कमसिन लड़की की जवानी की हवस- 2
(Teen School Girl First Sex)
टीन स्कूल गर्ल फर्स्ट सेक्स का मजा मैंने लिया उसी के घर में! मैं उसके पैर की मोच की मालिश करने उसके घर गया था. तो आप भी एक कमसिन लड़की की पहली चुदाई पढ़ कर मजा लें.
दोस्तो, मैं संदीप आपको अपने घर के पास रहने वाली नेहा की मालिश करके उसे चोदने वाली सेक्स कहानी सुना रहा था.
कहानी के पहले भाग
कमसिन लड़की के पैर की मोच और मालिश
में अब तक आपने पढ़ा था कि नेहा की मालिश से उसकी हवस जाग गयी थी. वह मुझसे और मैं उससे सेक्स का मजा लेना चाहता था, पर अभी शर्म बाक़ी थी.
एक रात उसने मुझसे फोन पर बात की और बात करती हुई ही सो गई थी.
अब आगे टीन स्कूल गर्ल फर्स्ट सेक्स का मजा:
अगले दिन सुबह मैंने एक चाल चली. मैंने आंटी को कॉल करके कह दिया कि मुझे थोड़ा काम है, आज नहीं आऊंगा.
ये चाल इसलिए … क्योंकि मैं जान गया था कि आंटी मेरे मालिश करके चले जाने के बाद रोज बाजार जाती हैं तो मैंने ऐसा कह दिया था.
मैं नेहा से अकेले में मिलना चाहता था.
तब मैं नेहा के घर के बाहर एक कोने में छुपकर देखता रहा कि आंटी कब बाजार के लिए निकलें और मुझे नेहा के साथ अकेला रहने का वक्त मिल जाए.
कुछ देर इंतजार करने के बाद नेहा की मम्मी बाजार के लिए निकल कर जाती दिखीं.
मैं बहुत खुश हुआ कि चाल कामयाब रही.
मैंने जाकर बेल बजाई.
अन्दर से आवाज आई- कौन?
‘मैं संदीप हूं.’
नेहा ने धीमी गति से आकर दरवाजा खोला.
मेरी नजर उस पर पड़ते ही वह थोड़ा शर्मा गई और उसने नजरें झुका लीं.
उसने कहा- आप तो नहीं आने वाले थे!
मैंने कहा- काम हो गया तो बस आ गया, तो क्या तुम मेरे आने से खुश नहीं हो?
नेहा- नहीं नहीं, ऐसी बात नहीं है. बस यूं ही पूछ लिया.
मैंने जानबूझ कर कहा- आंटी कहां हैं?
नेहा- मम्मी बाजार गई हुई हैं.
फिर हम दोनों नेहा के कमरे की ओर चल पड़े.
नेहा लंगड़ा रही थी तो मैंने उसको सहारा दिया और हम दोनों कमरे में आ गए.
मैं किचन में गया और तेल गर्म कर लाया.
नेहा आज भी छोटी शॉर्टस और टॉप में थी.
वह लेट गई और मालिश के लिए तैयार हो गई.
मैंने सबसे पहले पैर के तलवे से मालिश करना शुरू की और धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ा.
आज आंटी नहीं थीं, तो तेल मालिश के जरिए नेहा की कामवासना को और भड़काने का मौका अच्छा था.
मैंने मौका देख कर अपना हाथ नेहा की शॉर्टस के अन्दर पूरी जांघ में उसकी पैंटी तक ले गया.
नेहा ने अपने हाथ से बेडशीट को पकड़ लिया.
ऐसा मैंने बार-बार किया.
नेहा अब गर्म होने लगी थी.
मैंने नेहा से पूछा- कैसा लग रहा?
उसने कहा- बहुत अच्छा लग रहा है.
मैंने कहा- क्या और मजे लेना चाहती हो!
उसने हां में सर हिला कर मुस्कुरा दिया.
‘और भी मजा आएगा, बस तुम मेरा साथ दो!’
नेहा ने कहा- ठीक है.
अब मैंने नेहा की दोनों हाथों में तेल लगाया और बड़े प्यार से नाजुक नाजुक दाब देते हुए मालिश की.
उसने भी अपनी जांघें फैला दीं.
फिर मैंने नेहा को उलटा लेटने को कहा और अपने हाथों में तेल लेकर नेहा की पीठ पर टॉप के अन्दर से ही मालिश शुरू की.
नेहा ने ब्रा पहनी हुई थी, तो मैंने ब्रा की हुक खोल दी और पूरी गर्दन तक मालिश करता रहा.
