गे कहानी: दूध वाला राजकुमार-4
(Gay Kahani: Doodh Wala Rajkumar- Part 4)
रत्नेश भैया का लन्ड
एक बार फिर में लव आप सभी प्यारे पाठको का स्वागत करता हूँ अपनी गे कहानी अगले भाग में। इसके अलावा इस कहानी को लेकर आपका जो प्यार मिल रहा है उसके लिए आपका और अन्तरवासना का धन्यवाद।
कहानी के पिछले भाग
दूध वाला राजकुमार-3
में आपने पढ़ा की लन्ड की तलब ने मुझे रत्नेश भैया तक पहुँचा दिया था और अब रत्नेश भैया के लन्ड को में हासिल कर चुका था, लेकिन जो कुछ कर रहा था मैं ही कर रहा था, रत्नेश भैया कुछ प्रतिक्रिया नहीं दे रहे थे।
लन्ड के मोटे सुपारे से निकले प्रीकम ने अंडरवियर पर एक गोल घेरा बना दिया था जिस पर मैं अपनी नाक को रगड़ते हुए लम्बी लम्बी सांसों से सूंघने लगा, जहाँ से वीर्य, पसीने और मूत्र की मिक्स मनमोहक महक आ रही थी।
वाह… क्या खुशबू थी… मेरी ज़िन्दगी की सबसे मनपसन्द महक… हर 3-4 सेकेंड में लन्ड में एक लहर आती और लन्ड लगभग 1 इंच ऊपर उछल जाता।
अब मैंने उनके मज़बूत राजपूती पहलवानी जिस्म की तरफ अपना ध्यान लगाया… सबसे पहले लेदर जैकिट की चेन को खोला और शर्ट के ऊपर से ही उनकी उभरी छाती को छुआ और उनकी बगल से आती हल्की महक को सूंघते हुए छाती पर एक चुम्बन ले लिया, वैसे में अपने एक हाथ से उनके लन्ड को सहला रहा था, जिससे उनके आनन्द में कोई बाधा ना आये।
अब मैंने एक एक करके शर्ट की सभी बटन खोल दी… वाह क्या जिस्म था… छाती के दोनों उभार मानो बनियान को फाड़ डालने वाले थे, इतनी खिंची और कसी हुई सी थी उनकी बनियान। बिल्कुल गोरी छाती में लगभग 4 से 5 इंच का उभार था जिस पर हल्के-हल्के काले बाल… गले में ग्रामीण क्षेत्रों में गले में पहना जाने वाला छोटा सा तावीज़ और उसका काला धागा छाती की खूबसूरती को और भी बढ़ा रहे थे.
वाह… क्या कातिलाना जिस्म था…
हमेशा ही मैंने हड़बड़ी में ही सेक्स किया था लेकिन आज मेरे पास मानो बहुत समय था और आज इस देसी पहलवान के साथ में बिल्कुल आराम और सुकून से आनन्द लेना चाहता था इसीलिए अब मैंने अपना सिर रत्नेश भैया की कड़क फूली छाती पर रख दिया और अपनी नाक उनके बगल (अंडरआर्म) की तरफ करके लम्बी सांसें लेने लगा जिससे उनके जिस्म और बगल की महक मेरी सांसों में घुलने लगी… वह एक अलग ही महक थी जो मुझे आज तक दोबारा नसीब नहीं हुई।
मैं लगभग 5 मिनट तक ऐसे ही छाती पर लेटा रहा और एक हाथ से लन्ड को सहलाता रहा, रत्नेश भैया की कोई प्रतिक्रिया नहीं। अब मैं उनकी छाती से उठा और उनकी खुशबूदार कड़क फूली मज़बूत छाती पर ताबड़तोड़ चूमने और चाटने लगा।
मुझे किसी भी मर्द की भुजायें (डोले शोले) सबसे ज्यादा आकर्षित करते हैं लेकिन रत्नेश भैया के डोलों को तो में अभी तक देख भी नहीं पाया था क्योंकि उन्होंने शर्ट और लेदर जैकिट पहनी थी जिसे सिर्फ मैंने छाती के सामने से खोला था लेकिन उनकी बाजु, पीठ और हाथ अभी भी कपड़ों से ढके थे जिन्हें निकालना मेरे लिए असंभव था क्योंकि वो लेटे हुए थे।
अब मैं छाती के उभारों के बीच बनी लकीर को चूमते हुए पेट से होकर लन्ड तक पहुँच गया और चुदाई को तड़पते हुए लन्ड के सिर्फ सुपारे को अंडरवीयर की इलास्टिक से होते हुए बाहर निकाल लिया। मतलब मैंने पूरा लन्ड बाहर नहीं निकाला था, सिर्फ लन्ड का मुँह ही बाहर निकाला था।
मैंने बिना ज़्यादा देर किये सुपारे की चमड़ी को थोड़ा पीछे करते हुए अपने गर्म मुँह में भर लिया और उस कड़ाके की ठंड में अपने मुँह की गर्म हवा छोड़ते हुए लन्ड के सुपारे के चारों और दो बार अपनी जुबान घुमा दी, मेरे ऐसा करते ही लन्ड में एक ज़ोरदार लहर आयी जिसने लन्ड को चड्डी की इलास्टिक में दबे होने के बावजूद लगभग 1 इंच ऊपर तक झटका दिया।
इसी के साथ पहली बार रत्नेश भैया के मुँह से आवाज़ निकली “सीईईईईई… आह… माँ चोद दी यार…”
उनकी सिसकारी बहुत कामुक थी और आवाज़ बिल्कुल ऐसी थी जैसी किसी को गर्म चिमटा चिपका देने पर कोई करता है।
सी… सी… करते हुए रत्नेश भैया ने अपने आड़ूओं को खुजाया और बैठे हो गए और बोले- चल चलते हैं यार अब… दुकान मंगल करने का टाइम भी हो गया है.
