पड़ोसी चाचा ने मेरी गांड का उद्घाटन किया

(Crossdresser Gay Story)

सौरभ 6 2022-03-13 Comments

क्रॉसड्रेसर गे स्टोरी में पढ़ें कि मुझे लड़कियों के कपड़े पहनने और गांड में उंगली का शौक था. एक दिन मैं साड़ी पहन कर अपनी गांड में उंगली डाल रहा था कि पड़ोसी ने देख लिया.

दोस्तो, मेरा नाम सौरभ है और मैं 20 साल का काले रंग का लड़का हूँ, पर मुझे लड़कियों की तरह रहना बहुत पसंद है.

ये क्रॉसड्रेसर गे स्टोरी दो साल पहले की है, तब मैं सिर्फ़ अपने एक दोस्त का लंड चूसा करता था, पर कभी गांड में नहीं लिया था.
जब भी मुझे मौका मिलता, अपने घर में मैं लड़कियों के कपड़े पहन कर देखा करता था.

एक दिन मेरे पापा के दोस्त के यहां शादी थी और घर के सब लोग बाहर जाने वाले थे. वो सब अगले दिन दोपहर को आने वाले थे.

मैं इसलिए नहीं गया क्योंकि उनके पापा के ऑफिस का बहुत जरूरी पार्सल आने वाला था.
मेरे पापा का दोस्त के यहां शादी में जाना भी जरूरी था और पार्सल लेना भी आवश्यक था.

सबके जाने के अगले दिन मैंने अपने दिमाग में सब कुछ प्लान बना लिया कि कल घर पर अकेला हूँ, तो कल क्या क्या करूंगा.

जैसे ही सुबह हुई तो पापा मम्मी और भाई निकल गए. जाते वक़्त मम्मी पापा मुझसे कहकर गए कि खाना खा लेना और पढ़ाई करना.

लेकिन अभी आप सब ही बताइए कि अगर जवान लड़का घर पर अकेला हो और उसे गांड मराने का शौक हो, तो वो पढ़ाई थोड़ी करेगा.

यही हुआ, जैसे ही घर के सारे लोग चले गए, तो मैंने अन्दर से दरवाजा बंद किया और वहीं पर नंगा हो गया.

मैंने अपनी गांड पर एक बार हाथ घुमाया और सीधा जाकर हॉल में सोफे पर पांव पसार कर बैठ गया.
टीवी पर एक हॉट मूवी लगी हुई थी, उसे देखते हुए मैं अपनी गांड में उंगली करने लगा.

आह आह आह करते हुए मैं गांड में हो रही गुदगुदी के मस्त मज़े ले रहा था.

थोड़ी देर बाद मैं मम्मी के रूम में गया और मैंने उनकी अलमारी खोल ली. उसमें मेरे पसंदीदा चीजों का खजाना रखा हुआ था. ब्रा, पैंटी, साड़ी, ब्लाउज, नायटी, ड्रेस, चूड़ियां … सब था वहां.

मैंने साड़ी पहनने का सोचा. मैंने लाल रंग की साड़ी पहनी और हरे रंग का ब्लाउज पहना. हरे रंग की चूड़ियां पहनी, गले में मस्त एक हार पहना. अन्दर सिर्फ़ ब्रा पहनी और थोड़ा मेकअप करके हॉल में आ गया.

अब यहां तक तो मेरे अन्दर का लड़का कहानी लिख रहा था, पर यहां से आगे मेरे अन्दर की लड़की सेक्स कहानी बताएगी.

दोस्तो मैंने पैंटी इसलिए नहीं पहनी थी क्योंकि गांड में उंगली करने में दिक्कत आती है.

मैं बाहर गई और सोफे पर लेट कर अपनी टांगें ऊपर करके हाथ की सारी उंगलियों पर तेल लगाकर गांड में पेलने की तैयारी करने लगी.

पहले मैंने अपनी कोरी गांड में एक उंगली पेली.
आह …

फिर दूसरी उंगली पेली.
आह … आह …

फिर तीसरी उंगली पेली तो उफ्फ … कितना मजा आने लगा था.
अपनी गांड में उंगली करके मैं मजे लेने लगी.

