हिजड़े से लण्ड चुसाया और गाण्ड का मजा लिया -1
(Hijde Se Lund Chusaya Aur Gand Ka Maja Liya- Part 1)
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हमेशा की तरह में अपने जॉब से रात 9 बजे अपनी बाईक से अपने घर को जा रहा था.. सर्दी का मौसम था.. रोड पर सन्नाटा था और सिर्फ ट्रक वाले ही निकल रहे थे।
मैंने भी अपनी बाईक एक ट्रक के पीछे लगा रखी थी और आराम से उसके पीछे-पीछे चला जा रहा था।
अभी मैं अपने घर से लगभग 30 किलोमीटर दूर था.. थोड़ी दूर बाद एक चौराहा आने वाला था.. जो कि हाईवे को किसी गाँव से जोड़ता था।
जब मैं उस चौराहे को पार कर रहा था.. तो मैंने एक महिला को ट्रक वाले को हाथ से लिफ्ट मांगते देखा।
चूँकि मैं पीछे था और ट्रक वाले ने ट्रक नहीं रोका।
मैंने रात होने की वजह से तुरंत कुछ सोचा और उसकी सहायता करने के लिए अपनी बाईक रोक दी।
मैंने उसके पास बाइक रोकते हुए पूछा- कहाँ जाना है?
पर जब उसने जवाब दिया तो समझ में आया कि मेरे सामने एक हिजड़ा साड़ी पहने हुए खड़ा था, वो बोला- मुझे शहर तक लिफ्ट दे दो.. जरूरी काम है..
वो हिजड़ों की भाषा में आशीर्वाद देने लगा।
मैंने भी सोचा कि चलो रात का वक्त है.. एक से भले दो और बातचीत करते रास्ता कट जाएगा।
मैंने उसे अपनी बाईक पर पीछे बिठा लिया और शहर की तरफ चल पड़ा। बातचीत करते हुए मैंने उसके बारे में.. उसके काम-धंधे.. परिवार के बारे में बहुत सी बातें पूछी.. उसने बिल्कुल सही-सही जवाब दिया।
मुझे लगा कि हिजड़े भी अच्छे लोग होते हैं.. लोग बिना मतलब ही इनसे दूर भागते हैं।
थोड़ा बातचीत को रोमांटिक बनाने के लिए मैंने उससे उसकी सेक्स लाइफ के बारे में सवाल करने शुरू कर दिए.. तो उसने बताया कि उसका एक बॉयफ्रेंड है और वो हर हफ्ते उसके साथ ही सेक्स करता है।
तो मुझे थोड़ा आनन्द आया और मेरे लंड में तनाव भी आया।
मैंने उससे झूठ ही कहा- यार मेरी न तो कोई गर्ल फ्रेंड है.. न मेरा विवाह हुआ है. मैं तो मुठ मार के ही काम चलाता हूँ।
तो उसने मुझसे कहा- अगर तुम बुरा न मानो तो जब तुम्हें सेक्स करना हो.. तो मेरे साथ कर लिया करो.. क्योंकि मैं एक अच्छा आदमी हूँ.. और रात में तुमने मेरी सहायता की है.. तो मेरा भी फर्ज बनता है कि मैं तुम्हारे काम आऊँ।
मैं बोला- ठीक है.. मुझे अपने घर का पता बता दे दो.. मैं जरूर तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहूँगा..
‘ठीक है..’
फिर मैंने उससे पूछा- किस समय मिलना उचित होगा?
अभी भी मेरा घर लगभग दस किलोमीटर दूर था और हम लोग शहर के बाहरी सड़क पर ही थे।
उसने कहा- जब भी आने का दिल करे तब आना.. पर यदि अभी तुम कहीं सड़क के किनारे बाईक रोक लो.. तो मैं तुम्हारा माल चूस कर निकाल दूँगी।
उसके इतना कहते ही मेरे लंड ने जोर की अंगड़ाई ली और मेरे लौड़े को उसने उसी वक्त अपने हाथों का सहारा दिया और मेरी पैन्ट के ऊपर से ही लंड को पकड़ कर जोर से दबा दिया।
चूँकि सर्दियों की रात थी.. मैंने अन्दर और भी गरम कपड़े पहने हुए थे.. तो उसको लंड तक पहुँचने में दिक्कत हो रही थी। उसने पीछे से आगे हाथ निकाल कर मेरा लंड पकड़ा हुआ था। मुझे भी लगा कि कहीं सड़क किनारे रोक कर मस्ती कर लूँ.. चलती बाईक में कुछ भी हो सकता है।
मैंने एक जगह एक कच्चा रास्ता देखा और अपनी बाईक उधर मोड़ कर लगभग दो सौ मीटर अन्दर जाकर रुक गया।
हम दोनों लोग ही उतरे.. अँधेरे में न तो मैंने उसे ठीक से देखा था.. जब मिला था न उसने मुझे.. क्योंकि उस समय हेलमेट पहने था.. और अब तो और अँधेरे में था। मैंने समय न गंवाते हुए जल्दी से अपनी जींस को और अपने पूरे अन्दर के कपड़े घुटने तक उतार दिए।
