पड़ोसी भैया ने खोला मेरी गांड का यौवन
(Ass Gand Xx Kahani)
ऐस्स गांड Xx कहानी में मुझे गांड मरवाने में मजा आने लगा था. लेकिन मेरे टॉप ने कई दिन से मेरी गांड नहीं मारी थी. लेकिन उसने मुझे एक भैया से मिलवाया जिनके बड़े लंड से मेरी गांड फटी.
सभी लंड चूत और गांड के प्रेमियों को मिली का नमस्कार. मेरी पिछली सेक्स कहानी
मैंने सहपाठी से गांड मराई
यह मेरी गांड चुदाई का पहला अनुभव था.
उसके बाद आशीष ने मुझे 3 महीने तक लगभग रोज़ चोदा और मेरी गांड को खोलने के साथ मेरे कॉन्फिडेंस को भी खोल दिया.
लगातार तीन महीने तक चुदने के बाद भी मेरी गांड के गड्डे के आकार में कोई ज्यादा फर्क नहीं आया था.
बस छेद की चौड़ाई ज्यादा लचीली हो गई थी और गहराई बहुत बढ़ गई थी.
अब जो होने वाला था, वह मुझे एक कमसिन कली से रंडी प्यासी भाभी की तरह बनाने की ओर अग्रसर हो रहा था.
यह सब कुछ मेरे शरीर से भी और आत्मा से भी बढ़ रहा था.
तीन महीने तक एक ही मर्द से गांड चुदाई करवाते रहने पर अभी तक तो मेरे मन में किसी और से चुदवाने का ख्याल नहीं आया था.
फिर आगे जो हुआ, उसे ऐस्स गांड Xx कहानी में लिख रहा हूँ :
हमारी परीक्षा खत्म हो चुकी थी.
पर आशीष ने मेरी ठुकाई अब भी जारी रखी थी.
हफ्ते में दो बार तो वह मेरी बजा ही देता था और गांड चुदाई का यह खेल हम दोनों पूरी पूरी रात जारी रखते थे.
एग्जाम्स होने के बाद दो हफ्तों से मेरी गांड के साथ कुछ नहीं हुआ था.
आशीष अपनी गर्लफ्रेंड के साथ थोड़ा ज्यादा व्यस्त हो गया था.
फिर दो हफ्ते बाद उसका कॉल आया- क्या बात है मेरी जान, भूल गई क्या मुझे?
मैंने मुँह बिचकाते हुए कहा- हां, काश मुझे भी कोई ब्वॉयफ्रेंड मिल जाता!
आशीष- गुस्सा मत कर मेरी रानी, आज तेरे लिए ही कॉल किया है.
मैंने कहा- मतलब?
आशीष- अरे मेरी जान, वह पीयूष भैया तुमसे मिलने का बोल रहे थे!
(पीयूष भैया आशीष के पड़ोसी हैं, जिन्होंने पिछली कहानी में मेरी चुदाई देखी थी.)
मैंने कहा- बस मिलना ही चाहते हैं या मिलकर कुछ करना भी चाहते हैं?
आशीष- हां, यह सब तू खुद ही उनसे सीधे बात कर ले, मैं उनका नंबर तुझे भेजता हूं. उनके ऑफिस की छुट्टियां चल रही हैं, वे तुझे दो दिन के लिए अपने घर पर रखना चाहते हैं!
मेरे मन में एक नए लंड को लेकर गुदगुदी होने लगी.
फिर भी मैंने इठलाते हुए कहा- क्यों?
आशीष- यार, तेरा दिमाग तेरी गांड में है भोसड़ी के … क्या अब तुझे यह भी समझना पड़ेगा कि वे तेरे साथ क्या करना चाहते हैं? जाकर तो देख मेरी रंडी, उन्होंने तेरे लिए कुछ खास इंतजाम किए हैं.
