गे वैडिंग प्लानर की लंड की ख्वाहिश- 2
(Free Gay Porn Story)
फ्री गे पोर्न स्टोरी में पढ़ें कि मुझे क्लाइंट का अस्सिस्टेंट पसंद आ गया. मैं उसके साथ होमोसेक्स का मजा लेना चाहता था. हम दोनों का खेल कैसे शुरू हुआ?
हैलो, मैं निहार, आपका अपनी वासना से भरी एक मदमस्त कर देने वाली फ्री गे पोर्न स्टोरी में स्वागत करता हूँ.
पिछले भाग
कड़ियल मर्द देखते ही मैं मचलने लगा
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं मानवेन्द्र की यादों में खोया हुआ शॉवर के नीचे खड़ा हुआ अपना बदन सहला रहा था, तभी दो बलिष्ठ हाथों ने मुझे मस्त कर दिया.
अब आगे की फ्री गे पोर्न स्टोरी:
वो हाथ मेरी कमर से होते हुए मेरे कंधे तक धीरे धीरे आया.
पहले कोमलता से, फिर धीरे धीरे हार्ड होते हुए उसने मेरे कंधे को पकड़ लिया. अपनी गांड के पीछे मुझे किसी और के होने का अहसास हुआ.
मेरी कमर के पीछे किसी ने अपनी छाती सटा दी और अपने बाएं हाथ से मेरी छाती से मुझे दबोच लिया.
बंद आंखों में भी मैं वो मस्त खुशबू पहचान गया और उन होंठों की छुअन को भी, जिन्होंने अभी अभी मेरे गीले बाएं कंधे को छुआ था.
हां ये मानवेन्द्र ही था. उसने मेरे कंधे से होते हुए गर्दन और फिर मेरे कानों को चूमा और उन्हें चूसने लगा.
मेरी एक मीठी सी सिसकारी निकल गयी ‘आह …’
पानी में भीगते हुए अपनी आंखों को हाथों से पौंछते हुए मैं घूमा और देखा, तो मानवेन्द्र भी मेरी ही तरह बिल्कुल भीगा हुआ पूरा नंगा मेरे साथ शॉवर से गिरती हुई बूंदों में मुस्कुरा रहा था.
मैंने एक पल उसे देखा. बिल्कुल गोरा बदन, भरा पूरा मर्दाना जिस्म, भरे भरे निप्पल्स और चौड़ी छाती. हल्के छोटे बालों के साथ पूरा शरीर मांस से भरा हुआ.
भारी भारी जांघों के बीच में दो कसी हुई चमड़ी में कैद बिल्कुल गोल गोल दो आंडों के ऊपर सात इंच का मूसल लंड, जो उसके नाभि की तरफ खड़ा हुआ सलामी दे रहा था.
उसके मोटे लंड में कट होने की वजह से उसका गुलाबी सुपारा साफ़ दिख रहा था और साथ ही दिख रही थी लौड़े की नसें.
लौड़ा ज्यादा लम्बा नहीं लग रहा था … पर मोटा काफी था. बिल्कुल वैसा ही … जैसा मुझे पसंद था. न ज्यादा अरमानों को तोड़ने वाला, न ही मेरी गांड फाड़ देने वाला.
उसने मुझे हल्का सा धक्का देकर बाथरूम की शॉवर वाली कांच की दीवार से सटा कर एक जबरदस्त स्मूच किया. मैं ये देख कर हैरान था कि शॉवर इतना बड़ा था कि उसके नीचे नहीं होने पर भी पानी अभी भी हम दोनों पर लगातार गिरे जा रहा था.
पानी से प्यास बुझ जाती है … लेकिन उसी पानी में एक और जिस्म जब अपने होंठों से आपके होंठों का रसपान कर रहा हो, तो कसम से वो प्यास बढ़ती ही जाती है … और कभी खत्म नहीं हो पाती.
शॉवर की उन गिरती बूंदों से, जो उसके होंठों से मेरे होंठों से होते हुए हमारे बदन तक जा रही थीं … बस एक दूसरे की प्यास को ही नहीं, बल्कि हमारी हवस को भी बढ़ा रही थीं.
वो अपने बड़े से होंठों से मेरी बंद आंखों के काले अंधेरों में मुझे बेतहाशा चूमे जा रहा था.