मेरी गांड में पहले कुछ दर्द हुआ मगर फिर तेल के कारण आराम से तीनों उंगलियां अन्दर बाहर आने जाने लगी थीं.

थोड़ी देर बाद मेरे ध्यान में आया कि मेरे पड़ोस के अंकल मुझे खिड़की से देख रहे हैं.

उनकी उम्र लगभग 40 साल होगी, वो मुझे देखकर एक कामुक मुस्कान दे रहे थे.
मैं थोड़ी डर गई और उठ कर खिड़की की तरफ गई.

मैं खिड़की को बंद करने लगी तो अंकल ने कहा- क्या चल रहा है … बताऊं तेरे पापा को!
मैंने कोई जवाब नहीं दिया और झट से खिड़की बंद कर दी.

वो हमारे दरवाजे के पास आए और बोले- बेटा दरवाजा खोलो … अगर तुमने दरवाजा नहीं खोला, तो मैं आपके पापा को बता दूंगा.
डरते हुए मैंने साड़ी में ही दरवाजा खोला और वो अन्दर आ गए.
अन्दर आते ही उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया.

मैं फटाफट चूड़ियाँ उतारने लगी तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर कहा- अरे मेरी रानी … रहने दो, मैं तुम्हारा पड़ोसी चाचा ही तो हूँ.
मैं चाचा के इरादे समझ गई थी कि ये घर के अन्दर मेरी खबर लेने नहीं, मेरी लेने आए हैं.

फिर मैंने कहा- जी, आप मेरे पापा को मत बताना.
वो बोले- नहीं बताऊंगा पर …

मैंने कहा- पर क्या?
तो वो बोलने लगे- तुम्हारी चाची और मेरी शादी को 15 साल हो गए हैं. उसे ना तो मेरा हथियार ना मुँह में लेना पसंद है और ना गांड में. वो तो बहुत पुराने ख्यालों की है. सिर्फ अपने हाथ से मुठ मारती है और खड़ा करके चुत में लेती है. आज तुझे मेरा एक काम करना होगा.

मैंने कहा- कौन सा काम?
वो बोले- तुम जानती हो मेरी रानी कि मैं किस काम के लिए कह रहा हूँ. तुम डरो मत, मैं किसी को इस बारे में नहीं बताऊंगा. ये हमारा राज रहेगा.

मैंने कहा- अगर आपको कोई प्रॉब्लम नहीं, तो मुझे क्या प्रॉब्लम हो सकती है.

मेरे इतना कहते ही उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा था और अपनी तरफ खींचा, तो मैं उनके सीने से टकरा गई.

उन्होंने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और अपने हाथों से मेरे चहरे को ऊपर कर दिया. फिर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
मैं भी उनका साथ देने लगी.

वो मेरे मुँह में अपनी जीभ डालने लगे और मैं भी उनका पूरा साथ देती हुई मजा लेने लगी.

मैं साड़ी में ही दरवाजे के पास ये सब कर रही थी.
फिर वो साड़ी के ऊपर से ही मेरे सामान्य से थोड़े बड़े चूचों को दबाने लगे.

पड़ोसी चाचा को चूचे मसलने में मजा आने लगा तो वो बेरहम होने लगे.

वो इतना जोर जोर से दबाने लगे कि मेरी चीख निकलने लगी.

मैंने कहा- थोड़ा आराम से करो, मैं थोड़ी कहीं भागी जा रही हूँ.
वो बोले- अरे वाह ‘कहां भागी जा रही हूँ …’ तू तो पूरी लड़की है रे.

फिर उन्होंने मुझे अपनी गोद में उठाया और सोफे पर ले गए. मुझे सोफे पर बिठा दिया और खुद मेरे सामने खड़े हो गए.
मैं उनका इशारा समझ गई.

पहले तो मैं अपने हाथ से उनके लंड को उनके पैंट के ऊपर से दबाने लगी.
उनका 7 इंच का लंड अन्दर पूरी तरह से तैयार हो गया था.

