अब तो मेरी रोज़ गांड बजती है-3
(Ab To Meri Gaand Roj Bajti hai-3)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left अब तो मेरी रोज़ गांड बजती है-2
-
keyboard_arrow_right अब तो मेरी रोज़ गांड बजती है-4
-
View all stories in series
आपका प्यारा सा सनी गांडू
प्रणाम दोस्तो, कैसे हो सब…!
पिछले भाग से आगे-
मुझे अब यकीन हो गया था कि प्रसाद ने उस दिन मुझे जिस अवस्था में देखा था उस दिन से शायद वो मेरा दीवाना हो चुका था।
मैं चाहता था कि पहल उसकी तरफ से हो।
मैं जानता था कि मैं कुछ न कह कर भी ऐसी परिस्थिति पैदा किया करूँगा कि उसको मुझे एक दिन मसलना ही मसलना पड़े।
अगली रात मेरा पहला आशिक फिर से रात को आया, उसने मुझे बहुत उकसा दिया, बोला- सनी सोच.. तुम उसकी बीवी की तरह होगी।
एक रूम, एक बैड पर अकेले, इससे बढिया क्या हो सकता है..! जब तुम दोनों के बीच सम्बन्ध बन ही गए, तो तुम ब्रा-पैंटी भी खुलकरपहना करो। जो कपड़े तुमने छुपा कर रखे हैं.. मेरे लिए, अंकल के लिए, वो तुम बाहर अलमारी में रख सकोगे..!
उसकी बातों ने मुझे बहुत रोमांचित किया और मैंने अपने आशिक को भी आज बहुत रोमांचित किया, क्यूंकि उसके बाद हमारा मिलन दो महीनों या उस से भी ज्यादा समय बाद हो पाता।
आज उसके लंड को रंडी की तरह थूक-थूक कर चूसा। पूरी रात वो मेरे साथ रुका। तीन बार मेरी गांड को चोदा।
पहली तारीख आते ही मैंने अंकल से कहा- कंपनी हमें रूम दे रही है, इसलिए हमें वहाँ शिफ्ट होना है।
उसने भी अपना कमरा छोड़ दिया। दूसरी कॉलोनी में पहले से ही हमने पोर्शन किराए पर ले लिया था। वहाँ रूम भी बहुत सेक्सी था, वाशरूम भी बहुत सेक्सी था। हमने मिलकर अपना सामान सैट किया। पूरा दिन साफ़-सफाई में निकल गया।
शाम को बोला- थोड़ी देर आराम करते हैं। उसके बाद फ्रेश होकर खाने के लिए जायेंगे।
यहाँ पास में जी.टी रोड पर ढाबा है वहाँ खाना खाकर देखेंगे।
मैंने चाहते हुए भी अभी तक ऐसा कुछ नहीं किया, जिससे उसको मेरे गांडू होने का हिंट मिले..!
ना जाने क्यूँ मुझे ऐसा लगता था कि वो मेरे चिकनेपन पर, मेरे नर्म-नर्म जिस्म को देख कर सोचता होगा कि इसको धीरे से गांडू बना लूँगा।
उसने कुण्डी लगा दी, मुझे भी वैसे बहुत तेज नींद आ रही थी लेकिन शायद वो इसलिए आराम के लिए कह रहा था कि जैसे उसने मुझे मेरे रूम में नंगे को सोते देखा था यहाँ भी मैं वैसे ही कपड़ों में आराम करूँगा इसलिए उसने भी वही किया, फ्रेंची के साथ टी-शर्ट पहन कर लेट गया।
उसकी जाँघों पर टांगों पर सेक्सी बाल थे। मैं दिल ही दिल में पागल हो रही थी।
फ्रेंची में उसका उभरा हुआ हिस्सा देख एक बार दिमाग घूमा लेकिन बरमूडा और टी-शर्ट पहन कर, उसकी तरफ चूतड़ करके लेट गया।
मुझे नींद आ गई, एक घंटे बाद उसने उठाया और हम पहले चाय पीने गए वापस आकर रात को खाना खाने गए।
रात हुई मैं उसको धीरे-धीरे उकसाना चाहता था।
अगली रात मैंने टी-शर्ट और फ्रेंची ही पहनी। कुछ देर बातें करके उसकी तरफ गांड कर लेट गया।
ऐसे दो रातें और निकलीं।
मैंने आखिर दुबारा उसको दर्शन करवा दिए, मैं नहा कर तौलिये में निकला, उसका ध्यान मेरे मम्मों पर था। पौंछने के बहाने मैंने अपने मम्मे दबाए।
उसी रात बोला- पैग-शैग हो जाए? कई दिन हो गए दारु का मजा लिए।
“हाँ..हाँ हो जाए.. वैसे मैं पीता नहीं।” मैंने उसको ऐसे ही कह दिया, “तुम्हें कंपनी दे दूँगा।”
बोला- एक पैग प्लीज़..!
मैंने एक पैग खींचा। उसने काफी दारु खींच डाली। उसको काफी नशा हो गया। वो पक्का पियक्कड़ निकला।
वो खाना खाने जाने तक लायक नहीं रहा, सोचा था आज शायद नशे में मुझ पर हाथ फेरेगा.. शायद चाहता वो भी था.. लेकिन मैंने एक पैग ही लिया। काश.. मैंने दो पैग और लिए होते लेकिन मैंने उसको लिटा दिया, वो फ्रेंची में था।
मैंने दरवाज़ा लॉक किया, उसके करीब आया, उसकी टी-शर्ट ऊपर कर दी। उसके संग लिपट गया। उसकी छाती से मम्मे रगड़ने लगा।
मैंने उसके लंड को पकड़ लिया, बाहर निकाल देखा..