मैंने उन्हें रोकते हुए कहा- अरे भैया… रुको तो अभी यार… थोड़ी देर… रुको… प्लीज़…
कहते हुए उनके लन्ड को और भी सहलाने की कोशिश की.
वो बोले- क्या कर रहा है यार तू… मां चोद दी यार भेजे की तूने… मत हाथ लगा यार भाई लन्ड को… ये मादरचोद को अभी चूत चाहने लगेगा… बहुत टाइम हो गया यार वैसे भी चूत चोदे हुए… एक तो बीवी ने खड़ा कर दिया और बचा हुआ तूने…
“क्या करता रहता है यार तू भी, अपन तो लड़के है यार… तू तो तेरी बिल्डिंग वाली की चूत दिलवा दे यार… मस्त माल है वो… मेरे पप्पू को मज़ा आ जाएगा…” कहते हुए रत्नेश भैया खड़े हो गए और अपनी जीन्स का बटन लगाने लगे।
मेरे तो मानो सारे अरमानों पर पानी ही क्या… बाढ़ ही आ गयी थी… अब… क्या होगा… दिमाग और दिल दोनों ही इस मौके को छोड़ना नहीं चाहते थे क्योंकि ऐसा मस्त गबरू जवान सेक्सी राजपूती मर्द और लन्ड पता नहीं मुझे पूरे जीवन भर भी मिले या ना मिले… क्योंकि यह मेरा अपना अनुभव था कि ज्यादा सेक्सी हैंडसम मर्द कभी किसी लड़के के साथ सेक्स को तैयार नहीं होते हैं… और आज का यह निवाला जो मुँह तक आ गया है उसे कैसे जाने दूँ!
मैंने उनकी दोनों भुजाओं को पकड़ लिया और उनकी छाती के करीब आ गया बिल्कुल किसी बीवी की तरह और बोला- भैया सुनो मेरी बात… मैं बिल्कुल पक्के में वो सुबह वाली लड़की… वो… वो… बिल्डिंग वाली लड़की की चूत आपको दिला दूँगा… मेरी अच्छी पहचान है भैया… आप चिंता मत करो… पक्की बात भैया… लेकिन आप अभी मत जाओ थोड़ी देर ओर रूक जाओ…
यह सुनकर उनके चेहरे पर मानो रौनक आ गयी और वो थोड़ा मुस्कुराते हुए बोले- वाह रे चालू खोपड़ी… पक्के में जुगाड़ जमा देगा तू?
“डन भैया… कल या परसो में आपका काम हो जाएगा!” कहते हुए मैंने उनके हाथ जो शर्ट की बटन लगा रहे थे, उनको पकड़ते हुए बटन से हटा कर नीचे कर दिया।
“वाह रे मेरे चीते… जो तुझे करना है कर ले भाई… लेकिन यार क्या मजा आ रहा है तुझे ये सब करने में… मुझे तो फिर भी थोड़ा मज़ा आ रहा है लेकिन तेरा क्या… जैसी तेरी मर्ज़ी यार… क्या बोलूं अब…” कहते हुए पास ही की एक खाली दूध की टंकी से टिक कर खड़े हो गए।
मैंने कहा- भैया, आप वो सब छोड़ो और अपनी आंखें बन्द कर लो और उस सुबह वाली लड़की के बारे में सोचो और फील करो कि जो भी कर रही है, वही कर रही है… कसम से आपको भी मज़ा आ जाएगा…
रत्नेश भैया ने वैसा ही किया और अब वो आंख बन्द करके बिल्कुल ढीले होकर खड़े हो गए… इससे अच्छा समां कभी नहीं हो सकता… ऐसा मर्द पूरा मेरे हवाले… मैंने फिर से उनके शर्ट के सारे बटन खोल दिए और एक बार फिर से उनके लन्ड को सहलाने लगा और जीन्स नीचे उतार कर बिल्कुल पहले की तरह ही उनके लन्ड के सुपारे को अपने मुँह में भर लिया।
इस बार भी वो मानो तड़पने लगे और सिसकारियाँ लेने लगे.