मैंने उसे पैंट से बाहर निकाला और उनके मस्त काले लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी.

वो गनगना गए और बड़बड़ाने लगे- आह आह आह … चूस साली … कितना मस्त चूसती है … आह आह चूस साली इसी लिए तो मैं तुम जैसे गांडुओं का कायल हूँ … तू तो लड़की से भी अच्छा लंड चूसती है.
मैंने लंड मुँह से बाहर निकाला और कहा- मैं तो हूँ ही लड़की.

इतना कहकर मैंने फिर से उनका लंड मुँह में ले लिया.

करीब पंद्रह मिनट तक लंड चूसने के बाद उन्होंने मेरा सिर पकड़ा और मेरा मुँह जोर जोर से चोदने लगे.
वो इतना जोर से लंड पेल रहे थे कि मेरा मुँह दर्द करने लगा.

कुछ मिनट बाद उन्होंने लंड का वीर्य मेरे मुँह में छोड़ दिया.
मैंने पूरा वीर्य पी लिया और जो मेरे होंठों के अगल बगल लगा हुआ था, उसे मैंने जीभ से चाट कर साफ कर दिया.
फिर जो उनके लंड पर लगा हुआ था, उसे भी मैंने साफ कर दिया.

वो मेरे बाजू में बैठ गए और मेरे गाल पर एक किस देकर बोले- अरे डार्लिंग, अगर मुझे पता होता कि मेरी घर के बाजू में ही इतनी मस्त रंडी रहती है, तो अब तक तेरे मुँह में लंड दे देकर एकदम मस्त हो जाता.

इस बात पर मैंने सिर्फ हल्की मुस्कान दे दी … उन्हें कुछ नहीं कहा.

फिर चाचा अपना एक हाथ मेरे सर के पीछे ले गए और सिर को लंड के पास झुका दिया.

चाचा बोले- एक छेद तो चुद गया अब दूसरे की बारी है.
इतना सुनते ही मेरी गांड में चीटियां रेंगने लगीं. मैंने झट से लंड मुँह में ले लिया.

थोड़ी ही देर बाद उनका लंड खड़ा हो गया.

उन्होंने मुझे सोफे के सहारे झुकने को कहा और मेरी साड़ी कमर तक ऊपर कर दी. तेल की बोतल उठा कर मेरी गांड के छेद पर तेल डालने लगे.
पहले अंकल ने अपनी एक उंगली डाल दी, फिर दूसरी उंगली डाली और बाद में तीसरी उंगली डाल दी.

चाचा की उंगलियां मेरी उंगलियों से थोड़ी मोटी थीं इसलिए तीसरी उंगली जाते ही मुझे थोड़ा दर्द हुआ.
मैं आह आह करने लगी.

वो अपनी उंगलियों आगे पीछे करने लगे, उससे मुझे और भी ज्यादा मजा आने लगा.
मैं मस्त होने लगी, आह आह करके कराहने लगी.

थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरी गांड से उंगलियों को निकाला तो मुझे मेरी गांड थोड़ी खाली खाली सी लगने लगी.

उसके बाद उन्होंने अपने खड़े लंड पर तेल लगाया और मेरी गांड पर लंड रगड़ने लगे. चाचा ऐसे ही मेरी गांड को थोड़ी देर तक लंड से रगड़ते रहे.

मैंने कहा- और अब मत तड़पाओ, जल्दी से अन्दर डाल दो. मेरी गांड में अपना लंड अन्दर कर दो और इसकी भूख शांत कर दो.
उन्होंने कहा- बस मुझे इतना ही सुनना था. अब ले लंड का मजा ले.

उन्होंने अपने लंड का टोपा दबाया और दोनों हाथों से मेरी कमर को पकड़ कर जोर से अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया.
अभी चाचा का आधा लंड ही अन्दर गया था … मुझे दर्द होने लगा.

मैंने कराह कर कहा- आंह मैं सह नहीं पा रही हूँ … जल्दी से इसे बाहर निकालो.
चाचा ने कहा- थोड़ा सब्र कर मेरी जान.

