रोमांस और प्यार भरा पहला बुर चोदन
(Romance Aur Pyar Bhara Bur Chodan)
यह मेरी पहली बार की बुर चोदन की हिंदी सेक्स स्टोरी है. मेरा नाम दिव्या है, मैं इंजीनियरिंग अंतिम वर्ष की छात्रा हूँ, इंदौर में सिंगल रूम में अकेली रहती हूँ और बहुत सीधी और शांत लड़की हूँ। मैं दिखने में सुन्दर हूँ.. गोरी, लम्बे बाल और मेरा स्वस्थ शरीर है। मुझे अपना पूरा फिगर तो नहीं पता पर मैं 32B नम्बर की ब्रा पहनती हूँ। कॉलेज में बहुत से लड़के मुझे पटाने में लगे रहते हैं.. पर मैं ज्यादा ध्यान नहीं देती, ज्यादा बाहर भी नहीं जाती और अपने काम से काम रखती हूँ।
आज से दो साल पहले की बात है.. जब मैं 20 साल की थी। मैं कॉलेज के काम से अपने एक दोस्त के घर जाया करती थी।
एक दिन मुझे वहाँ एक लड़का मिला.. वो भी इंजीनियरिंग कर रहा था.. उसका नाम आकाश था। वो दिखने में एकदम सिंपल था.. पर उसमें कुछ अलग ही आकर्षण था।
धीरे-धीरे मेरी उससे अच्छी दोस्ती हो गई और हम साथ घूमने लगे। वो मेरी बहुत चिंता करता था.. छोटी-छोटी बातों पर भी मेरे लिए सजग रहता था। मैं उससे आकर्षित होने लगी थी.. मुझे उसका साथ अच्छा लगने लगा था और अब हम फ़ोन पर भी बातें करने लगे थे।
वो थोड़ा शर्मीले स्वाभाव का था और बहुत अच्छा लड़का था। एक दिन मुझे कुछ परेशानी थी.. तो वो मुझसे बोला- घबराओ मत.. कुछ जरूरत हो तो मुझे बताना मैं मदद कर दूँगा। अब तक तो मैं उससे प्यार करने लगी थी और शायद वो भी मुझे पसंद करने लगा था.. पर वो बोलता कुछ नहीं था।
फिर मैंने एक दिन आकाश को फ़ोन करके बोला- मुझे बहुत सारे नोट्स लिखने है.. क्या तुम मेरी मदद कर दोगे?
आकाश- हाँ.. पर अभी काफी टाइम हो गया है।
मैंने बोला- कोई बात नहीं.. तुम मेरे घर पर आ जाओ.. यहीं खाना खा लेना।
आकाश- ठीक है.. मैं 8 बजे तक आ जाऊंगा।
मैं बहुत खुश थी.. मैंने पूरा रूम ठीक से साफ़ कर लिया और नहाने चली गई। तभी दरवाजे की घंटी बजी और मैं तौलिया लपेटे हुए गेट तक आई और पूछा- कौन है।
वहाँ से आवाज आई- मैं हूँ आकाश।
मैं घबरा गई.. ज्यादा देर तक उसे बाहर खड़ा रखती तो लोग देख लेते और इधर मैंने तो ब्रा भी नहीं पहनी थी।
फिर मैंने जल्दी करते हुए दरवाजा खोला और आकाश से बोला- मैं सिर्फ तौलिए में हूँ.. तुम आँख बंद करके सीधे अन्दर आ जाओ।
उसने ऐसा ही किया। वो आँख बंद किए हुए आया और बिस्तर पर बैठ गया।
मैं बाथरूम में गई.. वहाँ मैं सोचने लगी कि यह बहुत ही अच्छा लड़का है.. इसके सामने तो तौलिया लपेटे हुए जाने में भी डर नहीं है। इसीलिए मुझे उससे प्यार हो चला था.. क्योंकि वो सच्चा था।
फिर मैंने थोड़ा खेल खेलने का सोचा और मैंने आकाश को आवाज लगाई.. तो वो बाथरूम तक आया और बोला- क्या हुआ?
मैंने बोला- मेरी ब्रा और पैन्टी बाहर ही है.. तुम दे दोगे क्या?
