गाण्डू लौण्डे की बीवी चालू

(Gandu Launde Ki Biwi Chalu)

कुछ दिन हुए मैं अपने दोस्तों के साथ बैठा एक होटल में पेग शेग का मज़ा ले रहा था कि मुझे मेरे पीछे के टेबल पर बैठे लोगों की कुछ बातचीत सुनी, जिसने मेरे खुराफाती मन में एक कहानी का आईडिया पैदा किया।

बात यह सुनी कि उन लोगों का एक दोस्त था मोहित जिसकी अभी अभी 3 महीने पहले शादी हुई थी, मोहित गे (गाण्डू) था मतलब वो लड़की को चोदने में नहीं बल्कि खुद अपनी गाण्ड मरवाने के शौक़ीन था और जिस लड़की किरण से उसकी शादी हुई, उसको भी वो लड़के जानते थे और कह रहे थे कि किरण शादी से पहले भी कई बार उन्हीं के किसी दोस्त से चुदी हुई थी।

तो मैंने सोचा कि अगर एक गाण्डू लौण्डे की शादी एक शानदार जिस्म की मल्लिका और बहुत खूबसूरत और चुदासी लड़की से हो जाये, तो सुहागरात पर दोनों के मन में क्या क्या हलचल हुई होगी, किसने किस को चोदा होगा, चोदा भी होगा या नहीं, इन सब सवालों को एक कहानी के रूप में आपके सामने पेश कर रहा हूँ, उम्मीद है आपको पसंद आयेगी।

लड़के की सोच:
मेरा नाम मोहित है, मैं दिल्ली में रहता हूँ, घर परिवार काफी समृद्ध है, पैसे की कोई कमी नहीं…
मेरी शक्लो-सूरत और सेहत बहुत बढ़िया है मगर एक बात है, वो यह कि स्कूल टाइम में मुझे दोस्तों के साथ गलत आदतों का शौक पड़ गया, पहले तो मुठ्बाज़ी और बाद में बढ़ते बढ़ते लौण्डे बाज़ी।

अब हम तीन दोस्त थे, पहले पहले तो हम तीनों गाण्डू दोस्त आपस में एक दूसरे की गाण्ड मारते थे, फिर बाद में और दोस्त बनते चले गए, और कॉलेज तक आते आते तो मेरे बहुत से यार बन गए। और गाण्ड मरवाने की ऐसी आदत बनी कि बस फिर तो ये हालत हो गए कि जब तक गाण्ड में कुछ न घुसे तब तक लण्ड का तो खड़े हो का सवाल ही नहीं पैदा होता था।
कॉलेज छोड़ने के बाद भी मेरा अपने यारों के साथ यही खेल चलता रहा।

कॉलेज ख़त्म हो गया तो मेरी शादी की बात चलने लगी, मैंने काफी विरोध किया मगर मेरी एक न चली, मेरी शादी पक्की हो गई और तय दिन शादी भी हो गई।
शादी के एक दिन बाद सुहागरात थी, मैं सोच रहा था कि सुहागरात पे बीवी के साथ क्या करूंगा और अगर उस रात लण्ड ही न खड़ा हुआ तो क्या होगा?
मुझ गाण्डू को तो पीछे से लेने की आदत है, क्या बीवी से कहूं कि तुम मेरे पीछे से कुछ अन्दर डालो?
नहीं नहीं… यह तो साली बेईज्ज़ती वाली बात है और साथ ही उसे भी पता चल जायेगा कि मैं लौंडा हूँ।
फिर मैंने सोचा कि चलो जो होगा देखा जायेगा।

लड़की की सोच:

दोस्तो, मेरा नाम किरण है, मैं 24 साल की हूँ, मैं बहुत ही बिंदास किस्म की लड़की हूँ, स्कूल में भी ब्यूटी क्वीन थी, कॉलेज में भी… इसी बात ने मेरे अन्दर घमण्ड भर दिया, जिसका फायदा मेरी ही क्लास के एक लड़के ने उठाया और मेरे हुस्न की तारीफें कर कर के मुझे अपने जाल में फंसा लिया, मैं दसवीं क्लास में थी जब मैंने पहली बार सेक्स किया था, उसके बाद तो मैं कभी बॉय फ्रेंड के बिना रह ही नहीं सकी।

लण्ड चूसना मुझे बहुत पसंद है और चूत चटवाना तो मेरी जान निकाल देता है।
खैर जब कॉलेज खत्म किया, कॉलेज के बाद शादी तय हो गई और मैं एक दिन शादी करके ससुराल भी पहुँच गई।

