प्रेम संग वासना : एक अनोखा रिश्ता -4
(Prem Sang Vasna : Ek Anokha Rishta- part 4)
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अभी हम बातें ही कर रहे थे कि मेरा लावा फूट पड़ा और अपने वीर्य से मैंने उसका मुँह पूरा भर दिया और लंड उसके मुँह में ही डाले रहा जिससे मेरा रस उसके अंदर तक चला जाए।
पहले तो उसने थोड़ा सा विरोध किया फिर बाद में वो सारा चाट गई।
अब हम दोनों ही पस्त होकर एक दूसरे के अगल बगल लेट गए और एक दूसरे के शरीर से खेलने लगे।
इतने के बाद मैंने सोचा क्यों ना थोड़ा रोमांच लाया जाए।
मैंने फ्रिज से आइसक्रीम निकाली, बेड पर गया, आइसक्रीम को किनारे रख कर मैंने वाइन की बोतल खोली और उपासना के बगल में बैठ के पीने लगा, वो अभी भी लेटी हुई थी और मेरी तरफ बड़ी ही प्यार भरी नज़रों से देख रही थी।
मैंने उसे टोकते हुए कहा- क्या बात है, आज बड़ा प्यार आ रहा है मुझ पर?
वो मुस्कुराई लेकिन कहा कुछ नहीं और उठ कर बैठ गई।
अब समय था रोमांच का, पहले मैंने वाइन से अपना पूरा मुंह भरा और और उसके होठों की चूमते हुए उसे सारी वाइन पिला दी।
फिर बोतल उठा कर उसके मुंह में धीरे धीरे गिरने लगा, उसका मुंह खुला हुआ था थोड़ी वाइन उसके मुंह के अंदर जा रही थी और आधी से ज़्यादा वाइन उसके मुंह से बाहर निकल कर उसके चूचियों से होते हुए उसके पेट, फिर नाभी को छूते हुए उसके चूत पे जा कर गिर रही थी।
क्या नज़ारा था वो, मानो उसके मुंह से झरना गिर रहा हो मुझे मदहोश करने के लिए।
मैंने अपना मुंह उसके चूत के पास लगा दिया और और सोम रस के साथ साथ उसके चूत रस का भी पान करने लगा। सच में बड़ा ही अच्छा और अलग स्वाद था उस शराब का जो उपासना के चूत में से होते हुए मेरे मुंह में जा रही थी।
मैं तो ऐसी कल्पना में खोया हुआ था उस वक़्त कि मानो मैं स्वर्ग में हूँ और कोई बहुत ही खूबसूरत अप्सरा अपने चूतनुमा बर्तन से मुझे शराब पिला रही हो, फिर मैंने वाइन की बोतल को किनारे रखा, चाट चाट कर सारी वाइन उसके शरीर से साफ कर दी और उसकी चूचियों से खेलने लगा।
अब वो भी फिर से मदहोश होने लगी थी और मेरे बालों में बड़े ही प्यार से अपनी उँगलियाँ फेर रही थी, अभी कुछ ही देर हुआ था, मैं उसके बदन से खेल रहा था कि उसने मुझे धक्का देकर नीचे कर दिया, खुद मेरे ऊपर आ गई और मेरे होठों को और सीने पर पागलों की तरह चूमने लगी, चूमते चूमते ही उसने हाथ बढ़ा कर आइसक्रीम का कटोरा उठाया और मेरे जांघों के पास चली गई और मेरे लंड को जो अर्ध निद्रा में था अपने मुट्ठी में लेकर हिलाने लगी।
सच बताऊँ तो मुझे बहुत मज़ा आ रहा था लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि वो आगे क्या करने वाली है, अभी मैं इसी सोच में था कि मुझे मेरे लंड पे कुछ ठंडा महसूस हुआ। मैंने देखा तो वो उस पर आइसक्रीम लगा रही थी।
अभी मैं कुछ समझता तब तक मेरा आधा लंड उसके मुँह में था, यह बात तो मेरे दिमाग में ही नहीं आई थी क्यों कि कुछ देर पहले उसने इसी काम के लिए मना किया था।
मैंने आश्चर्य भरी नज़रों से उसे देखा तो उसने कहा- जान, तुम्हें जिसमें खुशी मिले मैं वो हर काम करूंगी, मैंने आज से आपको अपना पति मान लिया है और मेरी शादी चाहे किसी से भी हो, मेरे पति हमेशा आप ही रहोगे, आज से जो मेरा है वो आपका है, मेरा दिल मेरा शरीर और ये घर भी। आप जब चाहो यहाँ आओ, जितने दिन चाहो यहाँ रहो, मुझे प्यार करो बस… मुझे अपने दिल में जगह दो और मैं आज सब कुछ होने से पहले चाहती हूँ कि आप मेरी मांग भरो।
मैं स्तब्ध एकटक उसको सुन रहा था, मैं क्या कहूँ, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, फिर भी मैंने कहा- मैं तुम्हारी मांग भर भी दूँ और कभी तुम्हें प्यार नहीं दे पाया या तुमसे अलग हो गया तो क्या होगा?
