गांड में लंड लेने व पेलने का नशा- 2

(Desi Gay Gay Story)

देसी गे गे स्टोरी में एक लड़के ने स्कूल टाइम में अपने पहले गांडू सेक्स की घटना लिखी है. वह अपने दोस्त के घर पढ़ने जाता था. वही दोस्त के दोस्त के साथ खेल शुरू हुआ था.

दोस्तो, मैं आपका साथ आजाद गांडू एक बार पुनः अपनी गे सेक्स कहानी के अगले भाग के साथ हाजिर हूँ.
कहानी के पहले भाग
गांड मारने मरवाने की लत कैसे लगती है
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैंने नवीन और कामेश के बीच हुए गुदा मैथुन को देख चुका था, उसके बाद से मैंने उन दोनों से मिलना छोड़ दिया.

अब आगे देसी गे गे स्टोरी:

एक स्कूल की एक्सट्रा क्लास में वे दोनों मिले, पर ज्यादा बात नहीं हुई.
अगले दिन नवीन मेरे घर आया और बोला- अरे यार! तुम आए नहीं, मैथ्स और इंगलिश तुम्हारे बिना समझ में ही नहीं आती! चलो मिल कर पढ़ेंगे … तुम्हारा भी अकेले मन नहीं लगता होगा?

उसने मेरा बस्ता़ खुद उठा कर अपने कंधे पर लटका लिया, मुझे कैरियर पर बैठने की कह कर साईकिल की सीट पर बैठ गया.
रास्ते में स्कूल का एक और साथी मिला.

वह हम दोनों को देख कर बोला- कहां जा रहे हो?
वह मुझे बड़े ध्यान से घूर रहा था.

फिर वह नवीन से बोला- बहुत दिन से मिले नहीं, एक दिन मिल लेते!
नवीन उससे बोला- अभी नहीं मिल सकता, आजकल इम्तिहान हैं. पढ़ाई कर रहा हूं.

वह बोला- इनके साथ? मेरे कमरे पर आ जाओ … मिल कर पढ़ेंगे और काम भी हो जाएगा. साथ पढ़ेंगे भी और तेरे उसको भी मस्त़ कर दूंगा.
नवीन- चल बे, एक महीने नहीं मिलूंगा, इम्तहान के बाद बात करियो.

वह- हां अब इसके आगे मैं कहां?
नवीनने गाली दे दी- मादरचोद भग इधर से … जब मिलता है बहन का लंड अंटसंट बातें ही करता है.

उधर से कमरे पर आ गए.

आज फिर से नवीन ने मेरे आगे लेटते ही जागते हुए भी मेरे सामने ही कामेश की गांड मारी.

फिर वह मुझसे बोला- भैया, तुम भी इसकी मारोगे?
मैं बोला- वह मेरे से तैयार होगा?

तो नवीन बोला- मैं तैयार कर दूंगा, तुम हां तो बोलो!
यह सुनकर कामेश मुस्करा दिया.

अभी नवीन का लंड कामेश की गांड में ही डला हुआ था, उसने बाहर निकाला नहीं था.
वे दोनों मेरे से खुल गए थे.

मैं ना करना भी नहीं चाहता था इसलिए मैंने टालने के लिए कह दिया कि अगर नवीन करवाएगा तो करूंगा!

मुझे लगा था कि नवीन मुझसे मरवाने के लिए तैयार नहीं होगा.

पर नवीन बोला- अरे ये तैयार है, माशूक लौंडा है. मैंने अभी मारी है, ढीली व गीली रखी है, तुम्हारा तो सटाक से चला जाएगा. ज्यादा मेहनत भी नहीं करना पड़ेगी. जल्दी से निपट लो. यह भी तैयार है, मजा ले लो.
मैं चुप रहा, मात्र मुस्करा दिया.

नवीन दुबारा मेरी ओर देखता रहा.
मेरी चुप्पी का मतलब समझ कर बोला- तो, नहीं?

नवीन ने अपना लंड कामेश की गांड से निकाल लिया था.
वह अपना अंडरवियर नीचे खिसका कर बोला- तुमने मेरी मारने को कहा है, तुम्हें मेरी मारने में ज्यादा मजा तो नहीं आएगा, कामेश बहुत माशूक है. तुम्हारे बराबर का है, चिकना है, पर तुम्हारी इच्छा!

अब मैं तैयार हो गया.
उसने अपना अंडरवियर नीचे खिसकाया और नंगा होकर औंधा लेट गया.

