मैंने क्लासमेट का लंड चूसा

(Dick Suck Story)

मानव सिंह 2025-03-14 Comments

डिक सक स्टोरी में मुझे लड़कियां ही पसंद है लेकिन मुझे यह महसूस हुआ कि मुझे थोड़ा थोड़ा लड़कों की तरफ भी झुकाव है। ऐसे में मेरा क्लासमेट मुझे अच्छा लगने लगा.

दोस्तो, मेरा नाम मानव सिंह है।

अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है एवं मैं आशा करता हूं कि ये डिक सक स्टोरी आपको पसंद आए और साथ में आपकी कामुकता को और चंचलता दे।

जब मैं 18 साल का था तो उस वक़्त अपनी पढ़ाई के लिए हॉस्टल में रहता था।
मैं एक सुंदर, गोरा, अच्छी बॉडी वाला लड़का था।
हर दिन मैं जिम जाके एक्सरसाइज भी करता था जिस वजह से मेरा शरीर थोड़ा गठला और आकर्षक हो गया था।
मेरी छाती थोड़ी फूली हई थी।

आमतौर पर मुझे लड़कियां ही पसंद है लेकिन 18 साल की उम्र तक मुझे यह महसूस हुआ कि मुझे थोड़ा थोड़ा लड़कों की तरफ भी झुकाव है।

हमारे बॉयज हॉस्टल मैं वैसे तो कितने ही लड़के रहते थे लेकिन उन सब में मुझे बस कुछ ख़ास चुनिंदा लोगों पर ही आकर्षण था, जो जिम जाते थे, जिनकी छाती फूली हुई हो और जिनको हल्की दाढ़ी हो और जिनका चेहरा सुन्दर हो।

मेरी क्लास में 30 लड़के थे और मिलनसार होने के कारण मेरी सबसे अच्छी भी बनती थी.
लेकिन सभी में से मुझे जो सबसे अच्छा सुन्दर और आकर्षक लगता था उसका नाम था गौरव!

वह मेरा अच्छा दोस्त था हालांकि हम मेस, क्लास अक्सर साथ आया जाया करते थे.
शायद इसी वजह से उसके लिए मेरे दिल में भावनायें जाग उठी।

कभी कभी हॉस्टल में वो मेरे डॉर्मेटरी में आ जाता था तो कभी कभी मैं उसकी डॉर्मटेरी में चला जाता था।

हम दोनों की डॉर्मटेरी अलग थी लेकिन दोनों डॉर्मेटरी के वाशरूम एक ही थे जहाँ मुझे गौरव अक्सर दिख जाता था।
उसका क्या शरीर था … सुंदर, सुडौल, तना हुआ, छाती फूली हुई और उस पर छोटे छोटे बाल, सुंदर जाँघें, उन पर बाल, सुंदर होंठ, उसकी पीठ, उसके सुंदर बड़े चूतड़ मुझे जैसे मदहोश करते थे।

उसे कभी कभी बाहर खुले में नहाना पसंद था तो मैंने उसे दिन में अक्सर नहाते देखा था।

उसके ऊपर से गिरता हुआ पानी मुझे पिघला देता था।
वो खुले में हमेशा संडे की दोपहर में नहाता था इसीलिए मैं भी वहाँ ही किसी ना किसी बहाने से रहता था, अक्सर उसे देखता था और उससे बातें करता था।

वो बहुत मजाकिया किस्म का लड़का था, अक्सर मसखरी करता था।

उस दिन भी वो नहा ही रहा था और मुझसे बात कर रहा था.

नहाने के बाद जब उसने अपने निचले हिस्से पर तौलिया बाँधा तो उसके लंड का आकर आसानी से दिख रहा था।
कोई भी अंदाजन उसकी लम्बाई बोल सकता था।

उसके बाद उसने दूसरा अंडरवियर पहना जिसमें उसका लंड हल्का खड़ा था।

मैं उसे निहार रहा था.
तो वह अचानक बोला- यार मानव, मेरा लंड दिन प्रति दिन बड़ा हो रहा है।
मैं हँस पड़ा और उसे बोला- कम मुठ मारा कर!
वो भी हँस पड़ा और बोला- चल ठीक है, यही सही!

