सत्य चुदाई कथा संग्रह: सहेली ने मेरी कुंवारी चूत को लंड दिलवाया-2
(True Sex Story: Saheli Ne Choot Ko Lund Dilaya- Part 2)
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keyboard_arrow_right बेटी ने मम्मी को पापा से चूत चुदवाते देखा
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मैंने संतोष के साथ चुदने की तो सोची थी पर मजेदार चुदाई के लिए पहले मैंने उसको खूब डांटा और वो भी मेरे गुस्से से डर गया।
अब आगे..
संतोष बोला- कविता जी वेरी सॉरी.. मैं कुछ ज्यादा आवेश में आ गया था.. लाओ, मैं साफ़ करे देता हूँ।
वह वहीं ड्रेसिंग टेबल पर पड़े हुए एक तौलिया वाले रूमाल को उठा कर मेरी तरफ साफ़ करने के लिए बढ़ा।
मैंने दिखावे के लिए गुस्सा करते हुए वो रूमाल उससे छीन लिया और मैं खुद उस रूमाल से अपने कपड़े साफ करने लगी, वो एक उल्लू की तरह पहले मुझे देखे जा रहा था।
वो अपनी रबड़ी से सना हुआ लौड़ा धोने के लिए वॉशरूम में चला गया। मैं तब तक सफाई कर चुकी थी और वो रूमाल अब उसकी रॉड की रबड़ी से भर गया था।
मैंने इस वक्त एक अच्छा मौका देखा और उस रूमाल को अपने मुँह में डाल कर उसकी रबड़ी खाने लगी।
वाह.. वो स्वर्गिक स्वाद वाली रबड़ी खा कर मुझे क्या अलौकिक आनन्द मिला.. आआहह.. बहुत टेस्टी रबड़ी थी और मुझे वो रबड़ी बहुत अच्छी खुशबू दे रही थी।
तभी मुझे वॉशरूम का नल बंद होने की आवाज आनी बंद हो गई, मैंने वो रूमाल अपने मुँह से बाहर निकाल लिया और संतोष एक अपराधी की तरह मेरे बिस्तर के पास आकर मुझे एक उल्लू के तरह घूरने लगा।
मेरे मन में एक शरारत सूझी, मैंने अपने हाथ से वो रूमाल संतोष के मुँह पर फेंक दिया और वो मुँह से टकरा कर सीधे फ्लोर पर गिर गया।
तब मैंने गुस्से से कहा- तुमने आज बहुत ग़लत काम किया है.. चल तू डॉगी बन.. और उस रूमाल को बिना हाथ लगाए एक कुत्ते की तरह अपनी मुँह से उठा कर ला!
संतोष तुरंत कुत्ता बन गया और उस रूमाल को अपने होंठों और दांतों से उठा लिया, फिर एक उल्लू की तरह मेरी तरफ देखने लगा।
मैंने फिर गुस्से से कहा- साले, मुझे क्यों टकटकी लगाकर देखे जा रहा है.. अब कुत्ते इस रूमाल को चूस और सारा रस खा जा!
वो एक भूखे कुत्ते की तरह रूमाल को चूसने लगा.. जैसे उसको एक हड्डी का टुकड़ा मिल गया हो। वो उसी भांति उस रूमाल को अपने मुँह में ले जाकर चूसने में लगा, मैं तालियां बजाकर खिलखिला कर हँसती रही।
जब वो 4-5 मिनट उस रूमाल को चूस चुका.. तो मैंने उसको ऑर्डर दिया- अब कुत्ते की तरह चल.. और इस रूमाल को वॉशरूम में बास्केट में डाल कर आ!
वो कुत्ते की तरह चलता हुआ वॉशरूम में गया और कपड़ों की बास्केट में डाल आया।
जब वो वापिस आया.. तो मैंने खुद खड़े होकर उसको आलिंगन में ले लिया और उसको बेतहाशा चूमने लग गई।
कोई 5 मिनट तक हम दोनों एक-दूसरे को चूमते रहे, उसने मेरी जीभ अपने मुँह में ले ली और चूसने लगा। यह जीभ चुसाई भी कोई 5-7 मिनट तक चलती रही।
फिर मैं वॉशरूम में चली गई और वहाँ मैंने अपने कपड़े और ब्रा उतार दी, अपने सारे शरीर को तौलिये से साफ़ करके फ्रेश होने लगी। इसके बाद मैं वॉशबेसिन के पास गई और अपना मुँह धोने लगी।
मैं बहुत खुश थी और एक गाना अनायास मेरे होंठों से निकलने लगा:
थोड़ी देर में पिया से मिलन होगा..
मन थोड़ा धीर धरो..
बाँहों में फौलादी बदन होगा.. मन थोड़ा धीर धरो..