उन्होंने अन्दर गया हुआ लंड आगे पीछे करना शुरू कर दिया.

थोड़ी देर बाद अभी मुझे गांड में मजा आना शुरू ही हुआ था कि उन्होंने अपना दूसरा झटका दिया और पूरा लंड मेरी गांड में डाल दिया.

मुझे बेहद दर्द हो रहा था. पसीना भी आ रहा था, पर इस बार मैं लंड निकालने की कहने की जगह ‘आंह थोड़ा रुको ….’ कहने लगी.

कुछ पल बाद चाचा जोर जोर से मेरी गांड चोदने लगे और मैं मस्त होने लगी- आह आह आह चोदो चोदो और जोर से उफ्फ उफ आह आह!

मैं मादक आवाजें करके चुदवाने लगी.
वो बोले- वाह क्या मस्त काली गांड है तेरी … आह आह बहुत दिनों के बाद आज किसी गांड को चोद रहा हूँ.

ऐसा कह कर वो धकापेल झटके देने लगे और मैं भी गांड मरवाने का सुख लेने लगी.

थोड़ी देर बाद चोदते वक़्त उन्हें किसी का फोन आया, वो बातें करते हुए मेरी गांड को और जोर से मारने लगे.
मैं जोर जोर से चिल्लाने लगी- आह आह मर गई … धीरे पेलो.

उन्होंने फोन पर कहा- हां, एक रांड चोद रहा हूँ … हां हां तुम्हें भी मिलवा दूंगा … पहले मैं तो मजे ले लूं.

ये सुनकर मैंने कहा- किसका फोन था चाचा?
उन्होंने कहा- मेरे एक दोस्त का था.

मैं बोली- अब क्या दोस्तों से भी चुदवाओगे मुझे?
वो हंसे और बोले- पहले मैं तो ठीक से चोद लूं.

फिर उन्होंने अपना लंड मेरी गांड से निकाल लिया.
तो मैंने कहा- क्या हुआ?

वो कहने लगे- चलो अब पीठ के बल लेट जाओ.
मैं झट से वैसे ही लेट गई और उन्होंने मेरी कमर के नीचे एक तकिया रख दिया.

मेरे दोनों पैर अपने कंधे पर ले लिए और लंड गांड में डालकर चोदने लगे.
मैं फिर से ‘आह आह आह आह यस उफ्फ्फ मम्मी …’ करके मज लेने लगा.

वो भी पूरी मस्ती में मुझे चोद रहे थे.

तभी मेरे फोन पर मम्मी का फोन आया.
मैंने उनको रुकने का कहा और गांड में लंड लिए हुए ही फोन उठा लिया.

चाचा मेरे ऊपर लेट गए और मेरे दूध चूसने लगे.

मम्मी पूछ रही थीं- क्या कर रहे हो … पढ़ाई कर रहे हो कि नहीं?
मैंने कहा- हां मम्मी मैं फिजिक्स पढ़ रहा हूँ.

मम्मी से बात करके मैंने फोन जैसे ही रखा कि वो जोर जोर से मेरी गांड मारने लगे.

कुछ ही देर बाद उन्होंने मेरी गांड में अपना पूरा वीर्य मेरी गांड में डाल दिया. फिर मुझे किस करते हुए लंड गांड में से निकाला और बाजू में सोफे पर बैठ गए.

मैंने अपनी गांड के छेद पर हाथ लगाया तो पाया कि गांड का छेद थोड़ा चौड़ा हो गया था. उनका वीर्य मेरी गांड से निकल रहा था.

वो बोले- जानेमन मजा आया कि नहीं?
मैंने कहा- हां बहुत मजा आया. मैं तो आपकी दीवानी हो गई हूँ.

उन्होंने कहा- अब थोड़ा चाय वगैरह बनाओ.
तो मैं उठी, पर गांड थोड़ी दर्द कर रही थी और मुझे चलने में भी दिक्कत हो रही थी.

जब मैंने चलते हुए पीछे मुड़ कर देखा, तो वो मुझे देख कर हंसने लगे और कहने लगे कि अभी से ही लड़खड़ाने लगी जानेमन … अभी तो एक और राउंड बाकी है.