वह बिल्कुल शांत पड़ गई थी और बस मालिश का मजा लेने लगी थी.
थोड़ी देर बाद मैंने नेहा को पलट कर सीधा कर दिया और हाथ में तेल लेकर नेहा के पेट में नाभि के चारों ओर लगा कर हल्के हाथों से मालिश शुरू कर दी.
नाभि के आस-पास मालिश करने की वजह से नेहा और उत्तेजित होने लगी.
बीच-बीच में वह अपने होंठों को दांत से चबाती रही.
मैं मौका देख कर अपने हाथ नेहा के स्तनों तक ले गया.
नेहा के ब्रा का हुक पीछे से खुला हुआ था तो नेहा के स्तनों में ब्रा की पकड़ ढीली पड़ गई थी.
मैं थोड़ी हिम्मत करके अपने हाथ को स्तनों के पास ले गया और अपनी उंगली से नेहा के एक स्तन को टच करके छेड़ दिया.
नेहा ने गहरी सांस ली और तुरंत अपनी आंख उठा कर मुझे देखा.
मैंने अपना हाथ तुरंत वहां से अलग कर लिया.
नेहा ने कुछ नहीं कहा.
थोड़ी देर बाद मैंने फिर से हिम्मत की, अपने हाथ से नेहा के स्तन को छेड़ा.
इस बार उसने कुछ नहीं कहा.
मेरी हिम्मत और बढ़ गई.
अब मैं बार बार नेहा के स्तनों को छेड़ने लगा था.
मौका मिलते ही बीच बीच में हल्का सा दबा भी देता.
नेहा गर्म हो चली थी, उसकी सांसें तेज हो गई थीं.
ये सब देख मेरा 7 इंच का लंड भी पूरा तन गया था.
अब मुझसे रहा नहीं गया.
मैं दोनों हाथों को ब्रा के अन्दर ले गया और नेहा के दोनों स्तनों को तबियत से दबा दिया.
उसने कुछ नहीं कहा और एक लम्बी सांस ली.
उसके निप्पल खड़े हो गए थे जो इस बात का संकेत दे रहे कि नेहा पूरी तरह गर्म हो गई है.
अब मैं उस पर टूट पड़ा और नेहा के दोनों दूध जोर-जोर से दबाने लगा.
बीच-बीच में उसके निप्पलों को भी खूब छेड़ता.
मैंने स्तनों को ब्रा से आजाद कर दिया.
कुछ देर बाद मैं अपने हाथ नेहा की नाभि के पास मालिश करते करते नीचे तक खेलने का मन पक्का करने लगा.
जब उसकी तरफ से हरी झंडी दिखी तो मैं अपनी एक उंगली नेहा की पैंटी में अन्दर ले गया.
उसने अपने बाल पूरे शेव कर रखे थे.
उसकी चूत पूरी फूल गई थी.
नेहा ने कुछ नहीं कहा, तो मैंने अपनी उंगली और अन्दर डाली और उसकी चूत के भगनासे को हल्के हाथों से सहला दिया.
उसने अपनी दोनों टांगों को आपस में कस कर जोड़ दिया.
इससे मेरी उंगली और नीचे नहीं जा पाई पर मैं चूत के दाने को ही रगड़ने लगा.
कुछ देर के रगड़ने के बाद नेहा की सांस तेज हो गई, उसने अपनी टांगों को फैलाया और वह ढीली पड़ गई.
अब मैं अपने हाथ चूत के होंठों पर ऊपर से नीचे फेरने लगा.
नेहा बिन पानी मछली के जैसी तड़प उठी.
मैंने धीरे-धीरे उसकी शार्टस और पैंटी उतार दी.
नेहा अपने हाथों से चूत को छुपाने लगी.
कुछ देर बाद मैं नेहा की टांग के नीचे आ गया और दोनों टांगों के घुटने मोड़ते हुए टांगों को मोड़ दिया.
फिर नेहा के हाथ को चूत के ऊपर से हटाया दिया.
क्या कमाल की चूत थी उसकी … हल्के भूरे रंग की चूत के नम होंठ … एकदम गुलाबी रंग की चूत की पंखुड़ियां.
बिल्कुल छोटी सी फूली हुई बंद चूत बड़ी ही प्यारी सी लग रही थी.
मैं हाथ में तेल लेकर चूत के चारों ओर रगड़ने लगा.
नेहा आंखें बंद करके मालिश का मजा ले रही थी.
फिर मैं झुका और अपनी जीभ को नेहा की चूत में फेर दिया.
