महाकुम्भ में महालंड-1
(Mahakumbh Mein Maha Lund- Part 1)
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अन्तर्वासना पर हिन्दी सेक्स कहानी पढ़ने वाले सभी पाठकों को मेरा नमस्कार!
मेरा नाम लव शर्मा है, मैं 23 साल का हूँ, हाईट 5’8″ है और देखने में भी ठीक ही लगता हूँ।
अन्तर्वासना की गांडू, गे केटेगरी की लगभग सभी कहानियाँ पढ़ चुका हूँ और काफी प्रभावित हुआ हूँ, इसीलिये आप सबके बीच अपनी एक सत्य घटना बताने ज रहा हूँ।
उम्मीद करता हूँ कि आपको मेरी सेक्स कहानी पसंद आएगी।
दोस्तो, बात उस समय की है जब मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में सिंहस्थ महाकुम्भ 2016 का आयोजन हुआ था जो 12 सालों में एक बार लगता है और दूर दूर से लोग घूमने ओर शिप्रा नदी में स्नान करने आते हैं।
पूरे शहर में हजारों संत महात्मा अपने कैम्प लगाते हैं ओर पूरा उज्जैन भीड़भाड़ से भरा होता है… और भीड़भाड़ मतलब मेरे लिए जवान मर्दों का मेला!
आप लोगो में से जो लोग सिंहस्थ गए होंगे उनको तो सरा नज़ारा पता होगा ही।
दोस्तो, मैं उज्जैन के पास ही रहता हूँ। सिंहस्थ में बिजनेस के सिलसिले में मुझे पूरे एक महीने उज्जैन में रुकने को मौका मिला जहाँ पर एक छोटा सा कैम्प था जिसमे मैं और मेरे कुछ साथी रुके हुए थे।
हमारा कैम्प किन्नर अखाड़े के पास ही में था जहाँ से हम अपना कामकाज देखते थे।
आपको बता दूँ कि सिंहस्थ में किन्नर अखाड़ा पहली बार आया था और इसी वजह से किन्नर अखाड़े पर देर रात तक भीड़ लगी हुई रहती थी।
हिजड़ों को लेकर लोगों में अलग ही जिज्ञासा रहती है इसलिए लोग काफी संख्या में आते रहते थे जिनमें देश के अलग अलग क्षेत्रों से आये खूबसूरत जिस्म वाले लोंडों को देखने के लिए मैं अक्सर किन्नर अखाड़े की ओर चला जाता था और अपनी आँखें सेका करता था।
किन्नर अखाड़ा पहली बार आया था इसलिए नगर निगम ने उन्हें सबसे कोने में एक ब्रिज के पास जगह दी थी जिसके बाद सिंहस्थ की सीमा लगभग समाप्त ही हो जाती थी और सुनसान इलाका शुरू हो जाता था।
मैंने इसी बात का फायदा उठाया।
किन्नर अखाड़ा पहुँचने के लिए ब्रिज के नीचे से निकलना पड़ता था और चूंकि ब्रिज के नीचे से रेलवे ट्रैक था तो आगे का इलाका सुनसान हो जाता था।
दोस्तो, मुझे लंबे चौड़े, हट्टे कट्टे, खूबसूरत लड़के काफी अच्छे लगते हैं, उन्हें देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है और जी करता है कि मैं जाकर उनसे लिपट जाऊँ और उनके जिस्म की खुशबू सूंघ लूँ और उनके होठों को अपने होठों में भर लूँ।
वैसे तो मुझे देश के हर कोने से आये लोंडों को निहारने का सुख मिला, कुछ तो विदेशी लोंड़े भी मिले लेकिन उज्जैन के आसपास के इलाकों के गाँव के लोंडे यहाँ टाइम पास करने आ जाते थे जो मेरी अन्तर्वासना को और बढ़ा देते थे।
आपको बता दूँ कि यहाँ के गांवों में एक विशेष जाति के लोग रहते हैं जिनका रहन सहन बिल्कुल ठाकुर राजपूतों जैसा होता है, लेकिन मैं यहाँ इस जाति का नाम नहीं बता पाऊँगा।
ये लोग दिखने में हृष्ट पुष्ट, गदराया बदन, गोरा रंग, मजबूत भुजायें, कड़क हथेली और गोरे हाथ जिन पर हल्के हल्के बाल, मस्त जवान मर्द ऐसे कि देखकर किसी भी गांडू के मुँह में पानी आ जाये।
