ से सारे वार्ड की देखभाल की जाती है और वार्ड बॉय और नर्स सब वहीं बैठे हुए रहते हैं रात भर!
मेरी नजरें उन्हीं वार्ड बॉय में से किसी एक मस्त जवान मर्द को ढूंढ रही थी. तभी मुझे एक वार्ड बॉय दिखा जिस पर मेरी नज़र ठहर गई. वहाँ हेल्प डेस्क की टेबल पर वह अपना एक हाथ रखे हुए टेबल के उस पार बैठी हुई नर्स से कुछ बात कर रहा था.
मैं दूर से ही उसे निहार रहा था… 22 साल का मर्द, गोरा रंग, गले में कोई काला धागा था जो गोरे गले में खूबसूरत लग रहा था. छाती फूली हुई थी जिस पर शर्ट के सभी बटन लगे हुए थे क्योंकि यह उनकी ड्रेस थी लेकिन फूली हुई छाती उस शर्ट को तंग कर रही थी जिससे बटन खिंच रहे थे और ऐसा लग रहा था मानो शर्ट की बटन तोड़कर बाहर आ जाएंगे. हाईट होगी करीब 5’8″ और आधी आस्तीन की सफेद रंग की अस्पताल वाली शर्ट और पैन्ट. वास्तव में वो तो कहर ढा रहा था. वैसे उसका कसरती जिस्म तो नहीं था लेकिन फिर भी फिट तो लग ही रहा था. उसने अपना एक हाथ टेबल पर रखा हुआ था जिससे उसकी आधी आस्तीन की शर्ट में से उसके डोलों की नसें उभर रही थी जो मुझे और भी दीवाना बना रही थी.
मैं दूर खड़ा उसको देख कर आहें भर रहा था, मेरा लंड खड़ा हो चुका था और बस अब उस वार्ड बॉय से लिपट जाना चाहता था. मैं सोच ही रहा था कि इस जवान मर्द का फड़कता हुआ लंड मुझे कैसे मिल पायेगा.
इतने में उस नर्स ने उससे कुछ कहा और एक फाइल उसके हाथ में थमा दी और वह वार्ड की तरफ बढ़ने लगा. मैं भी उसके पीछे पीछे चलने लगा क्योंकि मैं अब उसे छोड़ना नहीं चाहता था.
देखते ही देखते अपनी मर्दानी चाल से वह हमारे वार्ड तक पहुँच कर रुक गया और फाइल में कुछ देखकर गेट खोलकर अंदर घुस गया.
मैं तो खुशी से झूम उठा था, मैं भी हमारे वार्ड में ही आ गया और उसके पास ही खड़ा हो गया. वह पेशेंट को दवाई देने लगा, ब्लड प्रेशर चेक करने लगा और मैं उसके पास ही खड़ा हो गया और उससे कुछ पूछकर बात करने की कोशिश करने लगा और मौका मिलते ही मैंने उसे छू लिया.
उसे छू कर मेरे अंदर सनसनी सी फैल गई. मैं उसके पीछे खड़ा हो गया और उसके काम को देखने के बहाने उसको बार बार टच करने लगा और मौका मिलते ही अपनी नाक उससे टच कर देता और उसके शरीर की मर्दाना खुशबू मुझे मदहोश कर देती.
उसने अपनी जांच पूरी की और वह वापस चला गया लेकिन मैं अब उसके पीछे पीछे नहीं गया क्योंकि उसको शक हो जाता कि मैं उसका पीछा कर रहा हूँ. मैं समझ गया था कि अब वह रात भर ही अस्पताल में रुकने वाला है और अभी और भी वार्ड में जाकर दवाइयाँ देगा, उसके बाद जब फ्री हो जायेगा, तब मैं लंड का जुगाड़ जमाता हूँ, यही सोचते हुए मैं कुछ देर अपने वार्ड में ही बैठा रहा.
अब लगभग 11:30 बज चुके थे, मैंने सोचा कि अब वह अपने काम से फ्री हो गया होगा, अब चलकर लंड लेने का प्लान बनाना चाहिए.
यही सोचता हुआ मैं बाहर आया और फिर से वही हेल्प डेस्क की तरफ गया लेकिन वह वहाँ नहीं था. मैं पूरे फ्लोर पर उसको ढूंढने लगा पूरा फ्लोर सुनसान पड़ा था. सारे मरीज और उनके रिश्तेदार सो चुके थे और लगभग सभी रूम्स के गेट बन्द थे.
मैं घबरा गया और जो भी रूम का गेट खुला दिखता उसमें झांक कर उसको ढूंढता. वाशरूम में भी देख चुका था लेकिन वह अब कहीं भी नहीं दिख रहा था.
अब और कोई भी जगह नहीं बची थी ढूंढने के लिए इसलिए मैं हेल्प डेस्क पर गया और वहाँ बैठी नर्स से पूछा- मैडम, वो अभी एक सर दवाई देने के लिए आये थे वार्ड में, वो कहाँ है?