मैंने कहा- ठीक है, तू नंबर भेज … मैं उनसे बात करता हूं.
आशीष ने कॉल कटते ही मुझको उनका नंबर भेजा और मैंने भी तुरंत ही कॉल कर दिया.
मैं- हैलो, पीयूष जी से बात हो रही है?
पीयूष- ओहो … पीयूष जी … अभी से ही सैयां समझ बैठी हो क्या?
मैं शर्मा रहा था.
फिर बोला- वह आशीष ने बताया कि आप मुझसे मिलना चाहते हैं!
पीयूष- हां मिलना तो कब से चाहता था, पर समय अब मिला है.
मैंने कहा- फिर क्या प्लान है?
पीयूष- आज रात अपनी प्यास बुझाने हमारे घर आइए!
मैं चुप रहा.
एक पल रुकने के बाद पीयूष भैया ने आगे कहा- बेगम आपको बताते हैं, जब हम बजाते हैं तो आदमी हो या औरत, अपने यौवन को हमारी ओर झुका ही देता है. फिर उसका बजा हुआ शरीर हफ्तों तक किसी का भी लंड नहीं मांगता है.
मैंने कहा- मैं हूँ तो एक लड़का, पर आज रात को एक जवान लड़की नहीं एक प्यासी औरत या प्यासी घोड़ी की तरह चुदना चाहती हूं.
पीयूष- ठीक है रानी, तो आज मैंने इस घोड़ी की सवारी चांद तक नहीं की तो मैं भी एक मर्द नहीं!
मैंने कहा- लिल्लाह … कसम से मेरी टांगें तो अभी से चाँद की तरफ उठ गई हैं.
पीयूष- तू बस अपनी टांगें यूं ही उठा कर रख, मैं आकर तुझे पेलता हूँ.
यह बोल कर हम दोनों ने फोन कट किया और रात के दस बजते ही मैं पीयूष के घर पहुंच गया.
जिस बिल्डिंग में आशीष और पीयूष भईया का घर था, उसके तीसरे फ्लोर पर बस उन दोनों के ही फ्लैट थे.
उसके अलावा वहां एक बड़ी बालकनी थी, जिसे मिनी गार्डन टाइप बनाया हुआ था.
उधर एक झूला और एक सोफा रखा हुआ था.
आशीष ने पीयूष भैया को बोल रखा था कि उसके घर वाले तीन दिन बाद आएंगे.
वे सभी अपने पारिवारिक कार्यक्रम समाप्त होने के बाद ही आएंगे.
आशीष का एक छोटा भाई है, उसका नाम विशेष है.
आशीष ने उसके बारे में भी यह बताया कि विशेष अभी जवान है और जब वह सुबह आते ही पहले सीधा जिम जाएगा. फिर वहां से घर लौटेगा.
आशीष के कहने का मतलब यह था कि उस पूरे फ्लोर पर सुबह ग्यारह बजे तक कोई नहीं होगा.
जब मैं रात को पीयूष के घर पहुंचा.
तो उसने फोन पर कहा- सीधे अन्दर आ जा मेरी घोड़ी, गेट खुला है.
मैं अन्दर गया तो वहां की परफ्यूम की खुशबू ने मुझे मदहोश कर दिया.
पीयूष सोफे पर बैठा था.
वह मुझसे 8 साल बड़ा था.
उसने एक रिमोट उठाया और एक गाना बजने लगा.
वह गाना था- धक धक करने लगा.
गाना सुनकर मेरे अन्दर की रंडी अपने आप मेरे चेहरे पर आ रही थी.
मैं अपने दांतों से अपने होंठों को चबा रहा था.
पीयूष बोला- ये मर्दों के कपड़े तुझ पर जँच नहीं रहे हैं रंडी. ये ले ब्रा और पैंटी … मेरी मंगेतर की है, तेरे ही साइज की है. पहन ले साली कुतिया … तू इसी के लिए बनी है.