ना जाने कितनी देर इस गाने को गुनगुनाते हुए वहीं वॉशबेसिन के मिरर में अपने सुंदर और आकर्षक शरीर को निहारते रही, घूम-घूम कर अपने नुकीले मम्मों को देखती और कभी अपने गोल मटोल चूतड़ों को निहारती.. जो कि एक छोटी सी पैन्टी से ढके हुए थे।
फिर मैंने अपनी पैन्टी भी नीचे की.. और अपनी चूत और गांड को भी तौलिया से साफ़ कर लिया।
तभी मुझे अपने पीछे एक छाया दिखाई दी.. तो मैंने देखा कि संतोष वॉशरूम में आ चुका था।
मैं वॉशरूम को दरवाजा बंद करना भूल गई थी.. इसलिए वो अन्दर आ गया था।
वो पठ्ठा अपनी पैन्ट अंडरवियर उतार चुका था और अपने काले लंबे मोटे लौड़े को सहला रहा था।
मैंने गुस्से से डांटते हुए कहा- तुम यहाँ क्या कर रहे हो.. जाओ बाहर निकलो।
वो बोला- मैं तो तुम्हारे अन्दर आते ही यहाँ दरवाजे पर आ गया था और तुम्हारे सौन्दर्य को निहार रहा था। मेरा लौड़ा तेरी लेने के लिए बहुत बेकरार है। देख नहीं रही.. ये किस तरह फुंफकारें मार रहा है।
इतना कह कर वो तुरंत मेरे पीछे आ गया। उसने मेरे पीछे से मुझे कोली भरी और मेरे मम्मों को दबाने लगा, उसका लंड मेरे नंगे चूतड़ों से रगड़ खा रहा था जिससे मेरे शरीर में एक करेंट सा दौड़ रहा था।
अब मैं भी उसका साथ दे रही थी और उसके चुम्बनों का रिस्पॉन्स भी उसको चूम कर दे रही थी। मैं फिर से गरमा गई थी और मेरे मुँह से धीरे-धीरे सीत्कार भी निकल रही थी।
संतोष ने फटाफट मुझे थोड़ा पीछे को किया.. मेरे हाथ वॉशबेसिन पर टिका दिए और मुझे वहीं घोड़ी बना दिया।
वो मेरे चूतड़ों के पीछे आया और अपना लंड मेरी चूत के मुँह पर सैट कर दिया, उसने मुँह से अपने हाथ पर थूका और वो थूक मेरी चूत और अपने लंड पर मसल दिया और एक जोर का धक्का मार दिया। परन्तु उसका लौड़ा फिसल कर मेरी गांड की तरफ टेड़ा हो गया।
उसने दुबारा अपना औजार मेरी गरमागरम चूत पर फिट किया और दुबारा निशाना लगाया।
इस बार भी लंड फिसल गया।
तब मैंने अपना हाथ पीछे करके उसका लंड अपनी चूत पर फिट किया और उसको धक्का मारने के लिए इशारा किया।
अब एक धक्के में ही लंड सटाक से मेरी चूत में फंस गया। उसने लंड को चूत में से थोड़ा सा बाहर खींचा और फिर एक जोर का धक्का मार दिया।
इस बार उसका लंड बहुत अन्दर तक मेरी चूत को फाड़ते हुए चला गया।
मेरी चीख निकल गई, मेरी चूत की झिल्ली फट गई। चूत में ऐसा महसूस हुआ कि जैसे मेरी चूत में लोहे का गरम लाल डंडा डाल दिया हो। मुझे बहुत तेज दर्द हो रहा था और चूत से थोड़ा रक्त भी निकालकर मेरी जाँघों पर लग गया था।
दर्द के मारे मेरे आंसू मेरी आँखों से टपकने लगे।
मैं- साले निकाल इसको बाहर.. मैं मर जाऊँगी।
संतोष- डियर.. थोड़ी देर की बात है.. कुछ मिनट दर्द सह ले.. फिर तुझे अच्छा लगेगा।
मैं- नहीं.. मुझे नहीं चुदना.. आआहह.. उऊहह..
संतोष- देख.. मैं तुझे बहुत धीरे-धीरे चोदता हूँ.. ताकि तुझे दर्द कम महसूस हो।
मैं- नहीं.. अब तेरे से मुझे नहीं चुदना.. आह्ह.. दर्द है..
मेरा ये बोलते ही जैसे उसको गुस्सा आ गया और तुरंत उसने अपना लौड़ा बहुत तेजी से मेरी चूत के अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।
मैं जितना चिल्लाती.. वो उतना और जानवर बनकर मुझे चोदे जा रहा था।
वॉशरूम में मेरी आवाज गूँज रही थी ‘आआहह.. उऊहह.. ऊउईई.. मम्मीन.. मर गई..’
कुछ ही देर में उसके लौड़े के मेरी चूत में अन्दर-बाहर होने की आवाजें भी आने लगी थीं ‘ठप्प.. ठप्प.. ठाआप..’
कुछ मिनट की चुदाई के बाद अब मुझे भी मजा आने लगा था.. और मैं भी उसके लंड की रिदम में अपनी गांड पीछे कर रही थी ताकि उसका लंड मेरी चूत की जड़ तक चला जाए।
मैं अब धीरे-धीरे सीत्कार कर रही थी ‘आआहह.. आआअहह.. उईए.. आहह..’
