शायद मैं लड़की हूँ

dix 2008-09-18 Comments

प्रेषक : प्रवीणा

मैं प्रवीना अपने समलिंगी सेक्स के अनुभव भेज रहा हूँ। मुझे अपने समलिंगी होने का एहसास तब हुआ जिस वर्ष मैं एक इंजिनीयरिंग कालेज के लिए चुना गया और मुझे उस कालेज के होस्टल में रहने के लिए जाना पड़ा। मैं पहली बार अपने घर से दूर आ गया था। वहाँ हर प्रांत से लड़के आये थे। पहले दिन कमरों का आवंटन ठीक से नहीं हुआ और हमें बिस्तर शेयर करने के लिए कहा गया। हम सब एक दूसरे के लिए नए थे और किसी तरह से हमने अपने साथी चुन लिए।

व्यास नाम के एक लड़के ने मुझे अपना साथी चुन लिया। उसने मुझसे बड़ी चिकनी चुपड़ी बातें की और मैं उसकी बातों में आ गया।

उस रात जब अन्धेरा हुआ तब बातें करते करते मुझे नींद आ गई। पलंग छोटा होने के कारण व्यास मुझ से सट कर सो गया और मैंने भी आपत्ति नहीं जताई। कुछ देर बाद मुझे महसूस हुआ कि उसने मुझे बाहों में भर लिया है और उसका नाभि के नीचे का हिस्सा मेरे कूल्हों से बिल्कुल सट गया है। धीरे-धीरे उसकी साँसें गर्म होने लगी और मेरी गर्दन को छूने लगी। मुझे बड़ा अजीब लगा पर मैं चुप रहा। कुछ देर के बाद मेरी गांड की फांकों के बीचों बीच मुझे कुछ सख्त सा स्पर्श महसूस हुआ। मैंने, यह क्या है, देखने के लिए अपने हाथ से टटोला तो मेरे हाथ में व्यास का लंड आ गया। उसने तुरंत मेरा हाथ अपने लंड पर कस कर पकड़ लिया और मेरे कान में कहा,”हाँ, मेरी जान, मेरा लंड को ऐसे ही कुछ देर सहलाओ।”

और उसने मुझे और जोर से भींच लिया। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ। फिर उसने दूसरे हाथ से मेरा पाजामा और निकर भी नीचे खिसकाई और मेरे गोल गोल कूल्हे हौले हौले दबाने लगा।

मेरे कूल्हे मेरे सौंदर्य की ख़ास पहचान है। आज भी बहुत से मर्द मेरे कूल्हों की गोलाई ऊपर से देखकर ही उन पर फिदा हो जाते हैं। मुझे और नजदीक खींच कर वह बोला,”जान, तेरी गांड तो किसी लड़की से भी ज्यादा ख़ूबसूरत है !”

और फिर उसने अपना लंड पजामे से बाहर निकाल कर मेरे गांड के ठीक बीचों-बीच भिड़ा दिया।

मैं डर गया और बोला,”यह तुम क्या कर रहे हो?”

वह बोला,”तुम्हारी गांड मारने जा रहा हूँ ! तुम बस चुपचाप पड़े रहो, शुरू में थोड़ी तकलीफ होगी मगर फिर मजा आने लगेगा।”

फिर उसने शायद अपने लंड पर थोड़ी क्रीम लगाई जो उसने सिरहाने रखी हुई थी। फिर मैं कुछ हाँ या ना कहूँ, उसके पहले वह मुझ पर पूरी तरह चढ़ गया और उसने तपाक से अपना लंड मेरी गांड के छेद में घुसेड़ दिया।

ओ मेरी माँ ! कितना मोटा, लंबा और सख्त था उसका लंड !

वह तो पहले ही झटके में लगभग आधा मेरे अंदर घुस गया !

मैं दर्द के मारे चीखने को हुआ मगर उसने मेरा मुँह एक हाथ से बंद कर रखा था। उसने मुझे और जोर से नीचे दबाया और फिर एक जोर का झटका लगा कर अपना लंड पूरा का पूरा मेरे गांड के अन्दर डाल दिया। फिर कुछ देर रुकने के बाद उसने अपना लंड मेरे अंदर-बाहर पूरे जोर से डालना शुरू किया।

मुझे तब अचरज हुआ जब मेरी गांड का दर्द कम हुआ और मुझे अजीब तरह का मजा आने लगा। अनजाने में मैंने अपनी गांड खुद ऊपर उचकाई ताकि उसका लंड पूरी तरह अपने अन्दर ले सकूँ।

यह देख कर उसे और जोश आया और वह मुझे गपागप चोदने लगा। मुझे फिर क्या सूझी मुझे पता नहीं, मैंने उसकी हथेलियों को अपने छाती पर रख कर उसे इशारे से अपने मम्मे मसलने के लिए कहा।मेरे मम्मे बहुत ही मुलायम और कुछ गोल से हैं। उसे यह तो और भी भाया और वह मेरी गांड मारने के साथ साथ मेरे मम्मे भी जोर से मसलने लगा। मुझे अब वाकई में खूब मजा आ रहा था। मेरी गांड उसका लंड बहुत मजे से ले रही थी। मैं सिसकारियाँ भर रहा था और वह कहे जा रहा था,”ले मेरी जान, ले मेरा लंड ! पूरा का पूरा अपनी गांड के अन्दर !”

इस तरह उसने मुझे करीब घंटा भर बड़े कस के चोदा और फिर मेरी गांड में अपना सारा का सारा गर्मागर्म वीर्य फव्वारे की तरह छोड़ कर वह मेरे ऊपर निढाल हो कर कुछ देर वैसे ही पडा रहा। फिर उसने अपना ढीला पड़ा हुआ लंड बाहर निकाल लिया और करवट बदल कर पडा रहा।

दो तीन घंटों के बाद शायद उसका लंड फिर से तन गया और उसने उसे फिर एक बार मेरी गांड में पेल दिया।

इस वक्त मुझे जरा सा भी दर्द नहीं हुआ बल्कि मेरी गांड तो जैसे उसका लंड अन्दर लेने के लिए उतावली थी ! फिर से मुझे करीब आधा घंटा छोड़ कर वह मेरे अन्दर फिर से खूब सारा झड़ गया। इस तरह होस्टल की पहली ही रात में मैं चुद गया। इस चुदाई में मुझे जो मजा आया था उसके बारे में विचार करने के बाद मैं इस नतीजे पर आ गया कि शायद मैं अन्दर से लड़की हूँ इसीलिए तो मुझे किसी मर्द का लंड अपने अन्दर लेने में इतना मजा आया। मेरे और भी गांड मरवाने के किस्से मैं इसी तरह बारी-बारी से भेजता रहूँगा या सच कहो तो भेजती रहूँगी क्योंकि मैं अपने गांड मरवाने के बारे में बताते हुए अपने आप को एक लड़की ज्यादा महसूस करती हूँ।

आप सभी की प्यारी प्रवीना

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