गांड मारने का शौकीन कर्मचारी- 2
(Gand Marne Ka Shaukeen)
दोस्तो, मैं आपका साथी आजाद गांडू एक बार फिर से आपको गे सेक्स कहानी में मजा देने हाजिर हूँ.
पहले भाग
नए कर्मचारी ने घरेलू नौकर की गांड मारी
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं जावेद की गांड मार रहा था. मैं लंड पेल कर उसे सहलाया और उससे पूछने लगा था.
अब आगे :
जावेद की गांड में लंड पेल कर मैं यूं ही रुका रहा.
फिर मैंने उसे सहलाया तो वो मेरी तरफ देखने लगा.
मैंने उससे कहा- शुरू हो जाऊं?
वह चुप रहा तो मैं धक्के देने लगा.
धीरे धीरे वह गांड हिलाने लगा. फिर मेरे धक्के धीरे-धीरे तेज हो गए. वह गांड चलाने लगा.
दस मिनट हम दोनों चालू रहे.
अब वह गांड ढीली किए था, उसने मुझसे पूछा- अभी झड़े नहीं?
मैंने कहा- बस थोड़ा और.
उसने कमर और झुका ली, मैं लगा रहा.
कुछ देर बाद मैं झड़ गया. गांड से लंड निकाला, तौलिया से पौंछा और अंडरवियर पहन कर वही तौलिया कंधे पर डाल ली.
उसका मुँह एक बार फिर से चूम कर कहा- मजा आया?
बदले में वह मेरा मुँह चूमने लगा.
मैंने कहा- मेरी मारोगे?
वह बोला- तुम बड़ी देर तक लगे रहे, मेरा भी पानी छूट गया. अभी नहीं, फिर कभी लूंगा. इतनी देर कोई नहीं करता … तुमने कसके रगड़ दी.
मैं- अरे यार तकलीफ तो नहीं हुई.
वह- तकलीफ की ऐसी-तैसी, मजा खूब आया. अब तक तुमने मुझे पटाया क्यों नहीं था?
मैं- अरे यार, तुम इतने माशूक! इतनी अदा से करवाई, तुमसे करवाने की कहने में मेरी गांड फटती थी. पता नहीं था तुम क्या जवाब दोगे, कहीं नाराज न हो जाओ. मगर आज बहुत मजा आया, साल सवा साल बाद किसी की मारी.
जावेद- और?
उसकी आंखें मेरा जबाब सुनने को मुझ पर टिकी थीं, वह मुस्करा रहा था.
मैं- बचपन में जब लौडा था, तब करवाता था.
जावेद- वो तो तुम अभी भी माशूक हो.
मैं- अरे यार … तो तुम भी कर लो न. बहुत दिनों से किसी ने मुझसे मेरी मारने की बात ही नहीं की. अब तो बस मरवाने वाले ही मिलते हैं. तुम मेरी मारो तो बोलो?
जावेद मुस्कुरा कर बोला- मजा आया, ऐसे तो कोई नहीं मारता. तुम तो जैसे लौंडिया की तरह चोद रहे थे, क्या मस्त मोटा लंड है … गांड रगड़ कर मार दी. आज मेरी भी किसी ने बहुत दिनों बाद मारी, मजा आ गया.
ये कह कर उसने मेरा चुम्बन ले लिया.
कुछ दिनों बाद एक रात को मैं उसके साथ लेटा था.
मैं उसकी तरफ पीठ किए था पर उसने जबरदस्ती मेरे अंडरवियर में हाथ डाल दिया और मेरा लंड पकड़ कर हिलाने लगा.
मैं भी चित हो गया तो वो अपनी चड्डी उतार कर मेरे ऊपर चढ़ गया, अपनी गांड मेरे लंड पर रख कर उचकने लगा.
लंड अन्दर लेते ही वो मुस्कराने लगा.
मैं भी मजा लेने लग गया.
आखिर में मैंने कहा- खाट पर मेरे नीचे लेट जा.