सुहागरात को क्या होना है, मुझे सब पता था, मगर मैं चाहती थी कि शुरुआत मेरे पति करें, बाकी तो मैं संभाल लूंगी।

सुहागरात को मेरी ननदों ने मुझे कमरे में लेजा कर बैठा दिया, मैं बेड पर बैठ कर इनका इंतज़ार करने लगी।

थोड़ी देर बाद ये आये, इनके साथ इनके 3-4 दोस्त भी थे जो इनको कमरे में धकेल कर चले गए।

किरण मन में- हाय… ये तो आ गए!

मोहित मन में- हे भगवान्, कमरे में तो आ गया, अब क्या करूँ, बात कैसे शुरू करूँ?

‘हेल्लो किरण, कैसी हो?’

किरण- हेलो, मैं ठीक हूँ, आइये बैठिये!

मोहित किरण के पास बैठ जाता है, मन में सोचता है ‘वाओ, बड़ी सेक्सी है यार, गोरा गदराया बदन, बूब्स भी सॉलिड हैं।

‘मैं आपके लिए कुछ लाया हूँ !’

वो किरण को चॉकलेट का डिब्बा और गुलाब का फूल देता है।

किरण- थैंक यू…

दोनों चीज़ें लेकर रख लेती है।

मोहित- तुम्हें चॉकलेट पसंद हैं?
और मन में सोचता है ‘मुझे तो चॉकलेट जैसे निपल पसंद हैं।’

किरण- जी बहुत… आई लव इट…
और मन में सोचती है ‘और चॉकलेट कलर का लण्ड भी पसंद हैं।’

मोहित- तो खा कर देखो, इम्पोर्टेड हैं, मैं खोल के दूँ?

मोहित चॉकलेट के डिब्बे में से एक चॉकलेट निकाल कर रैपर खोल के किरण को देता है, वो चॉकलेट की एक बाईट लेती है।

किरण- ह्म्म्म, बहुत बढ़िया, आप भी लीजिये!

मोहित- मैं ये कम मीठे वाली नहीं खाता।

किरण- तो?
मोहित किरण के होंठ पे लगी थोड़ी सी चॉकलेट की तरफ इशारा करके- ये ज्यादा मीठी मुझे पसंद है।

किरण शर्मा कर- ये भी तो आपकी ही है।

मोहित आगे बढ़कर किरण को अपनी बाँहों में भर लेता है और उसको बेड पे लेटा देता है।

मोहित- अगर आपको ऐतराज़ न हो तो मैं ये चॉकलेट खा लूँ?

किरण सिर्फ ना में सर हिलाती है, मोहित आगे बढ़ के किरण के चेहरे को अपनी तरफ खींचता है और उसके गर्म नर्म होंठों पर अपने होंठ रख देता है।

किरण मन में- अरे, यह तो चालू हो गया… चलो अपन भी को कॉ-ऑपरेट करते हैं।

होंठ चूसते चूसते मोहित किरण के स्तनों पे भी हाथ फेरता है, किरण उसको अपनी बाँहों में भर लेती है।

मोहित- किरण आज हमारी सुहागरात है, अगर मैं और आगे बढूँ तो तुम्हें कोई ऐतराज़ तो नहीं है?

किरण- जी नहीं, दीदी ने बताया था थोड़ा-बहुत सुहागरात के बारे में…

पर मन में सोचती है- वैसे पता तो मुझे सारा है कि तुम क्या करोगे।

मोहित- क्या मैं तुम्हारी साड़ी खोल सकता हूँ?

किरण कुछ नहीं कहती, सिर्फ शर्मा कर मुस्कुरा देती है। मोहित उठ कर पहले अपनी शेरवानी उतारता है और फिर किरण की साड़ी भी धीरे धीरे मज़े ले ले कर खोलता है।

मोहित मन में- अरे बाप रे… यह तो बड़ी गज़ब आइटम है, क्या बॉडी है गुरु…

‘यू आर वैरी सेक्सी किरण… वैरी हॉट…’

किरण- थैंक्यू!