कामेश ने मेरा हाफ पैंट खोल दिया.
मैंने नीचे और कुछ नहीं पहना था.
मैं नंगा हो गया.

उसने मेरा लंड हाथ से सूंतना शुरू कर दिया; फिर लपक कर अपने मुँह में डाल लिया व चूसने लगा.

फिर लंड उगल कर मुझे पकड़ कर नवीन के ऊपर खड़ा कर दिया.

नवीन औंधा लेटा था, मैं उसकी जांघों के ऊपर दोनों टांगें करके खड़ा हो गया.

तब कामेश बोला- मादरचोद … बैठ कर ले.
मैं घुटने मोड़कर बैठ गया.
मेरा लंड खड़ा था, वह कामेश के थूक से गीला था.

कामेश तेल की शीशी ले आया और तेल भी लंड पर चुपड़ दिया.

मैंने अपने हाथ में तेल लेकर नवीन की गांड पर चुपड़ा और दो उंगली उसकी गांड में डाल दीं.
नवीन एकदम से चिंहुक कर बोला- अबे! धीरे धीरे!

फिर मैंने अपना लंड उसकी गांड में घुसाया.
जब लंड उसकी गांड में पूरा घुस गया तो नवीन गांड चलाने लगा, बार बार ढीली कसती करने लगा.

मैंने लंड निकाल कर दुबारा से लंड सूंत कर उसकी गांड पर टिकाया और धक्का देकर अन्दर पेल दिया.
नवीन जानबूझ कर ‘आह … आह …’ करने लगा.
मेरा पूरा लंड अन्दर घुस गया.

वह गांड ढीली किए था, मुझे चूतिया बना रहा था और अपनी गांड मरवा कर मजे ले रहा था.

मैं जब तेज गति से लंड अन्दर बाहर करने लगा तो वह चिल्लाया- जे हैं गांड फाड़ू झटके … वाह वाह!

वास्तव में वह मेरे मजे ले रहा था.
वह मेरे से बड़ा लौंडा था, उसकी गांड बड़ी थी.

उसने मेरे से पहले भी बड़े बड़े लंड अपनी गांड में डलवाए थे जबकि किसी लौंडे की गांड मारने का यह मेरा पहला मौका था.

नवीन मेरे स्कूल के मास्टर साहब से रेगुलर गांड मरवाता था.
एक बार वह स्कू‍ल में गणित के मास्टर से गांड मरवाते पकड़ा गया था.
दुबारा स्कू‍ल की छत पर एक माशूक लौंडे की मार रहा था कि किसी दूसरे लौंडे ने जासूसी कर दी.

वह गांडू लौंडा एक मास्टर साहब का भतीजा था, बड़ी ले दे मची.
उसके कैरियर का और माशूक गांडू लौंडे की बदनामी का सोच कर मामला रफा दफा हो गया.

मास्टर साहब, जो लौंडे के चाचा थे … वे तो बहुत लाल पीले हो रहे थे.
इस पर उसे निकाल दिया गया.

मेरी गांड खुद उसकी मारते समय फट रही थी इसलिए मैं बड़ी देर तक रगड़ाई करता रहा!
पहले तो लंड ही ढीला था, बाद में टाईट हो गया था.

लंड से पानी बड़ी देर से निकला या शायद नहीं निकला … मेरा मारने का पहला मौका था.
मैं बेशऊर था, नया सिक्खड़.

इसे उन दोनों ने मतलब नवीन और कामेश ने मेरा स्टेमिना समझा.
इतनी देर तक भयंकर रूप से रगड़ाई करते रहे … न थके न ढीले पड़े.

वे दोनों आश्चर्य चकित हो रहे थे.
नवीन ने सोचा था कि लौंडा है, दो चार धक्के देकर निपट लेगा.

अब वह खुद बोला- भैया जी ने तो गांड की ऐसी तैसी कर दी. इतनी रगडाई तो मास्साब भी नहीं करते. हां हथियार उनका बड़ा है, पर भैया के गांड फाड़ू धचके … वाह वाह लाल कर दी, बुरी तरह चिनमिना रही है.

उसने बढ़ कर मेरा जोरदार चूमा ले लिया और बड़ी देर तक होंठ चूसता रहा.
फिर मेरे चूतड़ दबाता रहा जो उसका असली निशाना थे.

वह सही कह रहा था या शायद मेरा दिल रख रहा था … बन रहा था.

