दोस्त की गांड मारी: मेरी गे सेक्स स्टोरी-1
हैलो दोस्तो.. मैं एक बार फिर से हाज़िर हूँ अपनी गे सेक्स स्टोरीज के साथ! आशा करता हूँ आपको मजा आएगा।
मेरी पिछली कहानी
मेरी गांड चुदाई की शुरूआत : गे सेक्स स्टोरी
पहली बार मेरी गांड की चुदाई की थी. अब यह कहानी है कि मैंने अपने दोस्त की गांड कैसे मारी.
बात उस समय की है.. जब मैं कॉलेज में पढ़ता था.. हमारी क्लास में सौम्य नाम का एक लड़का था। उसकी एक बहन भी उसी कॉलेज में पढ़ती थी। हम अपने दोस्त के यह कह कर खूब मजा लेते थे कि एक बार अपनी बहन की दिलवा दे।
वो गुस्सा हो जाता था, पर कहता कुछ नहीं था।
एक दिन मैं हॉस्टल में उसके बिस्तर पर सो रहा था मैंने उससे पूछा- यार तेरी बहन बहुत मस्त है.. उसकी बस एक बार दिलवा दे।
तो उसने कहा- पहले मेरी गांड मार के दिखा, तब उससे कहूँगा।
पहले तो मैंने सोचा कि ये मजाक कर रहा है.. फिर सोचा क्या फ़र्क पड़ता है इसकी गांड भी मिल जाएगी और इसकी बहन की चूत भी चोद लूँगा। मैं अभी सोच ही रहा था कि इतने में ही उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और हिलाने लगा।
मुझे बहुत मजा आ रहा था… मेरी आँखें बंद थीं… आह उहह.. की आवाज़ आ रही थी।
मैंने कहा- यार काश ये हाथ तेरी बहन का होता!
वो बोला- पहले मेरी गांड मार दे, फिर तेरी सारी इच्छा पूरी कर दूँगा।
मैंने कहा- ओके..
मैंने उसकी गांड पर अपना लंड लगाया और झटका दे दिया, पर लंड अन्दर नहीं गया।
उसके बाद उसने मना कर दिया कि रहने दे यार, बहुत दर्द होगा।
पर अब मैं गर्म हो चुका था.. मुझसे रहा नहीं गया और जबदस्ती अपना लंड उसकी गांड में पेल दिया।
उसकी चीख निकल गई और मैं जोर-जोर से धक्के देने लगा।
कुछ देर बाद शायद उसे भी मजा आने लगा था। उसकी ‘आह.. उहह..’ की आवाज़ निकल रही थी।
उसने कहा- यार जोर से गांड मार..
उसके बाद मैंने इतनी जोर से चुदाई की कि दस मिनट में ही मैंने अपना माल उसकी गांड में डाल दिया। उसका लंड भी मस्त हो गया था.. मैंने उसके लंड को पकड़ कर हिलाना चालू कर दिया।
मैंने कहा- तुझे और मज़े चाहिए?
तो उसने हाँ कर दी.. मैंने उसका लंड अपने मुँह में ले लिया।
शायद वो भी खिलाड़ी था.. वो मेरे मुँह में धक्के देने लगा और थोड़ी देर में उसने अपना माल मेरे मुँह में निकाल दिया.. मैं वो सारा माल पी गया।
उस दिन सेक्स करने के बाद अब मुझे किसी की गांड रोज चाहिए थी चाहे कोई लड़की हो लड़का।
मैं अब रोज़ मुठ मारने लगा था।
मैं रोज़ अपनी क्लास की लड़कियों को काम की हवस से देखता था और उनके नाम से मुठ मारता था। पर आप जानते हो मुठ मारने से सेक्स की आग ठंडी नहीं होती है।
एक दिन रात को मेरा मन सेक्स के लिए करने लगा..पर इतनी रात को कोई नहीं मिल रहा था.. तो मैं सोने की कोशिश करने लगा, पर नींद ही नहीं आ रही थी। फिर मैं अपने बिस्तर से उठकर जूनियर हॉस्टल की तरफ जाने लगा.. क्योंकि सौम्य भी वहीं रहता था। मैं सोच रहा था कि आज उसकी गांड मिल जाएगी। वहाँ पहुँच कर मैं उसकी बगल में लेट गया और उसके लंड को पकड़ कर जोर-जोर से हिलाने लगा। थोड़ी देर में वो जाग गया और मैंने अपना लंड उसके हाथ में दे दिया। वो भी मेरे लंड को हिलाने लगा।
‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाजें आने लगीं और थोड़ी देर में ही उसका माल मेरे हाथ पर निकल गया.. और वो करवट बदल के सो गया, पर मैं अधूरा रह गया।