मेरे दोनों गालों पर अपने हाथ रख कर वो जैसे मेरे चेहरे को अपने करीब लाकर, उसे पूरी तरह से बस अपना कर लेना चाह रहा था.
मेरा मन भी उसका साथ देने के लिए उसके कंधों को पकड़ कर उसके होंठों को मेरे होंठों की खुली आज़ादी दे रहा था.
उसने अचानक ही मुझे मेरे कंधों के पास से पकड़ा … और एक झटके में ही मुझे मेरे घुटनों के बल बैठा दिया.
इशारा साफ़ था.
पानी की गिरती बूंदों से उसका शरीर बिल्कुल मोती जैसा निखर चुका था.
उसके लौड़े को अपने दाएं हाथ से पकड़ कर अपने बाएं हाथ से मैंने अपनी आंखों पर आ रहे पानी को पौंछा, लेकिन ऊपर से गिर रहे पानी से मेरे चेहरा फिर से गीला हो जा रहा था.
तो मानवेन्द्र ने अपने दोनों हाथ शॉवर रूम की दीवार पर रख कर मेरे ऊपर कुछ झुकाव ले लिया, जिससे कि शॉवर का पानी सीधा मेरे मुँह पर न गिरे.
मैंने उसके लौड़े को अपने मुँह में भर लिया और एक ही झटके में उसके सुपारे से लेकर लौड़े की जड़ों को अपने थूक से भरकर लौड़े को पूरा मुँह में भर लिया.
मानवेन्द्र की सिसकारी शॉवर के पानी में भी साफ़ सुनाई दे रही थी.
मैंने लौड़े को अपने मुँह से निकाल कर उसके आंडों को चाटना शुरू कर दिया … फिर सुपारे तक अपनी जीभ फिरा कर उसके लौड़े को चूसने और चाटने लगा.
उसने भी अब मेरे सर के बालों को पकड़ कर अपने लौड़े को मेरे मुँह में धकेलना चालू कर दिया.
लौड़ा हलक तक जाता … और वो उसे वहीं हलक में थोड़ी देर रखकर बाहर निकाल देता.
मेरे मुँह में लौड़े के अन्दर रहने के टाइम से अब कोई भी घड़ी का टाइम मिला सकता था.
लौड़ा मेरे मुँह में दस सेकंड तक रहता … और बाहर आ जाता. इसी बीच मैं सांस ले लेता.
कुछ देर के बाद उसने मेरे बालों को रिहा करके मुझे गिरते हुए पानी मैं अपना लौड़ा चूसने दिया.
कितना पानी कितना प्रीकम मेरे मुँह में गया, मुझे कुछ पता नहीं था. मैं बस लौड़े को अपने मुँह में लेकर खुश था.
उसने अपने धक्कों की स्पीड को बढ़ा दिया … और मैं भी पूरी शिद्दत से उसके लौड़े को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
पानी की ठंडी ठंडी फुहारों में भी अचनाक से उसने अपना लौड़ा मेरे मुँह से बाहर निकाल कर, मेरे मुँह पर अपने वीर्य की बड़ी बड़ी दो पिचकारियां मार दीं.
ऊपर से ठंडा पानी … और नीचे लौड़े से निकलता सफ़ेद सफ़ेद वीर्य. आह क्या मदमस्त नजारा था.
उसने अपने लौड़े को अपने हाथ में पकड़ कर हिलाया … और पूरा रस निचोड़ कर अपने लौड़े को मेरे मुँह पर रगड़ दिया. क्योंकि लौड़ा पानी से साफ़ हो गया था, तो मैंने भी लौड़े को एक बार फिर से मुँह में ले लिया और हल्के फुल्के बच्चे हुए वीर्य का एहसास लेते हुए, उसे कुछ देर चूसा.
जब उसका दिल भर गया, तो उसने मुझे ऊपर उठाया और मुझे पागलों की तरह चूसने लगा.
कुछ देर तक यूं ही चूसने के बाद उसने अचानक से शॉवर को बंद कर दिया और फिर से मेरे होंठों के पास से गिरती हुई बूंदों को चाट कर साफ़ कर दिया.
अब वो धीरे धीरे मेरे गले, फिर मेरी छाती तक पहुंच गया और मेरे बाएं निप्पल को अपनी जीभ से चाट कर उसे अपने होंठों में दबा लिया. साथ ही दाएं निप्पल को अपने बाएं हाथ की इंडेक्स फिंगर से मसलने लगा.