मैं बोल रही थी- आह.. डियर.. और जोर से चोदो मुझे.. अपना लंड इतनी तेजी से डालो कि चूत में से जाए और गांड में से निकल आए.. आह्ह..
तभी मुझे पीछे से तालियाँ बजने की आवाजें सुनाई दीं, वहाँ पर राखी खड़ी थी।
राखी- मैं तुम्हारी चिल्लाने की आवाजें सुनकर यहाँ आ गई थी और तेरी सारी चुदाई देख ली है, तेरी सील टूटने के लिए तुझे बधाई।
वो मेरे नजदीक आई.. पहले मेरे दोनों चूतड़ों पर चुम्मी ली और मेरी दोनों टिट्स को दबा दिया। फिर पास पड़ी हुई पॉंड्स कोल्ड क्रीम ली और मेरी चूत और संतोष के लंड पर लगा दी।
इस वक्त संतोष अपना लंड मेरी चूत में डाले हुए ही रुक गया था। राखी ने अपने हाथ से क्रीम लगाई.. मेरी पैन्टी को मेरी टांगों के बीच से निकाल दिया और मेरी टाँगें ज्यादा चौड़ी कर दीं। मेरे हाथों को फिर से वॉशबेसिन पर ऐसे सैट किया कि अब मेरे मम्मे वॉशबेसिन के अन्दर लटक रहे थे।
उसने संतोष की शर्ट और बनियान भी उतार दी और संतोष से कहा- अब मस्त होकर चोद!
उसने कहा- आई विश बोथ ऑफ यू.. गुड लक!
ये कहते हुए वो बाहर चली गई।
संतोष ने दुबारा मेरी चुदाई शुरू कर दी।
मेरी सहेली ने मेरी चूत में क्रीम लगाई.. मेरी पैन्टी उतारी.. मेरे टाँगें चौड़ी कर दीं। इस सब से मुझे अब चुदने में डबल मजा आने लगा था।
संतोष ने पीछे से एक हाथ आगे बढ़ाकर मेरे एक मम्मे को पकड़ लिया। अब बीच-बीच में वो मेरे दोनों चूतड़ों पर एक चपत भी मार रहा था।
वो बोल रहा था- मेरी कुतिया.. अब इस कुत्ते से चुद.. ये कुत्ता तेरी चूत की अन्दर बच्चेदानी तक अपना लौड़ा पेल रहा है.. मेरा लंड तो चला गया है.. अन्दर अब मेरे टट्टे भी तेरी गरम चूत के अन्दर जाने को व्याकुल हैं।
इस तरह कोई दस मिनट की चुदाई के बाद मैं बोली- संतोष मेरी चूत झड़ने वाली है।
संतोष बोला- हाँ बस मैं भी झड़ने वाला हूँ।
तभी मेरे पूरे शरीर में एक कंपन सी हुई। मैं खुशी से पागलों की तरह ज़ोर से चिल्लाई- उउईई.. आहह.. आहह..
मेरी चूत की दीवारों से तेजी से पानी निकलने लगा।
उसका लंड अब उस पानी से सराबोर हो गया था और अब ‘पचक.. फ़चक..’ की आवाज निकालता हुआ मेरी चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था।
कोई दो मिनट बाद संतोष ने भी अनाउन्स कर दिया कि वो भी झड़ रहा है।
उसका सारा शरीर कुछ ऐंठ सा गया.. और मेरी चूत की अन्दर उसके गाड़ी रबड़ी वाला जूस गिरने लगा। मेरी चूत को उस गरम रस से बड़ी संतुष्टि मिली।
संतोष अब ‘आअहह.. उउईई.. अहह..’ बोल रहा था। पांच-छह बार धीरे-धीरे माल निकालने के बाद संतोष वहीं मेरे शरीर पर गिर गया। उसने मेरे दोनों मम्मे कस कर पकड़ लिए। थोड़ी देर में उसका जो लौड़ा अब तक शेर बना हुआ था.. एक चूहे के समान बन गया और मेरी चूत से बाहर आकर उसकी गोटियों के ऊपर लटक गया।
कुछ देर में वो मेरे ऊपर से उठ गया।
उसका लंड मेरी चूत के खून.. मेरी चूत के जूस और उसकी खुद की रबड़ी वाले एक मिक्स्चर से तर था।
संतोष ने मेरी चूत धोई और मैंने उसका लंड और टट्टे धोए और हम दोनों बाहर आकर बिस्तर पर लेट गए।
हम दोनों ने थोड़ा आराम किया और फिर से मस्ती शुरू कर दी।
उसके बाद उस रात दूसरी बार मैं उसके लंड पर चढ़कर भी कूदी और खूब चुदी। तीसरी बार संतोष ने मुझे मिशनरी पोज़िशन में चोदा।
पाठको, यह थी मेरी सील टूटने की कहानी… आप अपने कमेंट्स जरूर भेजिएगा।
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