नेहा झट से आंखें खोल कर देखती हुई बोली- ये क्या कर रहे हो?
मैं बोला- मेरे हाथ थक गए हैं तो मैं जीभ से मालिश कर रहा हूं.
ये कह कर मैं नेहा की चूत में अपनी जीभ लगातार फेरता रहा.
नेहा लगातार अपनी कमर उठा-उठा मेरा साथ दे रही थी.
मैं बीच-बीच में अपनी जीभ नेहा की चूत में डालने का प्रयास करता.
कुछ देर ऐसा ही लगा रहा, फिर जब नेहा अति चुदासी हो गई … तो मैं रूक गया.
नेहा- रूक क्यों गए?
मैं- अब मेरी जीभ भी थक गई.
नेहा बहुत ही बेचैनी से कहने लगी- पर अभी तो सबसे ज्यादा मजा आ रहा था!
मैंने कहा- इससे भी ज्यादा मजा दे सकता हूँ, पर तुम रोकना मत. बस मजे लेती रहना.
नेहा- ठीक है, पर जल्दी करो.
फिर मैंने अपने सारे कपड़े निकाले.
मेरा लंड पूरी तरह तन गया था. गहरे भूरे रंग के 7 इंच लम्बे और मोटे लंड के बार-बार झटके देख कर नेहा शर्मा गई.
उसने अपनी आंखें दूसरे तरफ कर लीं और चोर नजरों से लौड़े को देखती रही.
मैं नेहा की दोनों टांगों के बीच आ गया और अपना लंड का टोपा निकाल कर नेहा की चूत के होंठों पर ऊपर से नीचे तक रगड़ने लगा.
नेहा ‘आ…ई…’ की आवाज निकालने लगी.
मेरा लंड और तन गया.
मैं लंड को बार-बार नेहा की चूत के भगनासे से चूत के छेद के पास ले जाकर हल्का अन्दर करके बाहर निकाल देता.
इस सब क्रिया से नेहा बहुत ही ज्यादा चुदासी हो गई और अपनी कमर ऊपर नीचे करती हुई उठाने लगी.
अब नेहा की चूत से चूत रस निकलने लगा था.
नेहा अपने मुँह से बेचैनी से कराहने वाली आवाज निकाल रही थी.
मैं नेहा की चूत में अपना लंड फंसा कर उसके ऊपर लेट गया, उसकी गर्दन से होते हुए कान और गाल पर चूमना चालू कर दिया.
नेहा के होंठों में मैंने अपने होंठ रख दिए और बारी-बारी से दोनों होंठों को बेतहाशा चूमने लगा.
नेहा भी मेरा खूब साथ देने लगी.
उसने मुझे कसके पकड़ लिया और अपने नाखून गड़ाने लगी.
फिर मैंने अपने लंड को नेहा की चूत में अन्दर तक पेलने का सोचा.
पर डर था कि कहीं ऐसा करने से नेहा की चूत फट ना जाए. क्योंकि नेहा की चूत बहुत छोटी और मेरा लंड बहुत बड़ा था.
पर मैं मंजिल से इतना पास आकर खाली हाथ जाना नहीं चाहता था.
मैं लंड को नेहा की चूत में ऊपर नीचे करते हुए रगड़ने लगा, जिससे नेहा की चूत और खुल गई.
अब मैंने लंड का दबाव नेहा चूत पर बढ़ाया, लंड थोड़ा अन्दर जाकर किसी चीज से जा टकराया.
मैं समझ गया कि ये क्या है!
यह नेहा की चूत की झिल्ली थी, जो नेहा के कुंवारेपन का सबूत थी.
मैं बहुत खुश हुआ, पर झिल्ली आसानी से लंड को अन्दर नहीं जाने देने वाली थी.
उसके लिए खून बहाना जरूरी था.
मैंने लंड को थोड़ा सा बाहर खींचा और एक गहरी सांस लेकर अपनी पूरी ताकत से लंड को नेहा की चूत में पूरी गहराई तक उतार दिया.
लंड पूरी तरह से चूत में समा चुका था.
लंड में टाईट चूत का दबाव और गर्म-गर्म खून का अहसास होने लगा था.
आखिरकार मिशन पूरा हुआ, छोटी चूत की तंग गलियों में मेरा मोटा लंड अपनी जगह बना चुका था.
नेहा ने जोर की आवाज निकाली- आह आई …ई … मर गई. इसे बाहर निकालो आई.