वो वहाँ से अपने कमरे में चला गया लेकिन मेरा दिल और दिमाग़ अभी तक उसके लंड पर अटका हुआ था और मेरी कामुकता उसके लंड को देखने के प्रति और तेज़ हो गई।

उसी रात 2 बजे मेरी अचानक से नींद खुली और मैं पेशाब करने बाथरूम गया.
और मुझे फिर से गौरव के लंड और उसके गठीले शरीर की याद आई।

मैं पेशाब करके लौट रहा था लेकिन मेरा मन गौरव के पास जाने का हुआ तो मैं मुड़ गया और उसकी डॉर्मटेरी चला गया।

जाहिर सी बात है रात के 2:30 बजे सभी गहरी नींद में होंगे.
लेकिन मैंने फिर भी एक बार इस बात को कन्फर्म किया कि क्या गौरव गहरी नींद में है?

ज़ब मुझे मालूम पड़ा कि हाँ वो अब गहरी नींद में है तो मैंने पहले उसके गुलाबी होंठों पर एक किस किया.
जिस पर उसने कोई भी हलचल नहीं की।

हालांकि पूरी डॉर्मटेरी में अंधेरा था लेकिन सब शांत था।

वो हमेशा बिना शर्ट के सोता है और नीचे एक शॉर्ट्स पहनता है.
उस दिन भी उसने शॉर्ट्स ही पहनी थी।

पहले मैंने उसके निप्पल को चूसा और लंड से ऊपर और नाभि से नीचे वाले हिस्से के गठीले हिस्से को थोड़ा चाटा।

उसके थोड़े बाल मेरे मुँह में आ रहे थे।

उसके बाद मैंने उसके लंड पर हाथ रखा.
हालांकि उस वक़्त उसका लंड खड़ा नहीं था लेकिन काफी मुलायम और सॉफ्ट था।

मैंने हिम्मत जुटा के उसके शॉर्ट्स के अंदर हाथ रखा, उसने उस दिन अंदरवियर नहीं पहना था जिसकी वजह से मेरा हाथ आसानी से उसके लंड के पास पहुँच गया।

आह! क्या लंड था!
इतना गर्म और मुलायम, नीचे उसके बड़े बड़े टट्टे जैसे पूरे वीर्य से भरे हों!

मैंने जोश के साथ उसके शोर्ट्स को खींचा और उसके लंड को चूसना शुरू किया।

8-10 मिनट चूसने के बाद भी उसका लंड खड़ा नहीं हुआ लेकिन हल्का सा तन जरूर गया था।

अँधेरे में भी में उसके सुपारे और लंड को महसूस कर रहा था.
उससे पेशाब की हल्की महक और नमकीन स्वाद आ रहा था.

और उसके लंड के चारों तरफ की झांटें मुझे मस्त कर रही थी जो उसने शायद कुछ दिन पहले ही काटी थी।

साथ में मेरा लंड भी खड़ा हो गया।

मैंने उसका लंड 10 मिनट चूसने के बाद उसके शॉर्ट्स ऊपर कर दिए और वहीं खड़े खड़े अपने लंड की मुठ मारी और वीर्य गौरव के लन्ड पर लगा दिया और वापिस अपने डॉर्मेटरी में सोने आ गया।

मेरी थोड़ी कामुकता कम हुई और मैं सो गया।

जब दूसरी सुबह मैं नहाने गया तो वह भी सामने से नहाने के लिए आया.
और उस वक़्त एक ही बाथरूम खाली होने की वजह से हम दोनों एक साथ नहाने लगे.
हालांकि हमने अंडरवियर पहन रखे थे।

नहाते नहाते हम दिन भर के होने वाले काम की ही बात कर रहे थे.
लेकिन मेरा दिमाग उसके लंड पर ही था और मेरी आँखें भी
जिसकी वजह से मेरे जिस्म पर भी हवस की लहरें दौड़ रही थी और मेरा लंड भी पूरा तन कर तैयार होने को था.

लेकिन मैंने जैसे तैसे अपने आप को संभाला।

अचानक से वो बोल पड़ा- यार मानव, कल रात पता नहीं कैसे मेरा वीर्य निकल गया. हालांकि मैंने मुठ भी नहीं मारी?
मेरा चेहरा पीला पड़ गया, मुझे लगा कि शायद इसे मालूम हो गया है, इसने मुझे अपना लंड चूसते हुए देख लिया था.

