लंड चूसने का पहला अनुभव
(Dick Sucking Sex Kahani)
डिक सकिंग सेक्स कहानी एक बाइसेक्सुअल लड़के की है. वो लड़का-लड़की, दोनों को पसंद करता है। उसका मन लंड चूसने का हुआ तो उसने लिफ्टमैन का लंड चूसकर अपनी प्यास शांत की.
मेरा नाम मंगेश है। मैं 26 साल का हो चुका हूं। मैं एक सीधा साधा लड़का हूं लेकिन सेक्स कहानियां पढ़ने का शौकीन हूं।
अन्तर्वासना पर मैं कई सालों से मजेदार और गर्म सेक्स कहानियां पढ़ता आ रहा हूं।
मुझे यहां की सेक्स कहानियां पढ़कर बहुत उत्तेजना होती है।
यहां पर मेरी पसंद की बहुत कहानियां पढ़ने को मिल जाती हैं जो बाइसेक्सुअल और गे सेक्स कहानी भी होती हैं।
चूंकि मैं भी बाइसेक्सुअल हूं तो मुझे लड़का और लड़की, दोनों से ही सेक्स करना अच्छा लगता है।
डिक सकिंग सेक्स कहानी में आगे बढ़ने से पहले मैं आप लोगों को बता दूं कि मुंबई का रहने वाला हूं।
मुंबई में लोग काफी खुले विचारों वाले हैं और वहां पर लोग हर तरह का सेक्स एंजॉय करना पसंद करते हैं, जिसमें रिश्तों में चुदाई, परिवार में चुदाई, गे चुदाई, लेस्बियन सेक्स भी शामिल होता है।
ऐसे ही एक बार मुझे किसी ने व्हाट्सऐप कॉल कर दिया।
वो कोई लड़का था जो मुझे एक गे ग्रुप से मिला था; वो मुठ मार रहा था।
उसको ऐसे मुठ मारते देख कर मुझे भी उसको देखने में मजा आने लगा।
उसके साथ मैंने भी अपने लंड को हिलाया।
फिर ऐसे ही मुझे धीरे-धीरे लंड मुंह में लेकर चूसने की इच्छा भी जागने लगी।
लेकिन मैं ये बात किसी को बता नहीं सकता था।
फिर मैंने वीडियो कॉल पर मुठ मारना शुरू किया।
कई महीनों तक मैं फोन से ही अपनी वासना को शांत करने की कोशिश करता रहा।
मगर बीतते समय के साथ मेरी लंड चूसने की इच्छा और तेज होने लगी।
एक बार मैं कॉलेज से घर आ रहा था।
उन दिनों मैंने एक बात नोटिस की थी कि हमारी बिल्डिंग का लिफ्टमैन बदल गया था।
एक नया लिफ्टमैन बिल्डिंग में तैनात किया गया था।
उसका नाम संतोष था।
देखने में वो यूपी या बिहार का रहने वाला लग रहा था।
जहां तक मैंने सुना था, यूपी-बिहार के मर्दों के लंड बहुत बड़े, यानि लम्बे-मोटे होते हैं।
जब से मैंने उस लिफ्टमैन को देखा था, मेरा मन उसका लंड चूसने का करने लगा था।
मैंने सोच लिया था कि अब लंड चूसने की अपनी प्यास को मैं बुझाकर रहूंगा और इस लिफ्टमैन का लंड मैं अपने मुंह में लेकर उसका स्वाद चखकर ही रहूंगा।
तो मैंने क्या किया कि मैं रोज घर जाते समय लॉलीपोप खरीद लेता और उसे चूसते हुए बिल्डिंग में घुसता और फिर लिफ्ट में भी उसे चूसता रहता।
मैं ये सब जानबूझकर करता था ताकि संतोष को दिखा सकूं कि मैं कैसे लॉलीपॉ़प को मुंह में लेकर चूस रहा हूं और उसे इशारा दे सकूं कि मैं मुंह में लेकर ऐसे ही और भी कुछ चूसना चाह रहा हूं।
साथ ही मैं लिफ्ट में घुसने के बाद अपनी जीन्स को नीचे सरका लेता था ताकि संतोष मेरी गांड की दरार को देख सके।
मैं उसे लाइन देने में अपनी तरफ से कोई भी कसर नहीं छोड़ रहा था।
एक बार मैं बिल्डिंग के टेरेस पर फोन पर बात करते हुए पहुंच गया।
संतोष का कमरा वहीं टेरेस पर ही था और किस्मत से उस वक्त वो नहा रहा था।
वहां पर बाथरूम नहीं था तो वह खुले में ही नहा रहा था।
उसने केवल एक लंगोटी बांध रखी थी और उस गीली लंगोटी में से उसका लंड उभरा हुआ साफ दिख रहा था।
लंड का आकार देखकर मेरी तो आंखें फटी रह गईं। 7 इंच लम्बा लंड था और लगभग 3 इंच मोटा तो था ही।
ऊपर से उसका गठीला बदन, एकदम से कसा हुआ … छाती एकदम से फूली हुई और मोटी मोटी जांघें!