यह कहती हुई वह छटपटाने लगी और मुझे जोर का धक्का देकर कहने लगी- बाहर निकालो प्लीज, बहुत दर्द हो रहा है … तुमने कहा था कि मजा आएगा पर तुमने मुझे दर्द दिया है झूठे … आह.
पर मुझे मालूम था कि एक बार लंड बाहर निकाल लिया तो नेहा दुबारा लंड अन्दर नहीं डालने देगी.
मैं नेहा की सब बातों को अनसुना करके उसके ऊपर दबाव बनाए हुए लेटा रहा.
जब नेहा का विरोध थोड़ा कम हुआ, तो मैं धीरे-धीरे झटके देने लगा.
अब नेहा का विरोध धीरे-धीरे खत्मे हो गया था.
उसने अपने आपको मेरे नीचे सरेंडर कर दिया था.
मैंने झटकों की गति बढ़ा दी थी.
नेहा को भी मजा आने लगा था.
उसने अपने दोनों पैरों से मुझे जकड़ लिया था.
मैं एक साईड से धक्का देता रहा और दूसरी ओर से नेहा को चूमता रहा.
थोड़ी देर की चुदाई के बाद हम दोनों अलग हुए.
मैंने देखा कि नेहा की चूत, मेरा लंड … खून और कामरस से सना हुआ था.
नेहा ये सब देख डर गई और बोल पड़ी- ये खून!
मैंने कहा- ये तुम्हारी चूत की झिल्ली के फटने के वजह से हुआ. अब तुम्हारी चूत पूरी तरह खुल गई है. अब और खून नहीं निकलेगा.
फिर मैंने नेहा को डॉगी पोजिशन में लाकर अपना लंड उसकी चूत में सैट किया और अपने दोनों हाथों से नेहा की कमर पकड़कर अपनी तरफ खींचते हुए एक ही झटके में अपना पूरा लंड चूत में पेल दिया.
चूत अभी भी काफी टाईट थी, पर काम रस के कारण लंड चूत में आसानी से चला गया.
नेहा ने ‘आ … उई … मां …’ करके आवाज निकालना शुरू कर दिया.
शुरू में धीरे-धीरे, फिर बाद में गति बढ़ा दी.
अब मैं नेहा की चूत की तेजी से चुदाई करने लगा था.
बीच-बीच में मैं नेहा के स्तनों को भी खूब दबाता रहा.
कुछ देर बाद मैंने नेहा को उल्टा लेटा दिया और उसकी कमर के नीचे तकिया लगा दिया.
इससे उसकी चूत उभर कर दिखने लगी.
फिर मैंने लंड सैट किया और लंड अन्दर डाल दिया. नेहा को अपने पूरे शरीर से दबोच कर बेतहाशा चुदाई करने लगा.
इसके बाद मैं लेट गया. अब नेहा मेरे ऊपर आ गई और खूब कमर हिला-हिला कर चुदवाने लगी.
मैं भी नीचे से झटके देता और उसके स्तनों को दबाता.
कुछ देर बाद नेहा झड़ गई और मेरे बगल में तिरछी होकर लेट गई.
मेरा खेल अभी बाकी था.
मैंने लेटे लेटे ही नेहा के पीछे से ही लंड घुसाया और पूरी स्पीड से उसे चोदने लगा.
कुछ देर बाद मैं भी नेहा की चूत में ही झड़ गया.
इस तरहसे मिअने टीन स्कूल गर्ल फर्स्ट सेक्स का मजा लिया.
मैंने जल्दी से कपड़े पहने और नेहा को प्यारा सा चुम्बन देकर वहां से निकल गया क्योंकि आंटी कभी आ सकती थीं.
शाम को जब नेहा से बात हुई तो उसने बताया कि बहुत जलन हो रही है और चूत सूज गई है. पर आज बहुत मजा आया.
मैं दो दिन गया ही नहीं.
बाद में नेहा ने बताया कि उसकी चूत दो दिन तक सूजी रही.
उस दिन चुदाई नहीं हुई मगर बाद में उसने खुल कर चूत पेश की.
अब जब जब आंटी घर में नहीं होती हैं, नेहा खुद कॉल करके चुदवाने के लिए बुला लेती है.
इस तरह से लॉकडाउन में मेरे लिए चूत चुदाई का जुगाड़ हो गया था.
आपको मेरी ये सच्ची टीन स्कूल गर्ल फर्स्ट सेक्स कहानी कैसी लगी, प्लीज कमेंट्स में बताएं.
लेखक के आग्रह पर इमेल आईडी नहीं दिया गया है.
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