वो बोला- हाँ अभी देता हूँ।
वो बिना कोई शरारत किए हुए मुझे ब्रा पेंटी दे गया।
मैं अपने कपड़े पहन कर बाहर आई, मैंने लाल रंग का सलवार सूट पहना था और मैं बहुत सेक्सी दिख रही थी।
अब हम लोग बातें करने लगे और वो थोड़ा खुल सा गया.. तो मैंने कहा- एक काम करो कि तुम आज यहीं रुक जाओ मेरा आज तुम्हारे साथ रुकने का मन है।
वो मान गया और बोला- ठीक है..
हम काफी देर तक बातें करते रहे। फिर मैंने सोचा कि ये थोड़ा और खुले तो ज्यादा बेहतर होगा।
मैंने आकाश से सेक्सी बातें करना शुरू की, मैंने कहा- आकाश मैं तुम्हें कैसी लगती हूँ?
वो बोला- अच्छी लगती हो।
मैंने कहा- तुम मुझे पसंद करते हो न?
वो बोला- हाँ करता हूँ.. तुम अच्छी लड़की हो।
मैंने कहा- तो फिर मुझे एक किस करो..
उसने मुझे मेरे गाल पर बड़ा प्यारा सा किस किया.. मैंने भी मुस्कुरा दिया।
मैं बोली- मैं खाना लगाती हूँ..
और वहाँ से उठ गई।
मैं वहाँ खड़ी थी.. अचानक वो मेरे पीछे आया और उसने मुझे पीछे से अपनी बाँहों में भर लिया।
मैंने कहा- क्या हुआ आकाश… मुझे छोड़ो.. काम करने दो।
और उसने छोड़ दिया।
मेरी आँखें नम हो गई कि ये मुझसे कितना प्यार करता है।
आकाश बोला- क्या हुआ.. तुम रो क्यों रही हो?
मैं बोली- कुछ नहीं.. तुम नहीं समझोगे।
मैं गुस्सा होकर बिस्तर पर बैठ गई।
वो बोला- क्या हुआ मुझसे कोई गलती हुई क्या?
मैंने कहा- हाँ.. तुमने मुझे छोड़ा क्यों.. मुझे तुम्हारी बाँहों में अच्छा लग रहा था।
यह सुन कर वो एकदम चुप हो गया।
मैं बाल ठीक करने आईने के पास गई, इतने में आकाश फिर आया और मुझे पीछे से अपनी बाँहों में भर लिया। मैं नखरे दिखाती हुई बोली- अब क्या हुआ.. क्यों आ गए?
वो कुछ नहीं बोला.. बस उसने मुझे मेरी गर्दन में चूमना शुरू कर दिया।
मैं बोलती रही- आकाश मत करो..
पर वो बस मुझे मेरे हाथ पकड़ कर गर्दन पर चूम रहा था।
अब मुझे भी अच्छा लगने लगा और मैं शांत हो गई.. उसने अपने हाथ मेरी कमर पर चलाना शुरू कर दिया।
मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा था.. मैं उसे सब कुछ देना चाहती थी। धीरे-धीरे उसने अपने हाथ कमर से ऊपर लाकर पेट से होते हुए मेरे मम्मों पर ला दिए और बड़े प्यार से वो मेरे मम्मों को दबाने लगा।
पर बेचारा शर्मीला होने के कारण आगे नहीं बढ़ पा रहा था।
फिर मैंने उसकी मदद की और बोला- मैं तुमसे प्यार करती हूँ और मैं तुम्हारी ही हूँ.. मेरा पूरा शरीर तुम्हारे लिए ही है.. तुम जो चाहो.. जहाँ चाहो.. कर लो।
और मैंने उसके हाथ खुद पकड़ कर अपने मम्मों को तेज़ दबाना शुरू किया और उससे अपने चूचे मसलने को कहा।
बस वो खुल गया.. अब वो मेरे चूचे दबाने लगा और मुझे बेतहाशा चूमने लगा।
मैं पूरी तरह से मदहोश हो गई थी और वो भी पूरे जोश में आ गया था.. वो मेरे पीछे खड़ा था और उसका खड़ा और कड़क लंड मुझे मेरी गांड पर महसूस हो रहा था।