मैंने अपनी आंखें खोलीं और उसे एक पल देखना चाहा. वो भी पूरा मेरे बदन के नशे में खोया हुआ, मेरे निप्पल को चूसने का मजा ले रहा था.
मैंने उसके सर पर हाथ रखा और मेरे मुँह से अनायास ही निकल पड़ा- हार्डर.
जैसे उसे इसी पल का इंतज़ार था.
मेरे कहते ही उसने अपने होंठों और दांतों के भिंचाव को मेरे निप्पल्स पर चलाना शुरू कर दिया.
धीरे धीरे मेरे दोनों निप्पल को गुलाबी से लाल करते हुए उसने नीचे का रुख कर दिया.
अब उसने मेरी नाभि में अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया. मदहोशी में मैंने अपने आपको कांच की दीवार में सटा दिया और उसके सर को अपने हाथों से अपने पेट में घुसा लिया.
उसने अपने घुटने मोड़े और घुटनों के बल बैठ कर मेरे पेट को और नाभि को अच्छे से चाट कर गीला कर दिया.
कुछ देर तक यूं ही मेरी नाभि से खेलते हुए वो ऊपर आने लगा.
मैंने उसके कंधों को वहीं दबा दिया.
“और चूसो न प्लीज.” मैंने कहा.
उसने मेरे लौड़े को देखा और मुझसे नजरें मिलाते हुए मेरे लौड़े को पकड़ कर मेरे लौड़े पर एक जीभ फिरा दी.
फिर पूरे लौड़े को अपने मुँह में लिया, उस पर थूका और उस थूक को चाट कर फिर से अपने मुँह में भर लिया.
मैं उसकी इस बात से हैरान था कि इस दौरान उसने मुझसे नजरें मिलाये रखीं. जैसे वो नजरें कोई सवाल कर रही थीं … लेकिन बेआवाज मस्ती दिख रही थी.
मैंने उससे ज्यादा देर तक लंड नहीं चुसाया. उसी की तरह उसकी छाती पर और उसके मुँह के आसपास अपना वीर्य निकाल कर अपनी अन्दर की आग को शांत कर लिया.
अचानक ही उसके साथ मस्ती करने के लिए मैंने धीरे से शॉवर चालू कर दिया और शॉवर का पानी अचानक ही उसकी आंखों में जा गिरा.
इससे उसकी नजरें, मेरी नजरों से हट गईं.
मैं हंस दिया तो वो भी मुस्कुरा दिया.
अपने बाएं हाथ से अपनी आंखें पौंछते हुए वो खड़ा हुआ … और मुझे फिर से मेरे गालों के पास हाथ रखते हुए एक किस किया.
एक हुकअप वाली फीलिंग से न जाने कब वो एक अजीब सी फीलिंग में बदल गया.
पर मेरे कई बार टूटे दिल ने ये गलती न करने का सोच कर, अपना ध्यान सिर्फ सेक्स पर लगा लिया.
मैंने उसके लंड को अपने बाएं हाथ से पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचा और कहा- बेड पर चलें!
उसने भी अपने होंठों से पाउट करते हुए अपने कंधे उचका दिए.
उसने शॉवर बंद किया और शॉवर सेल से बाहर से एक टॉवल ले आया.
अब वो बड़ी शिद्दत से मेरे शरीर को पौंछने लगा.
मैंने उसके हाथ से टॉवल लिया और उससे बच कर बाहर निकल आ गया.
मैंने बाहर आकर दूसरा टॉवल उठाया और उसे देकर कहा- कॉफ़ी या टी!
उसने भी अपना शरीर पौंछते हुए अपना मुँह बनाया और कह- वैसे पूछना है तो सही से पूछो. कॉफ़ी, टी और मी … या दिल भर गया मुझसे! वैसे कॉफ़ी ही बना लो.
मैंने बाहर आकर देखा, तो वहां बेड के पास ही में एक वाइन की बोतल, दो गिलास और आइस पड़ी थी.
‘या तुम चाहो तो हम वाइन पी सकते हैं!’
उसने मेरे पीछे से आकर मेरे कंधे पर अपना मुँह रखते हुए कहा- और प्लीज अब ये मत कहना कि खाना खा लिया है एंड आल देट बुलशिट.
ये सब कहते हुए वो नंगा बिल्कुल मेरे सामने आ गया.