मोहित उसे फिर से बाँहों में भर लेता है और उसे बेड पे लेटा कर खुद उसके ऊपर लेट जाता है, उसकी चूड़ियों से भरी बाँहों के सहलाते हुए उसके मेहँदी वाले दोनों हाथों में अपनी उंगलियां फंसा लेता है और दोनों हाथ खींच के पीछे की तरफ ले जाता है और फिर से उसके रसीले होंठ चूसने लगता है, उसका माथा, उसके गाल सब चूमता है, किरण भी उसका पूरा साथ देती है।
मोहित उसके वक्ष पर भी चुम्बन करता है और उसके क्लीवेज में भी अपनी जीभ से चाट जाता है।

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किरण- ऐसे मत करो!

मोहित क्यों?

किरण- बहुत गुदगुदी होती है।

मोहित- इसी में तो मज़ा है मेरी जान!

कह कर मोहित फिर से किरण के बूब्स को चाट लेता है और इस बार तो ब्लाउज में से बाहर दिख रहे उसके गोल बूब पर अपने दांतों से काट भी लेता है।
किरण- अईई, काटो मत निशान पड़ जायेगा।

मगर मोहित उसके बात पर ध्यान नहीं देता और उसके हाथ छोड़ कर अपने दोनों हाथ उसके दोनों स्तनों पर रख कर उन्हें दबा कर देखता है और फिर बिना किरण की तरफ देखे या उस से पूछे, किरण के ब्लाउज के हुक एक एक करके खोलने लगता है।

किरण अपने हाथ ऊपर ही रखती है, ब्लाउज के नीचे मैचिंग मैरून रंग की डिज़ाइनर ब्रा दिखती है जिसमें से किरण के गोल विशाल स्तन जैसे ब्रा को फाड़ के बाहर आने को बेताब हों!

मोहित दोनों स्तनों को पकड़ कर दबाता है और एक विशाल क्लीवेज को जी भर के चूमता और चाटता है। किरण आनन्द में सराबोर सिर्फ ‘ओह, आह, स्सस्सस्सीईईईई’ ही बोल पा रही थी।

जब क्लीवेज से दिल भर गया तो मोहित ने किरण की ब्रा ऊपर उठा कर उसके दोनों स्तन बाहर निकाल लिए, गोरे गोरे स्तनों पर भूरे चुचूक…
मोहित ने चॉकलेट उठाई और किरण के स्तनों पे रगड़नी शुरू कर दी. किरण समझ गई कि वो क्या करने वाला है।
जब स्तनों पे चॉकलेट लग गई तो मोहित ने अपनी जीभ से किरण के सारे स्तनों को चाटा और चाट चाट कर सारी चॉकलेट खा गया। किरण ने मोहित का सर अपने दोनों हाथों में पकड़ रखा था और अपनी उँगलियों से उसका सर सहला रही थी।

स्तनों को चाटने के बाद मोहित नीचे पेट पे आ गया और किरण के पेट, नाभि और कमर के इर्द गिर्द अपनी जीभ से चाटने लगा। किरण का तो तड़प तड़प के बुरा हाल था।

फिर मोहित ने किरण का पेटीकोट भी खोल दिया और खींच कर उतार दिया, दो शानदार गोरी चिकनी संगमरमरी टांगें, जिनको वैक्स करके और भी मुलायम और चिकना बना दिया गया था, मोहित ने दोनों टाँगों पर अपने हाथ फेरे, घुटनों से अपनी जीभ से चाटना शुरू किया और ऊपर जाँघों से होता कमर तक गया।

जब उसने कमर और बगलों को चूमा-चाटा तो किरण के तो बर्दाश्त से बाहर हो गया, किरण- बस करो, अब नहीं सहा जाता, मैं मर जाऊँगी।

मगर किरण नहीं जानती थी कि ये सब तो मोहित गाण्ड मरवाने से पहले अपने यारों के साथ भी करता था, उसके लौंडे बाज़ी के तजुर्बे यहाँ भी काम कर रहे थे।

मोहित ने अपना कुर्ता, पायजामा और बनियान भी उतार दी, अब मोहित और किरण दोनों सिर्फ चड्डी में थे। मोहित ने किरण की चड्डी भी उतार दी, नीचे खूबसूरती से शेव की हुई नन्ही सी चूत थी।

मोहित ने किरण की चूत को चूमा और फिर उसकी दोनों टाँगें खोली। किरण की चूत पानी से भीगी पड़ी थी। मोहित आगे बढ़ा और उसने किरण की चूत से अपना मुँह सटा दिया।
किरण ने अपनी मुठ्ठियों में मोहित के सर बाल पकड़ लिए।
मोहित ने जब किरण की चूत में अपनी जीभ फेरी तो किरण ने अपनी दोनों टाँगे मोहित की गर्दन के इर्द गिर्द लपेट ली और उसका चेहरा अपनी मोटी मोटी जाँघों में भींच लिया।

मोहित चूत चाटता रहा और किरण तड़पती रही।
थोड़ी देर चाटने के बाद मोहित पीछे हटा।

किरण मन में- अब ये लण्ड निकाल कर मुझे चोदेगा!