वह औंधा लेट गया, तब मैंने उसके ऊपर से सैट किया और डाल दिया.
दबादब लंड चलने लगा.
कुछ देर चुदाई से निपटने के बाद उस दिन भी मैंने उससे कहा- अब तुम डालोगे?
तो मुस्कराने लगा, मगर साले ने मेरी नहीं ली.
एक दिन जावेद निमंत्रण पत्र लेकर आया. उसकी शादी उसके अपने होम टाउन में तीन चार दिन बाद थी.
हमने वीरेन्द्र सर से रिक्वेस्ट की.
हम चम्बल एक्सप्रेस से उसके होम टाउन के पास के स्टेशन महोबा आ पहुंचे.
वहां से बस से पहुंचे.
यहां में 13-14 साल बाद आया था. यहीं से मैंने मैट्रिक की परीक्षा दी थी.
हम सब जावेद की शादी में शामिल हुए.
मुझे शादी के बाद पास के स्टेशन पहुंचना था.
उसी शादी में इशहाक भाई भी शामिल हुए थे. वे दूल्हे के कजिन थे.
जब मैं मैट्रिक का स्टूडेंट था, तब वे मेरे चाचा के यहां एक ड्राईवर थे, ये उनके बेटे थे. तब वो उन्नीस बीस के होंगे.
उस वक्त उनकी नई नई दाढ़ी मूंछ निकल रही थी. लंड पहले से लम्बा मोटा होने लगा था और परेशान करने लगा था.
उस समय एक बार हम साथ साथ खलिहान में लेटे थे, तब उनके एक दोस्त ने मेरी गांड मार दी थी.
जब उस दोस्त का लंड अन्दर गया था तो मैं चिल्ला पड़ा था.
उन्होंने उस लड़के को मेरे चूतड़ों पर से उठाया और उस लड़के के कहने पर भी मेरी गांड में लंड नहीं पेला.
जब कि मैं बहुत माशूक चिकना लौंडा था.
वो उसी दोस्त पर चढ़ बैठे, जो लम्बा दुबला पिचके चूतड़ वाला था. इशहाक भाई बहुत दबंग थे.
फिर उस दिन उन्होंने मेरी माल से भीगी गांड तौलिया से गांड साफ की, उसमें उंगली फिराई और फिर वो खुद भी अपने आपको रोक न सके तो उन्होंने मेरे दोनों चूतड़ चूम लिए.
मेरे चूतड़ बहुत मस्त थे. वो उन्हें बड़ी देर तक मसलते रहे, तो उनका खड़ा हो गया था.
उनका सोचना था, मैं छोटा लौंडा हूं, उनका लंड झेल नहीं पाऊंगा.
जब कि वे गलत थे.
मेरी गांड उनके लंड का मजा लेने को मचल रही थी.
वे भी देख कर बोले- अभी तो चिकनी है, जरा भी बाल नहीं, एकदम गुलाबी रखी है. मक्खन सी चिकनी और मुलायम है.
मेरे केसर के ढेर से गोल गोल चूतड़ चिकनी जांघें देख कर वे मेरी जांघों पर हाथ फेरते रहे. अभी ज्यादा चुदी नहीं है. थोड़े दिन ठहर जाओ, अभी झेल नहीं पाओगे, तुम्हारी फट जाएगी. मेरा तुम्हारे हिसाब से जरा बड़ा है.
वे अपना मस्त लंड बार बार मसल रहे थे, लंड कड़क होने लगा था तो इशहाक भाई रुक न पाए.
उन्होंने अपनी साथी लौंडे की फिर से मार कर प्यास बुझा ली.
वो लौंडा मेरे सामने ही उचक उचक कर इशहाक भाई के लंड से गांड मरवा रहा था और मेरी कुलबुला रही थी.
ये सब बातें याद में आ गईं तो मैंने उनसे रात रुकने का कहा.
इशहाक भाई मुझसे बोले- तुम्हें चम्बल बड़ी सुबह मिलेगी, मेरे साथ चलो. सुबह यहां से जा नहीं पाओगे, कोई बस का साधन भी नहीं है.