मैंने दो गिलास लिए, उनमें वाइन डाल कर एक उसे दे दिया और एक खुद ले लिया.
हमने वाइन पीना शुरू किया ही था कि उसे अचानक ही किसी का कॉल आया और वो अपने कपड़े पहन कर अचानक से जल्दी जल्दी में चला गया.
गेट से बाहर निकलने से पहले अपना आधा खाली किया हुआ गिलास पूरा खाली किया और गुड नाईट बोल कर वो बाहर चला गया.
मैं वहीं खड़े खड़े सोच रहा था कि ये क्या हुआ.
तभी वो अचानक वापस आया और मेरे पास आकर मुझे एक किस करके बोला- मैं रात को वापस तुम्हारे पास आ सकता हूँ क्या? अगर तुम चाहो तो … या तुम्हें अगर रेस्ट करना है … तो हम कल मिल सकते हैं!
मैंने उसे किस करते हुए कहा- दरवाजा खुला ही रहेगा … तुम्हें जब आना है, तब आ जाना. पर मैं ज्यादा इंतज़ार किए बिना ही सो जाऊंगा.
‘ओके ..’ कहते हुए वो मुस्कुराते हुए चला गया.
मैंने कुछ खास इंतज़ार नहीं किया और सोने चला गया. लेटा तो न जाने कब नींद की गिरफ्त में आ गया.
सुबह जब नींद खुली … तो मानवेन्द्र मेरे सिरहाने ही बैठा था और मुझे ही देख रहा था.
“गुड मॉर्निंग सनशाइन.” मानवेन्द्र ने कहा.
“गुड मॉर्निंग … तुम कब आए?” मैंने पूछा.
“तुम सोते हुए इतने अच्छे लग रहे थे, तो मैंने परेशान नहीं किया. बस तुम्हें सोते हुए ही देख रहा था. खैर … ज्यादा लेट न हो जाएं … सो जल्दी से तैयार हो जाओ. बाकी बातें हम बाद में करेंगे.”
ये कहते हुए उसने मुझे गाल पर एक किस किया और रूम से चला गया.
मैं तैयार हुआ और नैना के साथ नीचे गार्डन में पहुंचा.
‘आप लोग बैठिये.’ कहते हुए मानवेन्द्र ने मेरे लिए एक कुर्सी खींची.
मैंने नैना के लिए कुर्सी पास कर दी.
नैना के बैठते ही मैं नैना के बगल वाली कुर्सी पर आकर बैठ गया और मानवेन्द्र मेरे बगल वाली कुर्सी पर. हम लोगों ने कॉफ़ी खत्म की और इन्तजार करने लगे.
कुछ देर बाद मिस्टर धीमान और उनके पार्टनर हमारे सामने आए.
देखने में दोनों किसी हीरो से कम नहीं थे लेकिन फिर भी दोनों के दोनों एक दूसरे से बिल्कुल अलग, एक पंजाबी गबरू, तो दूसरा किसी साउथ इंडियन मूवी का टपोरी डांस करने वाला श्यामल शरीर वाला राजकुमार.
बात शुरू करने से पता चला कि उस पंजाबी गबरू का नाम हरप्रीत है … और दूसरे का नाम आदित्य है.
“तो आप दोनों में से दूल्हा कौन है?” नैना ने आखिर में काम की बात पर आते हुए पूछ ही लिया.
इस पर दोनों एक साथ हंसे और मानवेन्द्र की तरफ इशारा कर दिया.
‘जी नैना जी, दूल्हे यही हैं … और दुल्हन भी, ये दोनों ही आपस में शादी करना चाहते हैं … और ये अपने आपमें एक अनोखी शादी होगी. इसीलिए हमें आप लोगों की मदद चाहिए.’ मानवेन्द्र ने बताया.
मैं उन दोनों के लिए अन्दर ही अन्दर बड़ा खुश था. आज मेरे मन की मुराद पूरी होने जैसी बात हमारे सामने आई थी.
आगे इस गे सेक्स कहानी में मैं आपको अपनी फ्री गे पोर्न स्टोरी से रूबरू करवाऊंगा.
आपके मेल से मुझे बड़ा प्रोत्साहन मिलता है और उम्मीद करता हूँ कि मेरी गे सेक्स कहानी को आपका प्यार मिलता रहेगा.
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फ्री गे पोर्न स्टोरी का अगला भाग: गे वैडिंग प्लानर की लंड की ख्वाहिश- 3
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