मैं तो देखकर पागल ही हो गया।
उस सांवले लौंडे पर मेरा दिल आ गया और मैं बस उसे ही घूरने लगा।
उसने अपने लंगोट में हाथ डाला और अपने आधे खड़े हुए लंड पर साबुन मलने लगा।
उसे पता नहीं था कि मैं भी वहीं खड़ा हूं।
फिर मैंने सोचा कि अगर इसने मुझे इसको घूरते हुए देख लिया तो ये जल्दी से नहाकर निकल लेगा।
मैंने उस नजारे का मजा लेने की सोची और वहीं साइड में छुप गया।
लंड पर साबुन लगाते लगाते संतोष का शायद मूड बन गया और वो साबुन लगे लंड की मुठ मारने लगा।
ये देखकर तो मुझे और मजा आने लगा।
मेरा लंड भी खड़ा हो गया था।
बाद में उसे देखकर मुठ मारने के मकसद से मैंने उसकी वीडियो बनानी शुरू कर दी।
मगर वीडियो पूरी नहीं रिकॉर्ड हो पाई और उसने मुझे बीच में ही देख लिया।
उसने एकदम से मुठ मारना बंद कर दिया और फिर साबुन को धोने लगा।
संतोष ने देखने के बाद भी कुछ नहीं कहा।
फिर मैं भी वहां से आ गया।
आने के बाद मैंने वो वीडियो देखकर मुठ मारी।
मैंने तीन बार लगातार अपना पानी निकाला, तब जाकर मैं शांत हुआ।
लेकिन अब मैं संतोष का लंड चूसने के लिए मरा जा रहा था।
मैं बस किसी भी तरह उसका लंड चूसना चाहता था।
2 दिन के बाद मैं उस शाम को अपने दोस्तों के साथ पार्टी करके आ रहा था।
वक्त काफी हो चुका था।
मेरा मन लंड चूसने का कर रहा था।
मैंने फिर से संतोष पर डोरे डालने की सोची।
तो मैंने लॉलीपोप लिया और चूसते हुए लिफ्ट में घुसा।
संतोष वहीं लिफ्ट में खड़ा था।
मैं उसे कामुक-नशीली नजरों से निहार रहा था।
मेरे पूरे बदन में जैसे आग लगी थी।
मैं जानबूझकर उसके लंड की ओर देख रहा था।
फिर मैंने लॉलीपोप और ज्यादा जोर से चूसते हुए उससे कहा- क्यों संतोष, तू भी तो अपनी बीवी को मिस कर रहा होगा यहां अकेले?
वो मेरी बात पर थोड़ा शरमा गया और बोला- हां, करते तो हैं भैया, लेकिन क्या करें, हाथ से काम चला लेते हैं।
मैं बस उसके मुंह से यही बात सुनना चाहता था और मैंने तपाक से कहा- मैं कुछ मदद करूं क्या? हाथ थक गए होंगे तेरे?
वो मेरी बात पर हंसने लगा और बोला- अरे भैया, क्या मजाक कर रहे हो आप भी! आपसे ऐसे काम हम क्यों करवाएंगे?
तो मैं बोला- एक तरफ तो भैया कहता है, फिर शरमा भी रहा है!