मैं भी किन्नर अखाड़े के पास लगी भीड़ में ऐसे ही जवान अलबेले मस्त मर्दों की तलाश में रहता था जो राजा महाराजाओं की तरह बाइक लेकर आते हुए बिल्कुल हीरो की तरह लगते थे।
हीरो की तरह एंट्री ऊंची हाईट, फ़ूले हुए डोले जो शर्ट में से भी उभरे हुए अलग ही नज़र आते थे, गलियों से बात करते हुए, गांव वाली खड़ी बोली, शर्ट की खुली बटनों से दिखती हुई मर्दाना छाती कुछ प्लेन और कुछ पर मर्दों वाले घने बाल और उनके बदन से आती हुई मर्दाना महक मुझे मदहोश कर देती थी।
मुझे जैसे ही ऐसे जवान मर्द दिखते, मैं उनके आसपास ही रहने की कोशिश करता, उन्हें निहारता, लंड चूत की जो बातें वे करते, वो सुनता और उनके बदन को छूने की कोशिश करता।
कभी कभी तो दोस्ती करके उनके साथ ही रहता।
भीड़ में घुसकर इन जवान मर्दों के सेक्सी बदन को टच करता।
भीड़भाड़ में किसी को भी इतना ध्यान नहीं रहता था और मैं इसी चीज़ का फायदा उठता था। भीड़ में जाकर इन जवान मर्दों की मजबूत भुजाओं को पकड़ लेता, कभी कभी तो मर्दों की छाती पर खुले बटनों के बीच मैं भी अपनी नाक लगा कर छाती की खुशबू सूंघ लेता। वाह क्या खुशबू होती थी वो!
कभी मर्दों की छाती के उभार पर अपना हाथ रखकर भीड़ से निकलने की कोशिश करता।
जब उनकी मदमस्त छाती पर हाथ लगता तो मानो जन्नत मिल गई हो।
ज्यादा हो जाने पर सॉरी बोल देता और वो अपनी मर्दाना भारी आवाज में बोलते- कोई बात नहीं भाई!
कभी उन जवान मर्दों के लंड के उभार को देखता तो कभी भीड़ में टच करता हुआ निकल जाता।
कभी उनकी भारी चौड़ी पीठ पर हाथ रख देता और जब भी मौका मिलता, पीछे खड़े होकर उनके पसीने की मदमस्त खुशबू को सूंघता रहता।
उस खुशबू से तो मेरा लंड तन कर खड़ा हो जाता और झटके मारने लगता।
ऐसी इच्छा होती कि बस इसी की बाँहों में ज़िन्दगी गुजार दूँ।
किन्नर अखाड़े के पास रेलवे ट्रैक था और ऊपर ब्रिज था, मतलब वो इलाका मूतने के लिए बिल्कुल परफेक्ट था इसीलिए लोग वहाँ पर अक्सर खाली जगह देखकर अपना लौड़ा निकाल कर मूतते रहते थे।
मौका पाकर मैंने कुछ ऐसी जगह ढूंढ निकाली जहाँ से लौड़े देखे जा सकें।
अब मैं जब भी इन जवान मर्दों को मूतने के लिए जाते हुए देखता, छुप कर लंड के दर्शन करने की कोशिश करता।
मेरे होश तो तब उड़ गए जब मैंने पहली बार इन लड़को के लौड़े देखे।
इन गांव के मदमस्त बदन वाले लड़कों के लंड काफी मोटे थे और सामान्य अवस्था में ही लगभग 5-6 इंच के थे और जब इस लंड से मूत की मोटी धार निकलती थी तो वह जमीन में लगभग 2 इंच गड्ढा कर देती थी और इसकी आवाज दूर तक आती थी जिसे देखकर जी करता था कि इस लंड को इसी वक्त मुँह में भरकर पूरा पानी पी जाऊं।
जितने हट्टे कट्टे वे लोग थे, वैसे ही भारी लंड थे जो किसी की गांड में चले जाये तो फाड़कर ही बाहर आयें।
दोस्तो, कुम्भ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा तो मैं बताना ही भूल गया, चलो अब बता देता हूँ।
आपको शायद पता ही होगा कि कुम्भ के दौरान स्नान का काफी महत्व है।
लगभग पूरे देश से लोग क्षिप्रा नदी में स्नान करने आते है और लगभग पूरे महीने ही घाटों पर स्नान करने वालों का तांता लगा रहता है।
बताया जाता है कि आखरी दिन तो एक करोड़ लोगों ने स्नान किया था।
घाटों पर स्नान मतलब जवान सेक्सी मर्दों को बिना कपड़ों के देखना!
