बस में मिले लड़के का लंड चूसा
(Desi Gay Story: Bus Me Mile Ladke Ka Lund Chusa- Part 9)
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keyboard_arrow_left शादी में चूसा कज़न के दोस्त का लंड-8
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शादी में चूसा कज़न के दोस्त का लंड-8
इस देसी गे स्टोरी में अभी तक आपने पढ़ा…
मैंने देखा कि लड़की ने उसके लंड पर हाथ रखा हुआ है और वो आँखें बंद करके आनन्द ले रहा था, लड़की उसके लंड को सहला रही थी, कभी उंगलियों से पकड़ लेती तो कभी पूरा हाथ रख देती थी.
दोनों अपनी मस्ती में थे.
इस नज़ारे ने मेरे अंदर तूफान सा ला दिया, मैं बेशर्मों की तरह उनका खेल देखने लगा.
लड़की बार-बार उसके लंड को सहला रही थी और साथ में ध्यान भी रख रही थी कि कोई देख तो नहीं रहा है. लेकिन जैसे ही वो बस में यहाँ वहाँ देखती, मैं सीट से कमर लगाकर आँख बंद कर लेता था और हल्के से गर्दन उनकी तरफ टेढ़ी करके फिर देखने लगता.
अब सहलाते-सहलाते वह लड़का काम वासना में भर चुका था और उस लड़की के सूट के ऊपर से उसकी चूचियों पर अपना हाथ फेरने लगा था. वो धीरे-धीरे प्यार से उसकी चूचियों को दबा रहा था और वो लड़की उसके लंड को पूरा हाथ में भर लेती थी और मसल रही थी.
लड़के का लंड तनकर पैंट में किसी रॉड की तरह लगने लगा था.
अब लड़के ने लड़की के सूट के नीचे से हाथ उसकी छाती की तरफ बढ़ा दिया और उसकी ब्रा के ऊपर से उसके चूचों को मसलने लगा. दोनों अपनी हवस में मशगूल हो चुके थे.
लड़के से रहा नहीं गया और उसने अपनी पैंट की जिप खोल दी और लंड को अंडरवियर से बाहर निकालते हुए लड़की के हाथ में दे दिया. वो लड़की उसके खड़े लंड को हाथ में लेकर उसकी मुट्ठ मारने लगी और लड़के ने जोश में आकर लड़की का मुंह अपनी तरफ करते हुए उसके होठों को चूसना शुरू कर दिया. वो एक हाथ से उसकी चूचियों को मसल रहा था और दूसरा हाथ लड़की के सिर के पीछे रखकर उसको किस कर रहा था.
इधर लड़की धीरे धीरे उसके लंड को हाथ में लेकर सहला रही थी और चूड़ियों की खन-खन मेरे कानों तक भी पहुंच रही थी.
अब लड़के ने उस लड़की को सीधा कर दिया और उससे सलवार की गांठ खोलने का इशारा किया. लड़की ने फिर यहाँ वहाँ देखा और मैंने नजरें हटा लीं. कुछ सेकेन्ड बाद लड़की ने अपनी सलवार की गांठ खोल दी और लड़के ने उसकी सलवार में हाथ डाल दिया. लड़की हवस में पागल हो गई और कमर अपनी सीट से लगाकर आँख बंद करके आराम की मुद्रा में बैठ गई. उसकी फैलती हुई टाँगें बता रही थीं कि लड़का उसकी चूत को सहला रहा है, वो होठों को दबाती हुई इस क्रिया का आनन्द ले रही थी.
इधर लड़के का लंड सांप की भांति उसकी जिप से बाहर निकला हुआ था जिसकी टोपी को वो लड़की ऊपर नीचे करते हुए लड़के को बेकाबू किए जा रही थी. अब लड़के के सब्र का बांध टूट गया और उसने लड़की का सिर अपनी गोद में रखवाने का नाटक करते हुए सीधा खड़ा हुआ लंड उसके मुंह में दे दिया लेकिन लड़की ज्यादा हरकत नहीं कर रही थी. वो बस लंड को मुंह में लेकर लेटी हुई थी.