कहने की बात नहीं कि मेरा लंड तो पहले से ही तना हुआ था.. हवा लगते ही और सेक्स का अहसास होते ही थोड़ा और आक्रामक हो गया।
वो नीचे बैठ गया और पहले उसने मेरे लंड को प्यार से सहलाया और बोला- लंड तो तेरा मस्त है.. जिसकी किस्मत में होगा.. जिंदगी भर तेरे पीछे घूमेगी।
मैंने भी उससे कहा- तू ही मेरे से शादी कर ले।
और मैं हंसने लगा.. उसने मेरे लंड के सुपारे को दो-चार बार आगे-पीछे करते हुए दबाया और लंड के मुँह पर हलकी सी पप्पी ली और पूरा छः इन्च का लंड एक बार में ही अपने मुँह में ले लिया।
उसकी ये अदा मुझे बहुत अच्छी लगी और मैं ये भी समझ गया कि आज मुझे मस्त चूसने वाला मिला है.. मजा आ जाएगा।
वो चूसते समय मेरे लंड को पूरा बाहर निकाल कर मुँह में वापिस अन्दर भर लेता था।
मेरी सारी नसें फूली हुई थीं दूसरे हाथों से वो मेरे गोलियों का सहलाता था.. दबाता था.. मुझे उस वक्त ऐसा लगता था कि ये मेरी गोलियों में भरा हुआ सारा माल निकाल लेना चाहता है।
मेरे लंड से कामरस निकलने लगा था.. उधर गले तक लंड लेने की वजह से उसका गला कभी-कभी चोक होने लगता.. तो पूरा लंड बाहर निकाल कर फिर से मुँह में भर लेता।
मुझे नहीं याद पड़ता कि कभी उसके पहले मेरा लंड इतना चिकना और गीला हुआ होगा। मेरे लंड से थूक और काम रस दोनों साथ में टपक रहे थे। मेरी गोलियां सर्दी की वजह से और काम के वेग की वजह से लंड के बिल्कुल पास आकर रुकी हुई थीं.. जिनको वो कभी कभी पकड़ कर हाथों से नीचे खींचता.. कभी-कभी मुँह में बिना दांतों को टच किए.. पकड़ कर नीचे खींचता।
मैं थोड़ा दर्द और थोड़ा काम के आवेग में सब सह रहा था।
लगभग दस मिनट हो चुके थे और मैं अभी पूरे दिल से लंड को चुसवा रहा था।
वैसे नार्मल लाइफ में मैं 5 मिनट ही लंड चुसवाना पसंद करता हूँ.. वर्ना मेरा माल निकल जाता है। अगर मैं 5 मिनट के अन्तराल में लंड चुसवाता हूँ तो मैं कई घंटों तक बिना झड़े सेक्स कर सकता हूँ।
आज उसकी चूसने की कला का मैं कायल हो गया था, दस मिनट से ज्यादा हो चुके थे और मुझे लगता था कि अभी मैं अगले दस मिनट और झड़ने वाला नहीं हूँ.. पर लगभग 15 मिनट के बाद उसने कहा- जब झड़ने का दिल करे.. मुझे बता देना..
मैं बोला- दिल का क्या है.. रात का वक्त है.. घर भी जाना है। तुझे भी अपने घर जाना है तो मैं अभी ही माल निकाल देना चाहता हूँ।
उसने ‘हाँ’ बोला और पुनः पूरा लंड मुँह में भर कर गोल-गोल घुमाने लगा और मेरी दोनों गोलियों के बीच में अपने अंगूठे से दबाया। मैं समझ नहीं पाया और मुझे लगा कि मैं अब नहीं रोक पाऊँगा।
मैंने उसको बताया.. उसने इशारे से कहा- आने दो.. और मैं झटके ले-ले कर उसके मुँह में ही अपना सारा रस गिराने लगा और वो दबा-दबा कर एक-एक बूंद अपने मुँह में निकलवाता रहा।
बाद में वो सब माल गटक गया।
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लगभग 5 मिनट तो मुझे खुद को सम्हालना मुश्किल हो गया.. पर जब मेरे लंड पर ठंडी हवा लगी और उसने कहा- अब चलोगे या यहीं रुकने का इरादा है?
तो मैंने जल्दी से अपने कपड़े सही किए और बाईक लेकर सड़क पर आया और घर की तरफ चल दिया।
मानवता के नाते मैंने उसे उसके घर तक छोड़ा और उसका घर भी देख लिया.. ताकि अगली बार आऊँ तो घर ढूँढना न पड़े।
मैं अब सच में उसको एक बार चोदना चाहता था.. मैंने उसे अगले आने वाले रविवार का समय दिया और अपने घर की तरफ चल पड़ा।
उसके साथ मेरे पहली चुदाई का किस्सा अगले भाग में लिखूंगा.. हमेशा की तरह यह भी एक सत्य घटना है और हमेशा की तरह आपके मेल का इंतजार करूँगा
आपका अमित शर्मा
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