मैंने इठलाते हुए कहा- मैंने तो आशीष से आपकी ज़ालिम ठुकाई के किस्से सुने थे कि आप मुझ जैसे मर्दों और रंडी औरतों पर बड़ा कठोर सेक्स करते हो, तो मुझे खुद ही नंगा करके ये सब पहना दो न!
पीयूष- अरे नादान रांड, तू जानती नहीं साली कि तू एक शेर को उकसा रही है. तुझ जैसे घोड़ी दो मिनट में जमीन पर ध्वस्त हो जाएगी.
मैंने कहा- तो देखते हैं कि सुबह तक किसकी हालत ज्यादा खराब होती है!
मैं अन्दर से जानता था कि इस खेल में हार मेरी होनी ही है क्योंकि पीयूष भैया मंजे हुए खिलाड़ी हैं.
पीयूष भैया- ठीक है, सुबह तक तेरी दोनों टांगों को कमजोर करने का दावा करता है ये मर्द. साली मुर्गी की तरह औंधी न लटकाई तो कहना.
अब मैं समझ गया था कि आज रात मेरा सामना एक खतरनाक मर्द से होने वाला है जो मेरी सवारी करके मुझे चरम सीमा तक पहुंचा देगा और मेरी प्यास की सीमाओं को और अधिक बड़ा कर देगा.
पीयूष सोफे से उठा और ब्रा पैंटी उठा कर आगे को आया, फिर उसने एक शेर की तरह मुझ पर झपट्टा मारा.
पीयूष- तो मैं तुम्हारी हर घाटी को नापने को तैयार हूं. आज रात इस पूरे फ्लोर पर तेरी आवाज़ गूंजना चहिए.
उसने मुझे कसके पकड़ा और मेरे कपड़े उतारना शुरू कर दिए.
जल्द ही मैं सोफे पर नंगा था.
उसने मुझे पलटाया और मेरी छाती पर ब्रा पहना कर उसका हुक लगा दिया.
फिर मेरी टांगें चौड़ी करके उसमें पैंटी पहना दी.
वह पैंटी मुझे जरा टाइट आ रही थी.
मैंने मन मैं सोचा इनकी मंगेतर से बड़ी है मेरी गांड!
‘आ जा मेरी रंडी … चड्डी उतार कर आ जा!
मैंने चड्डी उतारी तो उसके 8 इंच का काला नाग तन करके सीधे मेरे होंठों से टकरा गया.
मेरी सांसें तो उसे देख कर ही अटक गई थीं.
अब भैया ने एक छोटा सा पॉज लेकर मेरे पंखुड़ी जैसे होंठों को चीरता हुआ मेरे मुँह में ठूंस दिया.
वह तो भला हो आशीष के 7 इंच के लौड़े का कि मुझे लंबे लौड़े मुँह में लेने की आदत सी हो गई थी.
आज जब पीयूष का 8 इंच का लौड़ा मेरे होंठों को ऐसे चोद रहा था, जैसे कुछ ही पल में मेरे होंठों का साइज बढ़ जाएगा.
ऐसे ही लौड़ा मुँह में देते हुए उसने मुझे पूरा घुमा सा दिया था.
अब उसने मेरे बूब्स दबाना और चूसना शुरू किए. इस वक्त हम दोनों किचन में थे.
उसने मेरे बूब्स पर शहद लगाया और मुझसे कहा- मेरी मधुमक्खियों की रानी, आज इस गदरायी गांड वाली मर्द को चोद कर इसका पूरा शहद निकाल दूंगा.
मैंने कहा- तो शुरू करो न मेरा शिकार!
यह सुनकर उसने मेरी पैंटी खींच कर फाड़ दी और मेरी गांड में बहुत सारा शहद भर दिया.
साथ ही उसने अपने लंड पर भी शहद मसल लिया.
