एक दिन में दो लंड से गांड चुदाई
(Ek Din Me Do Lund Se Gand Chudai)
दोस्तो, मेरा नाम साजिद ख़ान है, मैं मेरठ का रहने वाला हूँ.
पिछली बार मेरी गांड की चुदाई की कहानी
अनजान लड़के की गांड चाटकर गांड मरवाई
आप लोगों ने पढ़ी होगी. आज मैं आपको एक नई सेक्स स्टोरी बता रहा हूँ.
मैंने आज तक जो भी कहानी लिखी है, वह सब हकीकत है और मेरे साथ गुजर चुकी हुई होती है.
आज आपको बताऊंगा कि कैसे मैंने एक बंद स्कूल में अपनी गांड में लौड़ा लिया था.
मैं सनी से, संजय से और उसके दोस्तों से कई बार गांड मरवा चुका था.
मैं फेसबुक पर अक्सर गे आदमी को ढूँढता रहता था.
इसी बीच मेरी एक बागपत में रहने वाले एक व्यक्ति से बात हुई. वो बता रहा था कि वह किसी सरकारी ऑफिस में काम करता था.
कई दिन तक उससे मेरी उसकी बात होती रही. हम दोनों ही मिलने की बात करने लगे थे.
एक दिन मेरा बागपत जाना हुआ तो मैंने उसको फोन किया कि मैं बागपत आया हूँ.
वो ये सुनकर बड़ा खुश हुआ और बोला- मैं अभी आ रहा हूँ.
उसने मुझसे मेरी लोकेशन के बारे में पूछा और थोड़ी देर में वो मोटरसाइकिल लेकर मुझको उसी चौराहे पर मिल गया जिधर का मैंने उसे बताया था.
हम दोनों ने मिलकर एक दूसरे से हाय हैलो की और वो मुझको अपने पीछे वाली सीट पर बिठाकर चल दिया.
उसने रास्ते में मुझसे पूछा कि मैं कौन सा कंडोम पसंद करता हूँ.
मैंने उससे कहा कि कोई भी ले लो.
उसने मेडिकल स्टोर से एक मैनफ़ोर्स का एक कंडोम ले लिया.
हम आगे चल दिए.
वह मुझको एक प्राइमरी स्कूल में लेकर गया.
वो स्कूल बंद था, उसकी चाभी उसके पास थी.
उसने एक कमरे का दरवाजा खोला, जिसमें कुछ कुर्सी और टेबल आदि रखी हुई थीं.
उसने कमरे में अन्दर आकर दरवाजे की कुंडी लगा दी. फिर उसने मुझको अपने बांहों में लिया और मुझको चूमने लगा.
मैं भी उत्तेजित होकर उसकी बांहों में समा गया और उसे चूमने लगा.
वह मुझको चूमने के साथ साथ मेरी फूली हुई चूचियों को कपड़ों के ऊपर से ही मसल रहा था.
मैं भी उससे लिपट रहा था.
मैंने महसूस किया कि मुझे कुछ पेट पर चुभ रहा है. मैंने अपना हाथ उधर ले जाकर चैक किया. वो उसका लंड था.
पैंट के ऊपर से ही मैंने उसका लौड़ा पकड़ लिया. उसका लौड़ा सख्त हो गया था और पैंट से बाहर निकलना चाह रहा था.
धीरे धीरे हम दोनों ने एक दूसरे के कपड़े उतार दिए.
अब मैं और वो अंडरवियर में थे.
उसका लौड़ा खड़ा हुआ था, जिसकी वजह से अंडरवियर में तंबू बना हुआ था.
वह मेरे कच्छे में हाथ डाले हुए मेरी गांड को मसल रहा था.
थोड़ी देर में मैंने उसका अंडरवियर नीचे करके उतार दिया और उसने मेरा कच्छा नीचे उतार दिया.
मैंने देखा उसका काला मोटा लंबा लौड़ा ऐसे उछाल मार रहा था, जैसे वो मुझको अपनी तरफ बुला रहा हो और कह रहा हो कि मैं उसको अपने मुँह में भर लूं.
