वो मेरी सुहागरात की बात
(Vo Meri Suhagraat Ki Baat)
दोस्तो मेरा नाम मनदीप कौर है, मेरे पति का नाम लवप्रीत सिंह है, हम पंजाब के गुरदासपुर का रहने वाले हैं।
अन्तर्वासना पर यह हमारी पहली कहानी है। बहुत समय से मेरी इच्छा थी कि मैं भी मेरी सेक्स स्टोरी अन्तर्वासना पर पेश करूँ.. पर टाइम नहीं मिलता था।
आज मैं हौंसला करके यह कहानी लिख रही हूँ.. उम्मीद करती हूँ कि आपको मेरी कहानी पसंद आएगी और आप मेरा हौसला बढ़ाएंगे।
यह कहानी मैं अपने पति के श्ब्दों में लिख रही हूँ।
मेरा नाम लवप्रीत सिंह है, मेरी अपनी मोबाइल की शॉप है। मेरा कद 5 फिट 9 इंच का है। गाँव के देसी घी दूध के कारण मैं कसरती बदन का मालिक हूँ। मैं शादी-शुदा हूँ.. मेरी बीवी का नाम मंदीप कौर है और मैं उसको बहुत प्यार करता हूँ, मैं अपनी बीवी को तन और मन से खुश रखता हूँ।
हमारी शादी को अभी एक साल से कुछ ऊपर ही हुआ है। हम दोनों पति-पत्नी बहुत मजे करते हैं और अपनी लाइफ को एन्जॉय करते हैं।
मैंने शादी से पहले कभी सेक्स नहीं किया था और मेरी पत्नी भी सेक्स के मामले में बिल्कुल अनाड़ी थी।
सुहागरात को मैं अपने कमरे में गया.. मेरी नई-नवेली दुल्हन शादी के जोड़े में बहुत खूबसूरत लग रही थी।
मैं कमरे के अन्दर प्रवेश कर चुका था.. मन में कई तरह के सवाल थे.. कि उसका मेरे प्रति कैसा व्यवहार होगा.. ऐसा कुछ सोचते हुए मैं उसके पास जा कर बैठ गया।
ना वो कुछ बोल रही थे ना मैं..
अब मैंने थोड़ा बात शुरू की.. और उससे अपने घर वालों के बारे में पूछा।
उसने कहा- सब बहुत अच्छे हैं।
शादी से पहले फोन पर हमारी बात होती रहती थीं। इस तरह मैंने उससे बात शुरू की.. उसके बाद मैंने उससे कहा- वो चेंज कर ले और आराम से बिस्तर पर आ जाए।
उसने कहा- जी ठीक है।
वो अलमारी से अपने कपड़े निकाल कर बाथरूम में जा कर चेंज करने लगी।
लगभग 5 मिनट बाद वो नाइट सूट पहन कर बाहर आ गई।
अब वो और मैं एक साथ बिस्तर में बैठे थे, मैंने धीरे से उसके चेहरे को पकड़ कर अपनी तरफ किया और उसके माथे पर एक चुम्बन किया.. मेरे चुम्बन से ही उसका बदन कांप गया और चेहरा लाल पड़ गया।
अभी मैं आगे बढ़ने ही वाला था कि उसने बिस्तर की एक तरफ रखा दूध का गिलास मेरे आगे कर दिया।
मैंने आधा गिलास खुद पिया और बाकी उसके सामने कर दिया।
उसने शरमाते हुए गिलास लिया और दूध पी लिया।
मैंने गिलास एक तरफ रख दिया और उसे अपनी तरफ खींचने लगा।
इतने में उसने अपना सुहागरात का गिफ्ट माँग लिया।
मैंने उसे एक सोने की एक रिंग गिफ्ट में दी।
वो रिंग ले कर बहुत खुश हुई।
अब हमारे शगुन पूरे हो चुके थे।
मैंने उसको कंधों से पकड़ कर बिस्तर में लिटा दिया और उसके बगल में मैं खुद लेट गया।
वो अब भी शर्मा रही थी… मैं उसको एकटक देखे जा रहा था।
उसने कहा- लाइट ऑफ कर दो..