इतने में उस लड़के की नज़र फिर मुझ पर चली गई लेकिन मैंने भी इस बार नज़र नहीं हटाई और वो मेरी तरफ देखकर मुस्करा दिया और बदले में मैं भी…
अब उसने लड़की का सिर पकड़कर ऊपर नीचे करना शुरु कर दिया और बड़े प्यार से लड़की उसका लंड चूसने लगी.
लड़के के आनन्द का ठिकाना न रहा… वो कभी मेरी तरफ देखता और कभी अपना सिर सीट से लगाकर लंड चुसाई का आनन्द लेने लगता.
मेरी हवस मेरे काबू से बाहर हो गई थी… मैं भी चाह रहा था कि कोई लंड मेरे मुंह में भी चला जाए और मैं उसको ऐसे ही प्यार से चूसूं…
कुछ देर बाद लड़के ने उसके सिर से पकड़ ढीली कर दी… मैं समझ गया कि उसका वीर्य निकल चुका है जिसे उस लड़की ने पी लिया.
लड़की सीधी होकर बैठ गई और लड़के ने अपना आधा सोया हुआ लंड जिप के अंदर वापस डाल लिया और दोनों पहले वाली पॉजिशन में आराम से बैठ गये.
इतने में खरखौदा का स्टैंड भी आने ही वाला था और कुछ देर में बस खरखौदा स्टैंड पर पहुंच गई. अब रात हो चुकी थी और बस की लाइटें जला दी गईं. बस आधा रास्ता तय कर चुकी थी और आधा अभी बाकी था.
कंडक्टर ने आवाज़ लगाई कि जिसको भी पेशाब वगैरह करना है जाकर कर सकता है इसके बाद बस सीधी बहादुरगढ़ जाकर ही रुकेगी.
यह सुनकर कई सवारियाँ अंगड़ाई लेते हुए बस से बाहर जाने लगीं और वह लड़का भी उठ खड़ा हुआ क्योंकि वीर्य छूटने के बाद अक्सर पेशाब का प्रेशर बन जाता है और शायद वह लड़का भी पेशाब करने ही जा रहा था.
मैंने सोचा कि इसका लंड करीब से देखने का अच्छा मौका है इसलिए मैं भी साथ ही बस से नीचे उतर गया और उसके पीछे-पीछे चलने लगा.
खरखौदा का स्टैंड ज्यादा बड़ा नहीं था इसलिए रात के वक्त अक्सर लौंडे बाहर ही पेशाब करने लगते हैं. और वो लड़का भी दूर के एक कोने की तरफ अपनी भारी सी गांड मटकाता हुआ और अंगड़ाई लेता हुआ पेशाब करने के लिए चला जा रहा था. उसकी चाल से तो वो भी जाट ही लग रहा था. मैं उसके पीछे-पीछे अपनी हवस से बेबस होकर उसके लंड को करीब से देखने की चाह में बढ़ा जा रहा था.
वहीं बस स्टैंड की साइड में कुछ झाड़ियाँ थीं जहाँ पर बस अड्डे की हल्की हल्की रोशनी आ रही थी, वो जाकर वहाँ पर पेशाब करने लगा और ठीक उसके साथ ही मैं भी जाकर खड़ा हो गया.
वो दोनों हाथ कमर पर टिकाए हुए वहाँ पर सुकून से मूत रहा था… मतलब उसने अपना लंड पकड़ भी नहीं रखा था फिर भी उसकी धार काफी दूर तक जा रही थी. यानि मैं समझ गया कि इसका लंड काफी लंबा और मोटा है जिसको मूतते समय पकड़ने की जरूरत भी नहीं पड़ती है.