मैं देख रहा था कि उसकी पैंट में उसका लंड आकार लेने लगा था।
मुझे पता चल गया कि थोड़ी सी कोशिश की जाए तो इसका लंड मेरे मुंह में होगा।
मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और अपने हाथ में लेकर सहलाते हुए कहा- मुझे तेरी मदद करने में कोई शर्म नहीं है।
ये बोलते हुए मैं उसकी पैंट की चेन पर से हाथ फेरते हुए उसके लंड को सहला गया।
अब वो थोड़ा सहमा लेकिन फिर जैसे इस बात पर गंभीर सा हो गया।
वो बोला- आप सच में बोल रहे हैं क्या?
इस पर मैंने उसके लंड को पैंट के ऊपर से पकड़ ही लिया और सहलाते हुए कहा- अब भी विश्वास नहीं है क्या तुझे?
उसके लंड को हाथ लगाते ही मेरे बदन में आग लग गई।
उधर उसका लंड भी तनाव में आने लगा था।
मैंने कहा- देख बेचारा कैसे अंदर ही अंदर तड़प रहा है, मुझे मदद करने दे इसकी!
वो बोला- अभी ही चल रहे हैं क्या?
ये सुनकर तो मेरे मन में लड्डू ही फूट गए और मैंने उस पर अहसान सा जताते हुए कहा- हां, अभी ही चल देता हूं तेरे लिए … तू खुश रह!
यह सुनते ही उसका लंड एकदम से तन गया और पैंट में अलग से तना हुआ तंबू दिखने लगा।
हम लोग बीच में न रुक कर सीधे टेरेस पर लिफ्ट से उतरे।
जल्दी से हम उसके रूम में पहुंचे और अंदर जाते ही उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखवा दिया।
उसका लंड अब लोहे जैसा सख्त हो चुका था।
वो बोला- देखो जानेमन, क्या हालत हो गई है इसकी!
अब वो भैया वाली औपचारिकता से बाहर आ सीधा वासना वाली शैली में बात करने लगा था।
इससे पहले मैं अपने कदम बढ़ाता, उसने मेरी शर्ट के बटन खोले और मेरी शर्ट को उतार कर मेरे निप्पलों को पीने लगा।
उसके गर्म होंठ लगते ही मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया और मैंने अपनी चूचियां आगे कर दीं और उसके सिर को सहलाते हुए निप्पल उसको पिलाने लगा।
उसका एक हाथ पीछे से मेरी गांड पर आकर उसको भींचने लगा और इधर मेरे मुंह से मजे के मारे सिसकारियां निकलना शुरू हो गईं- आह्ह … ओह्ह … ओ माय गॉड … स्सस … आह्ह … हाय … संतोष … आह्ह।
मुझसे अब रुका न गया और मैंने उसके लंड को पैंट के ऊपर से पकड़ कर सहलाना शुरू कर दिया।
उसका लंड बाहर आने के लिए तड़प रहा था।
मैं उसके लंड के टोपे को पकड़ कर भींच रहा था जिससे उसकी भी सिसकारियां निकलने लगी थीं।
निप्पल पिलाते हुए ही मैंने उसकी पैंट की बेल्ट उतार दी।
पैंट खोलकर मैंने उसमें हाथ डाला तो मैं उत्तेजना में पागल हो गया।
उसका लंड जैसे लोहे की तरह गर्म था और एकदम से सख्त हो गया था।
लंड को छूकर मेरे बदन में इतनी गर्मी आने लगी कि मैं जैसे तपने लगा।
मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसकी पैंट उतार दी।
अंधेरे में उसका काला लंड सलामी दे रहा था।
उसके लंड से पेशाब की मदहोश कर देने वाली महक आ रही थी। उसके टट्टे बहुत बड़े थे जैसे वीर्य से बिल्कुल भरे हुए हों।
मैंने उसके लंड के सुपारे की त्वचा खींचते हुए टोपा पूरा नंगा कर दिया।
टोपा वीर्य से सन गया था और मैंने अगले ही पल उसे जीभ से चाट लिया।
एक बार लंड का स्वाद लगा तो मुझसे रुका नहीं गया और मैंने उसका लंड चूसना शुरू कर दिया।
मैं मस्ती से उसके लंड को चूसने लगा जैसे वो लॉलीपोप से भी ज्यादा स्वादिष्ट हो।
उसके हाथ मेरे सिर पर आ गए और मैं पागल सा होकर सिसकारियां लेने लगा- आह्ह … जानेमन … चूस जा … आह्ह … हएए … आह्ह … स्सस … ओह्ह … अम्मम!