उसका बड़ा ही साधारण सा उत्तर पाकर मैं सोचने लगा कि यह इसी लोक की है या कहीं और से आई है?
खैर उसका उत्तर था- जान, तुम मेरे साथ
शारीरिक रूप से भले ही ना रहो मेरे दिल में, मेरे दिमाग में, मेरी यादों में हमेशा ही रहोगे लेकिन अगर तुम कहीं जाना चाहो तुम आज़ाद हो, मेरे तरफ से तुम कोई भी रोक टोक, बंदिश, पाबंदी कुछ भी नहीं होगी।
मैं उठा और उसे अपनी बाहों में भर कर चूम लिया और कहा- ठीक है जान, जैसा तुम कहो।
फिर तुरंत ही भाग कर गई और एक छोटी सी सिंदूर की डिबिया लेकर आई और मेरे सामने बढ़ा दी, मैंने उसे लिया और उसमें से सिंदूर निकाल कर उसकी मांग भर दी।
मैंने जैसे ही उसकी मांग भरी, वो मुझसे लिपट गई, उसकी आँखों में आँसू थे।
मैंने उसका चेहरा अपने हाथों में लेकर उसके आँसू पौंछे और पूछा- क्या हुआ?
उसने कहा- कुछ नहीं, आज मेरी ज़िंदगी का सबसे बड़ा दिन है इसलिए… और ये खुशी के आँसू हैं।
और उसके बाद वो मुझे दीवानों की तरह किस करने लगी और किस करते करते उसने मेरे शरीर पर कई लव बाइट भी दिए और फिर से मुझे बिस्तर पे धकेल कर मेरा लंड पकड़ा और उसे पूरा अपने मुँह में लेकर चूसने लगी, कभी ऐसे ही तो कभी आइसक्रीम लगा के।
अब मुझसे सहन नहीं हो रहा था तो मैंने उसे बिस्तर पर खींचा और कहा- क्यों पत्नी जी, अब सुहागरात मनाई जाए या रात भर यही करने का इरादा है?
