अनजान लड़की की दुल्हन बन कर गांड मरवाई
(Cross Dressor Suhagrat Kahani)
क्रॉस ड्रेसर सुहागरात कहानी में पढ़ें कि मुझे फेसबुक पर एक लड़का मिला जो मेरी गांड मारने को तैयार था. मैंने उससे सुहागरात की तरह सेक्स करने का प्लान बनाया.
दोस्तो, मैं आपकी दोस्त शिवानी क्रॉसड्रेसर एक नई आपबीती के साथ हाजिर हूं.
अब तक आप मेरी 3 आपबीतियां पढ़ चुके हैं.
मेरी पिछली कहानी थी: राजेश से शिवानी रंडी बनने तक का सफर
यह बात है कि अब धीरे-धीरे मेरा मन खुलने लगा था और लंड लेने की लत भी बढ़ने लगी थी.
मैं उठते जागते, सोते-खाते-पीते यानि सारे समय बस लंड ही लंड के बारे में सोचा करती थी.
यह क्रॉस ड्रेसर सुहागरात कहानी तब की है जब फेसबुक पर ही मुझे एक लड़का और मिला था.
उसका नाम दीपक था.
बाकी लड़कों की तरह हाय-हैलो-गुड मॉर्निंग के मैसेज भेजने की बजाय उसने सीधे अपने लंड की फोटो भेजी.
उसका यह बोल्ड और स्ट्रेट फॉरवर्ड अंदाज मुझे पसंद आया.
वैसे भी फालतू की बातों में क्या रखा है.
मैंने भी उसे बताया कि मुझे लड़की बन कर चुदना पसंद है; लंड चूसना और वीर्य पीना भी पसंद है.
उसका भी दिल खुश हो गया.
उसने बताया कि 3 दिन बाद उसके घर वाले बाहर जा रहे हैं तो वह रात भर अकेला है.
वह सांगानेर में रहता था.
बस मैंने मन में ठान ली कि इससे चुदना ही है.
उसने मुझसे पूछा- कैसे चुदना चाहती हो?
मैंने बताया- वैसे तो रंडी, रखैल सब बन जाती हूं. पर इस बार मैं चाहती हूं कि कोई बीवी बनाकर चोदे, सुहागरात मनाए मेरे साथ!
वह इस बात पर और भी खुश हो गया.
खैर … मेरे लिए वे 3 दिन 3 सदी की तरह बीते.
आप जानते ही हो कि जब चूत या गांड में लंड की तलब लगी हो, तो समय बिताना कितना मुश्किल हो जाता है.
मैंने इन 3 दिनों में वैक्स करवाया.
नजदीक में ही एक यूनिसेक्स पार्लर है, वहां से मैंने जिस्म को चिकना करवाया.
पार्लर वाले ने पूछा भी कि आप वैक्स क्यों करवाना चाहते हैं.
यह पूछते वक्त उसके चेहरे पर एक मुस्कुराहाट भी थी.
मुझे लगा कि क्यों नहीं इसी को पटाकर चुदवा लूं, पर फिर थोड़ा सा संकोच हुआ … तो झूठ-मूठ ही बोल दिया कि कॉलेज में एक नाटक में रोल प्ले करना है इसलिए.
उसे क्या पता था कि नाटक में नहीं … हकीकत में बिस्तर पर रोल प्ले करना है.
खैर … बाल वैक्स होने के बाद मैं एकदम चिकनी लौंडिया बन गई थी.
इस बीच घर पर बाथरूम में मैं अपनी गांड में तेल भरकर उंगली से गांड के अन्दर की मालिश करती … खीरा भी लेती ताकि गांड खुली रहे और सुहागरात में पति का लंड बड़ा होने पर भी परेशानी नहीं हो.
इस बीच मैंने मेरी भाभी की एक पीले-केसरिया रंग की साड़ी, पेटीकोट और ब्लाउज भी चुरा लिया.