मैंने लाइट ऑफ कर दी और नाइट बल्ब जला दिया।
लाल बल्ब की रोशनी में वो बहुत सुंदर लग रही थी। मैं उसको एकटक देखे जा रहा था.. तो उसने अपनी आँखें बंद कर लीं।
मैंने मौके का फ़ायदा उठाया और उसके माथे पर एक चुम्बन कर दिया.. तो वो सिसकार उठी ‘ऊंह.. सस्स्सस्स..’
उसके होंठ कांपने लगे.. मगर उसने अपनी आँखें नहीं खोलीं।
मैंने अगला वार किया और एक चुम्बन होंठों पर कर दिया।
इससे वो बुरी तरह हिल गई और अपने आप मेरे सीने से लग गई।
किसी लड़की का पहला स्पर्श मुझे भी मदहोश कर रहा था।
अब मैंने उसको अपनी बाँहों में भरना शुरू किया.. तो वो लता की तरह मेरे सीने से चिपक गई और अपना सर मेरी छाती में छुपा लिया। उसने कस के मुझे पकड़ लिया.. क्योंकि वो मेरी तरफ देखना नहीं चाहती थी, उसे शर्म आ रही थी।
उसने मुझे बाद में बताया था।
वो सिमटती हुई मेरी गिरफ्त में आ गई, मैंने उसे बाँहों में भर कर अपने ऊपर कर लिया। अब मैं नीचे था और वो मेरे ऊपर थी।
मैं उसके होंठों पर.. गाल.. माथे पर.. चुम्बनों की बरसात कर रहा था, वो सिसकारियाँ भर रही थी.. उसका शरीर तंदूर जैसे गर्म हो रहा था।
मैंने उसकी नाइटी को उतारना चाहा.. तो वो मना करने लगी।
मैंने कारण पूछा.. तो उसने कहा- उसकी भाभी कहती थीं कि पहली बार में बहुत दर्द होता है।
मैंने उसे कहा- पहली बार में थोड़ा दर्द तो होगा।
वो कहने लगी- हम आज नहीं करेंगे.. कल को कर लेना।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
पर मैंने सोचा कि अगर मैंने आज कुछ नहीं किया तो कल मेरे दोस्त मुझे ताने मारेंगे.. तो मैंने हिम्मत नहीं हारी और लग गया अपने काम पर।
मेरे बहुत कहने पर वो फोरप्ले को मान गई.. तो मैंने सोचा कि अगर मैंने कुछ ज़ोर जबरदस्ती की.. तो इसका हमारे रिश्ते पर बुरा असर पड़ सकता है।
तो मैंने बहुत प्यार से उसके नाइट सूट को उसके बदन से अलग कर दिया। अब उसके बदन पर कपड़ों के नाम पर ब्रा और पैन्टी थी। मैं अब तक उसे दोनों हाथों से गरम करता जा रहा था और साथ में किस भी कर रहा था।
मैंने उसकी गर्मी का फ़ायदा उठाते हुए उसकी ब्रा को भी खोल दिया.. जो अब हम दोनों के नंगे बदन के बीच दीवार की तरह लग रही थी। मैंने पलटी मारी और मैं उसके ऊपर चढ़ गया.. अब वो मेरे नीचे थी।
मैंने खुली हुई ब्रा को उसके बदन से अलग कर दिया। वाह.. क्या मम्मे थे यार.. एकदम माउंट एवेरस्ट की तरह सर उठाए खड़े थे।
मैंने देर ना करते हुए उन पर अपने उल्टे हाथ की दो उंगलियाँ फिरानी शुरू कर दीं। मेरे ऐसा करने से उसकी आग और भड़क उठी और बस वो धीरे से मेरे कान में बोल पड़ी- जी.. मुझे दर्द मंजूर है।
बस फिर क्या था हमारी सुहागरात पूरी मन गई.. उसमें जो भी होता है.. वो आप सभी अन्तर्वासना की कहानियों में पढ़ते ही हैं।
इस कहानी को कोई झूठा नहीं कह सकता क्योंकि ये मेरे निजी जीवन की एक घटना थी जो सभी के साथ होती ही है।
आपके पत्रों का इन्तजार रहेगा।
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