वो थोड़ी शरमाई और मुझे चूमने लगी, मैंने उसे एक बगल में लिटाया और उसके पूरे बदन को चूमते चाटते हुए उसकी चूत पर जा पहुँचा और उसकी चूत के दाने को अपने होठों में लेकर चूसने लगा।
और वो भी अपने कूल्हे उठा उठा कर अपनी चूत चुसवा रही थी। चूत के दाने को मैं मुंह में लेकर चूस रहा था और अपने एक उंगली से उसके छेद को सहला भी रहा था।
सहलाते हुए कई बार मैंने अपनी उंगली उसके चूत में डालने की कोशिश की मगर उसने ऐसा करने नहीं दिया, शायद उसे दर्द हो रहा था।
अब उसके बर्दाश्त की सीमा पार हो रही थी जिसका एहसास उसकी सिसकारियों से पता चल रहा था, अब वो पागल सी होती जा रही थी और अपने दोनों हाथों से मेरा सर पकड़ कर अपने चूत में ऐसे दबा रही थी जैसे मुझे ही अपने अंदर समा लेगी।
उससे नहीं रहा गया, उसने कहा- प्लीज बाबू, अब मत तड़पाओ, अब नहीं रहा जाता, अब डाल दो अपना लंड मेरे अंदर… जान चोद दो मुझे! अपनी पत्नी को अब पूरी तरह से अपना बना लो शोना।
वो जैसे जैसे चिल्ला रही थी, मैं वैसे ही और तेज़ उसके दाने को रगड़ रहा था, अब लग रहा था जैसे लोहा गर्म है, अब देर नहीं करनी चाहिए तो मैं उठ कर उसकी जांघों के बीच आ गया, उसकी दोनों टाँगों को फैला कर बीच में बैठ गया और लंड को उसके बुर के ऊपर रखा।
रखते ही मानो उसके बदन में बिजली दौड़ गई।
अब मैंने धीरे धीरे अपने लंड से उसके चूत के दाने को रगड़ते हुए उसके चूत के मुंह पे लगा दिया और हल्का सा धक्का दिया पर शायद उसका छेद बहुत छोटा था इसलिए मेरा लंड फिसल कर किनारे हो गया।
मेरे दो तीन बार कोशिश करने के बाद भी मैं उसकी चूत में अपना झण्डा नहीं गाड़ पाया।
अब रहम करने का समय नहीं था, आखिर दर्द तो उसको वैसे भी होता लेकिन बिना मतलब के कोशिश करने का कोई फायदा नहीं था इसलिए मैंने अपना लंड उसके चूत के मुंह पर सेट किया, उसके ऊपर लेट कर उसके होठों को अपने होठों से बन्द कर दिया और चूमने लगा।
जब उसका पूरा ध्यान चुम्बन की तरफ था, तभी मैंने एक ज़ोर का धक्का उसकी चूत में मारा, मेरे लंड का सुपारा उसकी बुर में जा चुका था।
वो तड़पने लगी और अपने आप को मुझसे छुड़ाने की नाकाम कोशिश करने लगी लेकिन मुझे पता था कि ऐसा ही होने वाला है तो मैंने अपनी पकड़ उस पर पहले से ही मजबूत रखी थी कि वो छुड़ा न सके।
उसकी हालत अब जल बिन मछली जैसी हो गई थी, उसकी आँखों से आँसू छलक उठे थे, लग रहा था कि उसे बहुत दर्द हो रहा था जो उसके चेहरे से जाहिर हो रहा था।
इसलिए मैं भी वहीं रूक गया और उसके आंसुओं को अपने होठों से साफ करने लगा और फिर एक प्यारे से और लंबे चुम्बन में हम दोनों लिप्त हो गए।
मुझे लगा कि जैसे अब उसका दर्द कुछ कम है, और वो अपनी गाँड को भी थोड़ा थोड़ा हिला रही है तो फिर से उसे किस करते हुए उस पर पकड़ बनाई और फिर एक ज़ोर का धक्का उसके बुर में मारा और मेरा आधा लंड उसकी बुर को चीरता हुआ उसमें घुस गया।
और उसी के साथ वो बहुत तेज़ चीख उठी… ‘ऊईई ई ई ई ई म्मम्मम्म माँ आ मरर र र र र र गईई ई ई प्ल्ज़्ज़ ज़ ज़ ज़ बाआ आ हर र र निकालो ओ ओ ओ इसे… साहिल ल ल ल अब नहीं रहा जा रहा मर्र र्र र्र र र्र जाऊँगी प्ल्ज़्ज़ ज़ ज़ छो ओ ओ ड्ड दो बा आ बू उ उ…’
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लेकिन उसकी बातों को अनसुना करते हुए मैं एक ज़ोर का धक्का और मारा और अपना लंड उसके चूत में अंदर तक घुसा दिया और शांत हो गया।
ऐसा लग रहा था जैसे अब वो बेहोश हो जाएगी और उसकी आँखें उल्टी होने लगी, अब मैं अपने आप को कंट्रोल करते हुए उसे चूमने और उसकी चूचियों को सहलाने लगा, बड़े ही प्यार से उसके चूचियों के साथ करीब 10 मिनट तक खेलता रहा, तब जाकर ऐसा लगा कि अब वो नॉर्मल हो रही है और उसने अपने बाहों का हार मेरे गले में पहना दिया।
अब भी मुझे जल्दबाज़ी नहीं करनी थी, मैंने पूछा- जान, अब ठीक लग रहा है?