मोहित मन में- इतनी गर्म जवान औरत मेरे सामने है और मेरा लण्ड है कि खड़ा ही नहीं हो रहा है, क्या करूँ? इसे चूसने के लिए कहूँ, कहीं बुरा तो नहीं मान जाएगी?

मगर जब मोहित किरण की बगल में बेड पर लेटा तो किरण खुद ही उठ कर आगे आई और उसने मोहित की चड्डी पकड़ के नीचे उतार दी। चड्डी के नीचे गहरे भूरे रंग का लण्ड था जो न पूरा खड़ा था पर बिल्कुल ढीला भी नहीं था।

किरण ने खुद ही लण्ड पकड़ा और अपने मुँह में ले कर चूसने लगी। मोहित को बहुत आनंद आया। किरण 3-4 मिनट चूसती रही, कभी वो जीभ से चाटती, कभी दांतों से काटती। उसने भी अपने सब पैंतरे आजमाए मगर मोहित का लण्ड कड़क ही नहीं हो रहा था।

किरण- यह खड़ा क्यों नहीं हो रहा?

मोहित मन में- अब तुम्हें क्या बताऊँ कि क्यों खड़ा नहीं हो रहा…
‘पता नहीं यार, शायद मैं नर्वस हो रहा हूँ…’

किरण फिर भी चूसती रही मगर जब फिर भी खड़ा नहीं हुआ तो किरण नीचे लेट गई।
किरण- आ जाओ, ऊपर आ जाओ!

मोहित किरण के ऊपर आकर लेट गया, किरण ने अपनी टाँगें फैलाई और मोहित को अपनी टांगों के बीच में ले लिया और खुद ही उसका लण्ड पकड़ कर अपनी चूत पर रखा।

मोहित ने जोर लगाया और उसका लण्ड थोड़ा सा किरण की चूत में घुस गया। किरण ने हल्की सी आह भरी, इस हल्की सी आह से किरण ने मोहित को जता दिया कि चाहे ढीला ही सही तुम्हारा लण्ड लेकर मुझे तकलीफ हुई है, मतलब उसने अपने कुंवारेपन का सबूत दे दिया और साथ में यह भी कि अगर तुम्हारा लण्ड पूरा कड़क होता तो मैं और ज्यादा दर्द महसूस करती।

मोहित जोर लगाता रहा और थोड़ा थोड़ा करके उसका लण्ड किरण की चूत में घुस तो गया मगर दोनों में से किसी को भी वो मज़ा नहीं आ रहा था।
मोहित की कमर सहलाते सहलाते किरण ने अपनी एक ऊँगली मोहित की गाण्ड के छेद पे घिसाई तो मोहित को एक सुखद सा एहसास हुआ, फिर मोहित ने किरण से बोल ही दिया- किरण, अपनी ऊँगली अन्दर डाल दो।

किरण ने पहले तो मोहित को थोड़ा हैरानी से देखा फिर अपनी ऊँगली पे थूक लगा कर मोहित की गाण्ड में घुसेड़ दी। करीब आधी ऊँगली अन्दर चली गई।

मोहित- और डालो किरण, और डाल दो।

मोहित ने कहा तो किरण ने अपनी बीच वाली बड़ी ऊँगली पूरी की पूरी मोहित की गाण्ड में घुसेड़ दी।

मोहित- आह, मज़ा आ गया किरण… मगर तुम्हारी ऊँगली तो पतली सी है।
किरण अपनी ऊँगली बाहर निकाली और फिर अपनी दो उंगलियाँ जोड़ कर मोहित की गाण्ड में घुसेड़ी।

मोहित- और किरण और, जितनी उँगलियाँ डाल सकती हो डाल, मेरी गाण्ड फाड़ दो मेरी जान…

किरण को यह सब अजीब तो लग रहा था मगर मज़ा भी आ रहा था। जैसे जैसे वो मोहित की गाण्ड को चौड़ा कर रही थी, वैसे वैसे मोहित का लण्ड अकड़ता जा रहा था। धीरे धीरे किरण ने अपने दोनों हाथों के दो दो उँगलियाँ मोहित की गाण्ड में घुसेड़ दी और मोहित भी पूरे कड़क लण्ड के साथ किरण को चोदने लगा।