अब मेरी शामत आना थी.
भाइयो, दिल थाम कर मेरी दास्तान सुनें.
वे खासकर, जिन्होंने जब वे मेरी तरह चिकने दुबले पतले माशूक लौंडे थे और गांड ने किसी खड़ूस लौंडेबाज का भयंकर लंड झेला था, उसकी टक्करों से गांड छिलवाई थी.

दो-तीन दिन में तीन बार उसने मुझसे गांड मरवाई.
एक बार जबरदस्ती मुझे कामेश की गांड मारना पड़ी.
कामेश ने भी मेरी बहुत तारीफ की, वह भी साला लग रहा था कि बन रहा है या मेरा दिल रख रहा है.

था तो वह भी पुराना गांडू … उसकी गांड ने भी तो बड़े बड़े लंड झेले थे.
फिर मेरी इतनी तारीफ क्यों?

दरअसल यह उन दोनों का षड़यंत्र था.
वे मुझ माशूक चिकने लौंडे की लेना चाहते थे, इसलिए भोसड़ी वाले मुझे पटा रहे थे.
आखिर उनकी कोशिश रंग लाई.

नवीन ने मेरा जोरदार किस लेते हुए किस किया.
वह अपने दांतों से मेरे होंठ चबा रहा था.

साला खींसें निपोरते हुए बोला- भैया अब मेरे से!

वह मुझे कसके बांहों में लिए था, कसके चपेटे था और एक हाथ से मेरे हाफ पेट के बटन खोल रहा था.

उसने मेरा हाफ पैंट खेाल दिया.
वह ढीला होते ही टांगों से नीचे खिसक गया.

अब वह हाथ बढ़ा कर मेरे चूतड़ मसकने लगा, फिर घुटनों के बल बैठ गया और मेरे चूतड़ मसकते हुए अपने दोनों हाथों की मुट्ठी से मेरे दोनों चूतड़ों को अलग अलग करके मेरी गांड चाटने लगा.
बड़ी देर तक चाटने के बाद वह फिर से मेरे गाल व होंठ चूमते हुए बोला- भैया, अब डाल रहा हूं!

उसने डालने से पहले मुझे दीवार की ओर मुँह करके खड़ा कर दिया और अपने लंड पर बहुत सा थूक लपेट कर अपना हथियार मेरी गांड पर टिका दिया.
मेरी गांड में कुलबुली होने लगी थी.

तभी उसने धक्का लगा कर लंड अन्दर कर दिया.
मैं दर्द के मारे ‘आ … आ …’ कर उठा और बोला- धीरे से!
तो वह बोला- थोड़ा सबर करो.

कुछ और अन्दर डालते हुए बोला- बस बस … हो गया.
यह कहते कहते उसने पूरा डंडा अन्दर पेल दिया.

मैं तड़फ उठा.
वह बोला- बस … हो गया … अब रूक जाता हूं.

उसने अपने दोनों हाथ मेरी कमर पर लपेट दिए और मुझसे चिपक गया.

वह थोड़ी देर रूका रहा, फिर बोला- बहुत टाईट है … अभी किसी से करवाई नहीं?

मैं कुनुमुनाया- आह लग रही है … प्लीज निकाल लो!
नवीन- बस अभी निकालते हैं, ढीली करके खड़े रहो और टांगें जरा चौड़ी कर लो. बस अभी दर्द बंद होता है.

उसने मेरी गर्दन के पीछे हाथ से इशारा किया- थोड़ा आगे झुक जाओ.
मैं झुक गया.

अब वह हल्के हल्के धक्के देने लगा और बोला- थोड़ी देर में ढीली पड़ जाएगी, तो तुम्‍‍हें भी मजा आने लगेगा. सबर करो, बस टाईट नहीं करना … ऐसी ही ढीली रखे रहो, थोड़ी देर खड़े रहो बस मजा आने ही वाला है … कभी करवाई नहीं न इसलिए दर्द हुआ!

मैंने इन्कार में सिर हिलाया तो वह खुश हो गया कि वह क्लास के सबसे नमकीन लौंडे की पहली बार मार रहा है.
उसने उत्साह से मेरा मुँह चूम लिया.
उसके झटके जोरदार हो गए.
पर असल में मैंने उससे झूठ बोला था.

मैंने गर्मियों में इस समय से पांच छ: महीने पहले अपने नौकर कल्लू से मरवाई थी. वह मेरे खलिहान में मेरे हलवाहे का बेटा था.

वह लगभग बीस-बाईस साल का छरहरी देह का नौजवान था, जो मेरे से व नवीन से भी लम्बा व तगड़ा था; जरूरत से ज्यादा ही काला था … और एक भयंकर लम्बे मोटे हथियार का मालिक था.

