गांड में लंड लेने व पेलने का नशा- 3
(Gand Gand Sex Kahani)
गांड गांड सेक्स कहानी में मेरे जीवन में ऐसी कई घटनाएँ होती रही जिनसे मेरे गांडू जीवन में नए और पुराने दोस्त मिलते रहे, मेरी गांड को लंड मिलते रहे और मैंने कइयों की गांड मारी.
मैं आपका आजाद गांडू, आपको अपनी गे सेक्स कहानी का अगला भाग लेकर उपस्थित हुआ हूँ.
कहानी के पिछले भाग
अनजान लड़के की गांड मारी और मरवाई
में आपने पढ़ा कि मैं गांडू बन चुका था, मुझे गांड मारने में उतना मजा नहीं आता था जितना गांड मरवाने में आता था.
अब आगे गांड गांड सेक्स कहानी:
दोस्तो, मेरी पहली पोस्टिंग जिस जिले में हुई, वहां मुझे नया होने के कारण वहां से लगभग दस किलोमीटर दूर एक डिसपेंसरी में भेज दिया गया था.
उस गांव के पास दो किलो मीटर पर नदी किनारे एक डाक बंगला था, जिसे किसी राजा साहब ने बनवाया था.
यह एक ऊंचे टीले पर था, उसके चारों तरफ बड़ा बगीचा था … लम्बा चौड़ा लॉन था. कई कमरे थे.
उस बंगले के केयर टेकर शेखर साहब से मेरी दोस्ती हो गई.
वे लौंडे बाज व लौंडिया बाज दोनों थे.
डाकबंगले के कुक जो जवान लौंडा था वे उसकी व उसके दोस्तों की गांड मारते थे.
शेखर साहब मुझे कई बार मिले.
एक बार उनका एक गेस्ट आया.
मुझे भी उस रात डाक बंगले पर रोक लिया.
शेखर साहब व उनके गेस्ट ने उस रात सोते में मेरी गांड मार दी.
फिर मुझे उत्साहित किया कि उनके गेस्ट की मैं मार दूं, जो एक मेरी उम्र का ही हैंडसम नौजवान था.
बाद में उनके कुक व उसके दोस्तों ने भी मेरे से मराई जो उसी गांव के 19-20 साल के बेरोजगार लड़के थे.
वे लौंडे मुझसे कई बार मराते रहे, मैं भी उनसे मराना चाहता था.
पर वे तैयार नहीं होते थे … जाने क्यों झेंपते थे जबकि वे सब गांव में लौंडिया चोदते थे, एक दूसरे की गांड मारते थे.
जबकि मैं उनसे ज्यादा खूबसूरत गोरा-चिट्टा मस्कुलर था.
वे भी गांव के मस्त स्वस्थ लौंडे थे.
शेखर साहब को भी मैं जब तब खुश कर देता था.
इसी तरह से काम चलता रहा.
शेखर साहब मेरी मारना तो चाहते थे, पर कह नहीं पाते थे.
एक दो बार ही मेरे सोते में मारी, बस कहने में झिझकते थे.
वे बड़ी उम्र के जरूर थे, पर मैं उनसे तगड़ा कसरती मस्कुलर जवान लड़का था.
फिर वहां से मेरा ट्रांसफर हो गया.
यह सब मैंने अपनी गे सेक्स कहानी
डाक बंगले में गांड मराईhttps://www.antarvasna3.com/gandu-gay/bungalow-me-gand-chudai-2/
में लिखा था.
बाद में भूरा व भोला की मैंने नौकरी लगवा दी.
अब वे आर्मी मैन थे व मेरे अहसानमंद थे.
करीब पांच सात साल बाद उसी जिले में एक डिर्पाटमेन्टल मीटिंग आयोजित की गई, उसमें पूरे प्रदेश से प्रतिनिधि आए थे.
मैं अपने जिले का प्रतिनिधित्व कर रहा था.
वह एक छोटा जिला था.
सारे होटल व सरकारी बंगले भर गए थे.