नर्स बोली- क्यों क्या हुआ? मरीज को कोई परेशानी हो रही है क्या? उनकी तो शिफ्ट खत्म हो गई तो वो तो चले गए हैं.
इतना सुनते ही मेरे तो पैरों के नीचे की ज़मीन खिसक गई. घबराहट, चिंता और उदासी का मिलाजुला भाव मेरे चेहरे पर दिख रहा था.
नर्स ने फिर पूछा- कोई परेशानी हो तो दूसरे वार्ड बॉय को भेज देती हूँ जो अभी ड्यूटी पर है.
मैंने कहा- नहीं नहीं, बस पूछना था कि अब कोई दवाई बची तो नहीं है जो देना हो…
उसने फ़ाइल देखी और बोली- नहीं कोई बाकी नहीं है.
इतना सुनकर में वहाँ से जाने लगा और उदास होकर सोचने लगा कि हर बार मेरे साथ ही इस क्यों होता है कि मुझे लंड के लिए तरसना पड़ता है. मैं जिसके भी ख्वाब देखता हूँ, वह चला जाता है.
बस यही सोचता हुआ मैं रूम की तरफ बढ़ा लेकिन मेरी अंदर जाने की इच्छा बिल्कुल नहीं हो रही थी क्योंकि मुझे लंड तो मिला नहीं था. इस बार फिर मैंने अपने मन में ठान लिया कि आज रात को मैं किसी भी हालत में लंड लेकर ही रहूँगा और इस अस्पताल की रात को फालतू नहीं जाने दूँगा.
इतना सोच कर मैंने रूम का गेट नहीं खोला और मैं लौट गया. अब मैं इसी उधेड़बुन में था कि क्या किया जाये और नया लौड़ा कहाँ से ढूंढा जाये. अब तो सब सो गए हैं.
थोड़ी दूर पर दो तीन वार्ड बॉय घूम रहे थे, मैं बड़ी ही उत्सुकता से उनके पास गया लेकिन उनको देखकर कुछ भी करने का दिल नहीं किया, वो मुझे ठीक नहीं लगे, मुझे तो जवान मर्दाना जिस्म वाले मर्द चाहिए था जिसका फनफनाता हुआ दानवी लंड हो.
अभी मैं तीसरे फ्लोर पर था और पूरे फ्लोर पर मुझे कोई जवान मर्द नहीं मिला. अब मैंने सोचा कि मैं पूरे अस्पताल मैं घूमूँगा, कोई तो मिलेगा जिसका मस्त लंड मेरे गले की प्यास बुझाएगा.
मैं दूसरी मंजिल पर गया और यहाँ कोई मर्द ढूंढने लगा इसके बाद पहली मंजिल पर गया. यहाँ पर तो वही सब कुछ… रिसेप्शन, डॉक्टर्स के केबिन… पैथोलॉजी, एक्स रे, मेडिकल… यही सब था. मुझे लगा यहाँ कोई बात नहीं बन पाएगी अब बस चौथी मंजिल ही बची थी जिससे मुझे कुछ उम्मीद थी.
इससे पहले मैं बेसमेंट में गया, मैंने सोचा कि बेसमेंट में काफी सारे लोग होते हैं जो अस्पताल का मेंटेनेंस जैसे बिजली, पानी और साफ सफाई आदि काम देखते हैं, तो हो सकता है यहाँ कोई मिल जाये… यही सोचकर मैं पूरे बेसमेंट में घूम लिया कुछ लोग दिखे भी लेकिन वो मेरी मर्जी के नहीं थे.
अब मैं सीढ़ियों से होता हुआ चौथी मंजिल पर जाने लगा. इतनी सारी सीढ़ियाँ चढ़ कर मैं थक गया था और मैं लिफ्ट से इसलिए नहीं जा रहा था क्योंकि हो सकता है सीढ़ियों पर ही कोई मस्त जवान मर्द मिल जाये.
मैं चौथी मंजिल पर पहुँचा लेकिन वहाँ भी मुझे सफलता नहीं मिली क्योंकि वहाँ पर डॉक्टर्स, नर्स, वार्ड बॉय के आराम करने और कपड़े बदलने के कमरे बने थे जिसमें कोई नहीं था, बस एक कमरे मैं एक आदमी डॉक्टर के सफेद वाले कपड़ों पर प्रेस कर रहा था और दूसरा सफेद चादरों को तह कर रहा था.
यहाँ मुझे पता चला कि इसके ऊपर भी एक मंजिल है, मैं सीढ़ियों से होता हुआ पांचवीं मंजिल पर दाखिल हुआ. पांचवी मंजिल भी तीसरी मंजिल की तरह ही थी यहाँ पर भी दोनों तरफ प्राइवेट कमरे ही थे जिनमें अंधेरा था और केवल बीच के खाली जगह में ही एक दो बल्ब चल रहे थे. पूरे फ्लोर पर लकड़ी के टुकड़े, बुरादा और दूसरा समान फैला हुआ था जिससे पता चल रहा था कि यहाँ पर फर्नीचर का काम चल रहा था और आम लोग के लिए इसे अभी खोला नहीं गया था.