मैंने उनकी तरफ देख कर एक हल्की सी मुस्कान देते हुए कहा- इतने दमदार लंड से अगर गांड चोद दी जाएगी, तो कोई भी लड़खड़ा ही जाएगा ना.

इतना कह कर मैं चाय बनाने के लिए अन्दर चली गई.

मैंने मस्त अदरख वाली चाय बनाई और दो कप में डाल कर बाहर आ गई.
फिर उनके साथ बैठ कर बातें करती हुई चाय पीने लगी.

वो बोले- गांड मरवाने का शौक कबसे है?
मैंने कहा- बहुत पहले से है, पर अब तक मैं सिर्फ लंड चूसती थी और गांड में उंगली करती थी. गांड तो आपने आज पहली बार मारी है.

वो बोले- अब अपनी साड़ी तो उतार दे, सब कुछ हो गया लेकिन साड़ी नहीं उतरी.
मैं खड़ी हो गयी और साड़ी उतार दी.

अब मैं सिर्फ उनके सामने ब्रा में थी. मेरा लंड काफी छोटा है, उसे अपने हाथ से मसलने लगे.
मुझमें फिर से आग लगने लगी.

मैंने भी उनका लंड मसलना चालू कर दिया और नीचे बैठ कर उनका लंड मुँह में लेकर चूसने लगी.

वो सोफे पर एकदम आराम से लेट गए. मैं फिर से उनके लंड को खड़ा करने लगी.

कुछ देर बाद उनका लंड फिर से खड़ा हो गया.
वो बोले- चल जानेमन अब बैठ जा इस पर … और ऊपर नीचे कर.

अब मेरी गांड थोड़ी खुल गई थी. गांड में लंड का टोपा जाने के बाद मैं धीरे धीरे लंड पर बैठ रही थी लेकिन उन्हें धीरे धीरे में मजा कहां आना था.

उन्होंने मेरी कमर पकड़ी और जोर से लंड पर मेरी गांड दबा दी.
मैं खुद को संभाल नहीं पाई और अचानक हुए इस हमले से तेज दर्द से छटपटाने लगी.

मगर उन्होंने बहुत जोर से मुझे पकड़ा हुआ था, मैं हिल तक नहीं सकी.

फिर मैं वैसे ही उनके ऊपर लेट गई और उन्होंने नीचे से कमर चलाना शुरू कर दिया.
वो वैसे ही मेरी गांड मारने लगे.

जैसे ही मेरी गांड में का दर्द कम हुआ, मैं भी आह आह आस् आह उफ्फ्फ करके गांड चुदवाने लगी.

उन्होंने मुझे अपनी दोनों बांहों में जकड़ लिया था, इतना मजा आ रहा था कि क्या बताऊं.

थोड़ी देर बाद ऐसे ही गांड मारने के बाद उन्होंने अपनी पकड़ ढीली कर दी.
मैं सीधी होकर ऊपर नीचे होने लगी.

कुछ देर बाद उन्होंने मुझे लंड पर से हटने को कहा और डॉगी स्टाइल में आने को कहा. मैंने ऐसा ही किया और वो पीछे से मुझे चोदने लगे.

थोड़ी देर बाद उन्होंने अपना लंड का पानी मेरी गांड में छोड़ दिया और थक कर मेरे ऊपर गिर गए.

अब दोपहर हो गई थी. उन्हें कहीं जाना था.
उन्होंने कहा- चल जान, अब मैं निकलता हूँ.

मैं भी थक गई थी. मैंने कहा- अब फिर कब करेंगे?
वो बोले- तुम जब बोलोगी.

मैंने एक मुस्कान दे दी और वो मेरी किस लेकर बाहर चले गए.

तब से लेकर आज तक हमारी चुदाई चल रही है. उनके दोस्तों ने भी मुझे चोदा.
वो सेक्स कहानी बाद में लिखूँगी लेकिन आपको ये क्रॉसड्रेसर गे स्टोरी कैसी लगी, वो जरूर बताना.
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