मैं नीचे बैठ गया और उसके लौड़े को देखने लगा.
तभी उसने मेरा सिर पकड़ा और अपना सख्त लौड़ा मेरे मुँह में दे दिया.
मैं उसके लंड को चूसने लगा. कभी मैं उसके आंड चूसता, कभी उसके लौड़े का टोपा चूसता.
वह मेरा सिर पकड़े अपने लंड की तरफ खींच रहा था शायद वह अपना पूरा लौड़ा मेरे मुँह में अन्दर तक पेल देना चाहता था.
उसने लंड मेरे गले तक ठूँसा, तो मुझको सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी.
मैं छटपटाने लगा लेकिन वह नहीं रुक रहा था.
फिर थोड़ी देर में उसने मुझको उठा कर खड़ा कर दिया और उल्टा कर दिया.
वो अब मेरी गांड पर हाथ फेरने लगा.
उसका ऐसे गांड को सहलाना मुझको अच्छा लग रहा था.
तभी उसने 2-3 चमाट मेरी गांड पर मार दीं जिससे मेरे मुँह से ‘आह … आह …’ की आवाजें निकलने लगीं.
वो बोला- और गांडू … साले कैसा लग रहा है?
मैंने गांड हिलाते हुए कहा- अच्छा लग रहा है.
तभी उसने मुझको पास में रखी टेबल पर लेटा दिया और मेरी दोनों टांगें हवा में उठा दीं.
अब वह मेरे दोनों पैरों के बीच में खड़ा था और उसका लौड़ा मेरी गांड को घूर रहा था.
तभी उसने कंडोम निकाला और अपने लौड़े पर चढ़ा दिया.
फिर उसने थोड़ा सा थूक मेरी गांड पर लगाया और अपने लौड़े पर भी लगा लिया.
मैं लंड घुसने का इन्तजार कर रहा था.
उसने अपने लौड़े का टोपा मेरी गांड पर एक दो बार घिसा और छेद पर सैट कर दिया.
मैं गांड मराने को रेडी हो गया था.
उसी वक्त उसने एक जोरदार झटका दे मारा; उसके लंड का टोपा मेरी गांड के अन्दर घुस गया.
मेरी जान निकल गई; इतना ज्यादा दर्द हुआ, जैसे उसके लंड ने मेरी गांड ही फाड़ दी हो.
मेरे मुँह से जोरदार आवाज़ भी निकल गई- उई अम्मी मर गया.
तभी उसने कहा- साले गांडू … अभी कहां से मर गया, भैन के लंड अभी तो सारा लौड़ा बाहर है.
इतना कहते ही उसने फिर से एक जोरदार झटका लगाया और उसका करीब 8 इंच का लौड़ा मेरी गांड फाड़ते हुए अन्दर तक चला गया.
मुझे ऐसा लगने लगा, जैसे उसका लंड मेरी नाभि में टक्कर देने लगा हो. मेरे पेट में दर्द होने लगा.
मैंने कराहते हुए उससे कहा- आंह भाई … बड़ा दर्द हो रहा है … प्लीज़ लौड़ा बाहर निकाल लो प्लीज़.
लेकिन उसने मेरी एक ना सुनी और उसने जोरदार धक्के देने शुरू कर दिए.
मैं जोर जोर से चिल्लाता रहा.
उसके धक्के इतनी तेज थे कि कमरे में टेबल की पटर पटर और मेरी गांड में से फछ फछ की आवाज आने लगी.
साथ ही मेरे मुँह से आह … उहउ … ऊउऊम्म … उहाहह की आवाज़ सुनाई दे रही थी.
वह कामान्ध होकर जोरदार धक्के मारते जा रहा था.
कुछ ही देर में मेरी गांड ढीली हो गई और मेरा दर्द कम हो गया था.
अब मैं जन्नत में था. मुझको इतना मजा आ रहा था कि अगर उस वक्त कोई मेरी गांड में हाथ भी डाल देता तो शायद दर्द नहीं होता.