अत: मुझको मेरे आयोजकों ने रिक्वेस्ट की और मुझे शहर से दूर उसी डाक बंगले में ठहरा दिया.
जब एक जीप मुझे ले जा रही थी तो रास्ते में एक जवान खड़ा दिखा.
उसने बताया कि उसे भी उसी गांव जाना था.
ड्राईवर ने उसे भी बैठा लिया, वह उसका परिचित था.
जब सब उतरे तो उसी ने मुझे पहचान लिया.
वह बोला- अरे सर! मैं भोला, पहचाना?
मैंने कहा- हां क्यों नहीं पहचानूंगा … कैसे हो? कहां से आ रहे हो?
वह बोला- सर, ड्यूटी से आ रहा हूं. कश्मीर में पोस्टिंग है, पंद्रह दिन की छुट्टी मिली है.
उसने मेरा बैग थाम लिया और डाक बंगले की टेकरी पर छोड़ दिया.
उसका एक कजिन आजकल कुक था.
वह बोला- सर आपने मुझे उसे लगवा दिया, आप न मिलते तो मैं भी यहीं बगंले में झाड़ू लगा रहा होता और मुर्गा बना रहा होता.
ड्राईवर ने मेरा मोबाइल नम्बर ले लिया व अपना देकर बोला- सर, कॉल कर लेना … मैं सुबह ले जाऊंगा.
भोला बोला- मैं, सर को छोड़ आऊंगा, कितने बजे मीटिंग है?
मैंने बताया कि ग्यारह बजे से है.
भोला बोला- सर, मैं साढ़े दस पर आ जाऊंगा.
फिर उसने अपने कजिन से कहा- साहब को कल नहाने का गर्म पानी देना. अभी कमरा खोल दो और खाना बना दो. साहब थके होंगे, मालिश कर देना.
मैं- अरे इतना नहीं, मैं नहा लूंगा बस!
वह बोला- नहीं सर, यह मालिश कर देगा, या आप कहें तो मैं कर दूं?
मैं- अरे भोला, तूने तो बहुत सेवा की, ये इतनी सब नहीं करेगा … रहने दो, ज्यादा बोझ मत डालो.
भोला मुस्कराकर बोला- सर, सब करेगा, मेरे से ज्यादा … आप कहें तो मैं रूक जाऊं?
मैं- नहीं यार, तू इतने दिन बाद आया है … घर जा, बीवी से मिल! यह कर देगा.
भोला- नहीं, सच में फुल सेवा करेगा, मजाक नहीं सर … नहलाएगा, मालिश और वह सब भी मैं समझा जाऊंगा! मैं सुबह खुद आऊंगा, गुडनाईट सर!
फिर वह कजिन से बोला- रतन, साहब का ख्याल रखना … साहब शौक रखते हैं. संतुष्ट करना वरना सुबह आकर मेरी नाक कटी … तो मैं आकर करवाऊंगा ही! समझ गए रात को तो तू ही है.
मैं- अरे नहीं.
भोला- अरे सर, इसमें कोई बात नहीं और मेहमानों को भी हम संतुष्ट करते रहे हैं.
मैं फ्रेश हुआ.
नहाना चाह रहा था कि रतन बोला- सर, आप थके होंगे, चलिए पहले मालिश कर देता हूँ!
मैं बोला- रहने दे.
पर वह चटाई ले आया व तेल की शीशी ले आया.
वह मेरी मालिश करने लगा.
मैं मात्र अंडरवियर पहने हुए था.
उसने भी कपड़े उतार लिए व अंडरवियर बनियान में आ गया.
अब वह मेरी जांघों की मालिश कर रहा था.
फिर कहने लगा- आपकी जांघें बहुत मस्त हैं!
मैंने कहा- तेरी भी तो मस्त हैं.
वह बोला- सर जी, मैं आपसे पहले भी मिल चुका हूं, आप भूल गए हैं. भोला के साथ आया था.
मैं- अरे कब?