क्या लंड था.. साले का..!
मेरे छूने से उसका लंड हरकत में आने लगा, वो थोड़ा सा जगा भी लेकिन नशा ज्यादा हावी था।
मेरे पास उसके शरीर का जायजा लेने का, उसके लंड को पहले सहलाने का मौका था। मैंने सुपारे से आगे भी लंड मुँह में भर लिया, क्यूंकि अभी पूरा खड़ा नहीं था।
मैंने फ्रेंची उतारी उसके लंड को अपनी गांड के छेद पर रगड़ा।
वैसे वो अपने दिल की बात कहने को कितने दिन लगा देता और मैं तो रोज़ उसका पकड़ना चाहता था। मैंने खुलकर उसके लंड को चूमा-चाटा, उसके टट्टों को चूमा, उसकी छाती को चूमा, उसका हर अंग देखा। उसके होंठो पर होंठ तक लगाए।
मैं इतना गर्म हो चुका था कि मैं सब भूल गया, सोचा.. अगर होश में आ जाए तो आ जाए सही.. लेकिन अब खुलकर चूमने चाटने का मूड था, जो मैंने किया।
उसका लंड भी खड़ा कर दिया था, उसको सीधा भी किया उस पर बैठने की नाकाम कोशिश भी कर डाली। लेकिन होश, होश होता है, दो तरफ़ा साथ अलग होता है।
मैंने उसके लंड को जगा तो लिया, लेकिन बस उसकी तरफ से कुछ भी हरकत ने होने से उसका लण्ड मेरी गांड के अन्दर नहीं घुसा सका।
कुछ मजा लेकर मैंने उसके कपड़े दुरुस्त किए।
अपनी फ्रेंची को चीर में घुसा कर टी-शर्ट उतार कर लेटा था कि शायद रात को अगर होश आए तो मुझसे लिपटे, क्यूंकि उसने मुझे पाने के लिए ही तो उसने दारु का प्रोग्राम रखा था और हो सकता था कि वो कुछ करता भी।
रात के तीन बजे मुझे कुछ महसूस हुआ प्रसाद मेरे साथ चिपक सो रहा था, शायद अभी भी नशे में ही हुआ था लेकिन मेरा बदन जग गया था।
मैंने देखा उसको अभी तक नशा था। मैंने उसको धकेला सो गया।
मैं नहीं चाहता था पहल मैं करूँ, मुझे एक और चीज़ दिमाग में थी।
मैं बाथरूम में नंगा बैठा था कि कब प्रसाद जागे। जैसे वो उठा मैंने अपने बदन पर पानी डाला दरवाज़े की तरफ मेरी गांड थी और मैंने कुण्डी नहीं लगाईं थी ताकि एक बार मेरी मन मोहक गांड के दर्शन कर ले..।
दरवाज़ा खुला मैंने ध्यान देकर भी ध्यान नहीं दिया था, शायद वो देख कर मुड़ गया था। वैसे भी उसका सर फट रहा होगा।
नहा कर निकल मैंने अपने होने वाले पति के लिए नींबू पानी बनाया- यह लीजिए..!
खैर.. दिन बीता, शाम तक वो ठीक था बोला- हैंग ओवर हो रहा है.. दो पैग लगाने होंगे..
मैं चुप रहा, उसने लगाए और खाना खाने चले गए।
आज वो तो ठीक था नशा भी बहुत कम था, लेकिन उसका मूड बनाने के लिए टी-शर्ट फ्रेंची पहन कर रोज़ की तरह गांड को उसकी साइड करके लेट गया। जब उसे लगा मैं सो गया हूँ, वो मेरे करीब सरका।
मैं कहाँ सोने वाला था..! उसने मेरी गांड पर हाथ फेरा।
मैंने कुछ नहीं कहा, उसने चूतड़ों को हल्के-हल्के दबाया और फिर चिकनी जाँघों को सहलाया।
उसको डर था कि कहीं मैं जग ना जाऊँ।
मैं उसकी हरकत से गर्म हो रहा था।
मेरे अन्दर छुपी औरत निकलने लगी, आग बराबर लगी थी, मगर वो एक तरफ़ा आग सोचता था। उसने पीठ सहलाई मैं हिला तो उसने जल्दी से हाथ पीछे किया।
मैंने करवट ली मेरे चिकने और गोरे मम्मे, सेक्सी खड़े निप्पल उसकी तरफ थे।
जब मैं सेटल हुआ, कुछ देर बाद उसने देखा तो उसका हौसला बढ़ा कि मैं नींद में हूँ उसने हाथ सरकाया, मेरे निप्पल को छू लिया। धीरे से हाथ फेरा, मेरी गांड मचलने लगी, जिस्म अकड़ने लगा।
मेरा दिल कह रहा था, “प्रसाद आज मुझे अपनी पत्नी बना ले और मैं अगली सुबह उठूँ तो हल्की होकर उसकी पत्नी के रूप में आंख खुले।”
आँख की झिरी से मैंने उसके चेहरे के हाव भाव देखे, होंठों पर होंठ फेर रहा था। मेरे चिकने मम्मों को देख उससे रुका नहीं जा पा रहा था।
उसने मेरी नाभि सहलाई, वो हिम्मत तो करना चाहता था, उसने कोशिश भी कि कभी किसी पल मुझे लगा भी कि अब वो सारा डर छोड़ कर मुझे बाँहों में भर लेगा और मेरे नंगे जिस्म की तारीफ करते ही मुझ पर सवार हो जाएगा, लेकिन वो झिझक रहा था।
फिर क्या हुआ ?? क्या झिझक खुली..!
यह जानने के लिए जुड़े रहो अपने सनी गांडू के साथ।
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
[email protected]
What did you think of this story??
Comments