उससे मरवाने के बाद दो-तीन दिन तक गांड दर्द करती रही.
साला मेरे से तो ऊंचा था भी, उसी ने गर्मियों में मेरी मार मार कर ढीली कर दी थी.

जब छुट्टियों मैं खलिहान में जाया करता था, वहीं गांड में लंड के झटके झेलने का मेरा पहला अनुभव हुआ था.

आज मैंने उससे यह बात छुपा ली थी.
वरना बंदे का उत्साह कम हो जाता.
उसने मुझे बहुत पटाया था.

जबकि अपने दोस्त कामेश को मराते देख मेरी गांड खुद ही कुलबुलाने लगी थी.
मैं उसके लंड को देख कर गांड में डलवाने को मचल उठा था.

मैं अपनी मरवा तो नवीन से रहा था और मुझे याद अपने नौकर कल्लू का मस्त लम्बा मोटा लंड याद आ रहा था.
उसका लंड नवीन से भी मोटा था.

कल्लू नवीन से बड़ा था, उसकी दाढ़ी मूंछें आ गई थीं, ज्यादा लम्बा तगड़ा था, लंड भी मस्त था.

अब मेरी ढीली हो गई थी, फिर भी हल्का हल्का दर्द तो हो ही रहा था.
नवीन के झटकों की रफ्तार बढ़ गई थी.

वह मुझे देसी गे गे सेक्स में मस्ती से चोद रहा था कि अचानक से रूक गया; वह बोला- भैया थोड़ा अब लेट जाओ.
मैं फर्श पर औंधा लेट गया और वह मेरे ऊपर चढ़ बैठा.

उसने फिर से थूक लगा कर लंड अन्दर डाला और चालू हो गया.
खचाखच अन्दर-बाहर, अन्दर-बाहर … धच्च– फच्च, धच्च- फच्च!

मुझको भी मजा आने लगा.
मेरी गांड भी हरकत करने लगी.
यह देख कर वह खुश हो गया- अब तो ढीली हो गई … क्यों मजा आ रहा है न?
मैंने ‘हम्म’ कहा.

कुछ देर और चुदाई करने के बाद वह पूरा लंड गांड के अन्दर डाल कर एकदम से चिपक कर रह गया.
वह झड़ रहा था, उसका पानी छूट गया था.

कुछ देर बाद हम दोनों अलग हो गए.
मैं कपड़े पहन रहा था तो उसने रोका.

मालूम हुआ कि अब मेरी कामेश मारना चाहता था, वह भी निपट लिया.

वे दोनों मेरी मार कर अति प्रसन्न थे.

इस तरह एक महीने बाद हम सबकी परीक्षा हुई.

मेरा मेरे कस्बे में सबसे ज्यादा नम्बर आए.
मैं अपने स्कूल में फर्स्ट क्लास फर्स्ट आया.
कामेश भी पास हो गया, पर उसके केवल पासिगं मार्क्स आए थे.

नवीन की सप्लीमेंट्री आई थी.

अब मुझे आगे पढ़ने के लिए इंटर क्लास में एडमीशन दूसरे शहर में मिला और हम सभी दोस्त अलग हो गए.

मेरा शहर के कॉलेज में पहला ही साल था.
मैं हॉस्टल में ही रहने लगा.

वहां मेरे एक सीनियर पड़ोसी थे.
मैं अब लम्बा, स्लिम माशूक था.
वे कद में मेरे से थोड़े ठिगने, पर चौड़े ज्या‍दा थे.

जब मैं बरामदे में चलता, तो मेरे चूतड़ों पर हाथ फेर कर कहते- वाह क्या गेंदें नाच रही हैं! मेरा तो सनसनाने लगता है.
वे कभी गालों पर हाथ फेर देते- वाह नमकीन … सच में मस्त है तू!

एक बार तो गले में हाथ फेर कर चूमा ही ले लिया.
तब दूसरे लड़कों ने रोका कि लौंडे को शर्मिंदा मत करो!

वे मेरे ऊपर मर गए थे. वे भी मेरे जैसे ही माशूक थे, पर उम्र में बड़े गोरे पीले तगड़े मस्त जांघों वाले, खुल कर कहते- मेरी मारेगा?

दो तीन और माशूक लौंडा को ऐसे ही छेड़ते रहते, किसी की गांड में उंगली कर देते, गाल चूम लेते.

ऐसा सबके सामने करते.
हम सभी माशूक लौंडों को आदत पड़ गई थी.