अब मैं धीरे धीरे खड़े होते हुए उनके पेट से लेकर फूली छाती तक अपने मुलायम हाथ और अपने चेहरे को रगड़ते हुए ले गया. मेरी साँसें बहुत गर्म और तेज चल रही थी, ऊपर से उनकी गर्म सांसें भी मुझे महसूस हो रही थी।
अब मैंने लेदर जैकिट को दोनों हाथों से उतार दिया. इसके बाद आहिस्ता से उनके शर्ट को उतारने लगा… धीरे धीरे ज़िन्दगी में पहली बार उस बाहुबली की भुजायें मुझे थोड़े थोड़े दिखने लगे, लेकिन कड़क और फूली भुजाओं के बीच शर्ट की बाहें मानो फंस ही गयी थी।
मैंने आधे उतारे और फँसे हुए शर्ट के साथ ही एक बार फिर उन्हें अपनी बांहों में भर लिया और शर्ट से आती उनके मर्दाना जिस्म की खुशबू का लगभग 1 मिनट तक आनन्द लिया जिसके बाद तेजी से खींचकर शर्ट को अलग किया और बिना देर किये बनियान भी उतार फेंकी।
और बिना देर किये सबसे पहले उनके मज़बूत फूली हुई भुजाओं को पास से देखा और अपने हाथों से मोटे मोटे डोलों को सहलाया और उभरे हुए शेप को अपनी जुबान से चाटा और चूमा भी, पूरे हाथ को चूमा क्योंकि हाथ भी काफी मस्त मर्दाना, मोटा और कड़क था जिस पर हल्की नसें दिखाई दे रही थी और अंत में पीतल का कड़ा था।
हाथ पर से हल्की दूध की और शरीर की मिक्स महक ने मुझे दीवाना कर दिया और मैंने उनकी उंगलियों को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा। इसके बाद उनके डोलों को ऊपर उठाया और उनके बगल (अंडरआर्म्स) को भी चाटकर आनन्द लिया।
इसके बाद उस राजपूती महाराजा के मस्त पहलवानी जिस्म से लिपट गया और अपने जिस्म को उनके जिस्म से रगड़ने लगा और अपना एक हाथ अंडरवियर के अंदर डालते हुए उनके आंडूओ और लन्ड को रगड़ने लगा, जिससे उनको भी जोश आ गया क्योंकि वो उस लड़की के ख्यालों में खोये हुए थे।
अब रत्नेश भैया ने मुझे अपनी मज़बूत भुजाओं में जकड़ लिया और अपने दोनों हाथ मेरे लोवर में घुसा दिए और मेरे गोल गोल चिकने चूतड़ को बेइंतेहा मसलने लगे… मैंने भी अपने आपको पूरी तरह से उनके हवाले कर दिया और अब मैं उनको बड़ी गौर से देखने लगा.
क्या बताऊँ उस सीन के बारे में… एक देसी राजपूत महाराजा जिसका गठीला नंगा जिस्म काम की आग में जलता हुआ… चेहरा, होंठ, छाती, हाथ, आंखें, सांसें हर जगह से सेक्स की ज्वाला निकल रही थी और मैं उनकी हर बात को नोटिस कर रहा था और उन्हें निहार रहा था, मानो इतना सेक्सी मर्द ऐसी हरकतें करता मुझे कभी जीवन में दिखने ही नहीं वाला हो।
रत्नेश भैया के मर्दाना कड़क हाथों ने मेरी गांड को मसलकर मानो रस बना दिया था, मुझे भी बड़ा ही आनन्द आ रहा था और चाहे खून ही क्यों न आने लगे गांड से लेकिन अपनी गांड को उनके हाथों से छुड़ाना नहीं चाहता था, बल्कि अब मैंने उनके दोनों बाईसेप को दोनों हाथों से पकड़ लिया था और उनके द्वारा मेरी गांड मसलने से उनके डोलों में जो ऊपर नीचे होने और ट्राईशेप बनने की हरकत हो रही थी, मैं उसे महसूस करते हुए उनके कान के नीचे गले पर किस कर रहा था।
अब तक का शायद ये पहला मर्द था जिसने मुझे अपने जिस्म से इतना खेलने दिया था, वर्ना मर्द बस अपने लन्ड तक ही सीमित रखते है छाती और मुँह तक तो आने ही नहीं देते।
वैसे मैंने भी उनका नाज़ायज़ फायदा नहीं उठाया और उनके चेहरे से कोई छेड़खानी नहीं की, वैसे चेहरा भी मस्त महाराजाओं वाला और सेक्सी लुक वाला था.
खैर…
अपनी प्रतिक्रियाएँ मुझे इस मेल पर दें!
कहानी जारी रहेगी.
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कहानी का अगला भाग: मुख चोदन कहानी: दूध वाला राजकुमार-5
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