मेरे लिए थोड़ी उम्मीद की किरण जागी थी क्योंकि यहाँ कोई कर्मचारी मिल सकता था मुझे जो मेरी लंड की प्यास बुझा सकता था. इसी उम्मीद के साथ मैं हर रूम में मुआयना करने लगा. कुछ कमरों का फर्नीचर बन चुका था, कुछ का अधूरा था.
वहाँ का हर कमरा सेक्स के लिए परफेक्ट था बस कमी थी तो जवान मर्द की जो मस्त चुदाई कर सके. यहाँ का हर कमरा काफी सुरक्षित भी था क्योंकि यहाँ पर कोई आता जाता नहीं था. मैं इस फ्लोर के पूरे 30 कमरों में घूम लिया था लेकिन यहाँ पर कोई भी नहीं मिला लेकिन मैंने हार नहीं मानी थी आभी मैं सीढ़ियों से होते हुए छत पर पहुँच गया.
लेकिन यहाँ आकर मैं थोड़ा डर गया था क्योंकि यहाँ पर काफी सारी मशीनें लगी हुई थी और एक बड़ा वाटर फिल्टर लगा हुआ था जिसमें से तेज धार से पानी गिर रहा था जो तेज शोर कर रहा था. मैं डर रहा था क्योंकि यहाँ पर मशीन लगी हुई थी जिनमें करेंट था और उजाला भी काफी कम था.
मैं इस उम्मीद के साथ थोड़ा आगे गया कि इन मशीनों की देखरेख के लिए यहाँ कोई तो मर्द होगा ही, जहाँ पर एक छोटी लाइट चल रही थी. लेकिन मेरी किस्मत ही खराब थी, यहाँ पर भी कोई नहीं था.
अब मैं हताश हो चुका था और रात के 12 बज चुके थे. पांच मंजिल के इतने बड़े अस्पताल मैं मुझे एक जवान मर्द नहीं मिल पाया था जो मुझे अपने लंड का कामरस पिला सके.
आप लोगों को यह कहानी झूठ लग रही होगी कि मैं हर कहानी में ऐसे ही घूमता रहता हूँ, लेकिन यही सच है, मुझे लंड आसानी से कभी भी नसीब नहीं होते हैं.
अब आप ही सोचिये मैं हर प्रयास कर चुका था पूरे अस्पताल में घूमकर थक चुका था. अब मुझे समझ में आ चुका था कि आज मुझे कोई जवान मर्द नहीं मिलेगा और मेरी लंड की प्यास अब नहीं बुझेगी.
मैं अब धीरे धीरे सीढ़ियों से नीचे उतर रहा था. जब मैं दूसरी मंजिल पर पहुचा तो मुझे दो लोग बातें करते हुए दिखे उनमें से एक तो गार्ड था और दूसरा कोई लड़का था जो किसी मरीज का रिश्तेदार लग रहा था जो सीढ़ियों पर बैठा अपना टाइम पास कर रहा था. उम्र करीब 22-23 साल रही होगी.
मैं जब तक उसके पास पहुँचा, वह गार्ड जा चुका था और अब वह बैठा हुआ अपने महंगे मोबाइल में कुछ कर रहा था.
मैंने उसे नीचे से ऊपर की ओर देखते हुए मुआयना किया और दिल से आवाज आई ‘परफेक्ट…’ चौड़े चौड़े मजबूत पैर उसके जीन्स के नीचे से दिख रहे थे जो काफी गोरे थे, जिन पर हल्के हल्के बाल थे, नाखून में थोड़ी मिट्टी लगी हुई थी जिससे यह पता चल रहा था कि वह कोई गांव का मजबूत चोदू लड़का है, और वह नंगे पैर ही वहाँ पर बैठा था.
ऊपर देखा तो मिक्स कॉटन की शर्ट पहन रखी है जिसकी आस्तीन चढ़ी हुई है, उसके हाथ मोटे और मजबूत थे. भुजायें शर्ट को तंग कर रही थी साथ ही काफी मोटी भी थी जिन्हें चाटने और चूमने का मन कर रहा था. चेहरा गोल और फूला हुआ था, बाल ऊपर की तरफ बनाये हुए थे और कान में एक बाली पहन रखी थी जो उसे एक सेक्सी लुक दे रही थी. देखने में वह कोई गांव का ठाकुर जमींदार का बेटा ही लग रहा था.
अब तो बस मेरे दिमाग में उसका मोटा ताजा लंड लंड ही घूम रहा था और मैं इसी जुगाड़ में था कि इसका लंड अब कैसे लिया जाये. आखिर कैसे इसे किसी सुनसान जगह पर ले जाया जाये और इसके मस्त जमींदारी चोदू लंड का रस पिया जाये और आनन्द लिया जाये क्योंकि यह शुद्ध गांव का मर्द है ऐसे तो राजी होगा नहीं…
इसके बाद कैसे मैंने इस जवान मर्द को फंसाया और इसके दानवी लंड का आनन्द लिया, यह आप जानेंगे अगले भाग में… तब तक के लिए बाय बाय.
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