मैं उनके साथ महोबा आ पहुंचा.
वे एक मोटर पार्टस की दुकान चलाते थे.
ग्राउंड फ्लोर में रिपेयरिंग सेंटर और दुकान थी … खुद ऊपर रहते थे.
स्टेशन के पास ही दुकान थी. वे हमें अपने निवास पर ले गए. खाना हम लोग खाकर आए थे. उन्होंने कॉफी बना कर पिलाई.
बाकी बार बार पूछते भी रहे- बियर या कोई जो भी चले, मिल जाएगी अपन बाजार में ही हैं.
मैं कपड़े उतारने लगा.
वे बोले- लुंगी या पजामा लाऊं?
मैंने कहा- नहीं आपसे क्या शर्म, आपने तो मेरा सब कुछ देखा है.
वे हंस पड़े.
मैंने पैंट शर्ट उतारे, अंडरवियर बनियान में आ गया.
वे देख कर बोले- वाह, क्या बॉडी बनाई है, पहले तो दुबले पतले थे, उम्र से आधे लगते हो.
उनके परिवार के सब लोग अभी भी जावेद के घर की शादी में थे. घर में हम दोनों ही थे. हम एक ही डबल बेड पर आ गए.
मैंने लेटते ही सोचा कि सुबह तो जाना ही है, कुछ मजा ले लिया जाए.
मैंने कहा- भाई जान खेल चलता है?
वे- अब बहुत दिन हो गए, जो दोस्त शौक रखते थे, वे बम्बई अहमदाबाद चले गए. नए शहर में हूं, नए लोग कम मिलते हैं.
मैं- तो आज हो जाए.
इशहाक भाई- अब आप बड़े हो गए … अफसर हैं.
मैं- तो क्या हुआ, आपके लिए तो वही दुबला पतला लंड वाला हूं. तब आप कहते थे कि दुबला हूं, छोटा हूं, आज कह रहे हैं कि बड़ा हो गया. क्यों मेरा पत्ता काट रहे हैं … इतने साल बाद मिले हैं.
मैंने उनसे इतना कह कर अपना अंडरवियर उतार फैंका और नंगा होकर औधा लेट गया.
वे मेरे आकर्षक चूतड़ों को देखने लगे.
मैंने उनका हाथ अपने चूतड़ों पर पकड़ कर रख दिया.
वे मेरी तरफ करवट किए लेटे थे.
मैंने उनकी तरफ हाथ बढ़ा कर उनका लंड पकड़ लिया और मुट्ठी मारने लगा.
उनका हथियार जग गया और सांप सा फुंकारने लगा.
एकदम लम्बा मोटा हो गया, सुपारा फूल गया और लंड झटके लेने लगा.
वे पहले से कुछ ज्यादा मोटे हो गए थे जांघें व बांहें मोटी भारी हो गई थीं. चूतड़ बड़े बड़े दिख रहे थे. थोड़े गाल भी फूल गए थे.
मेरी तरफ वे वासना से देख रहे थे, कहने लगे- भैया, आपकी पहले से हैल्थ अच्छी हो गई है. मैं तो मोटा हो गया हूँ.
वे अभी ज्यादा भद्दे नहीं थे, पर लगता था कि जल्द ही हो जाएंगे.
अब वे मेरे ऊपर चढ़ बैठे, घुटने मोड़ कर बैठ गए.
उनके पलंग के ऊपर एक तेल की शीशी रखी थी, मैंने हाथ बढ़ा कर उन्हें दे दी.
उन्होंने तेल लंड पर चुपड़ा और तेल भीगी उंगलियां मेरी गांड में डाल दीं.
फिर अपना लंड मेरी गांड से टिकाया और बोले- डाल रहा हूं.
ये कहते ही उन्होंने लौड़ा पेल दिया.
उनका लंड जब गांड में घुसा, तब पता लगा कि कितना मोटा मजबूत हथियार है. अब भी गांड फाड़ू लंड है.