मैंने अपना हाथ पीछे करते हुए उसके लंड को सहलाना शुरू कर दिया। फिर मैंने उसकी तरफ मुँह किया, उसने मुझे कमर पर पकड़ा और अपने तरफ खींचा।
उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और मुझे चूमता रहा, हम दोनों एक-दूसरे को किस करते रहे।
इतने में उसके हाथ मेरी गांड को सहलाने लगे। मैं बस पागल हो रही थी और उसके लंड को पकड़ना चाह रही थी।
मैंने उसकी शर्ट उतारी और उसको छाती पर चूमना शुरू किया.. वो भी अब तक वासना की आग में जलने लगा था और उसका लंड एकदम बड़ा और कड़क हो गया था।
मैंने देर नहीं की और उसके पैंट का बटन खोल दिया और उसका पैंट उतार दिया। अब वो चड्डी में था और उसका लंड साफ़ खड़ा हुआ दिख रहा था। मैंने चड्डी के ऊपर से ही उसके लंड को सहलाया।
अब मैंने अपने हाथ उसकी चड्डी उतारने के लिए बढ़ाए.. पर उसने रोक दिया। उसने मेरी कुर्ती उतार दी.. और मेरे नंगे पेट और कमर पर हाथ फिराने लगा। फिर उसने मेरी सलवार भी उतार दी और मैं अब बस ब्रा और पेंटी में खड़ी थी और वो चड्डी में था।
अब हम पूरी तरह से वासना में डूब चुके थे.. उसने अपने हाथ मेरे मम्मों पर रखे हुए थे और मैंने अपना हाथ उसके लंड पर… पर उसकी चड्डी मुझे रोक रही थी।
फिर मैंने उसके हाथ पकड़ कर अपने ब्रा का हुक खुलवाया और उसने मेरी ब्रा उतार दी। मेरे 32 नाप के मम्मे उसके सामने खुले आज़ाद थिरक रहे थे। उसने पागलों की तरह मेरे मम्मों को दबाना और चूसना शुरू कर दिया और अपने हाथों को मेरी पेंटी के अन्दर डाल दिया।
वो मेरी बुर में उंगली कर रहा था और मुझे अनंत आनन्द मिल रहा था। उसका एक हाथ मेरी बुर में था और उसका मुँह मेरे मम्मों में.. कब मेरी पेंटी उतर गई मुझे पता ही नहीं चला।
वो तो बस मेरे मम्मों को दबा रहा था और बुर से खेल रहा था। बस फिर मैंने भी पूरा जोश दिखाया और उसको पागलों की तरह उसकी छाती पर उसकी गर्दन पर किस करने लगी। मैंने अपना हाथ उसकी चड्डी में डाल दिया और उसके लंड को पकड़ लिया। मैंने ज्यादा इंतज़ार न करते हुए उसकी चड्डी उतार दी और अब हम दोनों बिलकुल नंगे थे।
अब तक तो मैं पागल हो चुकी थी और मैं उससे सब कुछ करवा लेना चाहती थी। मैंने उसके लंड को चूसना शुरू किया तो उसका लंड एकदम से कड़क हो गया। मैं करीब 5 मिनट तक उसके लंड को चूसती रही, लंड मुझे चोदने के लिए तैयार हो चुका था।
अब उसने मुझे गोद में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया और फिर मेरे ऊपर आ गया। अब वो मेरे पूरे शरीर को चूमने लगा.. वो पता नहीं क्या-क्या कर रहा था। वो कभी मेरे मम्मों को दबाता.. कभी मेरी बुर सहलाता। वो पूरे बदन के साथ खेल रहा था और फिर उसने अपना सर नीचे किया और मेरी बुर पर फूँक मारने लगा।
मेरी आँखें बंद हो चुकी थीं.. और मैं अपने हाथों से अपने मम्मों को दबा रही थी। इतने में उसने मेरी बुर को चाटना शुरू कर दिया।
मैं तो जैसे पागल ही हो गई थी.. मेरे मुँह से निकल पड़ा- आकाश करो और करो.. मेरी बुर को चाटो..