बहुत देर तक उसने मेरी गांड में लगातार ताबड़तोड़ धक्के मारे, जिससे मेरी गांड पूरी खुल गई थी.
थोड़ी देर में वह हांफने लगा और उसका एक एक धक्का मेरे पूरे बदन को तोड़ रहा था.
कुछ देर में उसने अपने लौड़े का पानी छोड़ दिया.
उसके लंड का गर्म वीर्य मेरी गांड में मुझे मस्त गर्माहट देने लगा.
कुछ पल बाद उसने अपने अपना लौड़ा गांड से बाहर निकाल लिया.
मेरी गांड थोड़ी देर के लिए यूं ही खुली की खुली रह गई. उसका लौड़ा अब निढाल हो रहा था.
उसने मुझसे कहा- भोसड़ी के ऐसे ही पड़ा रहेगा क्या … चल खड़ा हो और इस कंडोम को उतार!
मैं खड़ा हुआ और उसका कंडोम हटा दिया.
उसका लौड़ा उसके माल से भीगा हुआ था.
उसने मुझसे कहा- चल भोसड़ी के गांडू लंड को चाट कर साफ कर!
उसके लंड की सारी नसें फूली हुई थीं, उसका लौड़ा मस्त लग रहा था.
मैंने लंड को चाट कर साफ कर दिया.
मैं उसके लंड को करीब 10 मिनट तक ऐसे ही चाट चाट कर साफ करता रहा.
इससे धीरे धीरे उसके लंड में तनाव आता गया.
अब लंड फिर से खड़ा होने लगा.
थोड़ी देर में लंड फिर से सख्त हो गया.
उसने कहा- अबकी बार मैं बिना कंडोम के तेरी गांड मारूंगा.
मैंने उसे मना किया लेकिन वह नहीं माना.
इस बार उसने मुझे एक कुर्सी पर उल्टा बिठाया दिया और मेरे खांचे में थूक लगा दिया
फिर अपने लौड़े पर थूक लगाया और पूरी ताक़त से झटका मार कर अपना आधा लौड़ा मेरी गांड में दे दिया.
मेरे मुँह से एक जोरदार कर चीख निकली.
तभी उसने मुझको एक थप्पड़ मारा और बोला- हराम के लौड़े गांडू भोसड़ी के … चिल्ला क्यों रहा है मादरचोद … लंड का मजा ले.
वो जोर जोर से धक्का देने लगा. कुर्सी भी जबरदस्त चूं चूं करके हिल रही थी.
मैं खुद ही आगे पीछे हो रहा था जिससे उसका लौड़ा मेरी गांड में पूरा अन्दर तक जा रहा था.
मुझको बेहद मजा आ रहा था.
इस बार लंड की सीधी रगड़ मुझे मस्त मजा दे रही थी.
ये मौसम गर्मी का था तो हम दोनों गर्मी में पसीना पसीना हो रहे थे.
कभी वो मुझको कुर्सी पर उल्टा करके मेरी गांड मारने लगता तो कभी मुझको खड़ा करके पीछे मेरी गांड में लंड ठोक देता तो कभी नीचे झुका कर मेरी गांड मारता.
मुझको बड़ा मजा आ रहा था.
अब तक हम दोनों काफी देर हो गई थी लेकिन पता नहीं उसका लंड झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था.
अब वह भी थक चुका था और मैं भी हांफ रहा था.
तभी हमें किसी के आने की आहट सुनाई दी.
उसने लौड़ा जल्दी से बाहर निकाला और शांत हो गए.
हम दोनों डर गए थे.
थोड़ी देर हम ऐसे ही चुप बैठे रहे. फिर उसने खिड़की से झाँक कर देखा, तो उसे कोई नहीं दिखा.
हम दोनों ने जल्दी जल्दी कपड़े पहने और जाने को रेडी हो गए.
उसने धीरे से कुंडी खोली और देखा, बाहर कोई नहीं था.
उसने मुझको बाहर आने का इशारा किया.
अब हम दोनों बाहर आ गए थे.
मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था.
कुछ देर बाद हम दोनों सामान्य हुए और बाहर आ गए.