वह बोला- तब आप के साथ …
मैं- तो अब तो तू बड़ा हो गया, अब भी …?
वह बोला- सर, अब भी पर कभी कभी, अब दोस्त बाहर चले गए, सबकी शादी हो गई. मैं भी बड़ा हो गया, अब मुझे अप्रोच करने में साथी झेंपते हैं.
मैं- हां तू तगड़ा भी हो गया और ऊंचा भी … पर मस्त है. राजी हो, तो आज हो जाए!
मैंने हाथ बढ़ा कर उसका हथियार पकड़ लिया.
वह तब तक अपना अंडरवियर उतार चुका था.
उसका टनटना रहा था … क्या मस्त हथियार था.
वह खड़ा था और मैं लेटा था.
मैं एकदम औंधा हो गया और बोला- चढ़ बैठ!
वह बोला- सर जी, आप कर लो.
मैंने कहा- देर मत कर यार, चढ़ बैठ!
वह मेरे ऊपर अपने घुटने मोड़ कर चढ़ बैठा.
तेल की शीशी से तेल लेकर उसने अपने लंड पर चुपड़ा … मेरी गांड में लगाया.
फिर तेल से भीगी दो उंगलियां मेरी गांड में डाल दीं.
गांड गांड सेक्स करते हुए वह बहुत धीरे धीरे उंगलियां घुमा रहा था.
फिर उसने अपना लंड मेरी गांड पर टिकाया और धक्का दे दिया.
हथियार अन्दर जाते ही थोड़ा हल्का सा दर्द हुआ, लगभग पांच छह साल से गांड को लंड नहीं मिला था, अत: तबियत हरी हो गई.
वह बहुत धीरे धीरे धक्के लगा रहा था.
मैंने कहा- क्या मरे मरे कर रहा है, थोड़ी दम लगा!
तो वह जोरदार झटके देने लगा.
अन्दर-बाहर … अन्दर-बाहर धच्च-फच्च धच्च-फच्च करके गांड लाल कर दी.
लौंडा जोश में आ गया था.
अब उसका पानी टपक गया.
हम लोग थोड़ी देर बैठे रहे.
फिर मैं अंडरवियर पहनने लगा तो उसने पकड़ लिया- सर, अभी न पहनें.
उसने मेरा अंडरवियर लेकर अपने सिर के नीचे रख दिया और खुद चटाई पर नंगा औंधा लेट गया.
वह बोला- अब मेरी बारी है.
मेरा लंड मुँह में लेकर वह चचोर रहा था तो मजा आने लगा था.
फिर मैंने झटके से मुँह से निकाला- अबे, मुँह में ही झड़ जाऊंगा!
वह टांगें चौड़ी करके लेटा था.
मैंने तेल की शीशी से तेल लेकर उसकी गांड में लगाया व अपने हथियार पर तेल चुपड़ कर उसकी गांड पर टिका दिया.
धक्का देकर लंड अन्दर किया व चालू हो गया.
वह बड़े दिल से करा रहा था.
उसने शायद कल ही शेव कराई थी.
मैं उसके चिकने गाल व रसीले होंठ चूसता रहा.
वह बहुत दिल से करा रहा था.
मस्त जवान लौंडा था, बहुत दिनों बाद एक माशूक लौंडे की मारने को मिली थी, मजा आ गया.
अगली सुबह मैं तैयार होकर नाश्ता कर ही रहा था कि मोटर साईकिल पर भोला आ गया.
मुझे देख कर बोला- सर, आप तो राईट टाईम पर तैयार हो गए हैं. मैं आ गया देर तो नहीं हुई?
अब मैं उसकी मोटर साईकिल पर बैठ कर चल दिया.
उसने थोड़ी दूर सड़क पर चला कर गाड़ी जंगल की ओर मोड़ दी और एक खंडहर में जाकर हम रूक गए.
हम दोनों खंडहर के अन्दर गए, वहां खड़े हो गए.
मैंने कहा भी भोला, यहां तो तुमने कई लौंडियां चोदी होंगी … कई लौंडे भी निपटाए होंगे!