ब्रा-पैंटी मैंने पहले से ही खरीदकर पास के पार्क में छुपा कर रख रखे थे.
इस बीच दीपक जी से सैक्स चैट चलती रही.
फिर वह दिन भी आया, जब दीपक जी और मैंने मिलने का प्लान किया था.
मैंने उन्हें बताया कि मेरी इच्छा है कि मैं लड़की बनकर आऊं.
यह सुनकर वे घबरा गए.
लेकिन मेरे ज्यादा जिद करने पर बोले कि रात को अंधेरा होने के बाद आना और साड़ी की बजाए और कुछ ड्रेस पहनकर आना.
मुझे भी यह बात ठीक लगी क्योंकि स्कूटी पर साड़ी संभालना भी आसान नहीं था.
दूसरा यह कि पार्क में छिपकर साड़ी पहनने से साड़ी सही ढंग से पहनी भी नहीं जाती.
मैंने यही तय किया कि लैंगिंग्स और कुर्ती तो रास्ते में पहन लूँगी. साड़ी वहां जाकर पहन लूँगी.
मैंने मेकअप का सामान भी ले लिया और घरवालों को बोला कि मेरे दोस्त के यहां पढ़ाई के लिए जा रही हूं.
पार्क में अंधेरे में जाकर मैंने ब्रा-पैंटी पहनी, फिर लैगिंग और कुर्ती पहनी.
यह कुर्ती हल्की सी पारदर्शी थी, मतलब अन्दर पहनी हुई ब्रा बाहर से दिखाई दे ऐसी थी.
मैं यही चाहती थी ताकि मेरे पीछे चलने वाली गाड़ियों के लोग मेरी ब्रा को देखकर मुझे लड़की ही समझें.
लड़कियों वाला विग भी लगा लिया.
अब मैं पूरी तरह लड़की बनकर आत्मविश्वास से भरी, स्कूटी पर चल दी.
फुल मेकअप था. परफ्यूम भी लगाया हुआ था, बिंदी भी.
कानों में चांद बालियां भी, ब्रा दिखती रहे … ऐसा दुपट्टा भी डाला था.
अब ठंडी हवा चलने से विग के बाल उड़ने और दुपट्टा उड़ने और चांद बालियों के हिलने से बड़ी गजब की फीलिंग आ रही थी.
मुझे खुद पर लड़की बनने पर गर्व महसूस हो रहा था.
खैर … मैं सांगानेर पहुंची और उन्हें कॉल किया.
उन्होंने गली के बारे में बताया और मैंने सीधा स्कूटी उनके घर के अन्दर कम्पाउंड में लगा दी.
वे मुझे देखते ही चौंक गए और एक बार घबरा भी गए कि कहीं पड़ोसियों को शक ना हो जाए कि वे किसी लड़की को घर बुला रहे हैं.
मैंने उन्हें आंख मारते हुए एंजॉय करने को कहा और घर के अन्दर आ गई.
उन्होंने खाने का पूछा तो मैंने बताया कि खाना खाकर आई हूं.
वे भी खाना खाकर रेडी थे.
रूम के अन्दर आने पर उन्होंने मुझे गले से लगा लिया और किस करने लगे.
मैंने उन्हें रोका और शर्माते हुए कहा- अभी रुको … मुझे आपकी दुल्हन तो बनने दो.
उन्होंने मेरी बात मानी और कमरे से बाहर चले गए.
मैंने फटाफट अपने बैग से पेटीकोट ब्लाउज निकाला, लैगिंग कुर्ती उतार दी, पेटीकोट पहना, ब्लाउज पहना.
ब्लाउज पहनने के बाद सच में बहुत गर्लिश फीलिंग आ रही थी.
टाईट ब्रा के बाद टाईट ब्लाउज से बूब्स बड़े लगने लग गए और दब भी रहे थे, बड़ा मजा आ रहा था.