पर वो कुछ बोली नहीं और बस इशारे में जवाब दिया कि हाँ अब ठीक है।
अभी भी मैं उसे चूम और चाट ही रहा था, तभी उसकी कमर में हरकत हुई और मैं समझ गया कि मेरी जान अब चुदने के लिए तैयार है।
अब देरी ना करते हुए मैंने धीरे धीरे अपने लंड को गति दी, मैं उसे पहले बहुत धीरे धीरे चोद रहा था लेकिन कुछ देर बाद उसने मुझसे कहा- अब सब ठीक है अब जैसे चाहते हो, चोदो मुझे!
मैंने पूछा- क्यों दर्द नहीं रहा क्या?
‘जो होना था, हो गया… अब बस तुमसे रात भर चुदना है।’
उसका जवाब मिला मुझे और फिर मैंने अपनी स्पीड धीरे धीरे बढ़नी शुरू कर दी। अब उसको भी मज़ा आने लगा था वो भी अपने चूतड़ पूरे ज़ोरों से हिला कर मेरा साथ दे रही थी और जैसे जैसे मेरी स्पीड बढ़ रही थी वो उतनी ही जोश में आती जा रही थी।
और सोने पे सुहागा कि उसकी बातें भी वाइल्ड होती जा रही थी, इतना खुलकर उसे बोलते मैंने अभी तक नहीं सुना था।
लेकिन वो कहते हैं ना ‘जब सेक्स का जादू चढ़ता है, अच्छे अच्छे बदल जाते हैं।’
वैसी ही हालत उसकी भी थी, मेरे हर धक्के के साथ वो चिल्लाये जा रही थी… ‘हाँ ह हाँ… और ज़ोर से हाँ, साहिल आज मुझे पूरी अपनी बना लो, बुझा दो मेरी प्यास चोदो और ज़ोर से प्ल्ज़्ज़ ज़ ज़!
और ऐसे ही चिल्लाते हुए वो अकड़ने लगी और झड़ गई लेकिन मेरा जोश और बढ़ता जा रहा था और उसी के साथ मेरे धक्के भी अब उससे सहन नहीं हो रहे थे।
फिर भी मैं धक्के लगाता रहा और करीब 5 मिनट बाद ऐसा लगा कि अब मेरा पानी भी निकालने वाला है तो मैं अपने पूरे जोश में आ गया और खूब तेज़ तेज़ धक्के मारने लगा।
अब तो उसका बहुत बुरा हाल हो चुका था अब तक वो एक और बार तैयार हो चुकी थी और ज़ोरों से चुद रही थी और मेरे हर धक्के का जवाब भी उतनी ही तेज़ दे रही थी जितनी तेज़ मेरे धक्के थे।
अब तूफान आ चुका था, मैंने उससे पूछा- कहाँ निकालूँ?
उसने कहा- अब मैं तुम्हारी हूँ, जहाँ मन करे निकाल दो!
और इतना कहते ही मैं और वो एक ही साथ झड़ने लगे, मैंने अपनी मलाई से उसकी पूरी चूत को लबालब कर दिया और उसके ऊपर पस्त हो गया।
हम दोनों एक दूसरे की बाहों में थे और एक दूसरे को प्यार से थामे हुए थे।
कुछ समय गुजरने के बाद मैंने कहा- जान, भूख लगी है!
तो वो उठी, जाकर कुछ खाने को और बीयर की बोतल लेकर आई, दोनों ने खाना खाया और बीयर भी पी और एक साथ लेट गए और फिर गूँथ गए एक दूसरे में।
उस रात हमने 4 बार चुदाई की और थक कर एक दूसरे के गले में बाहें डाले सो गए।
कहानी जारी रहेगी।
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