मुझे जब भी मौका मिलता, मैं घाट पर जाकर मदमस्त जवान मर्दों के खुले बदन को देखकर आनन्द लेता।
मैं भी नदी में स्नान के बहाने से चला जाता और किसी मस्त जवान, मदमस्त बदन वाले लोंडे के पास जाकर उसे निहारता, कभी तैरना सीखने के बहाने उनके ऊपर ही गिर जाता और मस्त कड़क भुजाओं को पकड़ लेता या उनकी छाती के उभार पर धोखे से हाथ रख देता।
क्या समय होता था वो!
कभी तैरते हुए किसी जवान पर गिर जाता, जिसका बदन मुझे भा जाता।
कुछ लौण्डे तो इतने दरियादिल होते थे कि उन्हें मेरे इस तरह से टच करने से कोई परेशानी नहीं होती और वो लोग मुझे अपने हाथों से पकड़कर तैरना सिखाते और मैं भी किसी चुदैल बीवी की तरह तैरने के लिए उन पर ही निर्भर हो जाता।
उनकी बलवान भुजाओं को पकड़ता तो कभी डूबने का नाटक करता और जब वो बचाने आते तो उनके गले लगकर चिपक जाता।
वे मुझे संभालते और पकड़ कर गहरे पानी से बाहर लाते और मैं उनके गले पर हाथ डाले हुए लटक जाता।
कुछ मर्दों का बदन तो काफी सेक्सी होता था क्योंकि उनका बदन जिम की कसरत से कसा हुआ होता था।
मैं भी मौका पाकर कभी उनकी पीठ पर बने कट्स को छूता तो कभी धोखे से उनके सिक्स पैक एब्स को हाथ लगाकर उनके उभार को अनुभव करता।
कुछ मर्द तो ऐसे होते थे कि भरोसा ही नहीं होता था कि मैं उज्जैन में ही हूँ, गोरा शरीर, सिक्स पेक एब्स और मजबूत भुजाओं और पीठ पर टैटू जो किसी फिल्मी हीरो से भी खूबसूरत लगते थे, वैसे वो होते भी मुम्बई के मॉडल ही थे जो स्नान के लिए उज्जैन आते थे और अपने कामुक बदन से मुझे मदहोश कर जाते थे।
पानी में काफी भीड़ होती थी और किसी को ज्यादा ध्यान नहीं होता था, सब लोग चड्डी में ही होते थे, मैं उनके लंड के उभार को देखता जिसमें गीली हो चुकी चड्डी में लंड का शेप साफ दिखाई देता था।
कुछ लौंडों के लंड तो इतने बड़े होते थे कि वो ढीले ही ऐसे लगते थे जैसे लंड खड़ा हो गया हो और मेरे मुँह में पानी आ जाता।
यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मैं आपको बता दूँ कि घाट पर पानी में भी चौड़ी चौड़ी सीढ़ियाँ बनी होती हैं जिससे छोटे बड़े सब लोग अपनी हाईट के हिसाब से पानी में उतरकर नहा सकें।
मैं इस बात का भी फायदा उठता था।
जब किसी सीढ़ी पर कोई मस्त लंड वाला मर्द पानी में खड़ा होता तो मैं उससे एक या दो नीचे वाली सीधी पर खड़ा हो जाता जिससे मेरा मुंह उनके लंड के लेवल में आ जाता, पानी में मस्ती करने के बहाने मैं लंड को अपने होंटों से किस कर देता और उन्हें पता भी नहीं चलता।
5-6 इंच का गर्म गीला लंड जब होंटों को छूता तो पूरे बदन में सनसनी फ़ैल जाती और ऐसा लगता मानो ज़िन्दगी भर इस लंड में मुँह लगा कर ही कट जाये और चड्डी को नीचे उतार के 8-10 इंच का मोटा खीरे जैसा लंड मुँह में भर लूँ।
अब मैं रोज वहाँ जाकर यही सब कुछ किया करता था जिससे मुझे काफी आनन्द मिलता था।
फिर दिमाग में आया कि यदि इन लोंडों के मदमस्त लंड का आनन्द मैं प्राप्त नहीं कर पाया तो यह मेरी ज़िन्दगी की बहुत बड़ी भूल होगी।
यही सोच कर मैंने अपने आप में सोच लिया कि अब तो मैं लंड लेकर ही रहूँगा।
इसके बाद क्या हुआ, कैसे मैंने इन जवान मदमस्त लोंडों का लंड प्राप्त किया, अगले भाग में मैं आपको बताऊँगा।
अपनी राय मुझे इस ईमेल आईडी पर जरूर दें।
[email protected]
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