वह- सर पिछली बार रतन को भी यहीं निपटाया था.
तभी वह अपनी पैंट खोलने लगा.
मैंने कहा- जगह सही है, फिर कभी करेंगे. अभी देर हो जाएगी.
पर तब तक उसने अपना पैंट खोल कर घुटने तक गिरा दिया व अंडरवियर खोल कर नीचे कर लिया.
अब वह एक फौजी जवान था, उसकी मजबूत जांघें चिढ़ा रही थीं … व मस्त कसे चूतड़ फड़क रहे थे.
मेरा खड़ा हो गया, पर वह मेरे से तगड़ा एक मजबूत जवान था.
मैंने खड़े खड़े ही लंड सूत कर, थूक लगा, उसकी गांड में डाला व अन्दर पेल दिया.
उससे कहा- यार, अगर तुम तैयार न होते तो मैं तेरी मारने की हिम्मत नहीं कर सकता था.
मैं धीरे धीरे कर रहा था, मेरी गांड फट रही थी.
दूसरे वह मस्त बहुत हैंडसम जवान था, बड़ी प्रेम से करवा रहा था.
फिर वह घोड़ी बन गया- सर आपको मजा नहीं आ रहा होगा, अब पूरा पेल दो.
मेरी गांड फट रही थी, पर मैं लगा रहा.
रात को रतन की मारी थी, तो खाली हो गया था, इसलिए देर से छूटा.
वह करवा कर पैंट पहनते हुए बोला- अब भी बहुत दम है!
मेरे सामने खड़ा वह पैंट की चेन लगा रहा था और बेल्ट बांधने को हो ही रहा था कि मैं उसके खड़े लंड को देख कर सोच रहा था कि इतना मोटा मस्त लंड … काश ये जवान मेरी गांड में डाल देता!
हालांकि रात की मराई थी तो गांड चिनमिना रही थी, पर उससे कह न पाया.
मैंने उसका एक चुम्बन लिया और उसकी मोटर साईकिल पर बैठ हम दोनों शहर की ओर मीटिंग की जगह चल पड़े.
शाम को मेरे एक साथी जो मेरे साथ यहीं रहे थे, एक मस्त नौजवान थे, बिल्कुल माशूक से लगते थे.
वे मेरे साथ जीप में बैठ गए और बोले- सर, आज मैं भी आपके साथ चलूंगा.
मैं मना नहीं कर पाया.
वे रास्ते में लगातार बात करते रहे. हम दोनों डाक बंगले में पहुंच गए.
मेरे कमरे में एक डबल बेड पड़ा था.
यह राजा महाराजाओं के जमाने का था.
उन्होंने वहीं बैग रख दिया.
मैंने दूसरे कमरे की बात की, तो बोले- यहीं लेट जाएंगे, बात करते रहेंगे.
रतन ने डिनर की बात की तो मैंने कहा- आज हम दो लोग हैं.
वह दो अंडे लाया था, मैंने ऐग करी व रोटियां बनाने को कहा.
साथी बाथरूम में नहाने चले गए.
मैं तब तक किचिन में रतन के पास बैठ गया.
वह बोला- साहब कब तक रहेंगे?
मैंने कहा- बस कल तक!
वह बोला- आज जो साहब आए … वे कहां हैं?
मैं- वे नहा रहे हैं.
वह मुस्कराने लगा.
मैंने उसके पास जाकर उसका किस ले लिया और उसके चूतड़ों पर हाथ फेरने लगा.
उसने भी अंडर वियर खिसका दिया.
वहीं डाइनिंग टेबल पर उसे झुका कर मैंने थूक लगाकर उसकी में डाल दिया.
खेल शुरू हो गया.
मैं और वह मजा ले ही रहे थे कि देखा मेरे साथी मुझे न पाकर जाने कब आकर खड़े हो गए.
रतन की नजर पड़ी तो वह गांड हिलाने लगा.