और वाकयी था भी उसका भारी भरकम लंड जिसने उस लड़की को बस में उसे अपने मुंह में लेने पर मजबूर कर दिया.
खैर यह सब सोच ही रहा था मैं, तभी उसने मेरी तरफ देखा… मैं उसके लंड भरपूर देखने की कोशिश कर रहा था.
तभी वो बोला- क्या देख रहा है भाई?
मैं थोड़ा हिचका और कहा- कुछ नहीं. मैं तो ऐसे ही यहाँ पर आपके पीछे पेशाब करने चला आया.
अगले पल उसने कहा- पेशाब करने आया है या तुझे भी लंड लेने का शौक है?
वो समझ गया कि मैं गे हूँ, पर मैंने कहा- नहीं, ऐसी तो बात नहीं है… मैं तो बस यूं ही… देख रहा था.
उसने कहा- अच्छा… ले तो फिर ढंग से ही देख ले.
कहकर वो मेरी तरफ घूम गया और उसके लंड पर बस अड्डे की तरफ से आ रही लाइट पड़ने लगी. उसका लंड अभी भी आधा खड़ा हुआ था और लगभग 6 इंच का लग रहा था. पैंट में से उसके लटकते लंड को देखकर मेरी हवस ने उछाला मारा.
और जब उसने देखा कि मैं उसके लंड को ध्यान से देख रहा हूँ तो उसका लंड अपने आकार में आने लगा और देखते ही देखते 8 इंच तक लंबा हो गया.
अब मेरी जीभ मेरे होठों पर बाहर निकल आई और उसने भी भांप लिया कि मैं उसके लंड को चूसना चाहता हूँ.
यह देखकर उसने अपना 8 इंच का लौड़ा अपने हाथ में लिया और उसको एक दो बार मुझे दिखाते हुए हिलाया… हिलाने के बाद वो और टाइट होकर तन गया और लगभग 9 इंच तक पहुंच गया और 4 इंच तक मोटा हो गया.
‘बाप रे…’ मेरे मुंह से अचानक ही ये शब्द निकले.
उसने हवस भरी आवाज़ में पूछा- क्या हुआ… डर गया क्या देखकर?
मैंने कहा- इसे देखकर तो कोई भी डर जाएगा.
उसने कहा- नहीं, ऐसी बात नहीं है, जो इसको प्यार करता है ये भी उसको खुश कर देता है, अगर यकीन न हो तो इसको टच करके देख ले.
अब मैं सोचने लगा… ये खुद ही मुझे अपने लंड को हाथ में लेने के लिए कह रहा है… एक बार देखूं तो सही कैसा लगता है इतना बड़ा लंड हाथ में लेकर…
उसने कहा- चल थोड़ा और अंधेरे में चलते हैं, यहाँ कोई न कोई देख लेगा.
कहकर हम आगे झाड़ियों के पीछे चले गए. वहाँ जाकर मैंने उसके लंड को हाथ में ले लिया और हाथ में लेते ही मेरी काम वासना उबाल खाने लगी. इतना बड़ा़ लंड मैंने कभी हाथ में नहीं लिया था. मेरे मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगीं… जैसे-जैसे मैं उसके लंड के टोपे को आगे पीछे कर रहा था वैसे वैसे उसका लंड और कड़ा हो रहा था.
मुझसे रहा नहीं गया और मैं उसको मुंह में लेकर चूसने के लिए नीचे बैठ गया और बैठते ही उसके खडे़ लंड को मुंह में भर लिया जिससे उसकी भी आह निकल गई. लंड इतना बड़ा़ था कि मेरे मुंह में आधा ही जा रहा था.
चूंकि उसने अभी कुछ देर पहले ही अपनी पत्नी को माल पिलाया था तो वो ज्यादा जोश में नहीं था और जैसे मैं चाह रहा था अपनी मर्जी से उसके लंड को लॉलीपोप की तरह चूस रहा था.
