नए साल की शुरुआत चुदाई के साथ
सबसे पहले मेरी तरफ से नए वर्ष की हार्दिक बधाई, आपका सनी नये साल की रात को भी चुद गया ! जब दिमाग में रहते लंड हों तो दिन कौन सा है, तारीख कौन सी है, नहीं याद रहता !
कल की बात है, मैं एक सर्कस के बाहर से गुजरा, देखा कि बहुत भीड़ लगी हुई थी। सोचा चल सनी आज सर्कस देखी जाए !
घर गया, जाकर तैयार व्यार हुआ, ट्रेक सूट पहना इलास्टिक वाला नीचे बेहतरीन सिल्की पैंटी पहनी !मैंने सोचा था कि देर रात वाला शो देखूँगा।
मैं वहाँ पहुँचा, थोड़ा अँधेरा हो चुका था लेकिन बहुत लफंडर वहाँ सर्कस देखने आये हुए थे, गरीब आदमी बेचारा तो सस्ती सी सर्कस देखकर नये साल का जश्न मना सकता है, अमीर लोग कार में घूम फिर कर !
घुसते ही मेरी नज़रें दो ऐसे बन्दों पर टिकी जो मुझे काफी मर्दाना लगे थे, वो मुझे अपने मस्त टाइप के लगे, मैंने उनको देखना शुरु किया, मुस्कुराया, मैंने हल्के से होंठ काटकर कुछ कुछ इरादे जाहिर किये लेकिन उन बेचारों की तरफ से कोई जवाब नहीं आया, मेरा दिल टूट सा गया, सोचा ‘कोई नहीं, और बथेरे लोग हैं !’
तभी मेरी नज़र कोने में लगे ठेले पर गई, जहाँ दो मर्द जल्दी जल्दी से दारु खींच रहे थे। वो भी मुझे अच्छे लगे, मैंने उन पर लाइन मारनी शुरु की, वे शायद मेरे इरादे भांप गए थे। मैंने उनको देखा और लाइन में लग गया। उनमें से एक ठीक मेरे पीछे खड़ा हो गया। शराब की महक आ रही थी, देखते ही उसके पीछे लंबी लाइन लग गई, धक्के बजने लगे, मैंने गांड उसके लंड पर रगड़ गांड को पीछे की तरफ धकेला। कुछ देर ही किया था कि मुझे कुछ सख्त सख्त महसूस हुआ, उसका लंड खड़ा हो गया था, अब उसने गांड के चीर के बीच रख पीछे से धकेला तो मस्ती से मेरी जान ही निकलने लगी थी। उसने गांड पर हाथ फेरा, मैंने हाथ पीछे लेजा धीरे से उसके लंड को सहलाया।
उसने कुछ देर मजा करके अपने साथी को बुलाया और खड़ा किया। मैंने गांड धकेली जल्दी उसका भी खड़ा हो गया।
टिकट लेकर निकले, मैं पेशाब करने के बहाने अंधेरे में खाली जगह पर गया, दोनों भी आये और पेशाब करने लगे।
उनके लौड़े देखा मेरी गांड मचलने लगी, न वो बोले, न कुछ मैं बोला !
वो वापस उधर चले गए।
मुझे एक ज़रूरी फ़ोन आया था, सुनने लगा। तभी वो दो मर्द जिन पर मैंने पहले लाइन मारी थी, मेरी तरफ आये। मैंने फ़ोन बंद किया।
“अब बोल क्या चाहिए?”
“अब मैंने ढूंढ लिए हैं, तुमने देर कर दी है।”
“चल कोई नी !” दोनों ने लंड निकाले !
क्या शानदार लंड थे !
“कैसे लगे?”
“बहुत मस्त धांसू लंड हैं !” फिर कब लेगा इनको चिकनी गांड में?”
मैंने उनको अपना मोबाइल लिखा दिया और कहा- कल फ़ोन करना !
मैंने लोअर खिसका कर दिखाया।
“हाय मेरी जान, क्या गांड है तेरी !” दोनों ने हाथ फेरा और वहाँ से वापस लौट आये।
वो दो मेरी ही इन्तजार कर रहे थे शायद, एक साथ अंदर घुसे, मैं एक ऐसी नुक्कड़ में बैठा, सबसे पीछे जहाँ भीड़ कम थी और कोई था भी नहीं !
दोनों वहीं आये, एक इधर बैठा, दूसरा उधर बैठ गया, मैं उनके बीच में !
सर्कस चालू हुई, एक का हाथ एक जांघ पर, दूसरे का हाथ दूसरी जांघ पर ! उन्होंने चादर औढ़ रखी थी, मैंने हाथ अंदर लेजा कर मजे से दोनों के लंड मसले, दोनों ने अपनी अपनी ज़िप खोल दी। मैं खेलने लगा उनके लंड के संग! उनको उत्तेजित करके गांड मरवाने से ज्यादा मजा उनके लण्डों से खेलने में आने लगा।
मैंने इधर उधर देखा और एक की गोदी में सर रख दिया, उसने चादर बिखेर दी और लंड मेरे होंठ से लगाने लगा, थोड़ी ऊपरी ऊपरी ना नुकर से मैंने चूसना चालू किया। शायद पहली बार चुसवा रहा था वो ! कुछ ही चुप्पे मारने के बाद उसने पानी छोड़ दिया। मैंने जल्दी से लण्ड निकाल दिया और दूसरे की गोदी में सर रख उसको चुप्पे मारे और जल्दी उसका भी झड़ने लगा। तीनों सीधे होकर बैठ गए, मैंने कहा- कैसा लगा मेरे राजाओ?