फिर एकदम से उसने अपने लंड को मेरा सिर पकड़ कर पूरा गले तक घुसा दिया।
पहली बार मैं कोई लंड चूस रहा था।
मुझे कुछ अनुभव नहीं था।
इस हरकत से मेरी जान निकल गई जैसे!
लेकिन वो हवस में पागल सा हो गया था।
उसने मुझे दीवार से सटा दिया और मेरे हाथों को दीवार से लगवा दिया, मेरे सिर को पकड़ कर वो मेरे मुंह को चोदने लगा।
उसके लंड का रस अब मेरे होंठों से बाहर बहकर गिरने लगा और साथ में मेरे मुंह की लार भी गले तक बहकर चल पड़ी।
मैं पूरा उसके कामरस में सनता जा रहा था।
बीच-बीच में मुझे उल्टी आने को हो जाता था लेकिन मजा भी आ रहा था जिससे मैं खुद भी मुंह को आगे पीछे करने लग जाता था।
फिर उसने लंड को मुंह से निकाल लिया और अपनी गोटियां मेरे होंठों पर अड़ा दीं।
मैं उसके मोटे-मोटे आंडों को मुंह में लेकर चूसने लगा।
मुझे उसके आंड चूसने में अलग ही मजा आ रहा था। लंड का स्वाद मुझे पसंद आया.
वो जैसे मेरे अंदर घुसने को उतारू हो चुका था।
कुछ देर आंड चुसवाने के बाद उसने फिर से लंड को मुंह में दे दिया।
मैं फिर से उसके लंड के प्रीकम का स्वाद लेने लगा।
दो-तीन मिनट तक मुंह को चोदने के बाद वो बोला- माल कहां निकालूं जानेमन?
मैंने कहा- मुंह में ही निकाल दो मेरे राजा!
फिर वो मुंह को कुछ पल चोदता रहा और फिर मुझे पास रखे टेबल पर लेटने के लिए कहा।
मैं टेबल पर लेट गया।
उसने मेरी शर्ट पूरी उतरवा दी और लेटे हुए के मुंह में लंड देकर चोदने लगा।
मैं लेटा हुआ उसकी जांघों और उसके चूतड़ों पर हाथ फिरा रहा था।
मुझे डिक सकिंग सेक्स में बहुत मजा आ रहा था।
वो अब लंड को पूरी ताकत से मेरे मुंह पर दबाने लगा।
मैं समझ गया कि इसका निकलने ही वाला है।
फिर उसने एकदम से वीर्य की पिचकारी मेरे मुंह में छोड़ना शुरू कर दिया।
उसके वीर्य का अजीब सा स्वाद मुझे मुंह में आने लगा।
पहली बार डिक सकिंग करके मैंने माल का स्वाद चखा था।
उसके माल का स्वाद मैं कभी नहीं भूल सकता।
फिर मैंने उसका लंड चाटकर पूरा साफ कर दिया।
मैं बोला- चलो ठीक है, अब जाना होगा।
वो बोला- हां, चलो ठीक है। वरना कोई ऊपर आकर देख लेगा।
उस दिन के बाद संतोष के साथ मेरा लंड चूसने का प्रोग्राम लगभग रोज ही बनने लगा।
हम उसके छोटे से कमरे में जाकर खूब मजे करते।
जब मेरे घर पर कोई नहीं होता था तो मैं भी उसको बुला लेता था।
कई बार रूम में हमने पूरे नंगे होकर भी मजे किए।
वो कहानी मैं आपको फिर कभी बताऊंगा कि कैसे-कैसे मैंने संतोष को नंगा करवा कर उसका लंड पीया।
आपको ये डिक सकिंग सेक्स कहानी कैसी लगी इस बारे में मुझे जरूर बताना।
मेरा ईमेल आईडी है
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