उसके लंड से वीर्य की तेज गंध आ रही थी जो कुछ ज्यादा ही तीखी थी.
फिर उसने अपने आँड भी बाहर निकाल लिए… बोला- ज़रा इनको भी प्यार कर दे…
और मैं उसके बड़े-बड़े आँडों को जीभ से चाटने लगा.
अब उसके हाथ मेरे सिर पर पकड़ बना रहे थे, उसको अच्छा लग रहा था और वो अपनी गांड आगे धकेलता हुआ मुझे अपने आँड चुसवा रहा था. मेरे हाथ उसकी मोटी गांड पर कसने लगे थे. दोनों मस्ती में होने लगे… वो चुसवाने की और मैं चूसने की!
5-7 मिनट तक उसके लंड को मैंने खूब चूसा, कभी उसके आँडों को और कभी उसकी झाटों को… लेकिन वो था कि झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था.
उसने कहा- जल्दी कर साले, बस चलने वाली है.
मैं और तेज-तेज उसके लंड पर चोपे मारने लगा.
उसने कहा- ये बात… अब आ रहा है मज़ा…
कहकर उसने पूरा लंड मेरे घुसेड़ना चाहा लेकिन इतना बड़ा लंड अंदर जाता कैसे? इसलिए मेरी सांस घुटने लगी… पूरा घुसेड़ने के बाद भी उसका रॉड जैसा लंड 3 इंच तक बाहर ही था… मेरी आँखों से पानी आना शुरु हो गया.
और उधर से कंडक्टर ने सीटी मार दी- बहादुरगढ़ वाली बस चलने वाली है, कोई सवारी बाहर है तो बस में आकर बैठ जाए.
यह सुन कर उसने कहा- चल तेरे बस का नहीं है. ये लड़कियों के मुंह में जाकर ही झड़ता है.
कहकर उसने मेरे थूक से सना हुआ अपना लौड़ा हाथ से हिलाना शुरु कर दिया और मुझे वहीं अपने सामने बिठाए रखा… उसके हाथ की स्पीड बहुत तेज थी, वो इस्स आह… इस्स आह… करता हुआ अपना लंड अपने हाथ में भरकर तेज तेज मेरी नाक के सामने मुट्ठ मार रहा था. उसके बड़े-बड़े आँड उसके हाथ से टकरा कर फट्ट फट्ट की आवाज कर रहे थे… उसकी स्पीड और जोश थोड़ा और बढ़ा वो थोड़ा झुकने लगा और 2 मिनट के अंदर ही उसके वीर्य की पिचकारी मेरे चेहरे पर आकर लगी.
वीर्य छूटते ही उसने अपना लंड मेरे होठों पर रगड़ना शुरु कर दिया और जब तक उसने बदन ने झटके मारना बंद नहीं किया वो अपने लौड़े को मेरे होठों पर रगड़ता रहा. मेरा सारा चेहरा उसके वीर्य से सन गया और वो जल्दी से अपना लंड पैंट के अंदर वापस फंसाकर झाड़ियों के पीछे से निकल गया.
रूमाल से चेहरा पौंछते हुए मैं भी वहाँ से निकल आया. वो वहीं पर पानी की टंकी के पास हाथ धो रहा था और मैं वहाँ जाकर अपना मुंह धोने लगा.
हाथ धोते हुए उसने पूछा- कितनी बार चुदा है अभी तक?
मैंने कहा- दो बार!
तो वो बोला- मुझसे चुदना चाहेगा?
मैंने कहा- आपकी तो नई-नई शादी हुई है, और बीवी भी है… आपको गांड की क्या जरूरत?
उसने कहा- वो मेरी बीवी नहीं है, मेरे दोस्त की वाइफ है जिसको मैं सोनीपत से उसके ससुराल छोड़ने जा रहा हूँ.
आगे की देसी गे स्टोरी जल्दी ही अगले भाग में…
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