मैं कुछ नहीं बोला और उसकी तरफ देखा।
वो बोला- छोड़, शयद काफ़ी बार खुद भी वीर्य निकलता है।
तब जाकर मुझे थोड़ा आराम मिला कि इसे कोई भनक नहीं है।

मैंने तो अपने कपड़े वहीं बदल दिए थे.
लेकिन अब थी गौरव की बारी.

उसने टॉवल लपेट के अपने गीले कच्छे को उतार कर दूसरा पहना, जिसमें उसका लौड़ा थोड़ा तन सा गया था मस्त मोटे आकार का!

फिर वह पैन्ट पहनने लगा.
और उसी वक़्त मैं साबुन उठा रहा था जो गिर गया था.
तो मेरा हाथ गलती से उसके लंड के सुपारे पर लगा तो मेरे शरीर मैं जैसे करंट सा दौड़ गया।
मेरा लंड तन गया, मन तो कर रहा था कि गौरव की पैन्ट फाड़ कर उसका लंड खा जाऊं।

फिर हम क्लास में चले गए।

शाम को हमने एक साथ असाइनमेंट करने का एक साथ फैसला लिया.
हम उसके बेड पर 12 बजे तक काम कर रहे थे.

लेकिन उसके बाद सबको सोना था तो बाकी काम हमने दूसरे दिन करने की ठानी।

फिर मैं वापिस अपने कमरे को आ रहा था, तो वो भी साथ बाथरूम जाने के लिए चल पड़ा।

वो पेशाब करने लगा और मैं उसके बिल्कुल पीछे अपने लंड को मसलकर उसको देख रहा था।

तभी उसके हाथ से पेन गिर गया और उसने मुझे उठाने के लिए बोला.

जैसे ही मैं पेन उठाने के लिए उस तरफ गया, वो मुड़कर अपने लंड को आगे पीछे करके पेशाब साफ कर रहा था.
उसका लंड मेरे सामने बिल्कुल … वो अभी भी ढीला ही था, तना हुआ नहीं था लेकिन उसका लाल सुपारा पेशाब की बूंद से सना हुआ.

शयद उसे मुझसे शर्माने की कोई जरूरत नहीं दिखाई पड़ी.
उसने इसी तरह अपने लंड को दो तीन बार झाड़ कर रख दिया और हाथ धोने के लिए मुड़ा।

अब मुझसे रहा नहीं गया।
उसने शॉर्ट्स पहने थे.

मैंने जाकर हल्के से उसके लंड को छुआ और कहा- तुमने सही कहा था कि काफी बड़ा है।
वो मुस्कुराने लगा.
शायद उसे यह एहसास नहीं था कि मैं किस भावना से बोल रहा हूं।

मैंने उसे खींचा और सामने वाले बाथरूम मैं जाकर दरवाज़ा बंद कर लिया और उसके होंठ से होंठ लगा लिए और समूच शुरू कर दिया.
लेकिन उसने कुछ ना बोला, ना रोका।
वो भी इस चुम्बन का पूरा मजा ले रहा था।

मैंने अपने हाथ से उसके लंड को छुआ.
पूरा तना हुआ खड़ा, उसके टट्टे पूरे फूले हुए, सुपारा जैसे फटने वाला हो।

हम एक दम नंगे हो गए.
उसने कहा- मानव लंड तो तेरा भी बड़ा है!

मेरे लंड से वीर्य की कुछ बूँदे निकलने लगी थी.
तो वो झुक कर उसे चाटने लगा.
डिक सक से मेरे मुँह से आह आह आह की आवाज निकल गई।

उसने थोड़ा तेज़ी से चूसा तो मेरे लंड का सारा वीर्य निकल गया जो वो पी गया।

उसके बाद फिर से लम्बे चुम्बन के बाद मैंने उसके लंड की मुठ मारी, उसे चूसा और उसके लंड का रस पी गया।

इसी तरह हमने फिर से लम्बा चुम्बन लिया और मैंने थोड़ा सा उसकी गांड को चूमा।
फिर हम साथ में नहाये और सोने चले गए।

आगे की कहानी कभी और …
डिक सक स्टोरी पर आप अपने विचार मुझे बताएं.
धन्यवाद.
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