फिर मुझे कमर से पकड़ कर यूं उठाया, मानो मैं कोई फूल होऊं. वह मुझे लटका कर हॉल में ले आया.
हॉल में सामने टीवी में गाने चल रहे थे.
वह मेरे दूध चूसते हुए लाया और उसने अपना लंबा व मोटा मेरी गहरी गुफा में डाल दिया, सच में पता ही नहीं चला.
अचानक से मेरी चीख निकली, यह आवाज टीवी में बज रहे गानों से भी तेज थी.
‘आआह मर गई … उम्मम्म साले मादरचोद ने गांड फाड़ दी आह …!’
वह जोर से हंसा और बोला- अभी क्या है रंडी बहन की लौड़ी, अभी तो शुरुआत है मेरी जान … आज तेरी गांड को गड्डा न बना दिया तो कहना.
यह कह कर उसने मेरे होंठों को चोंच की तरह अपने एक हाथ से बंद कर दिया.
उसके कड़क हाथ की जकड़न के आगे मेरी चीख अन्दर ही घुट कर रह गई.
अब उसने दूसरे हाथ से मेरे पेट को दबा दिया ताकि मैं ज्यादा हिल न सकूँ.
अब उसने अपने लौड़े को गांड से बाहर निकाला और वह दूसरा शॉट मारने की तैयारी में हो गया.
मैंने अपना मुँह जोर से ऊपर किया और चिल्लाने को हुई ही थी कि तभी उसने एक करारे झटके से अपना हथियार मेरी गांड में अन्दर तक अन्दर तक ठूंस डाला!
इस बार दर्द और मजा दोनों का मिला-जुला आघात हुआ था.
मेरे हरजाई खसम आशीष ने मेरी गांड पर अपने मोटे लौड़े से जो मेहनत की थी, आज ये सब उसी का नतीजा था कि मैं मजा ले पा रही थी.
मेरी जुबान मेरे मुँह से बाहर आ गई और कंठ से दबी हुई आवाज निकल गई ‘उओह्ह्ह उह्ह साले हरामी आह फाड़ दी साले ने आह पीयूष मेरी जान क्या पेला है तूने आह.’
वह मजे से एक शॉट और मारता हुआ बोला- अभी सही बोल रही है कुतिया आह ले बहन की लवड़ी, लंड का मजा ले!
‘आह सच में जानी तेरे इन 2 झटकों में ही जन्नत आ गई … आह ले चलो अपनी इस घोड़ी को चाँद पर आह.’
फिर वह मेरे दूध मसलता हुआ मुझे धीमे धीमे चोदने लगा.
मैंने उसे गुस्सा दिलाने के लिए बोला- क्या हुआ जानी … क्या थक तो नहीं गए!
पीयूष- हम थकते नहीं रानी … थका देते हैं. जहां गड्डा दिखा, वहां लंड घुसेड़ देते हैं. आज रात भर तुझे घोड़ी बनाकर तेरी गांड का भोसड़ा बना दूंगा साली रंडी!
इतना कह कर उसने दो चार तेज झटके मार दिए.
उन झटकों से मेरी दर्द और आनन्द भरी मीठी आवाजें निकलने लगीं ‘वाआह्हह आह हाय हुउई उम्ममा … आई.’
मेरी अंगड़ाइयां और मेरा खुला मुँह उसको और उत्तेजित किए जा रहे थे, ये उसके झटकों की तेजी में साफ नजर आ रहा था.
पूरा कमरा धक धक पक पक की आवाज से गूंज रहा था.
अब उसके दोनों हाथ मेरे दोनों मुसम्मियों को पकड़ कर मेरी चुदाई में सहायक बने हुए थे.
उसके झटकों की मार से मेरी कमर हवा में उठ उठ जा रही थी और लंड गांड की गहराई तक खोदे जा रहा था.
मेरी गांड की इतनी गहराई तक मेरे राजा आशीष का लंड भी नहीं पहुंचा था.