अब मैंने आर्टिफिशियल ज्वैलरी में पायल पहनी, चूड़ियां पहनी, नाक में बिना छेद के पहनने वाली नथ पहनी. नथ की चैन को विग में सैट किया.
इसके बाद आंखों में काजल लगाया, लिपस्टिक लगाई, लेडी डायना परफ्यूम लगाया, अंगूठी पहनी, फिर साड़ी की प्लेट्स बनाईं और साड़ी पहन कर पल्लू किया.
घूंघट निकाल कर मैं बेड पर दुल्हन की स्टाईल में टांगें सिकोड़ कर बैठ गई.
फिर हल्की सी मीठी आवाज में अपने सनम को पुकार लगा दी.
दीपक जी आए और मुझे देखते ही हैरान हो गए, बरबस ही बोल पड़े- यार शिवानी, सच में बहुत हॉट लग रही हो!
इतना सुनते ही मैंने शर्मा कर गर्दन नीची कर ली.
वे मेरे करीब आए और घूंघट के अन्दर से मुझे निहारने लगे.
मैं शर्माती रही और फिर अचानक से मैंने उनके सीने में अपना सिर रख दिया.
सच पूछो … तो मुझे किसी मर्द के सीने में सर रखने में बहुत सुकून मिलता है.
एक अलग ही सुरक्षा का अहसास होता है.
मैंने आंखें बंद कर लीं.
वे मेरे बालों में हाथ फेरने लगे और अपनी उंगली मेरे होंठों पर रख दी.
मैंने होंठ खोल लिए और उनकी उंगली मुँह में ले ली.
वे मेरी इस हरकत से उत्तेजित हो गए और मुझे चित लेटा कर मेरा घूंघट हटा दिया.
मेरे एक रात के पतिदेव मेरी गर्दन पर किस करने लगे.
मुझे वैसे भी गर्दन पर किस बहुत पसंद है.
दुनिया में हर औरत को गर्दन पर किस पसंद है. इससे अलग ही उत्तेजना महसूस होती है.
फिर वे मेरे कान की लौ को होंठों में भरकर चूसने लगे.
मेरा पूरा शरीर थर-थर कांपने लगा और सिहरन सी होने लगी.
मैं खुद ब खुद ही आहें भरने लगी.
एक मर्द में औरत को पिघलाने की कितनी ताकत होती है, इसका अहसास मुझे हुआ.
अब उन्होंने झटके से मेरे होंठों को अपने होंठों के बीच में ले लिया और किस करने लगे.
बस … मुझे इस तरह से फ्रैंच-किस करने वाला मर्द मिल जाए तो सहवास में मिलने वाले आनन्द का ठिकाना ही नहीं रहता.
मैं आनन्द के समंदर में गोते लगाने लगी.
वे जीभ से जीभ टकराते और चूमने लगे थे.
फिर उन्होंने मेरी जीभ को अपने होंठों के बीच में ले लिया और खींच कर चूसते रहे.
वे मेरे मुँह में जीभ फिराते और बाहर निकालते वक्त होंठों को अपने होंठों के बीच में भरकर चूस कर होंठों को रस निचोड़ लेते.
अपने एक रात के पतिदेव के साथ यह सुख भोगकर मैं उत्तेजित होने लगी.
मैं भी उनके बालों में और पीठ पर हाथ फेरने लगी.
उनके भी हाथ मेरे बूब्स पर आ गए और ब्रा और ब्लाउज के ऊपर से ही वे जोर जोर से मेरे दूध दबाने लगे.
इससे मैं और भी अधिक आहें भरने लगी.
अब उन्होंने मेरे ब्लाउज के बटन खोलने शुरू किए.
मैंने भी हाथ हवा में उठा कर ब्लाउज निकाल दिया.
उन्होंने मेरी ब्रा को झटके से फाड़ दिया.
मैंने शुक्रिया अदा किया कि उन्होंने जोश में ब्लाउज नहीं फाड़ा, नहीं तो लेने के देने पड़ जाते.
