स्कूल के आखरी दिन सील तुड़वाई

(School ke Akhiri Din Seal Tudwai)

हाय दोस्तो,
मेरा नाम ऋद्धि जोशी है, मैं गत 2 वर्षों से अन्तर्वासना की नियमित पाठिका हूँ।

यह मेरी पहली चुदाई की कहानी है जो मेरे स्कूल के आखरी दिन घटी।

स्कूल के दिनों में मेरा एक बॉयफ्रेंड था अमित गोस्वामी(बदला हुआ नाम) उसने कैसे मेरी सील तोड़ी यह सुनिए।

स्कूल का आखरी दिन था, हमारी क्लास के सभी लड़के लड़कियों ने प्लान बनाया था बिना किसी को घर पर बताये स्कूल के बाद कहीं घूमने जाने का, इसलिए मैं और बाकी सभी लड़के लड़कियाँ अपने अपने घर पर झूठ बोल कर आये थे कि स्कूल के बाद हम सब लोग मिलकर ग्रुप स्टडी करेंगे, रात में देर हो जाएगी घर आने में।

स्कूल खत्म हुआ, हम सबने हॉल में जा कर मूवी देखी, मस्ती की, शाम के 7 बज चुके थे, सब अपने अपने घर जाने लगे लेकिन अमित ने मुझसे कहा- इन लोगों को जाने दो, हम दोनों कुछ देर घूम कर घर चलेंगे!

मैं भी तुरंत तैयार हो गई।

सब दोस्त जा चुके थे, मैं और अमित हॉल से निकल कर अमित की बाइक से घूमने चल पड़े। अमित जान बूझ कर ब्रेक लगा रहा था रास्ते भर ताकि मेरी चूचियाँ उसके पीठ पर टकराएं…

मुझको भी मज़ा आ रहा था!

20 मिनट के बाद हम दोनों एक पार्क में पहुँचे, वहाँ बहुत सन्नाटा था, मौके का फायदा उठा कर अमित ने मुझको चूम लिया।
मैं तो इसी बात के इंतज़ार में थी, पहले मैंने थोड़ा नाटक किया पर बाद में मैं भी उसका साथ देने लगी, उसने मेरे चूतड़ पकड़े पीछे से और उन्हें मसल मसल कर मेरे लबों को चूसने लगा, फ़्रेन्च किस करने लगा, हम दोनों के मुखों की लार आपस में मिल रही थी और एक दूसरे में जा रही थी, हमारी जीभें आपस मे टकरा कर लड़ाई कर रही थी।

फिर धीरे से उसने अपना हाथ मेरे शर्ट के अंदर डाल दिया और मेरी चूचियाँ दबाने लगा।

तभी वहां पर उस पार्क का चौकीदार आ गया तो हम दोनों जल्दी से अलग हुए।
भगवान् का शुक्र था कि उसने हम दोनों को ये सब करते हुए नहीं देखा।

फिर मैंने कहा- यह जगह सेफ नहीं है, चलो कहीं और चला जाए!
उसने भी हाँ में अपना सर हिलाया।

हम दोनों वहाँ से निकले तो उसने किसी को फ़ोन किया फिर हम दोनों एक बिल्डिंग के पास पहुँचे जो अभी बन रही थी।

उसने कहा- यह मेरे दोस्त के पापा की बिल्डिंग है, यह सेफ है!

हम दोनों ऊपर चढ़े, बिल्डिंग के तीसरे फ्लोर पर एक रूम था जिसमें गद्दा लगा हुआ था।
मैं समझ गई कि उसने इसीलिए फ़ोन किया था।

वहाँ पहुचते ही वो मेरे ऊपर टूट पड़ा, मुझको चूमने लगा, मेरी चूचियाँ दबाने लगा।
मुझको दर्द भी हो रहा था और मज़ा भी आ रहा था।

फिर उसने मुझको पूरी नंगी कर दिया और मेरी चूत चाटने लगा, मुझको बहुत मज़ा आ रहा था।

फिर उसने अपना लंड मेरे हाथ में देकर चूसने को कहा, मुझको पहले तो गन्दा लगा पर फिर मैं लॉलीपॉप की तरह उसका लण्ड चूसने लगी। 2-3 मिनट के बाद उसनें अपना लंड मेरे मुँह से निकाल कर मेरी चूत पर लगा दिया और ऊपर नीचे करने लगा।
तब तक मैं 2 बार झड़ चुकी थी।

उसने अपने लंड पर ढेर सारी क्रीम लगाई, गुलाबरी क्रीम की एक डिबिया वहाँ रखी हुई थी, मेरी चूत पर अपने लंड को रख कर अंदर डालने की कोशिश करने लगा पर वो नाकाम रहा।

फिर उसने मेरी चूत पर भी क्रीम लगाई और अपना लंड लगा कर ज़ोर का झटका मारा तो सुपाड़ा अंदर चला गया और मेरा दर्द के मारे बुरा हाल हो गया।
मैंने उसको कहा- निकालो इसको !

मगर वो नहीं माना और मेरे होंठ पर अपना होंठ रख कर मेरी चूचियां मसलने लगा।
जब मेरा दर्द थोड़ा कम हुआ, तब उसने एक ही झटके में पूरा लंड मेरी चूत में उतार दिया, मेरी आँखों से आँसू आ गए।

कुछ देर बाद उसने धीरे धीरे आगे पीछे होना शुरू किया, फिर मेरा भी दर्द कम हुआ तो मैं भी अपने चूतड़ उठा उठा कर उसका साथ देने लगी।

15 मिनट की ज़बरदस्त चुदाई के बाद हम दोनों साथ साथ झड़ गए, तो हमने देखा कि मेरी चूत फ़त चुकी है अय्र खून से सराबौर है। उसका लण्ड भी खून से सना हुआ था।

फिर मैंने उसके लंड को अपने मुख में लेकर साफ़ किया, खून साफ़ किया, फिर हम दोनों ने कपड़े पहने और वहाँ से निकल गए।

कैसी लगी आपको मेरी कहानी?
मुझे ज़रूर ईमेल कीजियेगा।

मैं अपनी अगली कहानी में बताऊँगी कि कैसे मुझको अमित के उस दोस्त ने चोदा जिसके घर पर हमने चुदाई की थी।

तब तक के लिए बाय दोस्तो!!

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