मुझे दर्द होने लगा था, पर वे धीरे धीरे डाल रहे थे तो झेल गया.
जब आधा लंड घुस गया तो उन्होंने एकदम से पूरा पेल दिया, मेरी चीख निकल गई- आ … आ … आह!
मैं पूरी ताकत से जोर लगा रहा था, गांड ढीली किए था.
पर वह भयंकर लंड था, थोड़ा दर्द तो होता ही है. ये बात गांड मराने वाले मेरे दोस्त जानते हैं.
फिर वे एकदम अन्दर बाहर अन्दर बाहर अन्दर बाहर करते हुए चालू हो गए.
मैं दर्द सहन कर रहा था और मजा भी ले रहा था. आखिर मेरी बरसों पुरानी इच्छा पूरी हो रही थी.
अपने को मैं बड़ा तीस मार खां समझ रहा था.
वे धक्के देते और बार बार रुक कर मेरी गांड को आराम भी दे रहे थे.
फिर धीरे धीरे शुरू करते हुए बड़ी देर तक लगे रहे … मजा बांध दिया.
बीस मिनट बाद वे झड़ गए हम दोनों अलग हुए और सो गए.
सुबह मैं जागा तो देखा कि गाड़ी तीन घंटे लेट थी.
मैं फ्रेश हुआ और तैयार हो गया.
मैंने कहा- भाई जान, यदि इच्छा हो तो एक बार और!
वे बोले- हां, हो जाए. मगर अब आप कुछ कहेंगे नहीं, एक छोटा सा गिफ्ट मेरी तरफ से.
ये कह कर उन्होंने आवाज दी- रऊफ.
रऊफ आया तो मैंने देखा कि नई उम्र का एक बहुत नमकीन नौजवान था.
वे आदेश के स्वर में बोले- रऊफ यहां आ और साहब के पास बैठ जा.
वो उसे इशारा करके कमरा छोड़ कर चले गए.
मैं उस हसीन जवान माल को देख कर रह गया.
वह मेरे पास बैठा तो मैंने उसका चुम्बन ले लिया. वह समझदार था तो खुद ही पैंट खोलने लगा. पैंट खोल कर मेरे पास लेट गया.
मैं उस पर चढ़ बैठा और उसकी में डर डर कर डालने लगा मगर वह खेला खाया था.
जब मैंने पूरा डाल दिया तो पूछा- शुरू करूं?
वह हल्का सा मुस्करा दिया.
मैं धीरे धीरे धक्के देने लगा.
वह समझ गया और अपनी गांड चलाने लगा.
कुछ ही बाद वो अपने चूतड़ जोर जोर से उचकाने लगा.
अब मैं भी पूरी ताकत से दे दनादन दे दनादन चालू हो गया.
पर उस वक्त मैं अचम्भे में पड़ गया, जब रऊफ ने मेरा चुम्बन ले लिया.
वो धीमा पड़ा तो मेरा पानी छूट गया.
सच में इतना मजा किसी की गांड मारने में बहुत कम बार आया था.
वो इतना हसीन लड़का था कि क्या कहूँ, शायद उसे भाईजान ने खुद ट्रेनिंग दी थी और उसी को मेरे सामने पेश किया.
ये उनका मेरे प्रति प्रेम था.
मैं अपने को गांड मराने का एक्सपर्ट बहुत हसीन मानता था, अब भी मानता हूं … पर मैं उसे अपने को दोनों बातों में कमतर समझ रहा था.
मेरी तो उधर ही रुक कर दो तीन दिन उसके साथ मस्ती करने की इच्छा हो गई थी … मेरा लंड बार बार फड़फड़ा रहा था, पर जाना जरूरी था.
फिर हमने मिल कर लंच लिया, गाड़ी आई, तो वे दोनों मुझे स्टेशन पर बिठाने आ गए.
अपनी गे सेक्स कहानी मैंने आपको लिख भेजी है. अवलोकन करें यदि उचित समझें तो मुझे मेल करें.
आपका आजाद गांडू
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