भाभी को शक हो जाता कि उनके कपड़े कोई चुराता है.
खैर … अब तो दीपक जी मेरी चूचियों पर बुरी तरह टूट पड़े. मेरी चूचियां बड़ी तो नहीं थीं, पर दबाने लायक थीं.
वे एक हाथ की दो उंगलियों से मेरे एक निप्पल का मानमर्दन करने लगे.
निप्पल को वह अपनी उंगलियों और अंगूठे के बीच में भर कर उमेठते, तो बस मैं चिंहुक उठती.
फिर वे दूसरे बूब और निप्पल को जीभ से चाटते और चूसने लग जाते.
बीच बीच में दांत से काट भी लेते.
मैं मदहोश होती जा रही थी.
मेरे बूब्स की अब तक की यह सबसे यादगार चुसाई थी. इससे मुझे स्त्री होने का संपूर्ण अहसास हो रहा था.
अब उन्होंने मेरी कमर और पेट को भी जोर से मसलना शुरू कर दिया.
मैंने भी उनके सीने पर हाथ फेरना शुरू किया और शर्माती हुई पैंट के ऊपर से ही उनके लंड को पकड़ लिया.
उन्होंने मेरी भावना को समझते हुए अपने कपड़े झट से उतार दिए.
उन्होंने लंड चूसने का इशारा किया.
मैंने नजरें झुका लीं और शर्माने का नाटक किया.
इस पर वह मुझे मनाने के मकसद से पास आए और मेरे होंठों को मुँह में ले लिया.
मैं उनकी इस अदा पर मर मिटी और लिप लॉक खत्म होते ही झट से लंड को हाथ में ले लिया.
मैंने लौड़े की चमड़ी पीछे करते हुए सुपारे को निकाल लिया.
लंड के मुहाने पर प्री-कम की कुछ बूंदें छलक रही थीं.
उन्हें मैंने जीभ से चाटा तो वह आह भरने लगे.
अब मैंने होंठों के बीच में सुपारे को रखकर चूसना शुरू किया. एक हाथ से मैं उनके बॉल्स सहलाने लगी, तो दूसरे हाथ से उनके हिप्स भी मसलने लगी.
वे बस ‘आह उहं हम्म … यस मेरी वाईफ …’ कहने लगे.
मैं धीरे-धीरे लंड को मुँह के अन्दर लेने लगी और 6 इंच का पूरा लंड मेरे गले तक समा गया.
हालांकि उनका लंड ज्यादा बड़ा नहीं था. मैं इससे भी बड़े और मोटे लंड से चुद चुकी थी. लेकिन उनका प्यार करने का तरीका बहुत अच्छा था.
वे बिल्कुल वाईफ की तरह ट्रीट कर रहे थे.
यह बात मुझे बहुत अच्छी लगी और मैंने भी उनको एक सुयोग्य पत्नी की तरह पूरा प्यार देने की ठान ली.
अब वे मेरे बाल पकड़ कर मेरे मुँह को चोदने लगे.
कुछ मिनट के बाद उन्होंने स्पीड बढ़ाई तो मैंने रोकते हुए कहा- जब वीर्य निकलने लगे, तब पूरा गले के अन्दर कर देना ताकि वीर्य की एक बूंद भी व्यर्थ नहीं जाए.
बस मेरा ये कहना था कि पतिदेव का जोश तो दोगुना हो गया.
अब तो वे सौ की स्पीड से मुँह चोदने लगे.
तकरीबन 5 मिनट की जोरदार मुँह चुदाई के बाद उन्होंने पूरा गले तक ठूंस दिया तो मैं समझ गई कि अब मेरा गला वीर्य रूपी अमृत से तर होने वाला है.
मैं मन ही मन ईश्वर को मेरी यह तमन्ना पूरी करने के लिए धन्यवाद देने लगी.