मैं उसे मना रहा था- बस बस हो गया भैया मेरे … थोड़ा रूक!
तब तक मेरी भी निगाह उन पर जा पड़ी.
मैंने लंड निकाल लिया, ढीला पड़ गया था.
तब मैंने अंडरवियर पहन लिया.
हम दोनों शर्मिंदा हो गए थे.
वे कुछ न बोले.
मैं बाथरूम में घुस गया, नहाया.
हम डाइनिंग टेबिल पर बैठे, खाना खाया.
अब मैं कुछ कह नहीं पा रहा था.
फिर हम दोनों लेट गए.
वे कॉनफ्रेंस की बातें करते रहे.
हम दोनों सो गए.
रात को मैंने देखा दोस्त का हाथ मेरे अंडरवियर के ऊपर मेरे लंड को सहला रहा था.
मेरी नींद खुल गई और मेरा लंड खड़ा हो गया.
मैंने अपने हाथ से उसके हाथ को दो बार हटाया.
पर वह फिर वहीं रख देता था.
उसने अंडर वियर के अन्दर हाथ डाल दिया और कसके लंड पकड़ लिया.
वह लंड आगे पीछे करने लगा, फिर बोला- बहुत मोटा है … आपने लौंडे की फाड़ कर रख दी होगी …. कब से लगे थे?
फिर मेरे हाथ को पकड़कर अपने लंड के ऊपर रख दिया.
मैंने करवट बदल ली व चेहरा उसकी तरफ कर लिया.
वह भी करवट से हो गया और मेरी तरफ पीठ कर ली.
मेरा हाथ उसके चूतड़ों को सहलाने लगा उसने अपना अंडरवियर नीचे खिसका दिया.
मैं लेटा था.
अब उसने मेरा लंड पकड़ कर अपनी गांड पर टिकाया और अपनी गांड मेरे लंड से रगड़ने लगा.
मेरे से रहा नहीं गया, उसको हाथ से इशारा किया तो वह औंधा हो गया.
मैं उस पर चढ़ बैठा और थूक लगा कर पेल दिया.
जैसे ही धक्का दिया तो सरसराकर हथियार अन्दर चला गया.
मैं शुरू हो गया. मैं थका था और पानी छूट नहीं रहा था, पर लगा रहा.
कुछ देर बाद वह भी गांड चलाने लगा.
पुराना गांडू था, मस्त चीज था.
मेरे से ज्यादा बन नहीं रहा था; मुश्किल से पानी छूटा.
हम दोनों सो गए.
सवेरे देर से उठे, तैयार हुए.
तब तक रतन घर से दूध व नाश्ता बना लाया था.
पर भोला आ गया.
वह बहुत इसरार करने लगा तो उसके घर मोटर साईकिल से दोनों गए.
उसने नाश्ता कराया.
तब तक हमारी गाड़ी आ गई.
हम बैगेज रख बैठ गए.
आज अंतिम दिन था.
वहीं से हम कार से पास की रेलवे स्टेशन भेज दिए गए.
मैं भोला और रतन से गले मिला.
वे दोनों तो पैर छू रहे थे.
रास्ते में साथी बोला- तुमने उन्हें कुछ ज्यादा ही लपका लिया, नौकरों से ज्यादा इंटीमेसी नहीं रखते.
मैंने कहा- यहां मैं तीन साल रहा, जब ये नौजवान थे … तो सेवा में रहे. वह सिपाही भी तब बेरोजगार था, अब जॉब में है. मैंने गाइड किया था. मेरा नौकर नहीं है, दोस्त सा ही है.
वह बोला- फिर भी!
मैं- अरे सेवा करता, अहसानमन्द है ज्यादा मानता है, तो व्यवहार रखना पड़ता है.
वह बोला- तो क्या उसकी भी?
वह मुस्कराने लगा.
तो दोस्तो, अभी के लिए इतना ही. बाकी फिर कभी लिखूँगा.
गांड गांड सेक्स कहानी पर आप अपने कमेंट्स जरूर करें.
आजाद गांडू
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