मैं मस्ती में ‘आम्हह्ह आअन्हा …’ कर रहा था.
करीब आधा घंटा तक उसने मुझे खूब ठोका.
उधर सामने टीवी में सलमान भाई गिटार बजा रहे थे और इधर ये मेरी गांड बजा रहा था.
पीयूष के इस आधा घंटा के हड्डी तोड़ गांड फाड़ अभियान ने ही मुझे स्वर्ग में पहुंचा दिया था.
मैं समझ गया था कि अब मेरा यौवन सही मर्द के हाथ में है.
अब मेरा सांड अपना रस छोड़ने वाला लग रहा था, उसके तेज होते धक्के इस बात का सबूत थे.
कुछ ही झटकों में मुझे एक तेज और गर्म धार मेरे पेट तक महसूस हुई.
अब रात के एक बज चुके थे और उसके लंड का तनाव मेरी बजाने के लिए वापस में रेडी था.
मैं भी बिल्कुल जोश में था.
उसने मुझे घोड़ी बनाया और बड़ी आसानी से अपना पूरा लंड मेरी गांड में फिट कर दिया.
फिर बिना देर किए झटके देना शुरू कर दिया.
अब उसके लौड़े से चुदने में मुझे मजा आने लगा था.
मेरा पूरा शरीर हिल रहा था.
मुझे घोड़ी बनाए हुए ही उसने उठाया और वह सोफे पर ले गया.
उधर आधा घंटा तक उसने बमपिलाट झटके दिए और अपना सारा माल मुझे सीधा करके मेरे बूब्स पर टपका दिया.
रात तीन बजे फिर से एक राउंड शुरू हुआ. इस बार हमला मिशनरी पोज में किया गया था.
अब तो मेरी गांड का हर हिस्सा मदहोश था.
मेरा पेट उसके वीर्य से भरा हुआ था और फूला हुआ लग रहा था, जिसे वह खाली करने ही नहीं दे रहा था.
मैंने उससे पूछा- तुमने कैसे कैसे और कितनों को पेला है?
उसने झटके देते हुए बताया कि सबसे पहले जवानी में मैंने इसी बिल्डिंग की एक लड़की को चोदा था, अब वह यहां नहीं रहती है. उसके बाद एक चिकनी काम वाली को पेला था.
यह बताते हुए उसने मुझे दीवार से सटाया और पीछे से चोदना शुरू कर दिया.
वह फिर से बताने लगा- फिर मैंने पास के एक स्कूल की मैडम को चोदा, काफी मादक माल थी साली रंडी. फिर मेरा इंटरेस्ट लड़कों में भी आया तो मैंने कॉलेज के एक दोस्त को समलैंगिक सेक्स देखते हुए पकड़ा और उसे कॉलेज में ही चोद दिया. फिर मैंने उसे अपना ब्वॉय फ्रेंड बना लिया. उसके बाद मैंने बहुत से अंकल, मर्द, औरतों को चोदा. लेकिन अपने ब्वॉय फ्रेंड के अलावा किसी को दोबारा नहीं पेला.
मैंने कहा- इतने सारे?
वह गर्व से बोला- ये तो छोड़ो … अब जो मैं कहूँगा, उसे सुनकर शायद तुम विश्वास न करो पर मैंने अपने ब्वॉय फ्रेंड की मम्मी को भी पेला था और वह भी उसके कहने पर!
मैं चौंक गया और वह्ह आह अह्ह्ह करने लगा.
वह आगे बोला- फिर मैंने अपनी मंगेतर की सील तोड़ी. लेकिन अब उसे शादी के बाद ही चोदूंगा, पर उसके बदले मैंने उसकी मां को भी पेल दिया है.
मैंने कहा- अरे … क्या मतलब सासू मां को भी नहीं छोड़ा?