अगले ही पल उनकी जोरदार पिचकारियां मेरे गले को तर करने लगीं.
मैंने गले को थोड़ा पीछे खींचा ताकि थोड़ा सा वीर्य जीभ पर भी ले सकूं.
वीर्य को टेस्ट अच्छा था.
मैंने जीभ पर लगा वीर्य मुँह में ही रखा और उसे पूरे मुँह में गोल गोल घुमाती रही.
उनके लंड निकालने के बाद मैंने शरारत भरे लहजे में आंख मारते हुए उन्हें मेरे मुँह में लगा हुआ वीर्य दिखाया तो वे मेरी इस अदा पर निहाल हो गए.
अब मेरी ड्यूटी उनका लंड फिर से खड़ा करने की थी.
बस मैं पूरे मनोयोग से उनका लंड और बॉल्स फिर से चूसने में लग गई.
कुछ ही देर में उनका लंड फिर से तैयार हो गया.
अब उन्होंने मुझे घोड़ी बनाया और कंडोम लगा कर लंड को गांड के छेद पर रखा.
लेकिन मैंने उन्हें कहा कि बीवी ने आपका इतनी देर लंड चूसा है, थोड़ा सा तो रिटर्न गिफ्ट दो.
वे मेरी बात को तुरंत समझ गए और उन्होंने फट से अपना मुँह मेरी गांड के छेद पर लगा दिया.
वे अपनी जीभ को गांड के छेद में गोल गोल घुमाने लगे.
मैं तो बस सातवें आसमान में पहुंच गई थी.
कुछ 3-4 मिनट लगातार चूसने के बाद मैंने गांड ढीली छोड़कर उन्हें डालने का इशारा कर दिया.
उन्होंने बिना देर किए एक झटके में अपना हथियार मेरी गांड में पेल दिया.
चूंकि मैं लगातार कुछ ना कुछ गांड में लेती रहती हूं इसलिए ज्यादा दर्द तो नहीं हुआ.
बस हल्की सी चिरमिराहट सी जरूर लगी.
लेकिन मैंने पतिदेव के सामने दर्द होने का थोड़ा नाटक किया.
आखिर सुहागरात थी तो इतना जो जरूरी था.
अब उन्होंने मुझे पेलना शुरू किया.
पूरा कमरा फचाफच की आवाजों से गूंज गया.
बीच बीच में मेरे नितंबों पर वे चांटे भी मारते तो मजा आ जाता तो मेरा भी जोश बढ़ जाता.
अब उन्होंने मुझे चित लेटा दिया और मेरी टांगें अपनी कमर पर रख कर मेरी टांगों को आगे-पीछे करने लगे और कमर से झटके देने लगे.
करीब 10 मिनट इस एंगल में चुदाई के बाद वह झड़ने को हुए.
मैं उनका मजा नहीं खराब करना चाहती थी इसलिए उन्हें गांड में झड़ने से रोका नहीं.
वैसे भी कंडोम लगा हुआ था.
रही बात वीर्य पीने की, तो वह तो मैं कंडोम में से निकाल कर भी पी सकती थी.
खैर … पतिदेव ने कुछ झटकों के बाद अपना झरना मेरी गांड में खोल दिया, फिर निढाल होकर गिर गए.
मेरा भी अब तक एक बार निकल चुका था.
अब मैंने उनके लंड से कंडोम हटाया और उसे अपना मुँह खोलकर उल्टा कर लिया.
सारा वीर्य कंडोम से निचोड़ लिया और पी गई.
क्रॉस ड्रेसर सुहागरात के बाद पति देव थक चुके थे तो सोने लगे.
मैं भी सो गई.
सुबह जल्दी उठकर लड़कों के कपड़े पहनकर मैं वापस अपने घर आ गई.
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी क्रॉस ड्रेसर सुहागरात कहानी.
मुझे मेरी नई ई-मेल आईडी पर बता सकते हैं.
[email protected]
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