वैसे भी किरण को चुदे दो महीने से ऊपर हो चले थे, वो नीचे से कमर चला रहा थी और ऊपर से मोहित… आनन्द की नदी पूरे उफान पे थी, किरण मोहित का पूरा साथ दे रही थी, दोनों एक दूसरे से होंठ और जीभों को चूस रहे थे, मोहित ने किरण की सारी छाती पर अपने दांतों से काट खाया था, उसके दोनों स्तनों पर यहाँ वहाँ दांतों के काटने के निशान बने हुए थे।

मगर मोहित की गाण्ड में ऊँगली डाल कर चुदवाना किरण को मुश्किल लग रहा था, ऊँगली डालने से किरण को चुदवाने में दिक्कत हो रही थी।
किरण- मोहित, मुझसे ऐसे ठीक से नहीं हो रहा है, क्या तुम कुछ और नहीं ले सकते?

मोहित- रुको एक मिनट…

कह कर मोहित उठ कर गया और एक मोटी सी मोमबत्ती उठा लाया। मोहित का लण्ड किरण की चूत के पानी से भीगा पड़ा था।
नीचे चादर पे भी किरण की चूत के पानी के दाग दिख रहे थे।

मोहित ने मोमबती किरण को दी और अपना लण्ड कपड़े से साफ़ करके और किरण की चूत को भी कपड़े से अच्छी तरह से साफ़ और सूखा करके फिर से किरण की चूत में घुसा दिया।

इस बार किरण को सचमुच काफी दर्द हुआ और वो चीख उठी- आहह, मोहित मारोगे क्या, उई माँ!

मोहित- जानेमन देखती जाओ, अब मैं तुम्हें क्या क्या मज़े देता हूँ, तुम बस यह मोमबत्ती मेरी गाण्ड में घुसेड़ दो और उसे वहीं पकड़े रखो।

किरण ने वैसे ही किया।
सच में मोहित जैसे जैसे किरण को चोद रहा था, वैसे वैसे ही किरण उसे मोमबत्ती से चोद रही थी। किरण तो पहले ही तपी पड़ी थी तो 4-5 मिनट की चुदाई में ही वो झड गई, मगर उसने मोमबत्ती पर अपनी पकड़ ढीली नहीं की।
उसके झड़ने के 2-3 मिनट बाद ही मोहित भी झड़ गया मगर झड़ने से पहले उसने अपना लण्ड किरण की चूत से बाहर निकाल लिया।
जब उसके लण्ड ने वीर्य की पिचकारियाँ छोड़ी तो किरण का पेट, छाती सब गन्दा कर दिया, वीर्य के कुछ छींटे तो किरण के चेहरे पर भी पड़े, एक दो छींटे उसको होंठों पे पड़े जो वो चाट गई।
झड़ने के बाद मोहित किरण की बगल में लेट गया। जब दोनों नार्मल हो गए तो किरण ने पूछा- यह पीछे लेने की आदत आपको कैसे पड़ी?

मोहित पहले तो चौंका मगर फिर संयत होकर बोला- बस बचपन में गलत दोस्तों के साथ उनकी संगति में!

किरण मन में- हे भगवन क्या मेरी शादी एक गाण्डू लौंडे से हो गई, जिसे गाण्ड मरवाने की आदत है… क्या यह मेरी भी गाण्ड मारा करेगा?
‘क्या आप गे हो?’

मोहित- हाँ, मगर तुमसे सेक्स करने के बाद अब मैं सिर्फ तुम्हारा ही होकर रहना चाहता हूँ, मुझे इस सब से निकलने में तुम्हारी मदद चाहिए।

किरण- मैं हमेशा आपके साथ हूँ।

मोहित ने किरण के होंठ चूमे तो किरण ने अपनी जीभ मोहित के मुँह में डाल दी।

किरण- इस बार मैं करूंगी और आप बस आराम से बादशाह की तरह नीचे लेटना।

‘ठीक है।’ मोहित ने हंस के हामी भर दी।

आज मोहित और किरण की शादी को हुए तीन महीने गुज़र चुके हैं, अभी तक मोहित ने अपने किसी दोस्त से गाण्ड नहीं मरवाई है, दोनों खुश हैं और दोनों अपनी ज़िन्दगी का भरपूर मज़ा ले रहे हैं।
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