मैं उसकी बाइक पर बैठ गया और हम चल दिए.
उसने मुझको बागपत चौराहे पर छोड़ दिया और चला गया.
उसके बाद मैं मेरठ पहुंच गया.
उधर संजय गत्ता फैक्ट्री में काम करता था.
मैंने उसको फोन किया और उससे कहा कि मैं बाहर खड़ा हूँ.
उसने कहा कि मैं चार बजे बाहर निकलूँगा, तब तक तू इन्तजार कर.
मैं वहीं घूमता रहा.
कुछ देर बाद मैं फैक्ट्री के बगल में एक खेत में पहुंचा.
वह ज्वार का खेत था.
मैं उसमें जाकर बैठ गया और संजय का इंतजार करने लगा.
चार बजे मैंने उसको फोन किया और पूछा- कहां पर है?
उसने कहा- मैं बाहर निकल आया हूँ. तुम किधर हो?
मैंने उसे खेत का बताया कि इधर खेत की तरफ आ जाओ.
वह मेरी तरफ आ गया.
संजय मेरा पुराना यार था. उसने मेरी गांड की बहुत बजाई.
हम दोनों खेत के अन्दर थे.
मैंने देर ना करते हुए उसके पैंट को खोल दिया और उसके काले मोटे लौड़े को बाहर निकाल लिया.
लंड बाहर आते ही मैंने उसे मुँह में ले लिया और मस्त होकर चूसने लगा.
वह बोला- क्या बात है मेरे गांडू … तू तो एकदम गर्म हो रहा है. कहां गांड मरवा कर आया है.
मैंने कहा- ऐसी बात नहीं यार … इतनी देर से तेरी याद में कुछ मस्ती चढ़ गई थी और कुछ नहीं.
मैं उसका लौड़ा और आंड चूसता रहा.
थोड़ी देर में मैं कुतिया बन गया और वह लौड़ा हाथ से सहलाते हुए मेरे पीछे खड़ा हो गया.
मैंने कहा- कंडोम चढ़ा लो.
उसने कहा- इस वक्त भोसड़ी के मेरे पास कंडोम कहां से आया. मैं ऐसे ही तेरी गांड मारूंगा.
उसने मेरी गांड पर थूका और अपने लौड़े पर थूक लगा कर मेरी गांड में जोरदार धक्का दे मारा.
उसका लौड़ा आधे से ज़्यादा अन्दर चला गया.
मुझको ज़्यादा दर्द नहीं हुआ क्योंकि मैं पहले से ही गांड मरवा कर आ रहा था.
उसने मुझे कुतिया बनाकर करीब 20 मिनट तक मेरी गांड चुदाई की जिससे मेरी सारी खुजली मिट गई थी.
थोड़ी देर में उसने जोर जोर से धक्के मारे और अपने लंड का का गर्म माल मेरी गांड में छोड़ दिया.
मुझे उसके लौड़े का गर्म गर्म माल महसूस हुआ तो काफी अच्छा लगा.
फिर मैं उसके लौड़े को को देखा.
वो मेरी गांड में गंदा हो गया था. मैंने उसे रूमाल से पौंछ कर साफ़ कर दिया.
फिर पहले वो खेत से निकला, उसके बाद मैं बाहर आ गया.
मैं बहुत खुश था. आज मैंने अपनी गांड दो किस्म के लंड से मरवाई थी.
उसके बाद मैं घर आया, तब तक संजय के लौड़े का माल मेरी गांड से निकल कर बहने लगा था. उसका माल मेरी टांगों से होता हुआ बाहर निकल कर मेरे पैरों के नीचे तक बह गया था.
मैंने घर आकर नहाकर अपने आपको साफ किया.
उस दिन मुझको बहुत तसल्ली मिली.
ये मेरी रियल और सच्ची गे सेक्स स्टोरी है. मैं बहुत बड़ा गांडू बनता जा रहा हूँ.
आपको मेरी सेक्स कहानी कैसी लगी प्लीज़ कमेंट करके जरूर बताएं.
धन्यवाद.
[email protected]
What did you think of this story??
Comments