मेरी आग तो और बढ़ गई थी, मैंने उसे बहुत बोला कि गांड मार लेने दे, पर उसने मना कर दिया।
फिर मैंने अपने लंड को हाथ से शांत करने की बहुत कोशिश की पर साला वो तो शांत ही नहीं हो रहा था।
अब मैं अपने लंड को हाथ में लेकर मुठियाने लगा.. एक तरफ तो डर लग रहा था ओर दूसरी हवस भी बढ़ रही थी।
वहाँ मुझसे जूनियर भी सो रहे थे। आपको तो पता ही है कि जूनियर कितने सेक्सी होते हैं।
मुझे उनमें से एक पसंद आ गया ओर मैं उसके साथ जाकर लेट गया। धीरे-धीरे मैंने उसकी पेंट को उतार दिया.. वो भी मादरचोद हिलने लगा.. मैं समझ गया कि वो भी जाग गया है।
मैंने उसकी अंडरवियर को निकाल दिया.. और उसके लंड को हिलाने लगा। उसका लंड बहुत छोटा था.. पर फिर भी खड़ा हो गया था। शायद वो भी मुझे पहचानता था। अब मैंने अपना लंड उसकी गांड पर लगा दिया.. पर वो बहुत छोटा छेद था.. इसलिए मैं जोर लगाने लगा।
वो पठ्ठा बिल्कुल भी मना नहीं कर रहा था, तो मैं और जोर लगाने लगा पर लंड अन्दर जा ही नहीं रहा था।
मैंने अपना लंड उसके मुँह में दे दिया, वो उसे चूसने लगा। थोड़ी देर लंड चूसने के बाद वो खड़ा हो गया और अपने बिस्तर के कोने से अपने हाथ में कुछ लिया और मुझे अपने पीछे-पीछे आने को कहा। मैं उसके पीछे चलने लगा.. वो एक बाथरूम के अन्दर मुझे ले गया और अपना पेंट निकाल कर मेरे लंड को मुँह में भर के जोर-जोर चूसने लगा। वो इतनी तेज़ चूस रहा था कि मुझे लगा कि एक मिनट में ही मेरा माल निकल जाएगा।
वो ‘घुंह.. घुंह..’ की आवाज़ के साथ लंड को अन्दर-बाहर कर रहा था।
फिर मैंने उसे पकड़ कर पलट दिया और उसकी गांड के छेद को उंगली से खोलने लगा। मैंने उसके छेद को चाट लिया.. तो उसने छेद को भींच कर बंद कर लिया।
अब मैं उसकी गांड के छेद को जीभ से चूसने लगा और धीरे-धीरे उसमें एक उंगली डाल दी। उसे थोड़ा दर्द हुआ.. पर वो सहन कर गया। फिर मैंने दो उंगली डाल दीं.. पहले तो उसने मना किया कि निकाल लो। पर फिर ‘उह.. ह..’ की आवाज़ करने लगा।
मैं समझ गया कि अब उसे भी मजा आ रहा है।
फिर वो बोला- भैया पूरा लंड मेरी गांड में डाल दो.. उंगली से मजा नहीं आ रहा है।
मैंने उसकी गांड पर तेल लगाया और लंड को जोर से धक्का मारा, तो आधा लंड अन्दर चला गया।
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वो चिल्लाने लगा.. मैं थोड़ी देर लंड को अन्दर डाल कर रुका रहा.. फिर धीरे-धीरे हिलने लगा। अब उसे भी मजा आने लगा था- आ..ह भैया.. और तेज़..
मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी.. मुझे इतना मजा आ रहा था कि बस बयान नहीं कर सकता।
वो झुका हुआ था और मेरा दनादन लंड उसकी गांड में चल रहा था। अब उसकी ‘अहह.. उहह..’ की कामुक आवाज़ बढ़ने लगी थी।
मैंने उसे आवाज़ करने से मना किया तो बोला- आप तो चोदो बस.. इधर कोई आएगा तो उसका लंड अपने मुँह में ले लूँगा।
मैं समझ गया कि ये मादरचोद गे सेक्स का बहुत बड़ा खिलाड़ी है। करीब दस मिनट बाद मेरा माल निकलने को हुआ.. मैंने कहा- किधर निकालूँ?
तो उसने कहा- गांड में ही डाल दो।
मैंने अपना सारा माल उसकी गांड में डाल दिया। अब जाकर मुझे थोड़ा आराम मिला और मैं वहाँ से अपने रूम में आ गया।
आपको मेरी गांड चुदाई की गे सेक्स स्टोरीज कैसी लगी.. जबाव ज़रूर दें.. मैं आपके जवाब का इंतज़ार करूँगा।
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