और वो बस मेरी बुर को चाटता जा रहा था। मेरे मुँह से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… अहम आह्ह आह..’ की मादक आवाजें निकलने लगीं।
इतने मैं वो ऊपर उठा, अब वो मेरे ऊपर था और मैं नीचे थी और मेरे मम्मों को चूसने लगा.. वो मम्मों को ऐसे चूसे जा रहा था.. जैसे कोई बच्चा दूध पी रहा हो। मैं भी उसके बालों को सहला रही थी।
हम दोनों एक-दूसरे को प्यार दे रहे थे, मैंने उसके होंठों पर किस किया।
मेरे इंतज़ार का बाँध टूट रहा था.. तो मैंने आकाश से कहा- बस अब मत तड़पाओ.. अपना लंड मेरी बुर में डाल दो।
पर वो बोला- नहीं.. मैं तुमसे प्यार करता हूँ।
मेरी आँखों से आंसू निकलने लगे और मैंने अपने हाथ से उसके लंड को पकड़ा और अपनी बुर पे रख दिया।
वो मुझे देखता रहा और फिर उसने धक्का मारना शुरू किया.. हम दोनों का ये पहली बार ही था.. तो लंड अन्दर जाने में दिक्कत हो रही थी।
मेरी बुर से पानी तो निकल ही रहा था, फिर उसने एक ज़ोर से धक्का मारा और उसका आधा लंड मेरी बुर में आ गया।
मैं चिल्ला पड़ी.. रोने लगी.. इतने में उसने एक और ज़ोर से धक्का मारा और उसका पूरा लंड मेरी बुर में घुस गया।
मैं चिल्लाई- अह्ह्ह आह मर गई आकाश.. अहम आह..
अब उसने धक्के लगाना शुरू किए.. पहले तो मुझे बहुत दर्द हुआ.. फिर मुझे मजा आने लगा.. तो मैं भी गांड उठाने लगी।
ये देख कर उसे भी जोश आ गया और वो जोर-जोर से अपना लंड अन्दर-बाहर करने लगा।
अब हम लोग बुर चोदन का पूरा मजा ले रहे थे और वो मुझे खूब ज़ोर से पागलों की तरह चोद रहा था और मैं बस सिसकार रही थी ‘उह आह ओह आकाश फक मी.. अह्म्म्म अह्म्म्म.. अहम आह अहम..’
वो मुझे लगातार चोदता रहा और फिर वो झड़ गया.. उसने अपना वीर्य मेरी बुर में ही डाल दिया और मेरे ऊपर ही लेट गया।
मैंने उसको किस किया और उसे प्यार से अपने मम्मों से लगा के सुलाने लगी।
कुछ मिनट बाद वो उठा और बोला- दिव्या.. मैं तुम्हारी गांड मारना चाहता हूँ।
मैंने कहा- ठीक है..
मैं उठ कर अपने घुटनों के बल कुतिया बन कर बैठ गई।
तब वो बोला- नहीं ऐसे नहीं.. तुम औंधी हो कर लेट जाओ बस..
मैं औंधी हो गई.. और वो मेरी पीठ पर लेट गया.. उसने अपने हाथों से मेरी गांड को फैलाया.. उंगली डाली।
मैंने कहा- उंगली से मत करो आकाश.. लंड डाल दो।
उसने अपना लंड मेरी गांड पर फिट किया और धक्का देने लगा। उसने पहला धक्का लगाया और मैं चिल्ला पड़ी। नहीं आकाश.. मत करो.. मर जाउंगी मैं।
पर वो नहीं माना और वो मुझसे जबरदस्ती करने लगा। उसने मेरे हाथ पकड़े और अपना लंड मेरी गांड पर लगा कर जोर से धक्का दिया। उसका लंड मेरी गांड को फाड़ते हुए अन्दर गया और मैं चीख पड़ी। फिर भी वो नहीं रुका और ज़ोर-ज़ोर से धक्का लगाने लगा और मैं भी उसके लिए अपना साथ देने लगी और सेक्सी आवाजें निकालने लगी।
‘हाँ आकाश.. चोदो.. और चोदो..’
अब वो झड़ने वाला था। उसने अपना सारा माल मेरी गांड में ही छोड़ दिया और मेरे बगल में लेट गया। मैं उससे चिपक गई… वो बोला- मैं तुम्हें कल भी चोदूँगा।
मैंने कहा- आई लव यू मेरी जान.. तुम मुझे रोज़ चोदना।
ये है हमारी प्यार की कहानी.. हम आज भी साथ हैं और एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं और समय मिलने पर सेक्स भी करते हैं मुझे उसकी मर्दाना छाती बहुत पसंद है और उसको मेरे मम्मे पसंद हैं।
कैसी लगी मेरे बुर चोदन की हिंदी सेक्स स्टोरी.. मुझे मेल कीजिए।
[email protected]
What did you think of this story??
Comments