पीयूष- हां, उसकी मां को समाज की सबसे संस्कारी औरत का खिताब मिला था … बहन की लौड़ी को … पर मैं जानता था कि सबसे संस्कारी औरत ही सबसे प्यासी होती है, तो बस मौका देख कर सैट किया और चूत चोद दी.
सुबह के 6 बजे पीयूष मेरे ऊपर आकर मुझे चोद रहा था. उसमें अब भी पूरा जोश था जबकि मैं थक चुका था.
उसने आगे बताया कि उसने अपने दो कजिन भाइयों को भी चोदा है और सगे चाचा को भी पेला है.
उसकी ये सब बातें सुन कर मुझे बड़ा मजा आया.
उसने कहा- मेरे ब्वॉय फ्रेंड और तुम्हारे अलावा मैंने किसी की भी रात भर नहीं रगड़ी.
इतना कह कर वह मेरी गांड में ही छूट गया.
मुझे लगा कि आज मेरी गांड का जितना कबाड़ा होना था, वह हो गया है और अब फुर्सत मिल गई है.
पर उसने कहा- अब चलो बालकनी में मजा आएगा.
मदहोशी में मैं उसके साथ चला गया उसने मेरे घुटने बालकनी में लगे झूले पर रखे मेरे हाथ ज़मीन पर टिका दिए.
फिर वह खुद झूले के ऊपर सैट हुआ और मुझे चोदने लगा.
वह मेरी गांड जोर जोर से चोदते हुए कहने लगा- बोल मेरी रंडी, आज कौन जीता?
मैंने अपनी हार स्वीकार कर ली और कहा- तुझ जैसे मर्द के आगे संस्कारी, भूखी औरतें, बड़े भूखे मर्द भी घुटने टेक देते हैं.
तभी पीयूष को अहसास हुआ कि कोई हमें देख रहा है.
उसने हल्का सा सर घुमाया तो देखा वह आशीष का भाई विशेष था जो जिम से जल्दी आ गया था.
उसने झूले पर मेरी चुदाई देखी.
मैं इससे अनजान था और ना ही पीयूष भैया ने मुझे बताया ताकि मैं फालतू की टैंशन नहीं लूं.
जब पीयूष ने देखा कि मेरी टांगों में जान नहीं बची, तो वह मुझे उठा कर कमरे के अन्दर ले गया और आखिरी बचे कुछ झटके मार कर हम दोनों लुढ़क गए.
फिर हम दोनों सीधे ग्यारह बजे उठे और फ्रेश हुए.
पीयूष ने बढ़िया कॉफी पिलाई.
फिर हम दोनों एक साथ नहाने लगे.
वह मेरी नहाते में लेने की अभी सोच ही रहा था कि उसके फोन पर उसकी मंगेतर का मैसेज आया कि वह एक घंटे में घर आ रही है.
मैंने कहा- मतलब आगे का प्रोग्राम कैंसिल?
पीयूष- दस मिनट में आशीष आ रहा है, तुम बाकी समय उसके साथ बिता लो.
मैं मान गया.
उसके बाद आशीष आया और उसने मेरे साथ बाथरूम में सेक्स किया.
वह सब किस तरह से हुआ, उसे अगली सेक्स कहानी में लिखूँगा.
पीयूष जी ने मुझे उस दिन प्यासी रांड का खिताब दिया और दोबारा मेरी गांड की गहराई में अपने लौड़े को ले जाने का वादा भी किया.
अगले भाग में आप पढ़ेंगे कि कैसे आशीष के साथ एक और मर्द ने मुझे अपनी मर्दाना ताकत का अहसास कराते हुए अपने लौड़े के ऊपर बैठा कर मुझे चुदासी औरत होने का अहसास दिलाया.
अभी आपसे विदा लेता हूँ.
अगली ऐस्स गांड Xx कहानी तक के लिए आप गांड और चूत बजाते रहें और सुखी रहें.
[email protected]
What did you think of this story??
Comments