एक रात वे मेरे कमरे में आए और बोले- मेरे कमरे में मेहमान आए हैं, तेरे साथ सोऊंगा.
वे मेरे पास लेट गए.

रात को जब मैं नींद में था, उन्होंने मुझे हल्के से करवट दिलाई और मेरा अंडरवियर बहुत आराम से नीचे खिसका दिया.
मैं जाग गया था पर सोने का बहाना करते हुए देख रहा था कि जो वे कर रहे हैं, करने दो.

अब मेरी पीठ उनकी तरफ थी.
उन्होंने थूक लगा कर अपना तड़पता फनफनाता हथियार मेरी गांड में पेल दिया.

उनका घुसा तो मैं चिल्ला दिया ‘आ … आ ..!’
तब तक वे पूरा पेल चुके थे.

मेरी कमर में हाथ डालकर अपने सीने से घेर कर चिपका लिया.
मेरे कान के पास मुँह ले जाकर धीरे से फुसफुसाते से बोले- बस … बस … अब नहीं लगेगी!

वे चालू हो गए, मुझे औंधा कर मेरे पर चढ़ बैठे.
चूंकि वे एक्सपर्ट थे तो जोरदार धक्के देना शुरू हो गए, मेरे गले में हाथ डाल कर मेरे गाल काटने लगे.

वे बड़े हल्के से काट रहे थे.
मैंने धीरे से कहा- भाई साहब निशान पड़ जाएंगे!
वे बोले- जोर से नहीं काटूंगा.

फिर हंस कर बोले- अच्छा काटू नहीं … चाहे गांड में कितने भी जोर के धक्के दे लूँ … गांड फाड़ डालूं?
मैं हंस पड़ा- अरे आपने तो वैसे ही फाड़ रखी है … आपका बहुत मोटा है.
वे हंसे- अबे तू भी तो एक्सपर्ट है, इतना माशूक लौंडा बहुत दिनों से नहीं मिला! जब से तू आया है न, मैं तेरे को ही ताक रहा था, आज मौका मिला!

बस उन्होंने जोरदार चुम्मा लिया.
थोड़ी देर तक वे लंड डाले ऊपर लेटे रहे, फिर उतर गए.

उसके बाद मेरे सामने गांड खोल कर औंधे लेट गए.
वे तगड़े थे, मस्त जांघें थीं, उनके गोल गोल चूतड़ मुझे ललचा रहे थे, पर जांघें बालों से भरी थीं. गांड के चारों तरफ भयंकर काले काले बाल थे.

लंड में थूक लगा कर गांड पर रखा, पर उनकी गांड साली दिख ही नहीं रही थी.
मैंने जब लंड पेला, तो उन्हें मजा आया. वे बोले- अबे तेरा भी तो बहुत मोटा है … मजा आ गया.

वे मेरे से ज्यादा जोर लगा रहे थे.
बाद में मुझसे अलग होने के बाद मेरा चूमा लेकर बोले- तूने मजा बांध दिया, क्या कसके रगड़ी … ऐसी तैसी कर दी.

सवेरे सवेरे ही भाईसाब ने हॉस्टल की विंग के लौंडों से कह दिया- साले माशूक ने कल मेरी मार दी, मादरचोद बदमाश है … पुराना लौंडे बाज है मेरी फाड़ कर रख दी.

पर ये नहीं कहा कि उन्होंने भी मेरी मार दी थी.

मैंने जब आंखों के इशारे से रोका तो सबके सामने हंस कर कहा- रोक क्यों रहा है? क्या मेरी नहीं मारी? ये कुछ नहीं कहेंगे, ये साले सब मेरे से मरवा चुके हैं.

मेरे आस-पास खड़े गांडू लौंडे मंडराने लगे.
जबकि मैं खुद गांडू था, लंड को तड़प रहा था.

फिर पांच-छह साल बाद ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी होने के बाद मैं जॅाब में आ गया.

अब मैं पच्चीस छब्बीस साल का जवान था. पूरा लम्बा, हट्टा-कट्टा हैन्डसम नमकीन … माशूक!

उम्मीद है कि मेरी गे सेक्स कहानी के इस भाग में आपको मजा आया होगा.
अगले भाग में कुछ और अनुभव लिखूँगा.

देसी गे गे स्टोरी पर मुझे आपके कमेंट्स के लिए इंतजार रहेगा.
आपका आजाद गांडू

देसी गे गे स्टोरी का अगला भाग: गांड में लंड लेने व पेलने का नशा- 3

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