“बहुत मजा आया !”
“अब गांड कहाँ लोगे मेरी? मैं तो जल रहा हूँ !
“वहीं पीछे चलते हैं, पीछे बेरी का बाग है, वहाँ तेरी गांड मारते हैं।”यहीं मार लो मेरी ! वहाँ उजाड़ में क्यूँ चलना है, और कोई जगह नहीं है क्या?”
“जगह है लेकिन उसके लिए रात तक रुकना पड़ेगा, जब हमारे साथी रात की शिफ्ट पर जायेंगे,”
“ओके, कोई बात नहीं, तब तक वहीं चलते हैं, और हम एक एक करके बेरी के बाग़ में चले गए।
बीच बाग़ किसी ने काटकर इस तरह की जगह बनाई थी, मानो चोदने चुदाने के लिए ही बनाई थी।
“कैसी है जगह?”
“जगह झकास है लेकिन पी. सी. आर वाले गश्त तो नहीं लगाते यहाँ?”
“आज कौन आएगा? सभी नया साल खा पीकर मना रहे होंगे ! तुम कौन सी लड़की हो?”
मैं दोनों के सामने घुटनों के बल बैठ गया मानो जैसे पुलिस वाले किसी चोर को नीचे बिठा देते हैं। दोनों ने बड़े बड़े काले लंड निकाल लिए थे जिनको कुछ देर पहले मैंने चूस कर झड़वाया था। मैंने सोये हुए दोनों के लंड एक साथ मुँह में लेकर निप्पल की तरह चूसे जल्दी खड़े होने लगे, मुझे दिक्कत आने लगी तो मैंने निकाल दिए और हवसखोर औरत की तरह पागलों के तरह थूक फेंक फेंक (बिल्कुल इंडियन पोर्न स्टार प्रिया अंजलि की तरह) जो चुसाई में मेरी आइडियल है, उस कुतिया की तरह में लंड चूस रहा था, दोनों की आँखें बंद बंद होती कभी खुली !
मैं खड़ा हुआ और जल्दी से अपना लोअर खिसका दिया, दोनों मेरी लाल सिल्की पैंटी देख देख पागल हो गए।
“क्या गांड है साले तेरी !”
“हाथ फेरो, चूमो !”
दोनों पैंटी खींच मेरी गांड चूमने लगे। एक ने तो नशे में मेरा छेद को चाटना चालू किया, मुझे बहुत गर्मी चढ़ने लगी। दिल कर रहा था चाटे ही जाता रहे।
मैंने लोअर से एक कंडोम निकाल एक के लंड पर चढ़ा दिया और कुछ देर हिलाने के बाद उसको बहुमत साबित करने का मौका दिया, उसने झट से सरकार बनाई और एक झटके में आधा मंत्री मंडल चुन लिया।
उसने ज़ोर ज़ोर से झटके देकर पूरा मंत्रीमण्डल सजा दिया मेरी असेम्बली में !
आठ इंच का काला लंड घुसवा कर मैं गांड धकेल धकेल चुदवाने लगा और एक का लंड पागलों की तरह मुँह में डाला हुआ था। पहले झड़ने की वजह से उसका जल्दी नहीं हो रहा था लेकिन आखिर उसने अपना पानी निकाल दिया और कपड़े ठीक कर ध्यान रखने लगा कि कोई आये ना !
दूसरे ने भी कंडोम चढ़ाया और पहले ग्रीसी गांड में लंड पेल दिया। आराम से पूरा लंड चलने लगा, नीचे चादर बिछा में लड़की की तरह लेट गया, नीचे दबकर मस्त होने लगा, वो चूमता हुआ चोद रहा था।मैंने उसको मम्मे दिखाए, वो बावला हो गया। “इतने बड़े मम्मे लड़के के हिसाब से?”
उसने निप्पल मुँह में लिया और झटके ज़ारी रखे। करीब दस बारह मिनट की चुदाई के बाद उसका भी लंड झड़ने लगा। कुछ देर ऐसे लेटे रहने के बाद हम चूमते अलग हुए और कपड़े पहन फिर मिलने का वादा किया।
मैंने उनके मोबाइल नंबर लिए और वहाँ से निकले ! वो अब घर चले गए, मैं बाइक निकाल रहा था कि मुझे पहले वाले दुबारा मिल गए और उनको कल फ़ोन करने का कह वहाँ से निकल आया।
दोस्तो, बहुत मजा आया चुदाई करवाने का ! ख़ास कर उनको पटाने का, लाइन में लग उनको आकर्षित करके सर्कस में लंड मसलने-चूसने का !
बाकी दो से क्या क्या हुआ, जल्दी लिखूँगा, तब तक के लिए नमस्कार !
आपका गांडू सनी
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